शम्स उद दीन इल्तुतमिश का इतिहास | सुल्तान इल्तुतमिश | iltutmish ka itihas |

ऐतिहासिक तथ्य

तबक़ात ए नासिरी

तबक़ात ए नासिरी की रचना 13वी शताब्दी में मिन्हाज़ उस सिराज़ के द्वारा फ़ारसी भाषा में की गई थी | तबक़ात ए नासिरी में मुहम्मद गोरी से लेकर नासिर उद दीन के शासनकाल तक की, जानकारी प्रदान की गई है |

सियासतनामा

सियासतनामा ग्रन्थ की रचना, निजाम उल मुल्क के द्वारा फ़ारसी भाषा में की गई थी और इस ग्रन्थ में इल्तुतमिश की इक्ता व्यवस्था के बारे में जानकारी प्रदान की गई है |

अदाब उस सलातीन

अदाब उस सलातीन ग्रन्थ की रचना फख्र ए मुदब्बिर के द्वारा की गई थी जो सुल्तान इल्तुतमिश को ही समर्पित है |

इल्तुतमिश का परिचय

*इल्तुतमिश का अर्थ होता है - साम्राज्य का स्वामी |

*इल्तुतमिश का वास्तविक नाम शम्स उद दीन इल्तुतमिश था |

*इल्तुतमिश के पिता का नाम ईलम खान था जो इल्वारी तुर्क सरदार थे |

*इल्तुतमिश की बेगम का नाम शाह तुर्कान था |

*इल्तुतमिश के पुत्र – नासिर उद दीन महमूद, रुकनुद्दीन फ़िरोज़शाह और मुईज़ उद दीन बहरामशाह थे |

*इल्तुतमिश की पुत्री का नाम रज़िया था |

*इल्तुतमिश का धर्म सुन्नी इस्लाम था |

*इल्तुतमिश को कुछ इतिहासकारों ने इल्वारी वंश का माना है तो कुछ इतिहासकारों ने शम्सी वंश का माना है |

*इल्तुतमिश को इल्वारी वंश तथा शम्सी वंश का संस्थापक माना जाता है |

*इल्तुतमिश को दिल्ली सल्तनत का वास्तविक संस्थापक भी माना जाता है |

इल्तुतमिश का प्रारम्भिक इतिहास

*क़ुतुब उद दीन ऐबक ने 1 लाख जीतल में इल्तुतमिश को ख़रीदा था |

*क़ुतुब उद दीन ऐबक ने सबसे पहले इल्तुतमिश को सर ए जहांदार (यानि अंगरक्षकों का प्रधान) के पद पर नियुक्त किया था |

*सर ए जहांदार ने बाद इल्तुतमिश को अमीर ए शिकार, ग्वालियर का अमीर और बदायूं का सूबेदार बनाया गया था |

*1205 ई. में, मुहम्मद गोरी ने खोक्खरों का दमन करने के लिए दिल्ली से कुछ सेना मंगवाई जिसमें क़ुतुब उद दीन ऐबक के साथ इल्तुतमिश भी था | इल्तुतमिश ने खोक्खरों को तलबार से काट – काट कर झेलम नदी में फेंक दिया था और इल्तुतमिश के इसी कार्य से प्रसन्न होकर मुहम्मद गोरी ने उसे अमीरुल उमरा की उपाधि धारण प्रदान की थी |

इल्तुतमिश का इतिहास

*इल्तुतमिश ने 1210 ई. में क़ुतुब उद दीन ऐबक के उत्तराधिकारी आरामशाह को पराजित कर दिल्ली का राजसिंहासन प्राप्त किया था |

*शासक बनने के बाद इल्तुतमिश ने सबसे पहले, अपनी राजधानी को लाहौर से दिल्ली स्थानांतरित किया था |

*इल्तुतमिश को पहला मुस्लिम शासक माना जाता है जिसने दिल्ली को राजधानी बनाया था |

*अवध में पिरथू का विद्रोह इल्तुतमिश के शासनकाल में ही हुआ था |

*इल्तुतमिश ने तुर्कान ए चहलगानी का गठन किया था जो इल्तुतमिश के वफ़ादार 40 गुलामों का संगठन माना जाता है |

*इल्तुतमिश के प्रधानमंत्री का नाम निजामुल्क जुनैद था |

*इल्तुतमिश को न्याय प्रिय शासक माना जाता है और इब्न बतूता के अनुसार – अगर किसी व्यक्ति को न्याय चाहिए होता था तो वह लाल वस्त्र पहनकर, महल के दरबाजे पर लगी घंटियों को बजाता था |

*भारत में इक्ता व्यवस्था की शुरुआत करने वाला पहला शासक इल्तुतमिश को ही माना जाता है |

*भारत में सबसे पहले शाही सेना का गठन करने वाला शासक भी इल्तुतमिश को ही माना जाता है जिसकी देख़ – रेख दीवान ए आरिज़ विभाग करता था |

*इल्तुतमिश के शासनकाल में सेनापति का कार्य स्वयं सुल्तान ही करता था |

*इल्तुतमिश के शासनकाल में सुल्तान के बाद काज़ी उल कुज़ात का पद सर्वोच्च होता था जो एक न्याय करने वाला अधिकारी होता था |

*भारत में शुद्ध अरबी सिक्के चलाने वाला पहला शासक इल्तुतमिश को ही माना जाता है |

*इल्तुतमिश ने चाँदी का टका और ताँबे का जीतल के सिक्के भी जारी किए थे |

*इल्तुतमिश के सिक्कों पर खलीफ़ा अल मुन्तसिर बिल्लाह का नाम अंकित किया गया था |

*इल्तुतमिश के कुछ सिक्कों पर शिव का नंदी और घुड़सवार भी अंकित था |

*1229 ई. में, बगदाद के खलीफ़ा अल मुन्तसिर बिल्लाह के द्वारा इल्तुतमिश को सुल्तान ए आज़म की उपाधि प्रदान की गई थी |

*भारत में सुल्तान की वैधानिक उपाधि प्राप्त करने वाला पहला शासक इल्तुतमिश को ही माना जाता है |

स्थापत्य कला एवं साहित्य

*इल्तुतमिश ने क़ुतुब मीनार का निर्माण कार्य पूरा करवाया था |

*इल्तुतमिश ने जोधपुर में अतारकिन के दरवाजे का निर्माण भी करवाया था |

*इल्तुतमिश ने अपने पुत्र नासिरुद्दीन महमूद की कब्र पर सुल्तानगढ़ी नामक मकबरे का निर्माण करवाया था जो भारत का प्रथम मकबरा माना जाता है |

*इल्तुतमिश ने दिल्ली में मदरसा ए मुइज्जी के नाम से मुहम्मद गोरी के नाम का मदरसा बनवाया था |

*नासिरी मदरसे का निर्माण भी इल्तुतमिश ने ही करवाया था |

*इल्तुतमिश के दरबार में मिन्हाज़ उस सिराज़ और मलिक ताजुद्दीन रहते थे |   

इल्तुतमिश के आक्रमण

*इल्तुतमिश ने 1216 ई. में गज़नी के शासक ताजुद्दीन यल्दूज़ को तराइन के मैदान में पराजित कर बंदी बना लिया था |

*1226 ई. में, इल्तुतमिश ने रणथम्भौर के अजेय किले पर विजय प्राप्त की थी |

*1228 ई. में, इल्तुतमिश ने सिन्ध/मुल्तान के शासक नासिर उद दीन कुबाचा के विरुद्ध आक्रमण किया लेकिन वह सिन्ध में स्थित भक्कर के किले में छिप गया था | नासिरुद्दीन कुबाचा ने अपने पुत्र बहराम को इल्तुतमिश के पास संधि प्रस्ताव लेकर भेजा था लेकिन इल्तुतमिश ने उसे ठुकरा दिया था और अंत में नासिरुद्दीन कुबाचा ने सिन्धु नदी में कूद कर आत्महत्या कर ली थी |

*1230 ई. में, इल्तुतमिश ने बंगाल को दिल्ली सल्तनत का हिस्सा बनाया और वहां का सूबेदार मलिक अलाउद्दीन जानी को बनाया था |           

*1231 ई. में, इल्तुतमिश ने ग्वालियर के राजा मंगल देव के विरुद्ध आक्रमण किया था और मंगल देव इसमें पराजित हुए |

*ग्वालियर विजय के बाद इल्तुतमिश ने संस्मारक मुद्रा जारी कर रज़िया सुल्तान को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था |

*1234 ई. में, इल्तुतमिश ने नागदा और अन्हिलवाडा पर आक्रमण किया लेकिन दोनों जगह से पराजय का सामना करना पड़ा था |

*30 अप्रैल 1236 ई. को बामियान जाते समय रास्ते में ही इल्तुतमिश की मृत्यु हो गई थी |      

 

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