
ऐतिहासिक स्त्रोत
क़िताब ए रेहला ग्रन्थ
इस ग्रन्थ में अफ़्रीकी देश, मोरक्को के प्रसिद्ध यात्री इब्न बतूता की यात्राओं का विस्तृत रूप से वर्णन देखने को मिलता है | इब्न बतूता के रेहला ग्रन्थ में तुग़लक वंश के शासक गयासुद्दीन तुग़लक की गुप्तचर व्यवस्था और मुहम्मद बिन तुगलक के दरबार, व्यक्तिगत जीवन तथा प्रमुख योजनाओं पर भी विस्तृत रूप से चर्चा की गई है | रेहला ग्रन्थ की रचना इब्न बतूता के द्वारा अरबी भाषा में की गई थी |
तुग़लकनामा ग्रन्थ
नासिरुद्दीन ख़ुसरो शाह और गयासुद्दीन तुग़लक के शासनकाल की विस्तृत जानकारी का उल्लेख तुग़लकनामा ग्रन्थ में किया गया है जिसमें नासिरुदीन ख़ुसरो शाह की हत्या का वर्णन भी किया गया है | तुग़लकनामा ग्रन्थ की रचना प्रसिद्ध कवि अमीर ख़ुसरो ने की थी और यह ग्रन्थ काव्य शैली में है |
गयासुद्दीन तुगलक का प्रारम्भिक इतिहास
*गयासुद्दीन तुगलक को तुगलक वंश का संस्थापक माना जाता है |
*गयासुद्दीन तुगलक का वास्तविक नाम गाजी मलिक तुगलक व गाजीबेग तुगलक था |
*तुगलकनामा ग्रन्थ के अनुसार गयासुद्दीन तुगलक सर्वप्रथम जलालुद्दीन फिरोज खिलजी के अंगरक्षक के रूप में भर्ती हुए |
*अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल में गयासुद्दीन तुगलक को शाही अंग रक्षक का पद तथा दीपालपुर का सूबेदार बनाया गया |
*अमीर खुसरो के तुगलकनामा ग्रन्थ अनुसार 18 बार मंगोलों को पराजित करने के कारण, गयासुद्दीन तुगलक को ‘मलिक उल गाज़ी’ के नाम से भी जाना जाता था |
गयासुद्दीन तुगलक का सिंहासनारोहण
*7 सितंबर 1320 ईसवी को नासिरुद्दीन खुसरो शाह की हत्या करने के बाद, गाजी मलिक तुगलक ने 8 सितंबर 1320 को अलाउद्दीन खिलजी के द्वारा बनवाए गए हजार स्तंभों वाले महल में गयासुद्दीन तुगलक ने अपना राज्याभिषेक करवाया था |
*गयासुद्दीन तुगलक को भारतीय इतिहास में सर्वसम्मति से सुल्तान बनने वाला पहला शासक माना जाता है |
*गयासुद्दीन तुगलक को दिल्ली सल्तनत का पहला शासक माना जाता है जिसने गाजी (काफिरों का घातक) की उपाधि धारण की थी |
गयासुद्दीन तुग़लक के प्रशासनिक कार्य
*सुल्तान बनने के बाद गयासुद्दीन तुगलक ने अपने भतीजे मलिक असदुद्दीन को नायब बारबक तथा मलिक बहाउद्दीन को सैन्य विभाग का प्रमुख नियुक्त किया था |
*मलिक शादी को दीवान ए वज़ारत (वित्त विभाग) का निरीक्षक नियुक्त किया और काजी उल कुज़ात का पद कमालुद्दीन को प्रदान किया गया |
*गयासुद्दीन तुगलक ने अपने सभी पुत्रों मलिक जूना खां, बहराम खां, जफर खां, नुसरत खां और महमूद खां को उपाधियां प्रदान की | जिसमें जूना खां (मोहम्मद बिन तुगलक) को उलूग खां की उपाधि प्रदान की गई थी |
गयासुद्दीन तुग़लक के प्रशासनिक सुधार
*सबसे पहले गयासुद्दीन तुगलक ने जागीरें तथा अनुदानों को जब्त करने का आदेश जारी किया था |
*गयासुद्दीन तुगलक ने सैनिकों का हुलिया/चेहरा व घोड़ों को दागने के नियम कठोरता से लागू किए थे |
*गयासुद्दीन तुगलक को दिल्ली सल्तनत पहला शासक माना जाता है जिसने सैनिकों के वेतन से कमीशन काटने की कुप्रथा को बंद करवाया था |
*गयासुद्दीन तुगलक ने स्वयं सैनिकों के वेतन रजिस्टर की जांच करना प्रारंभ किया था |
*सल्तनत काल में यातायात व्यवस्था तथा डाक प्रणाली को पूर्ण रूप से व्यवस्थित करने का श्रेय भी गयासुद्दीन तुगलक को ही प्रदान किया जाता है |
*सेना की सुविधा के लिए यातायात के साधनों में सुधार किया तथा सड़कें ठीक कराई और पुलों का निर्माण भी कराया |
*डाक विभाग बरीद ए मुमालिक (डाक विभाग का मंत्री) के अधीन था जो सूचना विभाग का प्रमुख भी होता था |
*डाक विभाग की कार्य कुशलता का विस्तृत विवरण मोरक्को निवासी इब्न बतूता ने अपने रेहला ग्रन्थ में प्रदान किया है |
*इब्न बतूता, मोहम्मद बिन तुगलक के शासन काल में भारत आए थे |
*गयासुद्दीन तुगलक ने राजस्व सुधार के लिए मध्यवर्ती नीति अपनाई जिसे जियाउद्दीन बरनी ने अपने तारीख ए फ़िरोजशाही में ‘रस्में-मियाना’ कहा है |
*गयासुद्दीन तुगलक ने भू-राजस्व संबंधी सुधारों को तीन स्तरों पर लागू किया था | 1. मुक्ताओं (प्रांतीय राज्यपाल) 2. मुकद्दम (गाँव का मुखिया) 3. कृषक (किसानों) |
*कृषकों का बोझ कम करने के लिए गयासुद्दीन तुगलक ने ‘हुक्में हासिल’ (उपज में साझा) अथवा गल्ला बटाई के नियम को लागू किया |
*गयासुद्दीन तुगलक ने लगान के रूप में उपज का 1/10 या 1/11 हिस्सा लेने का आदेश दिया था जो सल्तनतकाल में सबसे कम लगान माना जाता है |
*गयासुद्दीन तुगलक ने अमीरों तथा इक्तादारों द्वारा लगान वसूली में ठेकेदारी प्रथा को बंद करने का आदेश भी जारी किया था |
*खेतों की सिंचाई के लिए नहरों की खुदाई व उद्यान लगवाने का श्रेय भी गयासुद्दीन तुगलक को ही प्रदान किया जाता है |
*गयासुद्दीन तुगलक को सल्तनत काल में नहरें खुदवाने वाला पहला शासक माना जाता है |
गयासुद्दीन तुगलक के सैन्य अभियान
वारंगल अभियान
*गयासुद्दीन तुगलक का यह पहला सैन्य अभियान था और उस समय वारंगल (आधुनिक तेलंगाना) के राजा प्रताप रूद्रदेव थे |
*गयासुद्दीन तुगलक ने अपने पुत्र जूना खां के नेतृत्व वाली सेना को 1321 और 1323 में आक्रमण के लिए भेजा था |
*वारंगल के राजा प्रताप रूद्रदेव को बंदी बनाकर दिल्ली लाया गया और वारंगल को दिल्ली सल्तनत में शामिल किया गया |
*सर्वप्रथम गयासुद्दीन तुगलक के समय में ही दक्षिण के राज्यों को दिल्ली सल्तनत में शामिल किया गया था |
जाजनगर अभियान
*1324 में जूना खां के नेतृत्व वाली सेना ने जाजनगर (आधुनिक उड़ीसा) के विरुद्ध आक्रमण किया था और वहां के राजा भानु देव द्वितीय ने अपने पड़ोसी राज्यों से सहायता मांगी परंतु तब तक जूना खां की सेना ने जाजनगर पर अधिकार कर लिया |
*इस विजय की जानकारी 1324 के राजमुंद्री (आधुनिक आंध्र प्रदेश) अभिलेख से प्राप्त होती है |
*राजमुंद्री अभिलेख में जुना खां उर्फ़ मोहम्मद बिन तुगलक को दुनिया का खान कहा गया है |
बंगाल अभियान
*गयासुद्दीन तुगलक का यह अंतिम सैन्य अभियान था और उस समय बंगाल के शासक गयासुद्दीन बहादुर थे | अंत में दोनों सेनाओं के मध्य युद्ध हुआ परंतु गयासुद्दीन बहादुर की सीना पराजित हुई और उसे बंदी बना लिया गया |
*नासिरुद्दीन को बंगाल का नया सूबेदार बनाया गया और बंगाल से वापस आते समय गयासुद्दीन तुगलक ने 1324-25 में तिरहुत (आधुनिक बिहार) पर आक्रमण किया |
*तिरहुत के राजा हरिसिंह देव नेपाल के जंगलों में भाग गए और शाही सेना ने तिरहुत पर अधिकार कर लिया |
गयासुद्दीन तुग़लक की स्थापत्य कला
*गयासुद्दीन तुगलक ने दिल्ली में स्थित कुतुब मीनार के पूर्व दिशा में तुग़लकाबाद नामक नगर को बसाया था |
*दुर्ग का निर्माण करवाया और अपनी राजधानी वहां पर स्थानांतरित कर ली थी |
*तुग़लकाबाद दुर्ग की दीवारें मिस्र की पिरामिड की तरह झुकी हुई थी |
*गयासुद्दीन तुगलक ने स्वयं अपने मकबरे का निर्माण करवाया था और इस मकबरे के ऊपर हिंदू मंदिरों के समान आमलक और कलश का प्रयोग हुआ है तथा उस पर अर्ध गोलाकार छतों का निर्माण किया गया था |
*सर्वप्रथम इसी मकबरे से वास्तुकला की तुगलक शैली का प्रारंभ माना जाता है |
*इन सभी स्थल के निर्माण में लाल पत्थर व सफेद संगमरमर का प्रयोग किया गया था |
गयासुद्दीन तुगलक और शेख निजामुद्दीन औलिया संबंध
*सुल्तान बनने के बाद गयासुद्दीन तुगलक ने सर्वप्रथम कार्य जागीरें और अनुदानों को जब्त करने का आदेश दिया था |
*यही आदेश शेख निजामुद्दीन औलिया के पास आया जिसमें अनुदान में दिए गए पैसे वापस करने के लिए कहा गया लेकिन शेख निजामुद्दीन औलिया ने पैसे वापस करने से इंकार कर दिया और कहा सारा पैसा मैंने गरीबों में बांट दिया है |
*इसी कारण दोनों के बीच मतभेद पैदा हो गए और बंगाल अभियान के बाद गयासुद्दीन तुगलक ने शेख निजामुद्दीन औलिया को संदेश भेजा था कि “मेरे आने से पहले वह दिल्ली छोड़ दें” इसी का उत्तर देते हुए शेख निजामुद्दीन औलिया ने कहा “हनूज़ देहली दूर अस्त” (दिल्ली अभी दूर है) |
गयासुद्दीन तुगलक की मृत्यु
*जब बंगाल और तिरहुत अभियान से लौटते समय तुग़लकाबाद से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित अफगानपुर में एक महल में गयासुद्दीन तुगलक के प्रवेश करते ही वह महल गिर गया जिसमें दबकर मार्च 1325 में गयासुद्दीन तुगलक की मृत्यु हो गई थी |
*इब्नबतूता और बदायूँनी के अनुसार जूना खां उर्फ़ मोहम्मद बिन तुगलक के षड्यंत्र से गयासुद्दीन तुगलक की मृत्यु हुई लेकिन फरिश्ता, इसामी और अहमद सरहिंदी ने इसे केवल एक दुर्घटना माना था |
*गयासुद्दीन तुगलक का शासनकाल 1320-1325 ई. तक था |
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प्राचीन इतिहास PDF – http://bit.ly/3G9U4ye
मध्यकालीन इतिहास PDF – http://bit.ly/3LGGovu
आधुनिक इतिहास PDF – http://bit.ly/3wDnfX3
सम्पूर्ण इतिहास PDF – https://imojo.in/1f6sRUD