गहड़वाल वंश का सम्पूर्ण इतिहास | History Of Gahadwal Dynasty |

 गहड़वाल वंश का परिचय

गहड़वाल वंश की स्थापना चन्द्रदेव के द्वारा प्रतिहार वंश के अंतिम राजा यशपाल की हत्या करके की गई थी | चन्द्रदेव के बाद महीचन्द्र और यशोविग्रह राजा हुए परन्तु ये स्वतंत्र राजा नहीं थे और गहड़वाल वंश की पहली राजधानी उत्तर प्रदेश के काशी (आधुनिक नाम वाराणसी) में थी जिसके कारण उन्हें काशी नरेश के नाम से भी जाना जाता है | गहड़वाल वंश की दूसरी राजधानी कन्नौज में थी और गहड़वाल वंश को राठौर वंश के नाम से भी जाना जाता है |

गहड़वाल वंश के ऐतिहासिक स्त्रोत

1.अभिलेख

*गोविन्दचन्द्र का देवरिया तथा सहेत - महेत का जेतवन विहार लेख

*कुमारदेवी का सारनाथ लेख

*चन्द्रदेव द्वितीय का काशी तथा कन्नौज लेख

*हरिचन्द्र का जौनपुर लेख

2.साहित्य

*मेरुतुंग का चिंतामणि ग्रन्थ

*लक्ष्मीधर का कृतकल्पतरु ग्रन्थ

*हसन निज़ाम के लेख

*चंदरबरदाई का पृथ्वीराजरासो ग्रन्थ

चन्द्रदेव द्वितीय

*चन्द्रदेव द्वितीय राजा महीचन्द्र के पुत्र तथा उत्तराधिकारी थे |

*चन्द्रदेव द्वितीय का शासनकाल 1080 – 1103 ई. के मध्य माना जाता है |

*चन्द्रदेव द्वितीय को गहड़वाल वंश का पहला स्वतंत्र राजा माना जाता है |

*चन्द्रदेव द्वितीय के बारे में जानकारी कन्नौज लेख से प्राप्त होती है |

*चन्द्रदेव द्वितीय के द्वारा उत्कीर्ण करवाए गए कन्नौज लेख के अनुसार उन्होंने अयोध्या और दिल्ली पर अधिकार कर लिया था |

*चन्द्रदेव द्वितीय ने परमभट्टारक, महाराजाधिराज और परमेश्वर जैसी प्रख्यात उपाधियाँ धारण की थीं |

*चन्द्रदेव द्वितीय के बाद मदनचन्द्र राजा बने जिन्होंने 1103 – 1114 ई. के मध्य शासन किया था परन्तु इनके शासनकाल में कोई विशेष घटना नहीं हुई |

गोविन्दचन्द्र

*गोविन्दचन्द्र, मदनचन्द्र के पुत्र तथा उत्तराधिकारी थे |

*गोविन्दचन्द्र का शासनकाल 1114 – 1155 ई. के मध्य माना जाता है |

*गोविन्दचन्द्र को गहड़वाल वंश का सबसे शक्तिशाली तथा महान राजा माना जाता है |

*गोविन्दचन्द्र के लेखों में उन्हें विविधविद्याविचारवाचस्पति कहा गया है जिसका अर्थ विभिन्न प्रकार की विद्याओं का ज्ञानी होता है |

*गोविन्दचन्द्र का विवाह गया के चिक्कोर वंशीय राजा देवररक्षित की पुत्री कुमारदेवी से हुआ था |

*उत्तर प्रदेश के सारनाथ से कुमारदेवी का एक अभिलेख प्राप्त हुआ था जिसमें उन्होंने बौद्ध विहार बनवाने तथा सम्राट अशोक को अपना आदर्श मानने और उनके जैसा शासन स्थापित करने की बात कहीं गई है |

*गोविन्दचन्द्र के मंत्री लक्ष्मीधर के द्वारा एक कृतकल्पतरु नामक प्रसिद्ध ग्रन्थ की रचना की गई थी जिसमें गोविन्दचन्द्र के शासनकाल की कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं का उल्लेख किया गया है |

*गोविन्दचन्द्र का एक लेख उत्तर प्रदेश के सहेत – महेत (पूर्व नाम श्रावस्ती) के जेतवन विहार से प्राप्त हुआ था जो 1186 आषाढ़ पूर्णिमा के दिन जारी किया गया था और इस लेख में गोविन्दचन्द्र के द्वारा जेतवन के बौद्ध संघ को गुरु मानते हुए 6 गांव दान में देने का उल्लेख किया गया है |

*तमिलनाडु ने गंगेकोडचोलपुरम से गोविन्दचन्द्र का एक लेख प्राप्त हुआ था जिसमें उनकी वंशावली के बारे में बताया गया गया है |

*गोविन्दचन्द्र के शासनकाल में दिल्ली के तोमर राजा उनके अधीन थे |                                                                  

*गहड़वाल वंश के सम्पूर्ण शासनकाल में सबसे बड़ा साम्राज्य गोविन्दचन्द्र का ही माना जाता है |

*गोविन्दचन्द्र के बाद विजयचन्द्र राजा बने जिन्होंने 1155 से 1169 ई. के मध्य में शासन किया था |

जयचन्द्र

*जयचन्द्र, विजयचन्द्र के पुत्र तथा उत्तराधिकारी थे |

*जयचन्द्र का शासनकाल 1170 से 1194 ई. के मध्य माना जाता है |

*जयचन्द्र के शासनकाल की जानकारी मेरुतुंग के चिंतामणि ग्रन्थ, हसन निज़ाम के लेख और चंदरबरदाई के पृथ्वीराजरासो ग्रन्थ में मिलती है |

*जयचन्द्र के दीक्षागुरु प्रसिद्ध बौद्ध विद्वान जगन्मित्रानन्द थे जो मित्रयोगी नाम से प्रख्यात थे |

*जयचन्द्र के सेनापति धनुआ माना जाता है जो तेली समाज से सम्बंधित थे |

*जयचन्द्र को गहड़वाल वंश का अंतिम शक्तिशाली राजा माना जाता है |

*जयचन्द्र और पृथ्वीराज चौहान की शत्रुता का प्रमुख कारण दिल्ली की सत्ता थी जो उस समय का हर राजा चाहता था कि दिल्ली पर हमारा कब्ज़ा हो परन्तु पृथ्वीराज चौहान के दरवारी कवि चंदरबरदाई ने अपने ग्रन्थ पृथ्वीराजरासो में संयोगिता हरण की बात कही है जो बिल्कुल ही निराधार है | मेरुतुंग के चिंतामणि ग्रन्थ, हरिचन्द्र के जौनपुर लेख और चन्दावर युद्ध का वर्णन करने वाले हसन निजामी के लेखों में जयचन्द्र की संयोगिता नामक कोई पुत्री का उल्लेख नहीं किया है |

*1192 ई. में हुए तराइन के द्वितीय युद्ध में पृथ्वीराज चौहान की हार का प्रमुख कारण जयचन्द्र को माना जाता है परन्तु यह पूरी तरह सत्य नहीं है और कुछ लोग जयचन्द्र को गद्दार और देशद्रोही मानते हैं परन्तु ऐसा किसी भी ग्रन्थ में नहीं लिखा है अगर आप पृथ्वीराजरासो का अध्ययन करेंगे तो आपको उसमें प्रताप सिंह जैन, धर्मायन कायस्थ, माधोभट्ट और नित्यानन्द खत्री का नाम लिखा मिलेगा जिन्होंने मुहम्मद गौरी को पृथ्वीराज चौहान का पूरा भेद बताया था |

*1194 ई. में हुए चन्दावर युद्ध (उ.प्र.के एटा और इटावा के मध्य) में मुहम्मद गौरी ने जयचन्द्र को मार डाला था और राजधानी में खूब लूट पाट मचाई थी |

*जयचन्द्र चन्द्र की मृत्यु के बाद उनका पुत्र हरिचन्द्र कन्नौज का राजा जिसका उल्लेख 1198 ई. के जौनपुर लेख में किया गया है |

*हरिचन्द्र के बाद अकड़मल्ल राजा हुआ और 12वी शताब्दी के अंत में कन्नौज को तुर्की साम्राज्य का हिस्सा बना लिया गया था |        

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प्राचीन इतिहास PDF – http://bit.ly/3G9U4ye

मध्यकालीन इतिहास PDF – http://bit.ly/3LGGovu

आधुनिक इतिहास PDF – http://bit.ly/3wDnfX3

सम्पूर्ण इतिहास PDF – https://imojo.in/1f6sRUD