जहांगीर का इतिहास | न्याय की जंजीर | Jahangir ka itihas |

 

जहांगीर का इतिहास

*जहांगीर के इतिहास के बारे में जानकारी तुज़्क ए जहांगीरी ग्रंथ में मिलती है |

*जहांगीर का जन्म 30/31 अगस्त 1569 ई. को फ़तेहपुर सीकरी में हुआ था |

*जहांगीर का मूल नाम सलीम था और पूरा नाम नूर अल दीन मोहम्मद सलीम जहांगीर था |

*जहांगीर के पिता का नाम अकबरऔर माता का नाम मरियम उज जमानी (हरका बाई) था |

*जहांगीर की पत्नियों के नाम मानबाई या शाह बेगम (भगवान दास की पुत्री, जगत गोसाई या मलिका ए जहां (राजा उदय सिंह की पुत्री और मेहरून्निसा या नूरजहां (गयास बेग की पुत्री थीं |

*जहांगीर के पुत्रों के नाम खुसरो, परवेज, खुर्रम, शहरयार और जहांदार |

*24/29 अक्टूबर 1605 ई. को सलीम ने नूर उद दीन मोहम्मद जहांगीर बादशाह गाजी (विश्व विजेता) की उपाधि धारण कर, आगरा में अपना राज्याभिषेक करवाया । जहांगीर के राज्याभिषेक में कोई शपथ नहीं, कोई धर्म उपदेश नहीं और जहांगीर ने स्वयं के हाथों से मुकुट को अपने सिर पर रखा था |

*अप्रैल 1606 ई. में खुसरो ने विद्रोह किया और भैरोवाल (पंजाब में) नामक स्थान पर पिता पुत्र के मध्य युद्ध हुआ जिसमें खुसरो पराजित हुआ और सिक्खों के 5वें गुरु अर्जुन देव की शरण में चला गया | इसी कारण जहांगीर ने गुरु अर्जुन देव पर 2 लाख रुपए का जुर्माना लगाया लेकिन चंदू शाह नामक व्यक्ति के कहने पर गुरु अर्जुन देव को फांसी की सजा सुनाई गई |

*जहांगीर के कहने पर महावत ख़ां ने खुसरो को अंधा कर दिया था किंतु बाद में जहांगीर ने ईरान के मशहूर चिकित्सक हकीम सद्र से चिकित्सा करवाई और हकीम सद्र को जहांगीर ने मासिन उज जमान की उपाधि प्रदान की |

*1608 ई. में पहला अंग्रेज विलियम हॉकिंस इंग्लैंड के राजा जेम्स प्रथम के दूत के रूप में बादशाह अकबर के नाम का पत्र लेकर जहांगीर के दरबार में आया था | जहांगीर ने विलियम हॉकिंग को इंग्लिश खां और फिरंगी खां कि उपाधियों से सम्मानित किया |

*1611 ई. में जहांगीर ने अली कुली बेग की विधवा मेहरून्निसा से विवाह किया और उसे नूरमहल व नूरजहां की उपाधि प्रदान की |

*नूरजहां के पिता का नाम मिर्जा ग्यास बेग और माता का नाम असमत बेगम था |

*जहांगीर ने नूरजहां के पिता मिर्जा ग्यास बेग को एत्माद उद धौला की उपाधि प्रदान की थी |

*मिर्जा ग्यास बेग और अस्मत बेगम की मृत्यु के पश्चात नूरजहां ने आगरा में उनका मकबरा बनवाया था जो आज एत्माद उद द्दौला के नाम से प्रसिद्ध है |

*अस्मत बेगम और नूरजहां दोनों को गुलाब से इत्र निकालने का आविष्कारक माना जाता है |

*नूरजहां को कश्मीर में शालीमार बाग और निशात बाग के निर्माण का श्रेय दिया जाता है |

*जहांगीर ने 1612 ई. में पहली बार रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया था |

*1613 ई. में जहांगीर ने अपना मुख्यालय अजमेर में स्थानांतरित किया और मेवाड़ के शासक अमर सिंह के विरुद्ध अभियान की घोषणा की | इस अभियान में जहांगीर के साथ मिर्जा अजीज कोका और शाहजहां थे किंतु अमर सिंह के विश्वासपात्र सामंत शुभकर्ण और हरदास झाला ने दोनों के मध्य संधि करवा दी थी |

*जहांगीर ने पुर्तगाली फादर जेवियर से ईसाई धर्म की शिक्षा ग्रहण की थी लेकिन 1613 ई. में पुर्तगालियों के अत्याचार के कारण जहांगीर ने गिरजाघरों को बंद करने का आदेश दे दिया था |

*1615 ई. में टॉमस रो और एक पादरी एडवर्ड टेरी इंग्लैंड के राजा जेम्स प्रथम का पत्र लेकर जहांगीर के दरबार में आए और टॉमस रो जहांगीर से व्यापारिक सुविधाएं प्राप्त करने में सफल हुआ |

*1616 ई. मेंजहाँगीर ने शिवरात्रि के अवसर पर हिंदू साधुओं से भेंट कर उन्हें कई उपहार प्रदान किए |

*जहांगीर मुग़ल वंश का पहला शासक माना जाता है जिसने मराठों को अपनी सेना में उच्च पद प्रदान किया और 1616 ई. में अहमदनगर, बीजापुर और गोलकुंडा की संयुक्त सेनाओं को पराजित किया |

*दक्षिण की सफलता के बाद जहांगीर ने खुर्रम को 30 हजार का मनसब और शाहजहां की उपाधि से सम्मानित किया | इसी अवसर पर जहांगीर ने आदिलशाह को पुत्र कहकर पुकारा क्योंकि आदिल शाह ने दक्षिण विजय ने जहांगीर की सहायता की थी |

*1617 ई. में जहांगीर ने जैन मंदिरों को बंद करने और जैन साधुओं को साम्राज्य से बाहर निकालने का आदेश दिया था किंतु लागू नहीं कर पाया | जैन साधुओं ने भविष्यवाणी की थी कि 2 वर्ष के अंदर जहांगीर का संपूर्ण साम्राज्य नष्ट हो जाएगा |

*1619 ई. में जहांगीर ने प्रसिद्ध सूफी संत शेख अहमद सरहिंदी को ग्वालियर के दुर्ग में कैद कर दिया था |

*1620 ई. में जहांगीर ने शाहजहां के नेतृत्व में कांगड़ा अभियान के लिए सेना भेजी । शाहजहां के बहुत प्रयास करने के बाद नवंबर 1620 ई. में कांगड़ा पर विजय प्राप्त की |

*1621 ई. में जहांगीर हरिद्वार गया और वहां उज्जैन के प्रसिद्ध गुरु जदरूप से बहुत प्रभावित हुआ |

*जहांगीर ने ब्राह्मणों को पुष्कर (अजमेर के निकट) का पूरा क्षेत्र मदद ए माश के तौर पर दे दिया था |

*1622 ई. में खुर्रम (शाहजहां) ने खुसरो की हत्या करवा दी | खुसरो के शव को इलाहाबाद के खुल्दाबाग में उसकी माता के कब्र के पास ही दफनाया गया और इस बाग का नाम परिवर्तित करके खुसरो बाग रखा गया |

*जहांगीर के शासनकाल का सबसे बड़ा विद्रोह 1626 ई. में महावत खां द्वारा किया गया था |

*धार्मिक नीति में जहांगीर ने सुलह ए कुल (सार्वभौमिक भाईचारा) की नीति का अनुसरण किया |

*जहांगीर ने पंजाब और गुजरात में गौ हत्या पर प्रतिबंध लगा दिया था |

*प्रत्येक दिवाली के अवसर पर जहांगीर जुआ खेलता था |

*जहांगीर के शासनकाल में वीर सिंह बुंदेला ने मथुरा में कई मंदिरों का निर्माण करवाया था |

*जहांगीर ने फारसी में तुजुक ए जहांगीरी नामक ग्रंथ की रचना की थी | तुजुक ए जहांगीरी बादशाह जहांगीर की आत्मकथा है किंतु इस ग्रंथ को पूरा करने का श्रेय मोहम्मद हादी को दिया जाता है |

*जहांगीर के शासनकाल में हिंदी के प्रसिद्ध कवि केशवदास थे जिन्होंने रसिकप्रिया (ओरछा के राजा इंद्रजीत को समर्पित) नामक ग्रंथ की रचना की थी |

*जहांगीर के शासनकाल में ही चिश्तिया शाखा के संत उस्मान ने चित्रावली (सुजान कुमार और चित्रावली की प्रेम कथा) नामक प्रेम ग्रंथ की रचना की थी |

*जहांगीर के शासनकाल को चित्रकला का स्वर्ण काल माना जाता है |

*जहांगीर ने संस्कृत के कवि जगन्नाथ को पंडितराज की उपाधि प्रदान की थी |

*जहांगीर ने आजा रजा के नेतृत्व में आगरा में एक चित्रणशाला की स्थापना करवाई थी |

*अक्टूबर 1627 ई. में जहांगीर की मृत्यु हो गई और उसे लाहौर में रावी नदी के तट पर शाहदरा नामक स्थान पर दफनाया गया |

*जहांगीर को न्याय की जंजीर के लिए याद किया जाता है । यह जंजीर सोने से बनी थी जो आगरा के किले के शाह बुर्ज एवं यमुना तट पर स्थित पत्थर के खंभे में लगी हुई थी जिसकी जानकारी वाक्यात ए जहांगीरी नामक ग्रंथ में मिलती है |

*लाहौर में जहांगीर के मकबरे का निर्माण नूरजहां ने करवाया था |

*जहाँगीर का शासनकाल 1605 – 1627 ई. के मध्य में था |

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