प्रारंभिक जीवन
*औरंगजेब के बारे में जानकारी अलामगीरनामा, रुक्कात
ए आलमगीरी और फतुहात ए आलमगीरी जैसे ग्रंथो में मिलती है |
*औरंगजेब का जन्म 24 अक्टूबर या 3 नवम्बर 1618
ई. को उज्जैन के पास दोहाद नामक स्थान पर हुआ था |
*औरंगजेब के पिता का नाम शाहजहाँ और माता का
नाम मुमताज महल था |
*औरंगजेब की बेग़म - दिलरास बानू बेगम, नबाव
बाई, उदयपुरी महल और औरंगाबादी महल |
*औरंगजेब के पुत्र - बहादुरशाह प्रथम, मोहम्मद
सुल्तान, मोहम्मद अकबर, मोहम्मद मुअज्जम, मोहम्मद आजम और मुहम्मद काम्बख्श |
*औरंगजेब की पुत्रियाँ - जेबुन्निसा बेग़म,
जीनतुन्निसा बेग़म, ज़ुब्दतुन्निसा बेग़म, बद्रुन्निसा बेग़म और मिहिरुन्निसा बेग़म |
*औरंगजेब के प्रथम शिक्षक - अब्दुल लतीफ़
सुल्तानपुरी और मीर हाशिम गिलानी थे |
*औरंगजेब को अरबी, फारसी, तुर्की और हिंदी
भाषा का अच्छा ज्ञान था |
*मई 1633 ई. में शाहजहाँ ने औरंगजेब को बहादुर
की उपाधि प्रदान की क्योंकि औरंगजेब ने सुधाकर नामक एक हाथी को भाले के प्रहार से
घायल कर दिया था |
*औरंगजेब का पहला राज्यभिषेक 21 या 31 जुलाई
1658 ई. को सामूगढ़ युद्ध के बाद आगरा के किले में हुआ था |
*औरंगजेब ने दूसरा राज्यभिषेक देवराई युद्ध के
बाद 5 या 15 जून 1659 ई. को दिल्ली में हुआ था और इसी अवसर पर औरंगजेब ने अबुल
मुजफ्फर मुहीउद्दीन मोहम्मद औरंगजेब बहादुर आलमगीर बादशाह गाजी की उपाधि धारण की थी
|
*1665 ई. में औरंगजेब ने सिक्खों के गुरु
हरकिशन के पुत्र रामराय को दहरादून में एक बड़ा भू - भाग क्षेत्र अनुदान के रूप में
प्रदान किया था और इसी भू - भाग पर रामराय ने एक विशाल गुरूद्वारे का निर्माण
कराया था |
*गुरु तेगबहादुर सिक्खों के 9वें गुरु थे
परन्तु औरंगजेब से उनका मतभेद रहता था | एक दिन राजा जयसिंह के हस्तक्षेप के कारण
औरंगजेब ने उन्हें माफ कर दिया |
*गुरु तेगबहादुर ने औरंगजेब की धार्मिक नीति
का विरोध किया तथा लोगों के बीच औरंगजेब की क्रूरता और धार्मिक नीति का खुलासा
किया |
*गुरु तेगबहादुर की इस नीति से सामान्य लोग
बहुत प्रभावित हुए और गुरु तेगबहादुर के अनुयायियों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती
गई |
*गुरु तेगबहादुर की इस नीति का औरंगजेब को जब
पता चला तो उसने गुरु तेगबहादुर को बुलाया और इस्लाम धर्म स्वीकार करने का दबाव
डाला परन्तु गुरु तेगबहादुर के इन्कार करने पर, औरंगजेब ने 1675 ई. में उन्हें
मृत्युदण्ड दे दिया |
औरंगजेब के अभियान
*1665 ई. में औरंगजेब ने जयसिंह को बीजापुर पर
आक्रमण के लिए भेजा परन्तु आक्रमण से पूर्व जयसिंह को शिवाजी से युद्ध करना पड़ा, इस
युद्ध में जयसिंह की विजय हुई और जयसिंह एवं शिवाजी के मध्य पुरंदर की संधि हुई |
*जून 1665 ई. में शिवाजी और जयसिंह के मध्य
पुरंदर की संधि हुई |
1.शिवाजी ने अपने 35 किलो में से 23 किले मुग़ल
सेना को प्रदान किए |
2.शिवाजी अपने ज्येष्ठ पुत्र शम्भाजी को 5
हजार घुड़सवारों के साथ मुग़ल सेना में भेजने को सहमत हो गए |
*इसी समय शिवाजी, जयसिंह के अनुरोध पर औरंगजेब
से मिलने आगरा पहुंचे लेकिन दरबार में उचित सम्मान न मिलने के कारण, वह बहुत
क्रोधित हुए फलस्वरूप उन्हें गिरफ्तार कर जयपुर भवन में बंदी बना दिया गया परन्तु
एक दिन अवसर पाकर शिवाजी अपने पुत्र के साथ भागने में सफल रहे |
*1665 ई. में ही
औरंगजेब ने उन सभी हिन्दू मंदिरों को तोड़ने का आदेश दिया था जो गरीब जनता के लूटे हुए
धन से बनवाये गए थे |
*औरंगजेब के शासनकाल में मथुरा का फौजदार
अब्दुबन्नी था इसके अत्याचारों से परेशान होकर 1669 ई. में मथुरा के जाटों ने
तिलुपत के जमींदार गोकुला के नेतृत्व में विद्रोह किया और मथुरा में खूब लूट मचाई
|
*1672 से 1674 ई. के मध्य में सतनामी
वैरागियों ने विद्रोह किया था | औरंगजेब ने राजा बिशन सिंह कछवाहा और हमीद खां के
नेतृत्व में सेना भेजी, मुग़ल सेना ने सतनामी वैरागियों का क्रूरता पूर्वक दमन किया
जिसमें हजारों सतनामी वैरागियों की मृत्यु हुई |
*1675 ई. में औरंगजेब ने सेनानायक मुगीर खां
के साथ मिलकर अफ़गानिस्तान पर विजय हासिल की और अमीन खां को अफ़गानिस्तान का प्रशासक
नियुक्त किया था |
*1679 ई. में औरंगजेब ने मारवाड़ पर आक्रमण के
लिए सेना भेजी और मुगल सेना ने आसानी से मारवाड़ पर अधिकार कर लिया और इसी समय
औरंगजेब ने सर्वप्रथम जजिया कर को लागू किया था परन्तु बच्चे, स्त्रियाँ, भिखारी,
दास, निर्धन, पुरोहित, मजदूर, और दिवालिए इस कर से मुक्त थे |
*1679 ई. में ही औरंगजेब ने महाराष्ट्र के
औरंगाबाद में बीबी के मकबरे का निर्माण करवाया था |
*सितम्बर 1686 ई. में औरंगजेब स्वंय बीजापुर
गया और उस समय बीजापुर का शासक सिकंदर आदिल शाह था | सिकंदर आदिल शाह, औरंगजेब से
इतना भयभीत हो गया कि उसने औरंगजेब के सामने आत्मसमर्पण कर दिया और इसी समय औरंगजेब ने बीजापुर को मुग़ल
साम्राज्य में शामिल किया था |
*1686 ई. में ही जाटों ने राजाराम तथा रामचेरा
के नेतृत्व में पुनः विद्रोह किया और इसी विद्रोह के समय जाटों ने सिकंदरा में
स्थित अकबर के मकबरे को लूटा |
*औरंगजेब ने इस विद्रोह को दबाने के लिए आमेर
के राजा बिशन सिंह कछवाहा को भेजा और बिशन सिंह कछवाहा ने जाटों को पराजित किया |
*इसी युद्ध में जाट नेता राजाराम की
मृत्यु हो गई थी और जाटों ने राजाराम के
स्थान पर उनके भतीजे चूड़ामन को अपना नेता बनाया |
*औरंगजेब की मृत्यु के बाद चूड़ामन ने भरतपुर
में स्वतंत्र राज्य की स्थापना की |
*1687 ई. औरंगजेब ने गोलकुंडा के विरुद्ध
आक्रमण किया और उस समय गोलकुंडा का शासक अबुल हसन था परन्तु वास्तविक सत्ता मदन्ना
और अकन्ना नामक दो ब्राह्मणों के हाथों में थी अंत में मुगल सेना ने गोलकुंडा पर
अधिकार कर लिया |
औरंगजेब के प्रशासनिक कार्य
*सुल्तान बनने के बाद औरंगजेब ने सबसे पहले
अपना ध्यान प्रशासन की ओर दिया और लगभग 80 करों को समाप्त किया |
*राहदारी (परिवहन कर, जो 10% लिया जाता था),
पानडारी (चुंगीकर), अब्वाब (भूमिकर व चुंगीकर के अतिरिक्त) को भी न लेने का आदेश
दिया था |
*औरंगजेब ने शराब, जुआ तथा वैश्यावृत्ति को
बंद करने का आदेश जारी किया |
*औरंगजेब ने मुहतसिब नामक एक पदाधिकारी की
नियुक्ति की जिसका कार्य लोक आचरण की जांच करना होता था और इस पद पर सबसे पहले
समरकंद के निवासी मुल्ला औजा वाजीह को नियुक्त किया था |
*औरंगजेब ने भांग की खेती को बंद करने का आदेश
जारी किया था और इसके आलावा औरंगजेब ने झरोखा दर्शन, नौरोज त्यौहार, सिक्कों पर
कलमा ख़ुदवाना, दरबार में संगीत, ज्योतिष, सती प्रथा, दास प्रथा आदि को बंद करने का
आदेश जारी किया था |
*औरंगजेब ने बादशाह को सोने - चाँदी से तोले
जाने की प्रथा को समाप्त किया |
*औरंगजेब ने दक्षिण भारत के दो राज्य बीजापुर
और गोलकुंडा को मुग़ल साम्राज्य में मिलाया था |
*सभी मुगल शासकों में औरंगजेब को पहला शासक माना
जाता है जिसके शासनकाल में सबसे अधिक हिन्दू मनसवदारों की संख्या रही |
*राजा जयसिंह और राजा जसवंत सिंह हिन्दुओं में
सबसे सर्वोच्च मनसवदार थे |
*औरंगजेब ने उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर,
चित्रकूट के मंदिर और इलाहाबाद के मंदिरों का जीर्णोद्धार भी करवाया था |
*औरंगजेब को जिन्दा पीर कहा जाता था |
*औरंगजेब के शासनकाल में मुग़ल सेना में
सर्वाधिक हिन्दू सेनापति थे |
*औरंगजेब ने हिन्दुओं के त्यौहार होली और मुस्लिमों
के त्यौहार मुहर्रम पर रोक लगाने का आदेश दिया था |
*औरंगजेब के शासनकाल में भारतीय शास्त्रीय
संगीत पर फारसी में अनेक ग्रंथों की रचना हुई |
*औरंगजेब वीणा बजाने का बहुत शौक़ीन था |
औरंगजेब की मृत्यु
*3 मार्च 1707 ई. को सुबह की नमाज संपन्न करने
के बाद अहमदनगर में औरंगजेब की मृत्यु हो गई थी और उसके शव को दौलताबाद के खुलदाबाद
नामक स्थान पर ले जाया गया, जहाँ पर प्रसिद्ध सूफीसंत शेख बुरहानुद्दीन के मकबरे
के चहार दीवारी के अन्दर उसे दफना दिया गया था |
*औरंगजेब ने अपने सम्पूर्ण शासनकाल में अंतिम
26 वर्ष दक्षिण भारत में व्यतीत किए |
*औरंगजेब का शासनकाल 1658 – 1707 ई. के मध्य में था |
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प्राचीन इतिहास PDF – http://bit.ly/3G9U4ye
मध्यकालीन इतिहास PDF – http://bit.ly/3LGGovu
आधुनिक इतिहास PDF – http://bit.ly/3wDnfX3
सम्पूर्ण इतिहास PDF – https://imojo.in/1f6sRUD