मोहम्मद गौरी का इतिहास | Mohammed Ghori And PrithviRaj Chauhan |

ऐतिहासिक तथ्य

1.तबक़ात ए नासिरी

'तबक़ात ए नासिरी की रचना' मिन्हाज़ उस सिराज़ के द्वारा फ़ारसी भाषा में की गई थी और उसमें मोहम्मद ग़ोरी की भारत विजय से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदान की गई हैं |

2.पृथ्वीराजरासो

'पृथ्वीराजरासो की रचना' पृथ्वीराज चौहान के दरबारी कवि 'चंदरबरदाई' के द्वारा की गई थी और उसमें भी, मोहम्मद ग़ोरी का कुछ इतिहास मिलता है इसीलिए मोहम्मद ग़ोरी के इतिहास को जानने के लिए पृथ्वीराजरासो ग्रन्थ महत्वपूर्ण स्त्रोत है |

मोहम्मद ग़ोरी का परिचय

*मोहम्मद ग़ोरी का वास्तविक नाम 'शहाबुद्दीन मोहम्मद ग़ोरी' था |

*मोहम्मद ग़ोरी का जन्म 1149/50 ई. में अफ़गानिस्तान के ग़ोर प्रान्त में हुआ था |

*मोहम्मद ग़ोरी का शासनकाल 1173 - 1206 ई. के मध्य में था |

 *मोहम्मद ग़ोरी का स्वतंत्र शासक के रूप में शासनकाल 1202 - 1206 ई. के मध्य में था |

*मोहम्मद ग़ोरी 'सुन्नी इस्लाम' धर्म के अनुयायी थे |

*मोहम्मद ग़ोरी की राजकीय भाषा फ़ारसी थी |

मोहम्मद ग़ोरी का इतिहास

*मोहम्मद ग़ोरी आधुनिक अफ़गानिस्तान में स्थित ग़ोर प्रान्त के शासक थे |

*मोहम्मद ग़ोरी ने 1173 में 'मुईज़ुददीन की उपाधि' धारण कर गज़नी का सिंहासन प्राप्त किया था |

*1173 में ही मोहम्मद ग़ोरी के बड़े भाई गयासुद्दीन ग़ोर प्रान्त के शासक बने थे |

*मोहम्मद ग़ोरी 1173 से 1202 के मध्य अपने बड़े भाई गयासुद्दीन के अधीन गज़नी के शासक रहे |

*मोहम्मद ग़ोरी 1202 से 1206 के मध्य स्वतंत्र शासक के तौर पर ग़ोर प्रान्त के शासक रहे |

*मोहम्मद ग़ोरी ने गयासुद्दीन की मृत्यु के बाद 1202 में 'सुल्तान की उपाधि' धारण की थी |

*मोहम्मद ग़ोरी 'शंसवानी वंश' के शासक थे परन्तु कुछ इतिहासकारों ने 'ग़ोर वंश' का शासक माना है |

*मोहम्मद ग़ोरी की राजधानियों का क्रम 1.फ़िरोज़कोह 2.हेरात  3. गज़नी  4. लाहौर |

मोहम्मद ग़ोरी की भारत विजय

*मोहम्मद ग़ोरी ने पहला आक्रमण 1175 में मुल्तान के विरुद्ध किया था जिसमें वहां के शिया शासक को पराजित कर विजय प्राप्त की थी और उसी समय सिन्ध के कुछ क्षेत्रों पर भी अधिकार किया गया था |

*मोहम्मद ग़ोरी ने दूसरा आक्रमण 1176 में भेरा (आधुनिक उच्छ) के विरुद्ध किया था और वहां की रानी ने स्वयं अपने  राजा को विष देकर मार दिया था |

*1178 ई. में मोहम्मद ग़ोरी ने अन्हिलवाडा के सोलंकी राजा, मूलराज द्वितीय के विरुद्ध आक्रमण किया था जिसमें भीम द्वितीय ने अपनी माँ नायिका देवी ने नेतृत्व में आबू पर्वत के पास मोहम्मद ग़ोरी को बुरी तरह पराजित किया था |

*सभी भारतीय राजाओं में मूलराज द्वितीय पहले राजा थे जिन्होंने मोहम्मद ग़ोरी को पराजित किया था |

*1179 ई. में मोहम्मद ग़ोरी ने पेशावर पर विजय प्राप्त की और उस समय पेशावर पंजाब के राजा के अधीन था |

*1186 ई. में मोहम्मद ग़ोरी ने लाहौर के शासक ख़ुसरो मलिक के विरुद्ध आक्रमण किया जिसमें ख़ुसरो मलिक को बंदी बना लिया गया था |

*ख़ुसरो मलिक 'गज़नवी वंश के अंतिम शासक' थे और यहीं से गज़नवी वंश पूर्णतः समाप्त हो गया था |

*1189 में मोहम्मद ग़ोरी के द्वारा ताबरहिन्द (भटिण्डा) के किलों पर अधिकार कर लिया था |

*1191 में 'तराइन का प्रथम' युद्ध मोहम्मद ग़ोरी और पृथ्वीराज चौहान के मध्य हुआ जिसमें पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद ग़ोरी को बुरी तरह पराजित कर खदेड़ दिया |

*तराइन के प्रथम युद्ध में पराजित होने के बाद मोहम्मद ग़ोरी ने अपने सेनानायकों सहित एक वर्ष तक युद्ध कौशल का प्रशिक्षण किया |   

*1192 में 'तराइन का दूसरा युद्ध' फिर से मोहम्मद ग़ोरी और पृथ्वीराज चौहान के मध्य हुआ जिसमें पृथ्वीराज के साथ गोविन्द राय, खांडे राय, बदमशा रावल आदि थे | मोहम्मद ग़ोरी के साथ खारबक, इलाह, खर्मेल, मुकल्बा, कुतुबुद्दीन ऐवक, कुबाचा, ताजुद्दीन यल्दौज़ आदि थे | दोनों सेनाओं के मध्य युद्ध हुआ जिसमें मोहम्मद ग़ोरी की प्रशिक्षित सेना के सामने पृथ्वीराज चौहान की सेना टिक नहीं पाई और युद्ध में उनकी पराजय हुई | पृथ्वीराज चौहान को आधुनिक हरियाणा में स्थित सिरसा के पास बंदी बना लिया गया था |

*इसके बाद पृथ्वीराज चौहान के साथ क्या हुआ इस संबंध में इतिहासकार एक मत नहीं हैं |

*तराइन युद्ध का वर्णन मिन्हाज़ उस सिराज़ ने अपने तबकात ए नासिरी ग्रन्थ में किया है |

*तराइन का दूसरा युद्ध जीतने के बाद मोहम्मद ग़ोरी ने कुतुबुद्दीन ऐवक को अपना प्रतिनिधि बनाकर भारत के शासन की जिम्मेदारी सौंपी थी |

*1194 में मोहम्मद ग़ोरी ने कन्नौज के के विरुद्ध आक्रमण किया और कन्नौज के राजा जयचन्द तथा मोहम्मद ग़ोरी के मध्य चंदाबर नामक स्थान पर युद्ध हुआ जिसमें जयचन्द्र की मृत्यु हो गई थी और मोहम्मद ग़ोरी ने कन्नौज को बुरी तरह लूटा था |

*1196 में मोहम्मद ग़ोरी ने बयाना के राजा कुमारपाल के विरुद्ध आक्रमण किया जिसमें कुमारपाल ने आत्मसमर्पण कर दिया था |

*1196 में ही मोहम्मद ग़ोरी के द्वारा ग्वालियर पर आक्रमण किया गया था जिसमें ग्वालियर के राजा सुलक्षणपाल ने अधीनता स्वीकार कर ली थी |

*बयाना और ग्वालियर की विजय के बाद मोहम्मद ग़ोरी कुतुबुद्दीन ऐबक को शासन की जिम्मेदारी देकर वापस गज़नी चला गया था और अपने साथ बहुत सारा धन भी ले गया था |

*कुतुबुद्दीन ऐबक ने सबसे पहले राजस्थान में हो रहे विद्रोहों को बलपूर्वक कुचला जिसमें कई गाँव आग के हवाले कर दिए गए थे |

*1197 में कुतुबुद्दीन ऐबक ने अन्हिलवाडा पर आक्रमण किया लेकिन सोलंकी राजा भीम द्वितीय की बुरी पराजय हुई और अन्हिलवाडा को बुरी तरह लूटा गया |

*1198 में कुतुबुद्दीन ऐबक ने बदायूं और कन्नौज को फिर लूटा |

*1202 में कुतुबुद्दीन ऐबक ने कालिंजर के राजा परमर्दिदेव के विरुद्ध आक्रमण किया जिसमें अन्तः ऐबक की जीत हुई और हसन अर्नल को वहां के शासन की जिम्मेदारी सौपी गई थी |

*1202 में ही कुतुबुद्दीन ऐबक के सेनापति बख्तियार खिलज़ी ने बिहार पर आक्रमण किया जिसमें बिहार के राजा इन्दुमन भीरु पराजित हुए और बख्तियार खिलज़ी ने नालंदा, विक्रमशिला विश्वविद्यालयों को नष्ट कर दिया था |

*बख्तियार खिलज़ी ने बिहार को जीतने के बाद बंगाल पर आक्रमण किया उस समय बंगाल के राजा लक्ष्मण सेन थे उन्होंने बख्तियार खिलज़ी ने डर से देश के प्रख्यात ब्राह्मणों को बुलाकर 'ऐन्द्री महाशांति यज्ञ' करवाना शुरू कर दिया लेकिन तब तक बख्तियार खिलज़ी ने लक्ष्मण सेन की राजधानी नदिया पर आक्रमण कर दिया |

*लक्ष्मण सेन बंगाल छोड़कर भाग गए बख्तियार खिलज़ी ने नदिया में खूब लूट मचाई और बंगाल पर अधिकार कर लिया था |

*बख्तियार खिलज़ी लखनौती को अपनी राजधानी बनाया था |

*बिहार और बंगाल को जीतने के बाद 1205 में बख्तियार खिलज़ी ने तिब्बत पर आक्रमण लेकिन वहां की जनता ने राजा के साथ मिलकर बख्तियार खिलज़ी की सेना को बुरी तरह खदेड़ा |

*1206 में अली मर्दन नामक एक सरदार ने 'बख्तियारखिलज़ी की हत्या' कर दी थी |

*1206 में ही मोहम्मद ग़ोरी ने अपना अंतिम आक्रमण पंजाब की खोक्खर जाति के विरुद्ध किया था जिसमें मोहम्मद ग़ोरी के द्वारा खोक्खरों का बुरी तरह दमन किया गया |

मोहम्मद ग़ोरी की मृत्यु

*खोक्खरों का दमन करने के बाद मोहम्मद ग़ोरी वापस गज़नी जा रहा था परन्तु सिन्धु नदी के किनारे दमयक नामक स्थान पर 15 मार्च 1206 को नमाज़ पढ़ते समय 'मोहम्मद ग़ोरी की हत्या' कर दी गई थी |

*मोहम्मद ग़ोरी की मृत्यु के बाद कुतुबुद्दीन ऐबक ने दिल्ली में 'गुलाम वंश की स्थापना' की और अपना शासन शुरू कर दिया था | 

 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ