जियाउद्दीन बरनी का तारीख ए फिरोजशाही ग्रंथ | Ziauddin Barani ka itihas |

ज़ियाउद्दीन बरनी

*ज़ियाउद्दीन बरनी एक प्रसिद्ध इतिहासकार थे |

*ज़ियाउद्दीन बरनी को समकालीन इतिहासकारों में सबसे महत्वपूर्ण माना गया है |

*ज़ियाउद्दीन बरनी का जन्म दिल्ली के एक सम्पन्न पर परिवार में 1285/86 में हुआ था|

*ज़ियाउद्दीन बरनी के पिता ज़लालुद्दीन फिरोज खिलजी और अलाउद्दीन खिलजी के निजी और सबसे विश्वासपात्र कर्मचारियों में से एक थे |

*ज़ियाउद्दीन बरनी के राजनीतिक इतिहास का सफ़र गयासुद्दीन तुग़लक के शासनकाल से शुरू होता है और मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में ज़ियाउद्दीन बरनी को सर्वोच्च स्थान प्राप्त हुआ |

*ज़ियाउद्दीन बरनी ने मुहम्मद बिन तुग़लक के शासनकाल में लगभग 17 वर्षों तक राजदरबार में सेवा की |

*ज़ियाउद्दीन बरनी ने मुहम्मद बिन तुग़लक को दयावान और क्रूर दोनों तरह का शासक बताया है |

*ज़ियाउद्दीन बरनी के अनुसार मुहम्मद बिन तुग़लक को इस्लामिक शरीयत के कानून का अच्छा ज्ञान नही था और वह कभी - कभी अपने फैसले स्वयं से लेता था जो इस्लामिक उलेमा वर्ग के खिलाफ होते थे जिसमें उसकी खूब आलोचना भी होती थी |

*ज़ियाउद्दीन बरनी के द्वारा लिखे गए प्रसिद्द ग्रन्थ तारीख ए फिरोजशाही व फतबा ए जहांदारी है |

*ज़ियाउद्दीन बरनी प्रसिद्ध सूफी संत शेख निजामुददीन औलिया के परम शिष्यों में एक थे |

*ज़ियाउद्दीन बरनी, मुहम्मद बिन तुगलक के सभी विश्वासपात्र व्यक्तियों में से एक थे |

तारीख ए फिरोजशाही

*तारीख ए फिरोजशाही की रचना ज़ियाउद्दीन बरनी के द्वारा फारसी भाषा में की गयी थी |

*तारीख ए फिरोजशाही एतिहासिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण ग्रन्थ माना जाता क्योंकि उसमें अच्छाई और बुराई दोनों पर विस्तार से चर्चा की गई है |

*तारीख ए फिरोजशाही में 1239 से लेकर 1359 ई. के मध्य का इतिहास विस्तार से बताया गया है जिसमें बलवन से लेकर फिरोजशाह तुगलक के शासन काल तक की घटनाओं का विस्तार से वर्णन देखने को मिलता है |

*तारीख ए फ़िरोशाही का अंग्रेंजी में अनुवाद इलियट और डाउसन ने मिलकर किया है |

*तारीख ए फिरोजशाही, तबकात ए नासिरी का उत्तर भाग माना जाता है क्योंकि इसके इतिहास की शुरुआत ठीक वहां से होती है जहाँ पर तबकात ए नासिरी का इतिहास समाप्त होता है | इसीलिए इतिहासकारों ने तारीख ए फिरोजशाही को तबकात ए नासिरी का उत्तर भाग कहा है |

*तारीख ए फिराजशाही में अलाउद्दीन खिलजी की बाज़ार व्यवस्था का विस्तार से वर्णन किया गया है जिसमें कहा गया है की हिन्दू (काफ़िर) वस्तुओं की चोरी किया करते थे इसीलिए सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने वस्तुओ की चोरी करने वाले काफिरों को कड़ी सजा देने की व्यवस्था की थी |

*तारीख ए फिरोजशाही में मुहम्मद बिन तुगलक की मुद्रा व्यवस्था का भी विस्तार से वर्णन किया गया है जिसमें कहा गया है की प्रत्येक हिन्दू (काफ़िर) का घर टकसाल बन गया था |

*ज़ियाउद्दीन बरनी के द्वारा लिखा गया फतबा ए जहांदारी ग्रन्थ को तारीख ए फिरोजशाही का हिस्सा माना जाता है क्योंकि इसमें राजनीतिक दर्शन का विस्तार से वर्णन देखने को मिलता है |

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