पेशवाओं का इतिहास | पेशवा साम्राज्य | Peshwaon ka itihas |

 

बालाजी विश्वनाथ का इतिहास  

*बालाजी विश्वनाथ को छत्रपति साहूजी ने 1708 में सेनाकर्ते के पद पर नियुक्त किया था |

*1713 में छत्रपति साहूजी ने बालाजी विश्वनाथ को पेशवा के पद नियुक्त किया था |

*बालाजी विश्वनाथ को मराठा साम्राज्य का दूसरा संस्थापक माना जाता है |

*1719 ई. में मुग़ल बादशाह की ओर से सैय्यद हुसैन अली और बालाजी विश्वनाथ के मध्य एक संधि हुई और इस संधि को इतिहास में दिल्ली की संधि के नाम से जाना जाता है |

*इस संधि के अनुसार मुग़ल बादशाह रफ़ी उद दरजात ने छत्रपति साहूजी को महाराष्ट्र का स्वामी मान लिया था और दक्षिण में चौथ तथा सरदेशमुखी कर बसूलने की आज्ञा दे दी थी |

*रिचर्ड टेम्पल ने इसी संधि को मराठों का मैग्नाकार्टा (महान अधिकार पत्र) कहा है |

*बालाजी विश्वनाथ का शासनकाल 1713 – 1720 के मध्य में था |

बाजीराव प्रथम का इतिहास  

*बालाजी विश्वनाथ की मृत्यु के बाद उनके पुत्र बाजीराव प्रथम को पेशवा बनाया गया |

*बाजीराव प्रथम ने हिन्दू पद पादशाही के आदर्श का प्रचार किया और इसे लोकप्रिय बनाया |

*बाजीराव प्रथम ने मुग़ल साम्राज्य के प्रति अपनी नीति की घोषणा करते हुए कहा - हमें इस जर्जर वृक्ष के तने पर प्रहार करना चाहिए, शाखायें तो स्वयं ही गिर जायेगी |

*बाजीराव प्रथम ने मार्च 1728 ई. को पालखेड़ा के निकट निजाम को पराजित किया और उससे मुन्गी शिवागाँव की संधि की और इस संधि के तहत निजाम ने छत्रपति साहूजी को चौथ व सरदेशमुखी कर देना स्वीकार किया था |

*1728 ई. ही में बुंदेला राजा छत्रसाल ने बाजीराव प्रथम से सहायता मांगी, बाजीराव प्रथम ने छत्रसाल की सहायता की और मुगलों द्वारा जीते गए सभी क्षेत्र वापस छीन लिए थे |

*इसी अवसर पर बुंदेला राजा छत्रसाल ने अपनी पुत्री मस्तानी का विवाह बाजीराव प्रथम से किया था तथा कालपी, सागर, झाँसी को जागीर के रूप में भेंट किया था |

*1737 ई. में बाजीराव प्रथम के नेतृत्व में पेशवाओं ने दिल्ली पर आक्रमण किया था परन्तु किसी भी मुगल ने उनका मुकाबला नहीं किया था |

*बाजीराव प्रथम ने 1738 ई. में गुजरात को अपने साम्राज्य में शामिल  कर लिया था |

*बाजीराव प्रथम के ही शासनकाल में रानो जी सिंधिया ने मालवा में सिंधिया वंश की स्थापना की थी और इसकी प्रारंभिक राजधानी उज्जैन में थी परन्तु बाद में ग्वालियर को राजधानी बनाया था |

 *इसी समय मालवा के एक भाग पर अधिकार कर मल्हार राव होल्कर ने इंदौर में होल्कर वंश की स्थापना की और पिलाजी गायकवाड़ ने अपना राज्य गुजरात में स्थापित किया तथा बडौदा को अपनी राजधानी बनाया  |

*बाजीराव प्रथम का शासनकाल 1720 – 1740 के मध्य में था |

बालाजी बाजीराव का इतिहास

*बालाजी बाजीराव को नाना साहब के नाम से भी जाना जाता है |

*बालाजी बाजीराव नाममात्र के पेशवा थे परन्तु वास्तविक शक्ति उनके चचेरे भाई सदाशिव राव भाऊ के हाथो में थी |

*1750 ई. में मराठा छत्रपति राजाराम द्वितीय से सांगोला की संधि करके बालाजी बाजीराव ने सम्पूर्ण राज्य पर अधिकार कर लिया था |

*बालाजी बाजीराव के शासनकाल में ही पेशवाओं का सर्वाधिक विकास हुआ |

*1742 ई. में पेशवाओं ने ओरछा के बुंदेला सरदार को परास्त कर झाँसी तथा उसके आस पास के क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया था |

*1757 में रघुनाथ राव सेना लेकर दिल्ली पहुंचे और मुग़ल बादशाह के साथ संधि कर अहमद शाह अब्दाली के प्रतिनिधि नजीब उद धौला को मीर बक्शी के पद से हटा दिया |

*1758 में रघुनाथ राव पंजाब पहुंचे और वहां से अहमद शाह अब्दाली के अधीन शासकों को पराजित किया जिससे अहमद शाह अब्दाली नाराज़ हो गया और उसने मराठों/पेशवाओं से बदला लेने के लिए फिर से भारत पर आक्रमण किया |

*1759 में अहमद शाह अब्दाली ने पंजाब पर अधिकार कर लिया और दिल्ली की ओर आगे बढ़ा |            

*पानीपत का तृतीय युद्ध 14 जनवरी 1761 ई. को मराठा/पेशवाओं और अफगानिस्तान के शासक अहमद शाह अब्दाली के मध्य हुआ |

*इस युद्ध में जाट राजाओं, राजपूतों एवं सिक्खों ने पेशवाओं का साथ नहीं दिया था तथा इस युद्ध में पेशवाओं की तरफ से इब्राहीम खान ने तोपखाने का नेतृत्व किया था और इन्दौर के मल्हार राव होल्कर पानीपत का मैदान छोड़कर ही भाग गए थे |

*पानीपत के तृतीय युद्ध में पराजित होने के कारण बालाजी बाजीराव अपनी हार बर्दाश नहीं कर पाए और 1761 ई. में ही उनकी मृत्यु ही गई |

*बालाजी बाजीराव का शासनकाल 1740 – 1761 के मध्य में था |

माधवराव का इतिहास

*पेशवा माधवराव ने हैदराबाद के निजाम और मैसूर के हैदर अली को चौथ देने के लिए मजबूर किया |

*पेशवा माधवराव के ही शासनकाल में मुग़ल बादशाह शाहआलम द्वितीय ने अंग्रेजों की संरक्षणता को छोड़कर पेशवाओं की संरक्षणता स्वीकार की थी |

*1772 ई. में छयरोग से पेशवा माधवराव की मृत्यु हो गई और इनकी मृत्यु के साथ ही पेशवा साम्राज्य का पतन प्रारंभ हो गया था |

*पेशवा माधवराव को अंतिम महान पेशवा माना जाता है |

*पेशवा माधवराव की मृत्यु के बाद उनके छोटे भाई नारायण राव को पेशवा बनाया गया परन्तु 1773 ई. में उनके चाचा रघुनाथ राव ने पेशवा बनने के लिए नारायण राव की हत्या कर दी थी |

*पेशवा माधवराव का शासनकाल 1761 – 1772 के मध्य में था |

माधव नारायनराव का इतिहास

*पेशवा माधव नारायण, नारायनराव के पुत्र थे |

*पेशवा माधव नारायणराव की अल्पआयु के कारण नाना फडनवीस (बालाजी जनार्दन भानू, ग्रांट डफ ने इन्हें ही पेशवाओं का मैकियावैली कहा था) के नेतृत्व में पेशवा सरदारों ने राज्य की देखभाल के लिए बारा भाई सभा के नाम से एक परिषद् बनाई थी |

प्रथम आँग्ल मराठा युद्द

*कर्नल कीटिंग के नेतृत्व में एक अंग्रेजी सेना सूरत पहुंची मई 1775 ई. में आरस के मैदान में अंग्रजों और पेशवा सेना के मध्य भीषण युद्ध हुआ और इस युद्ध में पेशवाओं की हार हुई |

*1782 ई. में सालवाई की संधि, सिंधिया की मध्यस्थता के कारण पेशवा और अंग्रेजों के मध्य हुई थी |

*अक्टूबर 1795 ई. में पेशवा माधवराव नारायणराव ने आत्म हत्या कर ली क्योंकि वह नाना फडनवीस के मनमाने शासन से बहुत परेशान हो गए थे |

*पेशवा माधव नारायण राव का शासनकाल 1774 – 1795 के मध्य में था |

बाजीराव द्वितीय का इतिहास

*पेशवा बाजीराव द्वितीय, रघुनाथ राव के पुत्र थे |

*दिसंबर 1802 ई. में बसीन की संधि बाजीराव द्वितीय और अंग्रेजों के मध्य हुई और इस संधि की प्रमुख शर्ते थी |

1.पेशवा बाजीराव द्वितीय ने अंग्रेजों की संरक्षणता स्वीकार कर ली थी और एक अंग्रेजी सेना पूना में रखना स्वीकार किया |

2.पेशवा बाजीराव द्वितीय ने गुजरात, ताप्ती तथा नर्मदा नदी के क्षेत्र और तुंगभद्र नदी के आस पास के प्रदेश अंग्रेजों को दे दिए थे |

3.अंग्रेजों ने बाजीराव द्वितीय को पेशवा स्वीकार किया था |

द्वितीय आँग्ल मराठा युद्ध 1803 - 1805 ई.

*देवगाँव की संधि, दिसंबर 1803 ई. में भोंसले और अंग्रेजों के मध्य हुई थी | इस संधि के अनुसार भोंसले ने अंग्रेजों को बालासोर, कटक और वर्धा नदी के पश्चिम का सारा राज्य सौंप दिया था |

*सुर्जी अर्जन गाँव की संधि, दिसंबर 1803 ई. में ही सिंधिया और अंग्रेजों के मध्य हुई | इस संधि के अनुसार सिंधिया ने अंग्रेजों को गंगा और यमुना के बीच का अपना सारा राज्य और जयपुर, जोधपुर एवं गोहद के किले  दे दिए थे |

तृतीय आँग्ल मराठा युद्ध 1817 - 1818 ई.

*पेशवाओं ने पूना के अंग्रेजी रेजीडेंसी में आग लगा दी थी और किरकी नामक स्थान पर अंग्रेजी कैम्प पर आक्रमण कर दिया था |

*इसी बीच अंग्रेज और पेशवा सेना के मध्य युद्ध हुआ परन्तु अंत में पेशवा सेना ने आत्म समर्पण कर दिया |

*पेशवा और अंग्रेजों के मध्य पूना की संधि हुई |

*13 जून 1817 ई. को पूना की संधि बाजीराव द्वितीय और अंग्रेजों के मध्य हुई थी और इस संधि के अनुसार बाजीराव द्वितीय को मराठा संघ की प्रधानता छोडनी पड़ी |

*बाजीराव द्वितीय को कुछ किले अंग्रेजों को देने पड़े परन्तु इस संधि से पेशवा बाजीराव द्वितीय संतुष्ट नहीं थे क्योंकि यह संधि पेशवा बाजीराव द्वितीय की इच्छा के विरूद्ध हुई थी |

*1 जनवरी 1818 ई. को भीमा कोरेगांव का युद्ध पेशवा और अंग्रेजी सेना के मध्य हुआ जिसमें पेशवा सेना का नेतृत्व बाजीराव द्वितीय, बापू गोखले, अप्पा देसाई कर रहे थे |

*अंग्रेजी सेना का नेतृत्व कैप्टन एफ़.स्टोंटन के हाथों में था जिसमें केवल 834 सैनिक थे और दोनों सेनाओ के मध्य युद्ध हुआ |

*इस युद्ध में पेशवा सेना की हार हुई और इसी युद्ध के बाद पेशवा बाजीराव द्वितीय ने जून 1818 ई. में सर जोन मेलकम के सामने आत्म समर्पण कर दिया |

*अंग्रेजों ने पेशवा बाजीराव द्वितीय को 8 लाख रुपये वार्षिक पेंशन पर कानपुर के समीप बिठूर में अपने आखिरी दिन बिताने की आज्ञा दे दी |

*इसी समय अंग्रेजों के द्वारा पेशवा पद को समाप्त कर दिया गया था और मराठा साम्राज्य का शासन छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज प्रतापसिंह को सौंप दिया गया था |

*मराठा साम्राज्य का अंतिम छत्रपति शाहजी अप्पा साहिब को माना जाता है |

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