अमीर खुसरो का जीवन परिचय (#तूती_ए_हिन्द) | Amir Khusrow Biography in Hindi |

 

अमीर खुसरो का प्रारंभिक इतिहास

*अमीर खुसरो को तूती ए हिंद या हिन्द का तोता के नाम से भी जाना जाता है जो उनका सबसे प्रसिद्ध नाम था ।

*तूती ए हिंद का अर्थ होता है - वह महान व्यक्ति जो बुद्धिमान हो तथा उसकी मधुर, मीठी और सुरीली आवाज हो ।

*अमीर खुसरो का वास्तविक नाम अब्दुल हसन यामीन उद दीन खुसरो था ।

*अमीर खुसरो का जन्म 1253 ई. में, आधुनिक उत्तर प्रदेश के एटा/कासगंज जिले में स्थित पटियाली गांव में हुआ था ।

*अमीर खुसरो के पिता का नाम सैफुद्दीन महमूद था ।

*अमीर खुसरो की माता का नाम हजरत बीबी दौलत नाज था ।

*अमीर खुसरो एक प्रसिद्ध कवि, संगीतकार, शायर और गायक थे ।

अमीर खुसरो का इतिहास

*अमीर खुसरो मूल रूप से फारसी भाषा के कवि थे ।

*अमीर खुसरो को प्रसिद्ध सूफी संत हजरत निजामुद्दीन औलिया का शिष्य माना जाता है ।

*अमीर खुसरो को तुर्कल्लाह की उपाधि निजामुद्दीन औलिया ने ही प्रदान की थी ।

*अमीर खुसरो ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत, मुल्तान के शासक और बलबन के भतीजे सुल्तान मुहम्मद के शासनकाल से की थी ।

*अमीर खुसरो मुहम्मद के बाद कैकुबाद के संरक्षण में रहे ।

*कैकुबाद ने अमीर खुसरो को मुलुकशुअरा की उपाधि प्रदान की थी ।

*मुलुकशुअरा का अर्थ राष्ट्र कवि होता है ।

*कैकुबाद के पश्चात अमीर खुसरो - क्यूमर्स, जलालुद्दीन खिलजी, अलाउद्दीनखिलजी, मुबारक शाह खिलजी, खुसरो शाह और गयासुद्दीन तुगलक के दरबार में रहे ।

*अमीर खुसरो को सर्वप्रथम अलाउद्दीन खिलजी ने दरबारी कवि के पद पर नियुक्त किया गया था ।

*अमीर खुसरो को पहला कवि माना जाता है जिसने आठ सुल्तानों के दरबार में सेवा प्रदान की ।

*अमीर खुसरो पहले मुस्लिम कवि थे जिन्होंने अपनी रचनाओं में खुलकर हिंदी भाषा का प्रयोग किया ।

*सबसे पहले अमीर खुसरो ने ही अपनी रचनाओं में मुहावरों का प्रयोग किया था ।

*अमीर खुसरो को पहला कवि माना जाता है जिसने हिंदी, हिंदवी और फारसी भाषा का प्रयोग अपनी रचनाओं में एक साथ किया ।

*खड़ी बोली के आविष्कारक का श्रेय भी अमीर खुसरो को ही प्रदान किया जाता है ।

*अमीर ख़ुसरो ने भारत और ईरान के रागों का मिश्रण करके, एक नई राग शैली को जन्म दिया था जिसे इमान, जिल्फ़, साजगरी आदि के नाम से जाना जाता है |

*भारतीय गायन शैली में, क़व्वाली और सितार को अमीर ख़ुसरो की अमूल्य धरोहर माना जाता है |

*अमीर खुसरो ने किरान उस सदायन, आशिका, खजायन उल फुतुह, मिफताह उल फुतुह, नूह सिपिर, एजाज ए सुखरवी और तुगलकनामा ग्रंथों रचना की थी ।

*अमीर ख़ुसरो की मृत्यु अक्टूबर 1325 ई. में हुई थी |

अमीर खुसरो की रचनाएं

किरान उस सदायन

किरान उस सदायन ग्रन्थ की रचना अमीर खुसरो के द्वारा की गई थी और इसे अमीर खुसरो के द्वारा लिखा गया पहला ग्रंथ माना जाता है । इस ग्रंथ में बुगरा खां और उसके पुत्र कैकूबाद का वर्णन किया गया है । बुगरा खां और कैकुबाद के अलावा इस ग्रंथ में सामाजिक जीवन, शाही दरबार तथा दिल्ली की इमारतों का भी विस्तृत रूप से वर्णन किया गया है ।

मिफताह उल फुतुह

मिफताह उल फुतुह ग्रंथ की रचना अमीर खुसरो ने जलालुद्दीन फिरोज खिलजी के शासनकाल में की थी और इसमें जलालुद्दीन फिरोज खिलजी के शासनकाल में हुई घटनाओं का विस्तृत रूप से वर्णन किया गया है ।

खजाइन उल फुतुह

खजाइनुल फुतुह ग्रंथ की रचना अमीर खुसरो ने अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल में की थी और इसमें अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल की विशेष घटनाओं का विस्तृत रूप से वर्णन किया गया है । खजाइनुल फुतुह ग्रंथ को तारीख ए अलाई के नाम से भी जाना जाता है और इसी ग्रंथ में अमीर खुसरो ने लिखा है कि शतरंज के खेल का आविष्कार भारत में ही हुआ था ।

आशिका

आशिका ग्रंथ की रचना अमीर खुसरो ने अलाउद्दीन खिलजी के पुत्र खिज्र खां के कहने पर की थी । अमीर खुसरो के द्वारा लिखे गए इस ग्रंथ में, गुजरात के राजा कर्ण की पुत्री देवल देवी तथा खिज्र खां की प्रेम कहानी का विस्तृत रूप से वर्णन किया गया है तथा अमीर खुसरो ने इस ग्रंथ की रचना काव्य शैली में की थी ।

नूह सिपिर

नूह सिपिर ग्रंथ की रचना अमीर खुसरो ने मुबारक शाह खिलजी के शासनकाल में की थी । इस ग्रंथ में मुबारक शाह खिलजी के शासनकाल में हुई विशेष घटनाओं का उल्लेख किया गया है । अमीर खुसरो ने इसी ग्रंथ में भारत की तुलना स्वर्ग के बगीचों से की है ।

एजाज ए खुसरवी

एजाज ए खुसरवी ग्रंथ की रचना अमीर खुसरो ने की थी और इसमें सूफी मत से संबंधित जानकारी का विस्तार से उल्लेख किया गया है ।

तुगलकनामा

तुगलकनामा ग्रंथ की रचना भी अमीर खुसरो के द्वारा काव्य शैली में की गई थी । इस ग्रंथ में गयासुद्दीनतुगलक और खुसरो शाह के इतिहास पर चर्चा की गई है । तुगलकनामा ग्रंथ को अमीर खुसरो की अंतिम रचना माना जाता है ।

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