बंगाल के नवाबों का इतिहास
*मध्यकाल में बंगाल भारत का सबसे समृद्धशाली
प्रदेश माना जाता था और 1700 ई. में मुग़ल शासक औरंगजेब ने मुर्शिद कुली खां को
बंगाल का दीवान बनाया था |
*1717 ई. में मुग़ल शासक फर्रुखसियर ने एक शाही फरमान जारी करके अंग्रेजों को
व्यापार करने की छूट प्रदान की थी |
*फर्रुखसियर के इस शाही फ़रमान से
अंग्रेजों ने न सिर्फ बंगाल में बल्कि सम्पूर्ण देश पर कब्ज़ा कर किया था |
मुर्शिद कुली खां का इतिहास
*मुग़ल शासक फर्रुखसियर के शासनकाल में
मुर्शिद कुली खां को बंगाल का सूबेदार बनाया |
*1719 ई. में उड़ीसा का क्षेत्र भी प्रदान
किया गया |
*मुर्शिद कुली खां ने राजधानी ढाका से
मुर्शिदाबाद में स्थानांतरित की |
*मुर्शिद कुली खां ने भूमि बंदोबस्त में
इजारेदारी प्रथा प्रारम्भ की और किसानों को तकावी ऋण भी देना प्रारम्भ किया किया |
*1727 ई. में मुर्शिद कुली खां की मृत्यु
के बाद शुजा उद दीन (1727 - 1739) और सरफ़राज़ (1739 - 1740) बंगाल के नवाब बने
परन्तु इसके शासनकाल में कोई विशेष कार्य नहीं हुआ जो परीक्षाओं की दृष्टि से
महत्वपूर्ण हो |
*मुर्शिद कुली खां का शासनकाल 1713 –
1727 के मध्य में था |
अलीवर्दी खां का इतिहास
*1740 ई. में गिरिया के युद्ध में सरफ़राज़
को मारकर अलीवर्दी खां, बंगाल के नवाब बने |
*अलीवर्दी खां नाममात्र के लिए मुग़ल
शासकों के अधीन था उसने अपने सम्पूर्ण शासनकाल में कभी भी मुग़ल शासकों को राजस्व
नहीं दिया |
*अलीवर्दी खां को मराठों ने चौथ देने पर
मजबूर किया था जिसमें अलीवर्दी खां ने 12 लाख रूपए वार्षिक चौथ के रूप में देना
स्वीकार किया |
*अलीवर्दी खां ने यूरोपियों की तुलना
मधुमक्खियों से की और कहा “यदि इन्हें ना छेड़ा जाए तो शहद देंगी और यदि छेड़ दिया
जाए तो काट - काट कर मार डालेगी” |
*अलीवर्दी खां के शासनकाल में बंगाल इतना
समृद्ध हो गया था कि भारत का स्वर्ग कहा जाने लगा था |
*1756 ई. में अलीवर्दी खां के बाद उनकी
बेटी का पुत्र सिराज़ उद दौला को बंगाल का नवाब बनाया गया |
*अलीवर्दी खां का शासनकाल 1740 – 1756 के
मध्य में था |
सिराज़ उद दौला का इतिहास
*सिराज़ उद दौला का पूरा नाम मिर्ज़ा
मुहम्मद सिराज़ उद दौला था |
*अक्टूबर 1756 ई. में मनिहारी के युद्ध
में सिराज़ उद दौला ने पूर्णियां के नवाब शौकत जंग को पराजित कर मार डाला था |
* 4 जून 1756 ई. को सिराज़ उद दौला ने
कासिम बाज़ार पर अधिकार कर लिया था |
*20 जून 1756 ई. को सिराज़ उद दौला ने
फ़ोर्ट विलियम पर अधिकार कर लिया था और उसी रात सिराज़ उद दौला ने 146 अंग्रेजों को
एक 18 फुट लम्बी कोठी में बंद कर दिया था और अगले दिन मात्र 23 अंग्रेज जिन्दा बचे
थे |
*इस घटना को इतिहास में ब्लैक होल के नाम
से जाना जाता है और इस घटना का उल्लेख जे. जेड. हालवेल ने किया था |
*सिराज़ उद दौला ने कलकत्ता का नाम
परवर्तित करके अलीनगर किया था |
*ईस्ट इंडिया कम्पनी के कप्तान रॉवर्ट
क्लाइव ने कलकत्ता के सेठ मानिक चन्द्र को घूस देकर जनवरी 1757 ई. में कलकत्ता पर
अधिकार कर लिया था |
*9 जनवरी 1757 ई. को अलीनगर की संधि
रॉवर्ट क्लाइव और बंगाल के नवाब सिराज़ उद दौला के मध्य हुई जिसके अनुसार कलकत्ता
में अंग्रेजों को किले बनाने और सिक्के ढालने का अधिकार प्राप्त हुआ था |
*मार्च 1757 ई. में ही रॉवर्ट क्लाइव ने
फ्रांसीसियों से चन्द्रनगर को छीन लिया था |
*रॉवर्ट क्लाइव ने कलकत्ता के व्यापारी
अमीचन्द्र के माध्यम से सिराज़ उद दौला के सेनापति मीर जाफ़र और दीवान दुर्लभ राय
तथा कलकत्ता के सबसे बड़े व्यापारी जगत सेठ को षड्यंत्र से अपनी तरफ मिला लिया |
*रॉवर्ट क्लाइव को जिसका फायदा प्लासी के
युद्ध में हुआ था |
*23 जून 1757 को प्लासी का युद्ध बंगाल
के नवाब सिराज़ उद दौला और अंग्रेज सेनापति रॉवर्ट क्लाइव के मध्य हुआ था जिसमें
सिराज़ उद दौला के सेनापति मीर जाफ़र और दीवान दुर्लभ राय ने अंग्रेजों का साथ दिया
|
*सिराज़ उद दौला का साथ केवल मीर मदान और
मोहन लाल ने ही दिया | इस युद्ध में अंग्रेजी सेना में लगभग 3200 सैनिक थे और
सिराज़ उद दौला की सेना में लगभग 50,000 सैनिक थे |
*प्लासी युद्ध में अंग्रेजों की जीत हुई
और सिराज़ उद दौला की मृत्यु को गई थी | कहा जाता है कि प्लासी का युद्ध अंग्रेजों
के लिए भारत में शासन करने की पहली बड़ी कामयाबी दी |
*सिराज उद दौला का शासनकाल 1756 – 1757
के मध्य में था |
मीर ज़ाफर का इतिहास
*प्लासी युद्ध की सफलता के बाद रॉवर्ट
क्लाइव ने मीर ज़ाफर को बंगाल का नवाब बनाया | इसी समय मुर्शिदाबाद के दरबारी हाज़िर
तबियत ने मीर ज़ाफर का नाम रॉवर्ट क्लाइव का गधा रख दिया था |
*मीर ज़ाफर के शासनकाल में ही अंग्रेजों
ने बांटों और राज करो की नीति की शुरुआत की थी |
*1759 ई. बेदरा का युद्ध अंग्रेजों और डचों के मध्य हुआ था जिसमें अंग्रेजों की
जीत हुई इसके बाद डचों का पतन होना शुरू हो गया था |
*बेदरा युद्ध के समय ईस्ट इंडिया कम्पनी
के गवर्नर रॉवर्ट क्लाइव थे |
*फरवरी 1760 ई. में रॉवर्ट क्लाइव वापस
इंग्लैंड चले गए और उनकी जगह जे.जेड. हालवेल को ईस्ट इंडिया कम्पनी का अस्थाई
गवर्नर बनाया गया परन्तु कुछ समय के बाद ही वेन्सिटार्ट को स्थाई गवर्नर बनाया गया
था |
*मीर जाफ़र ने गवर्नर वेन्सिटार्ट का
स्वागत नहीं किया | गवर्नर वेन्सिटार्ट ने कलकत्ता में स्थित अंग्रेजी कौंसिल को
पत्र लिखा जिसमें कहा गया था कि नवाब मीर जाफ़र बहुत क्रूर, क्रोधी, लालची, विलासी
और निर्दोष व्यक्तियों का खून बहाने वाला है” |
*सितम्बर 1760 ई. में गवर्नर
वेन्सिटार्ट और मीर कासिम के मध्य समझौता हुआ जिसमें गवर्नर वेन्सिटार्ट ने मीर
कासिम को बंगाल का नया नवाब बनाने का प्रस्ताव रखा जिसमें कुछ शर्तें भी शामिल थी
|
1.मीर कासिम ने ईस्ट इंडिया कम्पनी को
वर्धमान, मिदनापुर और चटगाँव के क्षेत्र देना स्वीकार किया |
2.मीर कासिम ने अपनी सेना की संख्या कम
करना स्वीकार किया |
3.मीर कासिम ईस्ट इंडिया कम्पनी के
दुश्मनों को अपना दुश्मन समझेगा |
*अक्टूबर 1760 ई. में गवर्नर
वेन्सिटार्ट अंग्रेजी सेना लेकर राजधानी मुर्शिदाबाद पहुँचे और मीर जाफ़र के स्थान
पर उसके दामाद मीर कासिम को बंगाल का नया नवाब बनाया |
*मीर
जाफ़र को 15000 रुपये मासिक पेंशन पर मुर्शिदाबाद से कलकत्ता भेज दिया गया
*मीर
जाफर का शासनकाल 1757 – 1760 के मध्य में था |
मीर कासिम का इतिहास
*मीर कासिम को इतिहासकार मीर जाफ़र का दामाद
मानते हैं |
*मीर कासिम को अक्टूबर 1760 में गवर्नर
वेन्सिटार्ट द्वारा बंगाल का नया नवाब बनाया गया था |
*मीर कासिम ने नवाब बनाने के बाद सबसे
पहले अपनी सेना का पुनर्गठन किया और इसके लिए एक जर्मन अधिकारी समरू को नियुक्त
किया गया था |
*मीर
कासिम ने अपनी राजधानी मुर्शिदाबाद से मुंगेर में स्थानांतरित की |
*मीर कासिम ने बंगाल की आर्थिक स्थिति को
सुधरने के लिए नए – नए कर भी लगाए और पुराने करों में वृद्धि की |
*जून 1763 ई. में मीर कासिम के कहने पर
पटना में एक जर्मन अधिकारी समरू ने एलिस, राम नारायण, जगत सेठ, राय नारायण, उम्मीद
राय, राज वल्लभ आदि का क़त्ल कर दिया था |
*इस घटना को इतिहास में पटना हत्याकांड
के नाम से जाना जाता है क्योंकि ये सभी मीर कासिम के विरोधी थे |
*पटना हत्याकाण्ड के बाद अंग्रेजों ने
मीर कासिम को नवाब के पद से हटाकर फिर से मीर जाफ़र को बंगाल का नवाब बनाया |
*मीर कासिम कुछ सेना के साथ भागकर अवध के
नवाब शुजा उद दौला के यहाँ पहुंचा और इसी समय अवध में मुग़ल शासक शाहआलम द्वितीय भी
मौजूद थे |
*मीर कासिम का शासनकाल 1760 – 1763 के
मध्य में था |
मीर जाफ़र का इतिहास
*जुलाई 1763 ई. में मीर जाफ़र को दुबारा
से बंगाल का नवाब बनाया गया और नन्द कुमार को उसका मंत्री बनाया गया | इसी समय मीर
जाफ़र ने बंगाल में अंग्रेजों को व्यापार करने में विशेष छूट प्रदान की |
*1764 ई. में मीर कासिम ने फिर से बंगाल का नवाब
बनाने का प्रयास किया | इसी प्रयास में उसने अवध ने नवाब शुजा उद दौला और मुग़ल
शासक शाहआलम द्वितीय के साथ मिलकर एक संयुक्त सेना बनाई |
*अक्टूबर 1764 ई. में मीर कासिम, शुजा उद दौला और मुग़ल शासक शाहआलम द्वितीय की संयुक्त सेना ने बक्सर के मैदान में अपना
डेरा जमाया |
*अंग्रेजों की सेना का नेतृत्व हेक्टर
मुनरो के हाथों में था जिसमें बंगाल के नवाब मीर जाफ़र की कुछ सेना भी शामिल
थी |
*22/23 अक्टूबर 1764 ई. को बक्सर का
युद्ध हुआ जिसमें अंग्रेजों की विजय हुई और अवध के नवाब शुजा उद दौला और मुग़ल शासक शाहआलम द्वितीय ने आत्मसमर्पण कर
दिया था तथा मीर कासिम भागकर दिल्ली चला गया |
*बक्सर युद्ध को जीतने के बाद भारत में
वास्तविक रूप से अंग्रेजों की सत्ता स्थापित होना प्रारम्भ हो गई थी क्योंकि अब
उन्हें हराने वाला कोई नहीं था |
*बक्सर युद्ध के समय ईस्ट इंडिया कम्पनी
का गवर्नर वेन्सिटार्ट था |
*फरवरी 1765 में बंगाल के नवाब मीर जाफ़र
की मृत्यु हो गयी और इसके बाद ईस्ट इंडिया कम्पनी के गवर्नर वेन्सिटार्ट ने मीर
जाफ़र के अल्प वयस्क पुत्र नज्म उद दौला को बंगाल का नवाब बनाया परन्तु नवाब के सभी
अधिकार अपने पास रखे थे और इस तरह से बंगाल में
अंग्रेजों के शासन की शुरुआत हुई |
*मीर
जाफर का दूसरा शासनकाल 1763 – 1765 के मध्य में था |
शब्दावली
*मुर्शिदाबाद
– पश्चिम बंगाल में भागीरथी/हुगली नदी के किनारे बसा हुआ है |
*इजारेदारी
प्रथा का अर्थ – इसमें भूमि ठेके पर दी जाती थी जो सबसे ज्यादा कीमत देता था भूमि
भी उसी को दी जाती थी |
*तकाबी ऋण – यह अग्रिम ऋण होता था |
0 टिप्पणियाँ
यह Post केवल प्रतियोगी परीक्षाओं के दृष्टी से लिखा गया है ....इस Post में दी गई जानकारी, भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त [CLASS 6 से M.A. तक की] पुस्तकों से ली गई है ..| कृपया Comment box में कोई भी Link न डालें.
प्राचीन इतिहास PDF – http://bit.ly/3G9U4ye
मध्यकालीन इतिहास PDF – http://bit.ly/3LGGovu
आधुनिक इतिहास PDF – http://bit.ly/3wDnfX3
सम्पूर्ण इतिहास PDF – https://imojo.in/1f6sRUD