अकबर का इतिहास | मनसबदारी व्यवस्था | Akbar ka itihas |

 

अकबर का इतिहास

*अकबर का जन्म 15 अक्टूबर 1542 ई. में अमरकोट (आधुनिक नाम उमरकोट,पाकिस्तान में) के राणा वीरसाल या अमरसाल के महल में हुआ था |

*अकबर के पिता का नाम हुमायूं और माता का नाम हमीदा बानो बेगम था |

*अकबर का पूरा नाम अब्दुल फ़तेह जलाल उद दीन मुहम्मद अकबर था |

*अकबर के बचपन का नाम जलाल था |                 

*अकबर को बदरूद्दीन अकबर, अकबर ए आज़म, बादशाह और महाबली शहंशाह के नाम से भी जाना जाता था |

*अकबर की पत्नियों के नाम - रुकैया बेगम, सलीमा सुल्तान, मरियम उज जमानी और जोधाबाई था |

*अकबर की पुत्रियों के नाम – खानुम सुल्तान, मेहरुननिशा बेगम, शक्र उन निशां बेग़म और आराम बानो बेगम |

*अकबर के पुत्रों के नाम – सलीम उर्फ़ जहांगीर, मुराद मिर्ज़ा और दानियाल मिर्ज़ा |

*अकबर के शिक्षक पीर मोहम्मद, अब्दुल लतीफ ईरानी और बैरम खां थे |

*9 वर्ष की उम्र में अकबर को गजनी (आधुनिक अफगानिस्तान में) का औपचारिक राज्यपाल नियुक्त किया गया था |

*हुमायूं और सिकंदर शाह सूरी के मध्य में हुए, सरहिंद युद्ध की विजय का श्रेय भी अकबर को ही दिया जाता है |

*अकबर का राज्याभिषेक 14 फरवरी 1556 ई. को बैरम खान द्वारा कालानौर (गुरदासपुर, पंजाब में) नामक स्थान पर किया गया था |

*इसी समय अकबर ने शहंशाह की उपाधि धारण की तथा बैरम खां को खान ए खाना की उपाधि प्रदान कर अपना प्रधानमंत्री नियुक्त किया था |

*5 नवंबर 1556 ई. में पानीपत का द्वितीय युद्ध अकबर और हेमू के मध्य हुआ था जिसमें अकबर की विजय हुई परंतु अकबर ने जीत का श्रेय बैरम खां को दिया |

*हेमू का मूल नाम हेमचंद्र था और यह रेवाड़ी (हरियाणा) का निवासी थे | सूर वंश के शासक आदिल शाह ने हेमू को अपना वजीर तथा सेनापति नियुक्त किया था और हेमू ने पानीपत के युद्ध से पहले आगरा और दिल्ली पर अधिकार कर विक्रमादित्य की उपाधि धारण की थी | हेमू को दिल्ली की गद्दी पर बैठने वाला अंतिम हिंदू शासक माना जाता है |

*31 जनवरी 1560 ई. को मक्का की तीर्थ यात्रा के दौरान गुजरात के पाटन नामक स्थान पर मुबारक खां नामक युवक ने बैरम खां की हत्या कर दी थी |

*बैरम खां की हत्या के कुछ समय बाद अकबर ने उसकी पत्नी सलीमा बेगम से निकाह किया और उसके पुत्र अब्दुर रहीम का पालन पोषण किया । बाद में यही अब्दुर रहीम को अकबर के द्वारा खान ए खाना की उपाधि प्रदान की गई थी |

*बैरम खां 1556 से 1560 ई. तक अकबर का संरक्षक रहा और अकबर बैरम खां को प्यार से खान बाबा कहता था |

*अकबर की प्रधान धाय माता का नाम माहम अनगा था |                                                  

*बैरम खां के बाद अकबर ने माहम अनगा और उनके दामाद शिहाबुद्दीन को वकील उस सल्तनत (प्रधानमंत्री) नियुक्त किया था |

*दो - दो प्रधानमंत्री नियुक्त किए जाने की परम्परा को सबसे पहले अकबर ने ही शुरू किया था |                              

*1562 ई. में अकबर ने दास प्रथा का अंत और स्वयं को हरम दल से मुक्त किया था |

*अकबर के शासनकाल में पहला विद्रोह 1564 ई. में उज्बेकों के द्वारा किया गया था |

*अकबर ने पहला अभियान 1561 ई. में मालवा के शासक बाजबहादुर के विरुद्ध किया था किंतु बाजबहादुर ने अकबर की अधीनता स्वीकार कर ली थी |

*अकबर के समय में आमेर के राजा भारमल (बिहारीमल) थे जो कछवाहा राजपूत थे और अपने भतीजे सुजा से बहुत परेशान थे । इसी कारण उन्होंने अपनी पुत्री हरकाबाई का विवाह 1562 ई. में अकबर से किया था |

*1562 ई. में ही अकबर ने शरीफ उद दीन के नेतृत्व में मेड़ता के राजा जयमल राठौर के विरुद्ध सेना भेजी | राजपूतों ने बहादुरी के साथ मुकाबला किया किंतु हार गए और मेड़ता पर मुगलों ने अधिकार कर लिया था ।

*1563 ई. में अकबर ने तीर्थ यात्रा कर को समाप्त किया |

*अकबर ने 1564 ई. में आसफ खां के नेतृत्व में गढ़कटंगा (गोंडवाना) के विरुद्ध सेना भेजी । उस समय गोंडवाना के शासक वीरनारायण थे लेकिन राज्य की वास्तविक शक्ति उसकी मां रानी दुर्गावती के हाथों में थी | चौरागढ़ नामक स्थान पर दोनों सेनाओं के मध्य युद्ध हुआ परंतु इस युद्ध में आसफ खां की जीत हुई और रानी दुर्गावती ने आत्महत्या कर ली |

*1564 ई. में ही अकबर ने जजिया कर को समाप्त किया किंतु अकबरनामा के अनुसार राजपूतों से संघर्ष के दौरान पुनः लागू किया था |

*अकबर ने 1568 ई. में मेवाड़ के राजा राणा उदय सिंह के विरुद्ध अभियान किया । अकबर ने चित्तौड़ के किले के पास अपना शिविर लगाया और कई महीनों तक युद्ध का इंतजार किया किंतु उदय सिंह चित्तौड़ का शासन जयमल एवं फतेह सिंह को सौंप कर पहाड़ियों में चले गए थे ।

*अकबर को इसकी सूचना मिली तो वह बहुत क्रोधित हुआ और किले पर आक्रमण करने का आदेश दे दिया । अकबर की सेना ने किले में प्रवेश किया और 30 हजार से ज्यादा सिसोदिया राजपूत सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था | इस युद्ध में अकबर की जीत हुई और चित्तौड़ का शासन आसफ खां को सौंपा गया |

*30/31 अगस्त 1569 ई. को हरकाबाई/जोधाबाई के गर्भ से ही सलीम (जहांगीर) का जन्म हुआ और इसी समय अकबर ने हरकाबाई/जोधाबाई को मरियम उज जमानी (विश्व पर दया रखने वाली) की उपाधि प्रदान की थी |

*1569 ई. में ही अकबर ने रणथम्भौर के विरुद्ध अभियान किया और उस समय रणथम्भौर के राजा सुरजन राय (सुरजन हाडा) थे |

*सुरजन राय ने मुगल सेना का मुकाबला किया किंतु राजा भगवानदास और मानसिंह के कहने पर सुरजन राय ने आत्मसमर्पण कर दिया और अकबर की शाही सेवा में भर्ती हो गए | सुरजन राय एकमात्र राजपूत थे जिसे अकबर ने वाद्ययंत्र बजाने की छूट दे रखी थी |

*1569 ई. में ही अकबर ने मजनू खां काकशाह के नेतृत्व में कालिंजर के विरुद्ध सेना भेजी और उस समय कालिंजर के राजा रामचंद्र थे ।

*रामचंद्र ने मुगल सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया और अकबर ने मजनू खां काकशाह को कालिंजर का सूबेदार नियुक्त किया |

*1570 ई. में अकबर नागौर पहुंचा तो जोधपुर के राजा मालदेव ने अपने पुत्र सहित आत्मसमर्पण किया | इसी समय बीकानेर के राजा कल्याणमल ने अपनी पुत्री का विवाह अकबर के साथ किया और अधीनता स्वीकार की |

*1570 ई. में ही जैसलमेर के राजा रावल हरिराय ने भी अपनी पुत्री का विवाह अकबर के साथ किया और अधीनता स्वीकार की |

*1571 ई. में अकबर ने अपनी राजधानी आगरा से फतेहपुर सीकरी में स्थानांतरित की थी |

*1572 ई. में अकबर ने गुजरात के विरुद्ध अभियान किया और उस समय गुजरात का शासक मुजफ्फर शाह तृतीय था उसने बिना युद्ध किए ही अकबर की अधीनता स्वीकार की |

*इसी समय अकबर ने सर्वप्रथम समुद्र को देखा था । गुजरात विजय के बाद अकबर ने अब्दुर रहीम को खान ए खाना की उपाधि प्रदान की और इसी समय राजा टोडरमल ने अपना पहला भूमि बंदोबस्त गुजरात में ही किया था |

*1575 ई. में अकबर ने बिहार को मुगल साम्राज्य में शामिल किया था और उस समय बिहार का शासक दाऊद खां था |

*1575 ई. में ही अकबर ने इबादत खाने की स्थापना की थी |                                             

*1576 ई. में अकबर ने बंगाल को मुगल साम्राज्य में शामिल किया था |

*1576 ई. में ही अकबर ने राजा मानसिंह को सेनापति और आसफ खां को उप सेनापति एवं मीर बख्शी को सेना अध्यक्ष बनाया था तथा अजमेर में अस्थाई मुख्यालय भी इसी समय बनाया गया था |

*1576 ई. में अकबर ने मानसिंह और आसफ खां के नेतृत्व में एक सेना मेवाड़ के लिए भेजी और उस समय मेवाड़ की राजधानी कुंभलगढ़ में थी जहां के राजा राणा प्रताप थे ।

*18 जून 1576 ई. को गोगुंडा के निकट हल्दीघाटी के मैदान में राणा प्रताप और मुगल सेना के मध्य युद्ध हुआ और इस युद्ध में राणा प्रताप के सेनापति हातिम खां सूर (अफगानी लड़ाका) थे परन्तु इस युद्ध में राणा प्रताप की हार हुई | उन्होंने घायल अवस्था में अरावली की श्रेणियों में शरण ली, जहां पर भील जनजाति के लोगों ने उनकी मदद की | हल्दीघाटी युद्ध का आंखों देखा वर्णन बदायूंनी की पुस्तक मुन्तखाव उत तवारीख में किया है |

*1578 ई. में अकबर ने इबादत खाने में सभी धर्म के लोगों की अनुमति प्रदान की थी |

*1579 ई. में अकबर ने मजहर की घोषणा की थी |

*मजहर पत्र का प्रारूप शेख मुबारक ने तैयार किया था |

*अकबर के दीवान राजा टोडरमल ने 1580 ई. में दहसाल बंदोबस्त (इसके अंतर्गत भूमि को चार भागों में बांटा जाता था) व्यवस्था को लागू किया था |

*1581 ई. में अकबर ने मान सिंह के नेतृत्व में काबुल के विरुद्ध सेना भेजी और उस समय काबुल पर हकीम मिर्जा का शासन था | हकीम मिर्जा काबुल छोड़कर भाग गया और अकबर ने उसकी बहन बख्तुन्निसा बेगम को काबुल का सूबेदार बनाया |

*इसी अभियान के समय अकबर ने सिंधु नदी के किनारे सिन्ध सागर नामक एक किले का निर्माण करवाया था |

*1583 ई. में अकबर ने एक नया संवत इलाही संवत जारी किया था |

*1585 ई. में अकबर ने अपनी दूसरी राजधानी लाहौर में बनाई थी |

*1585 . में ही अफगान, बलूचियों और यूसुफजाईयों ने विद्रोह किया और इसी विद्रोह को दबाने में बीरबल की मृत्यु हो गई थी किंतु बाद में मानसिंह और टोडरमल ने इस विद्रोह को दबाया था |

*1586 ई. में अकबर ने भगवान दास और कासिम खां के नेतृत्व में कश्मीर के लिए सेना भेजी और उस समय कश्मीर का शासक युसूफ याकूब खान था | मुगल सेना ने आसानी से कश्मीर पर अधिकार कर लिया |

*1591 या 1593 . में अकबर ने अब्दुर रहीम खान ए खाना के नेतृत्व में सिंध के लिए सेना भेजी और उस समय सिंध का शासक मिर्जा जानी वेग था किंतु उसने मुगल सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था |

*1592 ई. में अकबर ने मान सिंह के नेतृत्व में उड़ीसा अभियान के लिए सेना भेजी थी । उस समय उड़ीसा का शासन निसार खान के हाथों में था । निसार खां मुगल सेना से पराजित हुआ और उसने आत्मसमर्पण कर दिया ।

*1595 ई. में अकबर ने मीर मासूम के नेतृत्व में बलूचिस्तान के शासक पन्नी अफगान के विरुद्ध सेना भेजी थी और मुगल सेना ने आसानी से बलूचिस्तान पर अधिकार कर लिया |

*1595 ई. में ही अकबर ने अब्दुर्रहीम खाने खाना के नेतृत्व में कंधार के शासक मुजफ्फर हुसैन के विरुद्ध सेना भेजी किंतु मुजफ्फर हुसैन ने मुगल सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया और अकबर ने शाहबेग को कंधार का प्रशासक नियुक्त किया |

*अकबर ने 1591 ई. में खानदेश को मुगल साम्राज्य का हिस्सा बनाया था |

*1599 ई. में अकबर ने दौलताबाद को मुगल साम्राज्य में शामिल किया था और दौलताबाद का शासन उस समय चांद बीवी के हाथों में था |

*1599, 1601 और 1602 ई. में लगातार तीन बार सलीम (जहांगीर) ने विद्रोह किया और इसी समय 1602 . में सलीम के इशारे पर अब्दुल फजल की हत्या ओरछा (झांसी के निकट) के सरदार वीर सिंह बुंदेला ने कर दी थी |

*अहमदनगर को 1600 ई. में अकबर ने मुगल साम्राज्य में शामिल किया था और वहां का शासन बहादुर शाह और चांद बीबी के हाथों में था |

*अकबर का अंतिम अभियान असीरगढ़ (मध्य प्रदेश) के शासक मीरन बहादुर के विरुद्ध था ।                                             

*दक्षिण विजय और गुजरात विजय के उपलक्ष में अकबर ने फतेहपुर सीकरी में बुलंद दरवाजा का निर्माण करवाया था और इसी उपलक्ष्य में अकबर ने दक्षिण के बादशाह की उपाधि भी धारण की थी |

अकबर की धार्मिक नीति

*हिंदू धर्म - अकबर को हिंदू धर्म के बारे में संपूर्ण जानकारी आचार्य पुरुषोत्तम और देवी ने प्रदान की थी और अकबर ने होली, दिवाली आदि त्योहारों में भाग लिया |

*ईसाई धर्म - नैतिकता, दया एवं प्रेम के सिद्धांतों के कारण अकबर ईसाई धर्म के प्रति आकर्षित हुआ और तीन ईसाई मिशनरियों को ईसाई धर्म के प्रचार - प्रसार की अनुमति प्रदान की थी |

*पारसी धर्म - 1578 ई. में अकबर ने सूरत के पारसी पुरोहित दस्तूर जी मेहर जी राणा से भेंट की थी | पारसी धर्म से प्रभावित होकर अकबर ने सूर्य, अग्नि और प्रकाश के प्रति पूजा भाव प्रकट करने लगा और इसीलिए उसने झरोखा दर्शन, तुलादान जैसी पारसी परंपराओं की शुरुआत की थी |

*जैन धर्म - अकबर जैन धर्म के प्रति भी आस्था रखता था इसीलिए अकबर ने जैन आचार्य हरि विजय सूरी को जगतगुरु की उपाधि और जिन चंद्र सूरी को युग प्रधान की उपाधि से सम्मानित किया था |

*अकबर ने जैन धर्म से प्रभावित होकर पशु - पक्षियों के वध पर रोक लगा दी थी |

*दीन ए इलाही धर्म - अकबर इस्लाम के प्रति पूर्ण रूप से सहमत नहीं था इसीलिए उसने 1582 ई. में एक नए धर्म दीन ए इलाही की स्थापना की |

*दीन ए इलाही धर्म का प्रधान पुरोहित स्वयं अकबर था और इस धर्म की संपूर्ण जानकारी आईन ए अकबरी में मिलती है |

*हिंदुओं में बीरबल ने सबसे पहले दीन ए इलाही धर्म को स्वीकार किया था |

दीन ए इलाही धर्म की सदस्यता

*दीन ए इलाही धर्म की सदस्यता सभी धर्म के लोगों के लिए खुली थी और इस धर्म की सदस्यता केवल रविवार के दिन ली जा सकती थी क्योंकि इस धर्म की सदस्यता ग्रहण करने वाले व्यक्ति को अकबर के सामने बैठकर अपनी पगड़ी उसके चरणों में रखनी होती थी |

*दीन ए इलाही धर्म के लोग आपस में मिलते समय अल्लाह ओ अकबर (अल्लाह महान है) तथा जल्ले जलालहू (उसके यश में वृद्धि हो) कहते थे |

दीन ए इलाही धर्म के सिद्धांत

1.अकबर को अपना आध्यात्मिक गुरु मानना |

2.अकबर के आदेश ने अनुसार आचरण मानना |

3.दानता और दानशीलता |

4.सांसारिक इच्छा का परित्याग |

5.शाकाहारी भोजन लेना |

6.विशुद्ध नैतिक जीवन व्यतीत करना |

7.मधुर भाषी होना |

8.ईश्वर से प्रेम तथा उसकी एकात्मकता के प्रति समर्पण |

*अकबर शेख सलीम चिश्ती का परम भक्त था और इन्हीं के आशीर्वाद से सलीम (जहांगीर) का जन्म हुआ |

*अकबर ने बहुविवाह को प्रतिबंधित किया तथा विधवा विवाह को प्रोत्साहन दिया था |

*अकबर ने सती प्रथा को रोकने का प्रयास किया था किंतु सफल नहीं हुआ |

*अकबर ने शाही दरबार में एक अनुष्ठान के रूप में सूर्य उपासना शुरू करवायी थी |

*अकबर के शासनकाल में राजस्व की जब्ती प्रणाली (भूमि राजस्व के निर्धारण की एक पद्धति जो माप पर आधारित थी) प्रचलित थी |

*अकबर के शासनकाल की प्रमुख विशेषता मनसबदारी प्रथा मानी जाती है |

*अकबर के दरबारी संगीतकार तानसेन, बैजू बावरा और बाज बहादुर प्रमुख थे |

*अकबर के दरबारी चित्रकार अब्दुर समद, दसवंत और बसावन थे |

*अकबर के नवरत्न - अबुल फजल, फैजी, तानसेन, बीरबल, टोडरमल, मानसिंह, अब्दुल रहीम खान ए खाना, फकीर अजीउद्दीन और मल्ला दो प्याजा थे |

*अकबर ने अबुल फज़ल को दीन ए इलाही धर्म का मुख्य पुरोहित नियुक्त किया था |

*अकबर ने तानसेन को कंठाभरण - वाणीविलास की उपाधि से सम्मानित किया था |

*तानसेन प्रारंभ में रीवा के राजा रामचंद्र के दरबारी कवि थे |

*अकबर ने भगवान दास को अमीर उल उमरा (नायक या सरदार) की उपाधि सम्मानित किया था |

अकबर की स्थापत्य कला

*अकबर ने अनुवाद विभाग की स्थापना करवाई थी जहां पर नकीब खान, अब्दुल कादिर बदायूंनी और शेख सुल्ताना मिलकर धार्मिक ग्रंथों का फारसी में अनुवाद किया करते थे । रामायण और महाभारत का फारसी भाषा में अनुवाद रज्मनामा के नाम से किया गया था |

*अबुल फजल ने पंचतंत्र का फारसी में अनुवाद अनवर ए सादात के नाम से किया था । फैजी ने नल दमयंती (सूरदास द्वारा रचित) का फारसी में सहेली के नाम से अनुवाद किया था |

*अकबर के शासनकाल को हिंदी साहित्य का स्वर्ण काल माना जाता है |

*अकबर ने बीरबल को कवि प्रिय और नरहरी को महापात्र की उपाधि से सम्मानित किया था |

*अकबर ने अब्दुल समद को शीरी कलम और मोहम्मद हुसैन कश्मीरी को जड़ी कलम की उपाधि प्रदान की थी |

*अकबर नगाड़ा नामक वाद्ययंत्र बजाने का शौकीन था |

*मुगलों की राजकीय भाषा फारसी थी |

*अकबर के शासनकाल में आगरा का लाल किला, लाहौर का किला, इलाहाबाद का किला, दिल्ली में हुमायूं का मकबरा, फतेहपुर सीकरी में शाही महल, दीवान ए खास, दीवान ए आम, पंचमहल, बुलंद दरवाजा, जोधाबाई का महल और इबादत खाना आदि का निर्माण किया गया था |

*अकबर का व्यक्तिगत वैद्य हकीम अली था |

*27 अक्टूबर 1605 ई. को फतेहपुर सीकरी में अकबर की मृत्यु हो गई थी और उसे आगरा के सिकंदरा नामक स्थान पर दफनाया गया था |

*अकबर की मृत्यु के बाद उसे अर्श आशियानी (स्वर्ग में रहने वाला) कहा गया | अकबर के मकबरे के पास ही अकबर की हिंदू रानी हरकाबाई उर्फ मरियम उज जमानी का मकबरा जहांगीर के द्वारा बनवाया गया था |

*अकबर का मकबरा आगरा के पास सिकंदरा नामक स्थान पर है |

*अकबर का शासनकाल 1556 - 1605 . के मध्य में था |

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