लॉर्ड वेलेजली का इतिहास
*सर जॉन शोर के बाद अप्रैल 1798 में
लार्ड वेलेजली भारत के गवर्नर जनरल बनकर आए ।
*लार्ड वेलेजली एक साम्राज्यवादी व्यक्ति
थे क्योंकि जिस समय लार्ड वेलेजली भारत के गवर्नर जनरल बनकर आए उस समय भारत की
राजनीतिक स्थिति बहुत ख़राब थी |
*मैसूर
में उस समय टीपू सुल्तान का शासन था |
*हैदराबाद के निजाम फ्रांसीसियों से
सहायता प्राप्त कर रहा थे |
*मुगल बादशाह शाहआलम द्वितीय नाम मात्र
के शासक थे |
*पंजाब में महाराजा रणजीत सिंह ने बहुत
अधिक शक्ति बढ़ा ली थी |
*मराठों का उत्तर एवं मध्य भारत में विस्तार
था |
*इन सभी समस्याओं से निपटने के लिए लार्ड
वेलेजली को गवर्नर जनरल बनाकर भेजा गया था |
लॉर्ड वेलेजली की नीति
*लॉर्ड वेलेजली ने सर जॉन शोर की
अहस्तक्षेप नीति का परित्याग कर साम्राज्यवादी नीति को अपनाया ।
*लॉर्ड वेलेजली की भारतीय राजाओं तथा
नवाबों के साथ, मैत्री सम्बन्ध स्थापित करने की नीति को भारतीय इतिहास में सहायक
संधि के नाम से जाना गया है |
*लॉर्ड वेलेजली को सहायक संधि का
जन्मदाता माना जाता है |
सहायक संधि की प्रमुख शर्तें
1.इस सन्धि को स्वीकार करने वाले राजा
तथा नवाब को कम्पनी का आधिपत्य स्वीकार करना पड़ता था और अपने राज्य में
अपने ही खर्च पर अंग्रेजी सेना रखनी होती थी तथा अपने दरबार में एक अंग्रेज
रेजीडेण्ट भी रखना पड़ता था |
2.यदि सहायक सन्धि स्वीकार करने वाले
राजा तथा नवाब के मध्य, आपस में किसी भी प्रकार का झगड़ा हो जाए तो उनको अंग्रेजों को
मध्यस्थ बनाना पड़ता था और अंग्रेजी कम्पनी के निर्णय को स्वीकार भी करना पड़ता था
|
3.जो राज्य इन सभी शर्तों को स्वीकार कर
लेता था उस राज्य के बाहरी आक्रमणों तथा आन्तरिक विद्रोहों से रक्षा की
जिम्मेदारी ईस्ट इंडिया कम्पनी ले लेती थी |
सहायक संधि के लाभ
1.सहायक संधि से ईस्ट इंडिया कम्पनी को
बहुत फायदा हुआ और उसका देशी राज्यों की बाहरी नीतियों पर पूरा अधिकार स्थापित हो
गया था |
2.ईस्ट इंडिया कम्पनी का व्यय कम हो गया
था क्योंकि जो सेना देशी राजाओं के राज्यों में रहती थी उसका पूरा खर्च देशी
राजाओं/नवाबों को देना पड़ता था |
3.सहायक संधि के अन्तर्गत जो सेना देशी
राज्यों में रहती थी उसके कारण ईस्ट इंडिया कम्पनी का राज्य बाहरी आक्रमणों से
सुरक्षित हो गया और ईस्ट इंडिया कम्पनी को अनेक युद्धों से छुटकारा मिल गया |
4.सहायक सन्धि स्वीकार करने वाले राजा
तथा नवाब अंग्रेजों की स्वीकृति के बिना किसी भी विदेशी को अपने राज्य में नौकर पर
नहीं रख सकते थे | इससे देशी राज्यों से फ्रांसीसी प्रभाव का अन्त होना शुरू हो
गया |
सहायक सन्धि के दोष
1.सहायक संधि के द्वारा देशी राजा तथा
नवाब शक्तिहीन हो गये थे उनका अपने राज्य की बाहरी नीतियों पर कोई अधिकार नहीं रह
गया था क्योंकि वे अंग्रेजों की आज्ञा के बिना न तो किसी से सन्धि कर सकते थे और न
ही किसी से युद्ध कर सकते थे |
2.अंग्रेजी कम्पनी की सेना रखने वाले
राज्यों को सेना का पूरा खर्च देना पड़ता था | इस कारण उनको आर्थिक संकट का भी सामना करना पड़ा |
3.देशी राजाओं को अंग्रेजी सेना रखना
अनिवार्य था इससे बहुत से देशी सैनिक बेरोजगार हो गए थे और राज्यों में बेरोजगारी
की समस्या उत्पन्न हो गई |
4.देशी राजाओं के सामने आर्थिक संकट होने
के कारण जनता को अधिक करों का बोझ वहन करना पड़ा जिससे जनता को बड़े कष्टों का
सामना करना पड़ा |
सहायक सन्धि स्वीकार करने
वाले राज्य
1.सहायक संधि का सबसे पहला शिकार 1798
में हैदराबाद के निज़ाम हुए और सहायक संधि की शर्तों के अनुसार निज़ाम को अपने राज्य
में 6 बटालियन अंग्रेजी सेना रखनी पड़ी थी |
2.सहायक संधि का दूसरा शिकार मैसूर के
शासक टीपू सुल्तान हुए लेकिन टीपू सुल्तान ने सहायक संधि स्वीकार करने से इंकार कर
दिया था | मई 1799 में टीपू सुल्तान और अंग्रेजों के मध्य युद्ध हुआ जिसमें
अंग्रेजों की जीत हुई |
3.लॉर्ड वेलेजली की सहायक संधि का अगला
शिकार अवध राज्य हुआ | अवध के नवाब सआदत अली खां ने 1801 में सहायक संधि स्वीकार कर ली थी |
4.सहायक
संधि का अगला निशाना पेशवाओं को बनाया गया और दिसम्बर 1802 में पेशवा और अंग्रेजों
के बीच बसीन की सन्धि हुई |
बसीन की सन्धि की प्रमुख
शर्तें
1.पेशवा ने अंग्रेजों की पूरी अनुमति के
बिना किसी भी राज्य से संघर्ष न करने का करने का वायदा किया |
2.अंग्रेजों ने अपने 60,000 सैनिकों के स्थायी रूप से
बाजीराव द्वितीय के क्षेत्र में रखने का आश्वासन दिया |
*लॉर्ड वेलेजली की सहायक संधि को इंदौर
के होल्कर शासकों ने स्वीकार नहीं किया था |
*भारत में सबसे पहले सहायक संधि की
शुरुआत फ्रांसीसी गवर्नर डुप्ले के द्वारा की गई थी |
*लॉर्ड वेलेजली स्वयं को बंगाल का शेर
कहता था |
*लॉर्ड वेलेजली के शासनकाल 1800 में
नागरिक सेवा में भर्ती किए गए युवकों को प्रशिक्षित करने के लिए कलकत्ता में फोर्ट
विलियम कॉलेज की स्थापना की गई थी |
*लॉर्ड वेलेजली का कार्यकाल 1798 – 1805 के मध्य में था |
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प्राचीन इतिहास PDF – http://bit.ly/3G9U4ye
मध्यकालीन इतिहास PDF – http://bit.ly/3LGGovu
आधुनिक इतिहास PDF – http://bit.ly/3wDnfX3
सम्पूर्ण इतिहास PDF – https://imojo.in/1f6sRUD