अहमद शाह अब्दाली का इतिहास | पानीपत का तृतीय युद्ध | Ahmad Shah abdali history in Hindi |

 

अहमदशाह अब्दाली का इतिहास

*अहमद शाह अब्दाली को अहमद शाह दुर्रानी के नाम से भी जाना जाता है |

*अहमदशाह अब्दाली का जन्म 1722 ई. में आधुनिक अफगानिस्तान के हेरात में हुआ था |

*अहमदशाह अब्दाली का मूल नाम अली कुली था जो ईरानी शासक नादिरशाह का सेनापति था |

*अहमदशाह अब्दाली का पूरा नाम अहमदशाह अब्दाली दुर ए दुर्रानी था |

*अहमदशाह अब्दाली को दुर ए दुर्रानी की उपाधि राज्याभिषेक के समय साबिर शाह सूफी ने दी थी |

*1748 में ईरानी शासक नादिरशाह की मृत्यु के बाद अहमदशाह अब्दाली ने कंधार में अपने स्वतंत्र राज्य की स्थापना की और कंधार को ही अपनी राजधानी बनाया था |

*दुर्रानी साम्राज्य का संस्थापक अहमदशाह अब्दाली को ही माना जाता है |

*अहमदशाह अब्दाली ने 1748 से 1767 के मध्य में भारत पर 7 बार आक्रमण किया था |

*अहमदशाह अब्दाली ने पहला, दूसरा और तीसरा आक्रमण 1748, 1749 और 1752 में पंजाब के विरुद्ध किया था |

*चौथा आक्रमण जनवरी 1757 ई. में अहमदशाह अब्दाली ने दिल्ली के विरुद्ध किया और मथुरा, आगरा आदि तक लूटमार की परन्तु कई स्थानों पर जाटों ने रोकने का प्रयास किया था लेकिन सफलता नहीं मिली थी |

*अहमदशाह अब्दाली ने वापस जाते समय आलमगीर द्वितीय को दिल्ली का बादशाह, इमाद उल मुल्क को वजीर एवं रूहेला सरदार नजीबुद्दौला को मीर बक्शी नियुक्त करके अफगानिस्तान चला गया था |

*मार्च 1758 ई. में पेशवा सरदार रघुनाथ राव दिल्ली पहुंचे और उन्होंने अहमदशाह अब्दाली के प्रतिनिधि नजीबुद्दौला को दिल्ली से निकाल दिया और पंजाब के उन स्थानों पर लूटमार की जहाँ अहमदशाह अब्दाली के प्रतिनिधि शासन कर रहे थे |

*अहमदशाह अब्दाली ने मराठों/पेशवाओं से बदला लेने के लिए भारत पर 5वां आक्रमण किया और फलस्वरूप पानीपत का तृतीय युद्ध 14 जनवरी 1761 ई. को हुआ जिसमें मराठों/पेशवाओं की बुरी तरह हार हुई |

*अहमदशाह अब्दाली ने 20 मार्च 1761 ई. में दिल्ली छोड़ने से पहले शाहआलम द्वितीय को बादशाह, इमाद उल मुल्क को वजीर और नजीबुद्दौला को मीर बक्शी के पद पर फिर से नियुक्त करके चला गया |

*अहमदशाह अब्दाली भारत में 6वां आक्रमण मार्च 1763 ई. में किया था |

*अहमदशाह अब्दाली के द्वारा 7वां और अंतिम आक्रमण 1767 ई. में किया गया था |

*अहमदशाह अब्दाली को आधुनिक अफगानिस्तान का संस्थापक तथा निर्माता भी माना जाता है |

*आज भी अफ़गानी लोग अहमदशाह अब्दाली को बाबा ए कौम या फादर ऑफ़ नेशन मानते हैं |

*अहमदशाह अब्दाली की मृत्यु 1772 में मारुफ़ अफगानिस्तान में हुई थी |

*अहमदशाह अब्दाली का मकबरा अफगानिस्तान के कंधार में है |

*दुर ए दुर्रानी का अर्थ – मोतियों का मोती |

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