चौहान वंश का इतिहास | Chauhan Vansh Ka Itihas |#1

 

चौहान वंश का परिचय

चौहान वंश 'भारत का सबसे प्रसिद्ध राजवंश' माना जाता है परन्तु इसकी उत्पत्ति के सम्बंध में इतिहासकार एक मत नहीं हैं | हम्मीर महाकाव्य, वंश भास्कर, पृथ्वीराजरासो जैसे प्रख्यात ग्रन्थ के अनुसार 'चौहान वंश की उत्पत्ति' अग्निकुण्ड से हुई है परन्तु 'सेवदी ताम्रपत्र लेख' और 'बरल अभिलेख' के अनुसार 'चौहान वंश की स्थापना' चाहमान नामक व्यक्ति के द्वारा की गई थी | इतिहासकार जेम्स टॉड के द्वारा लिखी गई पुस्तक 'राजस्थान का इतिहास' में 'चौहान वंश का संस्थापक' वासुदेव को माना गया है | चौहान वंश की कई शाखाएँ थीं जिसमें शाकम्भरी की शाखा को सबसे प्रमुख माना जाता है | चौहान वंश के प्रारम्भिक राजाओं का इतिहास उपलब्ध नहीं है इसीलिए उनके शासनकाल के बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं नहीं है

चौहान वंश के ऐतिहासिक स्त्रोत

अभिलेख

1.सेवदी ताम्रपत्र लेख - यह लेख राजा रतनपाल सिंह का है जो 1119 ई. के आस-पास का माना जाता है और इसमें चौहान वंश की उत्पत्ति का उल्लेख किया गया है | इसमें चाहमान नामक राजा को चौहान वंश का संस्थापक बताया गया है |

2.अजमेर अभिलेख - विग्रहराज चतुर्थ के द्वारा उत्कीर्ण करवाए गए इस अभिलेख में, चौहान वंश की उत्पत्ति श्रीराम के इक्ष्वाकु वंश से बताई गई |

3.बिजौलिया अभिलेख - 1170 ई. में सोमेश्वर देव के द्वारा उत्कीर्ण करवाए गए इस, अभिलेख में भी चौहान वंश की उत्पत्ति के बारे में बताया गया है |

4.बरल अभिलेख - 1178 ई. में पृथ्वीराज चौहान के द्वारा उत्कीर्ण करवाए गए इस अभिलेख में, चौहान वंश का वंश का संस्थापक चाहमान नामक राजा को बताया गया है और चाहमान को सूर्य वंशीय राजा कहा गया है |

साहित्य

1.वंश भास्कर - इस ग्रन्थ की रचना कवि सूर्यमल्ल के द्वारा की गई थी और इसमें चौहान वंश की उत्पत्ति अग्निकुण्ड से बताई गई है |

2.हम्मीर महाकाव्य - इस ग्रन्थ की रचना नयनचन्द्र सूरी के द्वारा की गई थी और इसमें भी चौहान वंश की उत्पत्ति अग्निकुण्ड से बताई गई है |

3.पृथ्वीराजरासो - इस ग्रन्थ की रचना चंदरबरदाई के द्वारा की गई थी और इसमें भी चौहान वंश की उत्पत्ति अग्निकुण्ड से बताई गई है |

4.राजस्थान का इतिहास - इतिहासकार जेम्स टॉड के द्वारा लिखी गई इस पुस्तक में राजपूतों का इतिहास लिखा हुआ है और इसमें चौहान वंश का संस्थापक वासुदेव को बताया गया है |

चौहान वंश के राजा

*बिजौलिया अभिलेख के अनुसार चौहान वंश की स्थापना वासुदेव ने 551 ई. के आस - पास में की थी |

*सेवदी और बरल अभिलेख के अनुसार चौहान वंश की स्थापना चाहमान ने की थी |

*'चौहान वंश के प्रारम्भिक राजा' प्रतिहार वंश के सामंत थे |

*चौहान राजा अजयराज के द्वारा 'अजमेर नगर को बसाया' गया था |

*अजयराज का शासनकाल संभवता 1113 1133 ई. के मध्य में था |

*अर्णोराज को संभवता 1133 ई. में अजमेर राजा बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था |

*अर्णोराज ने महाराजाधिराज, परमेश्वर और परमभट्टारक की उपाधियाँ धारण की थीं |

*अजमेर में अर्णोराज के द्वारा 'आनासागर झील का निर्माण' करवाया गया था परन्तु बाद में इसी झील के पास मुग़ल बादशाह जहाँगीर ने 'दौलतबाग का निर्माण' करवाया था |

*अर्णोराज की हत्या उनके पुत्र जगदेव के द्वारा कर दी गई थी |

विग्रहराज चतुर्थ

*विग्रहराज चतुर्थ को बीसलदेव के नाम से भी जाना जाता है |

*विग्रहराज चतुर्थ ने तोमर वंश के राजाओं से दिल्ली को छीनकर उसे अपनी राजधानी बनाया था |

*विग्रहराज चतुर्थ का शासनकाल 'चौहान वंश का स्वर्णकाल' माना जाता है |

*विग्रहराज चतुर्थ संस्कृत के विद्वान थे और उनके द्वारा ही 'हरिकेलि' नामक नाटक की रचना की गई थी |

*विग्रहराज चतुर्थ के दरवार में 'बीसलदेवरासो' के रचनाकार नरपति नाल्ह और 'ललितविग्रहराज' ग्रन्थ के रचनाकार सोमदेव रहते थे |

*विग्रहराज चतुर्थ ने अजमेर में एक संस्कृत पाठशाला का निर्माण करवाया था जिसे बाद में कुतुबुद्दीन ऐवक ने तोड़कर 'ढाई दिन का झोपड़ा नामक मस्जिद' का निर्माण करवाया था जो 'राजस्थान की पहली मस्जिद' मानी जाती है |

पृथ्वीराज चौहान

*'पृथ्वीराज चौहान का शासनकाल' संभवता 1178 1192 ई. के मध्य में था |

*पृथ्वीराज चौहान को रायपिथौरा के नाम से भी जाना जाता है |

*पृथ्वीराज चौहान को चौहान वंश का अंतिम शक्तिशाली राजा माना जाता है |

*पृथ्वीराज चौहान ने 1182 ई. में चन्देल वंश के अंतिम राजा परमर्दिदेव को पराजित किया था और इसी युद्ध में परमर्दिदेव के प्रसिद्ध 2 सेनानायक आल्हा/उदल की मृत्यु हो गई थी |

*पृथ्वीराज चौहान के दरवारी कवि चंदरबरदाई थे जिन्होंने पृथ्वीराज चौहान के जीवन पर आधारित पृथ्वीराजरासो नामक ग्रन्थ की रचना की जो उनके शासनकाल की विशेष घटनाओं का उल्लेख करता है |

*1191 . में 'तराइन का प्रथम युद्ध' पृथ्वीराज चौहान और मुहम्मद गौरी के मध्य में हुआ था जिसमें मुहम्मद गौरी की हार हुई थी |

*1192 . में 'तराइन का दूसरा युद्ध' पृथ्वीराज चौहान और मुहम्मद गौरी के मध्य में हुआ था जिसमें पृथ्वीराज चौहान की हार हुई और उन्हें बंदी बना लिया गया था | 

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