तुलुव वंश का इतिहास
तुलुव वंश,
विजयनगर साम्राज्य का तीसरा राजवंश था और इस वंश की स्थापना वीर
नरसिंह ने 1505 ई. में की थी |
तुलुव वंश
में कुल छह शासकों ने 60 वर्षों तक
शासन किया था और कृष्णदेव राय को तुलुव वंश का सबसे शक्तिशाली एवं महानतम शासक
माना जाता है |
*तुलुव वंश
का शासनकाल 1505 – 1565 ई. के मध्य
में था |
वीर नरसिंह का इतिहास
*वीर नरसिंह को तुलुव वंश का संस्थापक माना जाता है |
*वीर नरसिंह ने भुजबल की उपाधि धारण की थी |
*वीर नरसिंह ने विवाह कर को ना लेने का आदेश दिया था |
*वीर नरसिंह का शासनकाल 1505 – 1509 ई. के मध्य में
था |
कृष्णदेव
राय का इतिहास
*कृष्णदेव
राय ने 8 अगस्त 1509
ई. को सिंहासन प्राप्त किया था |
*बाबर की
आत्मकथा बाबरनामा में कृष्णदेव राय को सभी हिंदू शासकों में सबसे शक्तिशाली बताया
गया |
*कृष्णदेव
राय ने आंध्र भोज, अभिनव भोज, आंध्र पितामह, यवनराज्य स्थापनाचार्य, विष्णुचित्त और तेलगु भोज की उपाधियां धारण की थीं |
*कृष्णदेव
राय की शासनकाल में पुर्तगाली यात्री डोमिनगो पायस और बारबोसा ने विजयनगर की
यात्रा की थी |
*कृष्णदेव
राय के सेनापति सालुव तिम्मा थे |
*कृष्णदेव
राय ने उड़ीसा के शासक प्रताप रूद्रदेव को पराजित कर वहां से बाल कृष्ण की एक
मूर्ति विजय स्मारक के रूप में प्राप्त की थी |
*कृष्णदेव
राय के राजगुरु व्यासराज थे |
*कृष्णदेव
राय के शासनकाल को तेलुगु साहित्य का क्लासिकल युग माना जाता है |
*कृष्णदेव
राय ने नागलपुर और हॉसपेट नामक नगरों की स्थापना की थी |
*कृष्णदेव
राय के दरबार में तेलुगु साहित्य के 8 विद्वान
रहते थे जिन्हें अष्टदिग्गज कहा जाता था और
अष्टदिग्गज कवियों में पेड्डाना नामक कवि प्रमुख थे जिसने स्वारोचीतसम्भव
और मनुचरित नामक ग्रंथों की रचना की थी |
*कृष्णदेव
राय स्वयं एक विद्वान थे उन्होंने तेलुगू भाषा में आमुक्ता माल्याद,
संस्कृत में जाम्बवती कल्याणम और ऊषापरिणय नामक ग्रंथों की रचना की
थी |
*कृष्णदेव
राय ने हजारा मंदिर, विट्ठल स्वामी
मंदिर और चिदंबरम मंदिर का निर्माण करवाया था |
*कृष्णदेव
राय के बाद अच्युत राय शासक हुए |
*कृष्णदेव
राय का शासनकाल 1509 – 1529 ई. के
मध्य में था |
अच्युत
राय का इतिहास
*अच्युत
राय ने दो बार राज्याभिषेक करवाया था, पहला
राज्याभिषेक तिरुपति में तथा दूसरा राज्याभिषेक कालाहस्ती में करवाया था |
*अच्युत
राय के शासनकाल में पुर्तगाली यात्री नूनिज ने भारत की यात्रा की तथा उसने अपनी
पुस्तक क्रॉनिकल ऑफ फर्नास नूनिज में विजयनगर के प्रारंभिक इतिहास की जानकारी
प्रदान की है |
*अच्युत
राय का विवाह पाण्डय राजकुमारी वरदाम्विका से हुआ था |
*अच्युत
राय के दरबारी कवि राजनाथ डिंडिम थे जिन्होंने अच्युत रायम्युदय नामक पुस्तक की
रचना की थी |
*अच्युत
राय का शासनकाल 1529 – 1542 ई. के
मध्य में था |
सदाशिव
राय का इतिहास
*सदाशिव
राय के शासनकाल में वास्तविक सत्ता राम राय के हाथों में थी |
*तालीकोटा
या राक्षसी तांगड़ी का युद्ध सदाशिव राय के शासनकाल में ही हुआ था |
*तालीकोटा
या राक्षसी तांगड़ी युद्ध के समय विजयनगर के शासक सदाशिव राय थे परंतु इस युद्ध
में विजयनगर की सेना का नेतृत्व राम राय के हाथों में था |
*दूसरी तरफ
अहमदनगर, बीजापुर, गोलकुंडा और वीदर की संयुक्त सेना का नेतृत्व अली आदिल कर रहा था |
*23
जनवरी 1565 ईस्वी को दोनों सेनाओं के मध्य
युद्ध हुआ और इस युद्ध में विजयनगर की बुरी तरह पराजय हुई |
*अहमदनगर
के शासक निजाम हुसैन ने राम राय की हत्या कर - चिल्लाया
“अब मैंने तुमसे बदला ले लिया है, अल्लाह जो
सजा देना चाहे दे”|
*इस युद्ध
में राम राय का दूसरा भाई वेंकटाद्री भी मारा गया तथा राम राय का तीसरा भाई तिरुमल,
सदाशिव राय को लेकर पेनुकोंडा आ गया और वहीं से विजयनगर का शासन
चलाने लगा |
*ए फॉरगटन
अंपायर पुस्तक के लेखक सेवेल ने तालीकोटा या राक्षसी तांगड़ी के युद्ध को अपनी
आंखों से देखा था |
*तालीकोटा
या राक्षसी तांगड़ी का युद्ध के बाद विदेशी यात्री सीजर फ्रेडरिक ने विजयनगर की
यात्रा की थी |
*1570
ई. में सदाशिव राय की मृत्यु के बाद विजयनगर साम्राज्य में एक नए
राजवंश अरावीडू वंश का प्रारंभ हुआ |
*सदाशिव
राय का शासनकाल 1542 – 1570 ई. के
मध्य में था |
अरावीडू वंश का इतिहास
तिरुमल
का इतिहास
*अरावीडू
वंश की स्थापना तिरुमल ने 1570 ई. में पेनुकोंडा में की थी |
*इसी समय
से विजयनगर की राजधानी पेनुकोंडा को बनाया गया था |
*तिरुमल ने
पतनशील कर्नाटक राज्य का उद्धारक की उपाधि धारण की थी |
*तिरुमल के
दरबारी कवि भट्टामूर्ति थे जिन्होंने वसुचरितम नामक ग्रंथ की रचना की थी जो तिरुमल
को ही समर्पित है |
*तिरुमल के
पश्चात श्रीरंग प्रथम शासक हुए जिनका शासनकाल 1572-1585 ई. के मध्य में था |
*तिरुमल का
शासनकाल 1570 – 1572 ई. के मध्य
में था |
वेंकट
द्वितीय का इतिहास
*वेंकट
द्वितीय को अरावीडू वंश का महानतम शासक माना जाता है |
*वेंकट
द्वितीय ने 1598 ई. में
चंद्रगिरि में ईसाई पादरियों को गिरजाघर बनाने तथा ईसाई धर्म के प्रचार की अनुमति
प्रदान की थी |
*वेंकट
द्वितीय ने पेनुकोंडा के स्थान पर चंद्रगिरि को अपनी राजधानी बनाया |
*बैंकट
द्वितीय के बाद श्रीरंग द्वितीय, रामदेव,
वेंकट तृतीय और श्रीरंग तृतीय शासक हुए |
*श्रीरंग
तृतीय को अरावीडू वंश का अंतिम शासक माना जाता है |
*वेंकट
द्वितीय का शासनकाल 1586 – 1614
ई. के मध्य में था |
*अरावीडू वंश का शासनकाल 1570 – 1652 ई. के मध्य में था |
1 टिप्पणियाँ
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जवाब देंहटाएंयह Post केवल प्रतियोगी परीक्षाओं के दृष्टी से लिखा गया है ....इस Post में दी गई जानकारी, भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त [CLASS 6 से M.A. तक की] पुस्तकों से ली गई है ..| कृपया Comment box में कोई भी Link न डालें.
प्राचीन इतिहास PDF – http://bit.ly/3G9U4ye
मध्यकालीन इतिहास PDF – http://bit.ly/3LGGovu
आधुनिक इतिहास PDF – http://bit.ly/3wDnfX3
सम्पूर्ण इतिहास PDF – https://imojo.in/1f6sRUD