रुकनुद्दीन फ़िरोजशाह का इतिहास | Ruknuddin firuz shah history |

ऐतिहासिक तथ्य

तबक़ात ए नासिरी

तबक़ात ए नासिरी की रचना 13वी शताब्दी में मिन्हाज़ उस सिराज़ के द्वारा फ़ारसी भाषा में की गई थी | तबक़ात ए नासिरी में मुहम्मद गोरी से लेकर नासिर उद दीन महमूद के शासनकाल तक की, जानकारी प्रदान की गई है |

रुकनुद्दीन फ़िरोज़शाह  का इतिहास

*1229 में इल्तुतमिश के बड़े पुत्र नासिरुद्दीन महमूद की मृत्यु हो गई थी जिसे वह अपना उत्तराधिकारी बनाना चाहते थे |

*नासिरुदीन महमूद को दिल्ली में ही दफ़नाया गया और उसकी कब्र पर इल्तुतमिश ने सुल्तानगढ़ी नामक मकबरे का निर्माण करवाया था |

*सुल्तानगढ़ी का मकबरा भारत का पहला मकबरा माना जाता है |

*सुल्तानगढ़ी के मकबरे का निर्माण इल्तुतमिश ने 1230 से 1231 के मध्य में करवाया था |

*इल्तुतमिश ने 1231 में ग्वालियर के राजा मंगल देव के विरुद्ध आक्रमण किया तथा ग्वालियर पर विजय प्राप्त की, इस अभियान में इल्तुतमिश का साथ रज़िया ने दिया था |

*ग्वालियर विजय के बाद इल्तुतमिश ने संस्मारक मुद्रा जारी कर रज़िया को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था लेकिन दिल्ली के अनेक तुर्क सरदार रज़िया के खिलाफ़ थे |

*30 अप्रैल 1236 को बामियान जाते समय रास्ते में ही इल्तुतमिश की मृत्यु हो गई थी |

*दिल्ली के तुर्क अमीरों ने रज़िया के स्थान पर रुकनुद्दीन फ़िरोज़शाह को दिल्ली का सुल्तान घोषित कर दिया गया था |

*रुकनुद्दीन फ़िरोज़शाह दिल्ली के सुल्तान बनने से पहले बदायूं के सूबेदार थे |

*रुकनुद्दीन फ़िरोज़शाह को दिल्ली का अयोग्य सुल्तान माना जाता है क्योंकि उनके शासनकाल में, सत्ता की सम्पूर्ण चाबी उनकी माता शाह तुरकान के हाथों में रही |

*शाह तुरकान विद्वानों, मौलवियों और सैय्यदों को बहुत उपहार दान में देने के लिए प्रसिद्ध थी |              

*शाह तुरकान ने इल्तुतमिश की सभी बगमों पर अत्याचार करना प्रारम्भ कर दिया था जिसमें इल्तुतमिश की पुत्री रज़िया भी शामिल थी |

*शाह तुरकान के अत्याचारों से परेशान होकर एक दिन रज़िया ने लाल वस्त्र पहनकर दिल्ली की जनता से अपील की और दिल्ली की जनता ने रुकनुद्दीन फ़िरोज़शाह तथा उसकी माता, शाह तुरकान को बंदी बना लिया |

*नवम्बर 1236 में रज़िया दिल्ली की शासिका बनाया गया था |

*रुकनुद्दीन फ़िरोज़शाह का शासनकाल केवल 6 माह का था |

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