सेन वंश का सम्पूर्ण इतिहास | सेन वंश की स्थापना | सेन वंश का परिचय | Sen vansh ka itihas |

 

सेन वंश का परिचय

सेन वंश जिसके राजाओं ने बंगाल तथा उसके आस - पास के क्षेत्रों पर शासन किया और सेन वंश के अभिलेखों के अनुसार सेन वंश के राजा मूलतः कर्नाटक के रहने वाले थे | सेन वंश की स्थापना सामंत सेन के द्वारा बंगाल के राढ़ नामक स्थान पर की गई थी और सेन वंश की राजकीय भाषा संस्कृत तथा राजधानी गौड़ (पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में) विक्रमपुर (बांग्लादेश के मुंशीगंज जिले में) और नवद्वीप (आधुनिक पश्चिम बंगाल के नदिया जिले में) में थी |

सेन वंश के ऐतिहासिक स्त्रोत

1.अभिलेख

*सेन वंश के अभिलेखों में विजयसेन का देवपाड़ा अभिलेख सबसे महत्वपूर्ण और विश्वसनीय माना जाता है जिसमें उनकी विजयों का उल्लेख किया गया है |

2.साहित्य

*लघु भारत ग्रन्थ

*वल्लालचरित ग्रन्थ

*स्मृति दानसागर ग्रन्थ

*अद्भुत सागर ग्रन्थ

*गीतगोविन्द ग्रन्थ

*पवनदूत ग्रन्थ

*ब्राह्मणसर्वस्व ग्रन्थ

सामंत सेन

*सामंत सेन का शासनकाल संभवता 1070 – 1095 ई. के मध्य में था |

*सामंत सेन को सेन वंश का संस्थापक माना जाता है |

*सामंत सेन के द्वारा ही आधुनिक पश्चिम बंगाल के राढ़ नामक स्थान पर एक छोटे से राज्य की स्थापना की गई थी |

*सामंत सेन के बाद उनके पुत्र हेमंत सेन राजा बने जिन्होंने 1095 – 1096 ई. के मध्य शासन किया था |

विजय सेन    

*विजय सेन का शासनकाल संभवता 1096 – 1158 ई. के मध्य में था |

*विजय सेन, हेमंत सेन के पुत्र तथा उत्तराधिकारी थे |

*विजय सेन को सेन वंश का वास्तविक संस्थापक माना जाता है |

*विजय सेन ने परम माहेश्वर और अरिराज वृषशंकर की उपाधियाँ धारण की थी |

*विजय सेन शैव धर्म के अनुयायी थे |

*विजय सेन के द्वारा देवपाड़ा में प्रद्युमनेश्वर शिव मंदिर तथा एक झील का निर्माण करवाया था |

*विजय सेन के द्वारा ही देवपाड़ा में एक अभिलेख को उत्कीर्ण करवाया गया था जिसकी रचना उमापतिधर नामक कवि के द्वारा की गई थी और इसी अभिलेख में विजय सेन की विजयों का उल्लेख किया गया है |

*विजय सेन के दरवारी कवि उमापति धर थे |

*विजय सेन की रानी के द्वारा कनकतुलापुरुषमहादान यज्ञ का आयोजन करवाया गया था |

*विजय सेन ने पाल वंश के राजा मदनपाल की राजधानी गौड़ पर अधिकार कर लिया था और मदनपाल को मगध में शरण लेनी पड़ी थी |

*विजय सेन की पहली राजधानी विजयपुर तथा दूसरी राजधानी विक्रमपुर में थी |

वल्लाल सेन  

*वल्लाल सेन का शासनकाल संभवता 1158 – 1179 ई. के मध्य में था |

*वल्लाल सेन, विजय सेन के पुत्र तथा उत्तराधिकारी थे |

*वल्लाल सेन के द्वारा गौड़ेश्वर की उपाधि धारण की गई थी |

*वल्लाल सेन उच्च कोटि के विद्वान थे और उन्होंने अपने गुरु की सहायता से वल्लालचरित, दानसागर और अद्भुत सागर जैसे ग्रंथों की रचना की थी |

*वल्लाल सेन के द्वारा कुलीन प्रथा की शुरुआत की गई थी जिसमें ब्राह्मण, वैश्य और कायस्थ को ही केवल श्रेठ माना गया था बाकि क्षत्रिय और शूद्रों को नीच कुल का माना गया था |

लक्ष्मण सेन   

*लक्ष्मण सेन का शासनकाल संभवता 1179 – 1205 ई. के मध्य में था |

*लक्ष्मण सेन, वल्लाल सेन के पुत्र तथा उत्तराधिकारी थे |

*लक्ष्मण सेन ने परम भागवत की उपाधि धारण की थी |

*लक्ष्मण सेन वैष्णव धर्म के अनुयायी थे |

*लक्ष्मण सेन की राजधानी लक्ष्मणवती में थी जिसे मध्यकाल में लखनौती और आधुनिक समय नदिया कहा जाता है |

*लक्ष्मण सेन के दरवार में गीतगोविन्द के रचयिता जयदेव, पवनदूत के रचयिता धीयी, ब्राह्मणसर्वस्व के रचयिता हलायुध और सुदक्ति कर्णाभृत के संकलन कर्ता श्रीधरदास रहते थे जिसमें जयदेव का स्थान सर्वोच्च था |

*1202 ई. में क़ुतुबुद्दीन ऐवक ने सेनापति मोहम्मद बख्तियार खिलज़ी ने लक्ष्मण सेन को पराजित करके उनकी राजधानी नदिया पर अधिकार कर लिया था और लक्ष्मण सेन ने पूर्वी बंगाल (आधुनिक बांग्लादेश) में जाकर शरण ली थी और लक्ष्मण सेन के बाद बाकि सभी सेन राजाओं ने पूर्वी बंगाल से ही अपना शासन चलाया था |

*लक्ष्मण सेन के बाद केशवसेन [1205 – 1225 ई.] और विश्वरूप सेन [1225 – 1230 ई.] राजा हुए परन्तु विश्वरूप सेन के उत्तराधिकारी सूर्य सेन को पराजित करके दशरथ देव ने पूर्वी बंगाल में देव वंश की स्थापना की थी |   

सेन वंश के राजा और उनका शासनकाल

1.सामंत सेन [1070 -1095 ई.]

2.हेमंत सेन [1095 -1096 ई.]

3.विजय सेन [1096 -1158 ई.]

4.वल्लाल सेन [1158 -1179 ई.]

5.लक्ष्मण सेन [1179 -1204 ई.]

6.केशव सेन [1205 -1225 ई.]

7.विश्वरूप सेन [1225 -1230 ई.]

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