जलालुद्दीन फिरोज़ खिलज़ी और उसका सम्पूर्ण इतिहास | Jalal ud din firoz khilji ka itihas |

 

ऐतिहासिक तथ्य

तारीख ए फ़िरोज़शाही

तारीख ए फ़िरोज़शाही ग्रन्थ की रचना जियाउद्दीन बरनी के द्वारा फ़ारसी भाषा में की गई थी और इसमें गयासुद्दीन बलबन से लेकर फ़िरोज़शाह तुग़लक के शासनकाल तक का इतिहास विस्तार से बताया गया है | तारीख ए फ़िरोज़शाही में ज़लालुद्दीन फ़िरोज़ खिलज़ी के शासनकाल की महत्वपूर्ण जानकारियों को विस्तार से बताया गया है |  

ख़िलज़ी वंश का परिचय

खिलज़ी, अफ़गानिस्तान के खल्ज़ क्षेत्र के रहने वाले थे और खिलज़ी इनके कबीले का नाम था इसीलिए खिलज़ी वंश के सभी शासकों ने अपने नाम के अंत में खिलज़ी लिखा है | भारत में खिलज़ी वंश की स्थापना जलालुद्दीन फ़िरोज़ खिलज़ी ने 1290 में इल्वारी वंश के अंतिम शासक क्युमर्स की हत्या करके की थी | सर्वप्रथम खिलज़ी वंश के शासकों ने ही हिन्दुओं को उच्च पदों पर नियुक्त करने की परम्परा भी आरम्भ की थी | 

ज़लालुद्दीन फ़िरोज़ खिलज़ी का प्रारम्भिक इतिहास

*ज़लालुद्दीन फ़िरोज़ खिलज़ी का जन्म 14 अक्टूबर 1220 को आधुनिक अफ़गानिस्तान के क़लात शहर में हुआ था |

*ज़लालुद्दीन फ़िरोज़ खिलज़ी की पुत्री का नाम मालिका ए जहाँ था जिसका निकाह अलाउद्दीन खिलज़ी के साथ हुआ था |

*ज़लालुद्दीन फ़िरोज़ खिलज़ी के पूर्वज सुल्तान इल्तुतमिश के शासनकाल में भारत आये थे |

*ज़लालुद्दीन फ़िरोज़ खिलज़ी ने बलबन के शासनकाल में अपनी सेवा प्रारम्भ की थी | 

*ज़लालुद्दीन फ़िरोज़ खिलज़ी का राजनीतिक उत्कर्ष कैकुबाद के शासनकाल में प्रारम्भ हुआ |

*कैकुबाद ने ज़लालुद्दीन फ़िरोज़ खिलज़ी को समाना (आधुनिक पंजाब) का सूबेदार, बरन (आधुनिक बुलंदशहर) का सूबेदार और अंत में शाइस्ता खां की उपाधि देकर अपना सेनापति नियुक्त किया था |

*ज़लालुद्दीन फ़िरोज़ खिलज़ी ने 1290 ईसवी में कैकुबाद के उत्तराधिकारी क्युमर्स (शम्सुद्दीन द्वितीय) की हत्या कर दिल्ली सल्तनत पर खिलज़ी वंश की स्थापना की |     

ज़लालुद्दीन फ़िरोज़ खिलज़ी का इतिहास       

*खिलज़ी वंश का संस्थापक जलालुद्दीन फिरोज़ खिलज़ी को माना जाता है |

*ज़लाल उद दीन फ़िरोज़ खिलज़ी का राज्याभिषेक 13 जून 1290 को किलोखरी या कीलूगढ़ (दिल्ली के समीप) के महल में हुआ था |

 *इस महल में एक वर्ष रहने के बाद ज़लालुद्दीन फ़िरोज़ खिलज़ी दिल्ली के अमीरों के आमंत्रण पर दिल्ली के मुख्य महल में गया |

*शासक बनने के बाद ज़लालुद्दीन फ़िरोज़ खिलज़ी ने बलबन के भतीजे मलिक छज्जू को कड़ा मानिकपुर (आधुनिक उत्तर-प्रदेश में) का सूबेदार बनाया लेकिन 1291 में अलाउद्दीन खिलज़ी को बना दिया था |

*ज़लालुद्दीन फ़िरोज़ खिलज़ी ने ख्वाजा खतिर को अपना वज़ीर बनाया |

*ज़लालुद्दीन फ़िरोज़ खिलज़ी ने अपने छोटे भाई यगरश खान को आरिज ए मुमालिक (सेनापति) बनाया |

ज़लालुद्दीन फ़िरोज़ खिलज़ी के आक्रमण  

*1292/93 में अब्दुल्ला और उलूग खां के नेतृत्व में मंगोलों ने भारत पर आक्रमण किया लेकिन ज़लालुद्दीन फ़िरोज़ खिलज़ी ने मंगोलों से संधि कर ली और उलूग खां के साथ अपने पुत्री का निकाह भी कर दिया |

*उलूग खां ने अपने सभी सैनिकों के साथ इस्लाम धर्म क़ुबूल कर लिया और यही मंगोल बाद में नवीन मुस्लिम कहलाए तथा यही स्थान दिल्ली में मंगोलपुरी के नाम से आज भी प्रसिद्ध है |

*ज़लालुद्दीन फ़िरोज़ खिलज़ी ने अपना प्रथम अभियान रणथम्भौर के विरुद्ध किया था लेकिन किले की मजबूत स्थिति को देखकर उसे जीतने की इच्छा छोड़ दी |

*1292 में अलाउद्दीन खिलज़ी के नेतृत्व में भिलसा (आधुनिक मध्य-प्रदेश में) पर विजय प्राप्त की और भिलसा से अपार धन की प्राप्ति हुई |

*धन की लोलुपता के कारण 1296 में अलाउद्दीन खिलज़ी ने दक्षिण भारत के सबसे वैभवशाली राज्य देवगिरि पर आक्रमण किया और उस समय देवगिरि के राजा रामचन्द्र देव थे |

*रामचंद्र देव ने अलाउद्दीन खिलज़ी के साथ संधि कर ली और अपार धन अलाउदीन खिलज़ी को प्रदान किया |

*अलाउद्दीन खिलज़ी दक्षिण भारत को जीतने वाला प्रथम मुस्लिम सेनापति और शासक माना जाता है |  

*अलाउद्दीन खिलज़ी ने देवगिरि की सफलता का श्रेय मलिक काफूर को दिया |

*अलाउद्दीन खिलज़ी के देवगिरि अभियान के समय इतिहासकर अमीर खुसरो भी साथ थे |

साहित्य

*ज़लालुद्दीन फ़िरोज़ खिलज़ी के शासनकाल में शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में विशेष उन्नति हुई |

*कुतुबुददीन अलबी, शदुद्दीन, ख्वाजा जमालुद्दीन, मुईद जर्मी और अमीर खुसरो आदि विद्वानों को ज़लालुद्दीन फ़िरोज़ खिलज़ी ने अपना संरक्षण प्रदान किया था |

*ज़लालुद्दीन फ़िरोज़ खिलज़ी के शासनकाल की विस्तृत जानकारी जियाउद्दीन बरनी द्वारा फारसी में लिखित ग्रन्थ तारीख ए फिरोजशाही में मिलती है |

ज़लालुद्दीन फ़िरोज़ खिलज़ी की मृत्यु

*ज़लालुद्दीन फ़िरोज़ खिलज़ी की मृत्यु के बारे में जियाउद्दीन बरनी ने लिखा है | अलाउद्दीन खिलज़ी ने ज़लालुद्दीन फ़िरोज़ खिलज़ी को पत्र लिखकर कड़ा मानिकपुर आने का आमंत्रण दिया और कहा देवगिरि से लूटा सारा धन आपको वापस कर दूंगा लेकिन आमंत्रण में कुछ शर्ते भी थीं ज़लालुद्दीन फ़िरोज़ खिलज़ी ने सभी शर्ते मान लीं और कड़ा मानिकपुर चला गया |

*कड़ा मानिकपुर पहुँचते ही अलाउद्दीन खिलज़ी, ज़लालुद्दीन फ़िरोज़ खिलज़ी के पैरों गिरकर माफ़ी मांगने आया और उसी समय अलाउद्दीन के इशारे पर मुहम्मद सलीम ने आक्रमण कर दिया |

*ज़लालुद्दीन फ़िरोज़ खिलज़ी घायल अवस्था में नदी की तरफ चिल्लाता हुआ भागा धोखेबाज अलाउद्दीन यह तूने क्या किया, इसके बाद अलाउद्दीन खिलज़ी के अंगरक्षक इख्तियारुद्दीन हूद ने ज़लालुद्दीन फ़िरोज़ खिलज़ी का सिर धड से अलग कर दिया और कटे हुए सिर को 20 दिनों तक कड़ा मानिकपुर और अवध की सीमओं में घुमाया गया |

*जलालुद्दीन फिरोज खिलज़ी की हत्या 19 जुलाई 1296 को कड़ा - मानिकपुर में की गई थी |

*20 जुलाई 1296 कड़ा - मानिकपुर में ही अलाउद्दीन खिलज़ी ने स्वयं को दिल्ली का सुल्तान घोषित कर दिया था |

*ज़लालुद्दीन फ़िरोज़ खिलज़ी का शासनकाल 1290 – 1296 के मध्य माना जाता है |

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