अलबरुनी का इतिहास | तहकीक ए हिन्द | किताब उल हिन्द | Alberuni Ka Itihas |#1

अलबरुनी का इतिहास

*अलबरुनी का जन्म 5 या 15 सितम्बर 973 ई. को आधुनिक उज़्बेकिस्तान के बरुनी (ख्वारिज्म) में हुआ था

*अलबरुनी का पूरा नाम अबू रेहान मुहम्मद अहमद अलबरुनी था |

*अलबरुनी प्रारम्भ में ख्वारिज्म के शासक, ख्वारिज्म शाह के यहाँ राजनायिक पद पर कार्य किया करते थे |

*संभवता 1016 ई. में महमूद गज़नवी के द्वारा ख्वारिज्म पर विजय प्राप्त की गई उसी दौरान अलबरुनी से महमूद की मुलाकात हुई और अलबरुनी की प्रतिभा को देखकर महमूद उन्हें गज़नी लाया |

*महमूद गज़नवी के दरबार में अल उत्वी, बैहाकी, फ़िरदौसी, उन्सूरी रहते थे उसी में अलबरुनी को शामिल किया गया था |

*अलबरुनी, महमूद गज़नवी के साथ 1017 ई. में भारत आए थे |

*1017-1030 ई. के मध्य में वह भारत में रहे तथा इसी दौरान अलबरुनी ने तहकीक ए हिन्द ग्रन्थ की रचना अरबी भाषा में की |

*अलबरुनी पहले मुस्लिम विद्वान थे जिन्होंने हिन्दू ग्रंथों का अध्ययन किया था |

*अलबरुनी के द्वारा लिखे गए तहकीक ए हिन्द ग्रन्थ को किताब उल हिन्द के नाम से भी जाना जाता है |

अलबरुनी का तहकीक ए हिन्द

*तहकीक ए हिन्द में भारत के समाज एवं संस्कृति के बारे में, विस्तार से चर्चा की गई है जिसमें अच्छाई और बुराई दोनों का मिश्रण देखने को मिलता है |

*अलबरुनी ने भारत में रहकर कई स्थानों की यात्रा की और धर्म, समाज, रीति - रिवाज़, अन्ध विश्वास, पवित्र स्थानों आदि के बारे में विस्तार से वर्णन किया है |

*अलबरुनी ने तहकीक ए हिन्द में लिखा है - भारतीय लोग स्वयं को सर्वश्रेष्ठ मानते हैं उन्हें लगता है कि उनके जैसा देश पूरी दुनिया में नहीं है लेकिन जब उनसे किसी घटना के बारे में पूछा जाता है तो वह कहानियाँ गड़ने लगते हैं उन्हें न तो अपने राजाओं का इतिहास पता है और न ही किसी घटना का समय |

*अलबरुनी ने आगे लिखा है - जब दो ब्राह्मण बैठकर खाना खाते थे तो वह बीच में सफ़ेद कपड़ा रख लेते थे ताकि एक दूसरे का शरीर आपस में न मिले |

*अलबरुनी ने शूद्रों के बारे में लिखा है कि इनका जीवन बहुत दरिंदगी भरा होता था जिसमें ग्वाले, चर्मकार, चांडाल, मछुआरे, तेली, धोबी, नाई, बढई  आदि का उल्लेख किया है |

*अलबरुनी की मृत्यु 13 दिसम्बर 1048/50 ई. को गज़नी अफ़गानिस्तान में हुई थी |    

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