महमूद गज़नवी का इतिहास | सोमनाथ मंदिर आक्रमण | Mahmud Ghaznavi Ka Itihas |#1

 

ऐतिहासिक तथ्य

तारीख ए यामिनी

'तारीख ए यामिनी ग्रन्थ की रचना' महमूद गज़नवी के दरबारी कवि अल उत्बी के द्वारा अरबी भाषा में की गई थी | तारीख ए यामिनी ग्रन्थ में महमूद गज़नवी के पिता सुबुक्तगीन तथा महमूद गज़नवी के प्रारम्भिक इतिहास का उल्लेख किया गया है |

तारीख ए मसूदी

'तरीक ए मसूदी ग्रन्थ की रचना' महमूद गज़नवी के दरबारी कवि 'अबुल फज़ल मुहम्मद बिन हुसैन अल बैहाकी' के द्वारा की गई थी | तारीख ए मसूदी ग्रन्थ में महमूद गज़नवी के दरबार की जानकारियों का उल्लेख, विस्तार से किया गया है |

शाहनामा

'शाहनामा ग्रन्थ की रचना' महमूद गज़नवी के दरबारी कवि फ़िरदौस के द्वारा फ़ारसी भाषा में की गई थी और इस ग्रन्थ में महमूद गज़नवी की अच्छाई तथा बुराईयों का उल्लेख किया गया है | सर्वप्रथम शाहनामा ग्रन्थ में ही फ़ारसी भाषा का प्रयोग किया गया था इसीलिए इस ग्रन्थ के रचनाकार फ़िरदौस को 'फ़ारसी भाषा की नीव रखने वाला कवि' भी माना जाता है |

तहकीक ए हिन्द

'तहकीक ए हिन्द की रचना' अलबरूनी के द्वारा अरबी भाषा में की गई थी और 'अलबरूनी का वास्तविक नाम' अबू रेहान था | तहकीक ए हिन्द को किताब उल हिन्द के नाम से भी जाना जाता है और इसमें भारत के समाज तथा संस्कृति का अच्छा वर्णन किया गया है | 'तहकीक ए हिन्द का अंग्रेजी में अनुबाद' सचाऊ के द्वारा किया गया था और हिंदी में अनुबाद रजनीकांत शर्मा के द्वारा किया गया था |

 महमूद गज़नवी का परिचय

*'महमूद गज़नवी का जन्म' 1 या 2 नवम्बर 971 ई. को अफ़गानिस्तान के गज़नी में हुआ था |

*महमूद गज़नवी के पिता का नाम सुबुक्तगीन था जो गज़नी के शासक थे |

*महमूद गज़नवी का पूरा नाम 'यामीन उद दौलाह अब्दुल कासिम महमूद इब्न सुबुक्तगीन' था |

*महमूद गज़नवी को 'जबुली का महमूद' भी कहा जाता था क्योंकि उसकी माता जबुलिस्तान के शासक की पुत्री थी |

*महमूद गज़नवी का धर्म सुन्नी इस्लाम था |

*'महमूद गज़नवी का शासनकाल' 997 - 1030 ई. के मध्य में था |

*महमूद गज़नवी ने सुल्तान और यामीन उल मिल्लत की उपाधियाँ धारण की थीं |

*'महमूद गज़नवी का राज्याभिषेक' संभवता 1002 ई. में हुआ था क्योंकि पिता के द्वारा बांटे गए साम्राज्य से वह ख़ुश नहीं था | महमूद गज़नवी ने अपने छोटे भाई इस्माइल को पराजित करके उसके सम्पूर्ण साम्राज्य को अपने अधीन कर लिया था |

महमूद गज़नवी का इतिहास

*शासक बनने के बाद महमूद गज़नवी ने सबसे पहले सीस्तान के शासक खल्प बिन अहमद को पराजित कर उसके सम्पूर्ण साम्राज्य पर अधिकार कर लिया था |

*सीस्तान विजय के बाद महमूद गज़नवी ने सुल्तान की उपाधि धारण की थी |

*महमूद गज़नवी को सुल्तान की उपाधि धारण करने वाला पहला मुस्लिम शासक माना जाता है |

*महमूद गज़नवी ने हेरात, बल्ख, सीस्तान और ख़ुरासान पर विजय प्राप्त की थी |

*बगदाद के खलीफ़ा अल कादिर बिल्लाह ने महमूद गज़नवी को 'यामीन उल मिल्लत' (धर्म का रक्षक) की उपाधि प्रदान की थी |

*महमूद गज़नवी के द्वारा जारी किए गए प्रारम्भिक सिक्कों पर 'अमीर महमूद' लिखा हुआ है |

*महमूद गज़नवी के द्वारा भारत पर किए गए आक्रमणों को इतिहासकारों ने धन की लालसा बताया है लेकिन महमूद गज़नवी के दरबारी कवि अल उत्बी ने जिहाद (धर्म युद्ध) का नाम दिया है |

*हेनरी इलियट के अनुसार 'महमूद गज़नवी ने भारत पर 17 बार आक्रमण किया था' परन्तु कुछ इतिहासकार इस मत से सहमत नहीं हैं | 

महमूद गज़नवी के भारत पर आक्रमण

पहला आक्रमण

महमूद गज़नवी ने पहला आक्रमण 1000 ई. में अपने साम्राज्य के आस - पास के राज्यों पर किया था जिसमें कुछ राज्यों पर विजय भी हासिल की थी |

दूसरा आक्रमण

महमूद गज़नवी ने दूसरा आक्रमण 1001 ई. में पंजाब के हिन्दूशाही राजा जयपाल के विरुद्ध किया था | पेशावर के पास दोनों सेनाओं के मध्य युद्ध जिसमें जयपाल की पराजय हो गई थी और पराजय का अपमान न सह पाने के कारण जयपाल ने आत्महत्या कर ली थी |

तीसरा आक्रमण

महमूद गज़नवी ने तीसरा आक्रमण 1003 - 4 ई. में भेरा (वर्तमान नाम उच्छ) के राजा बजरा (वास्तविक नाम बाजीराम) के विरुद्ध किया था

चौथा आक्रमण

महमूद गज़नवी ने चौथा आक्रमण 1005 ई. में मुल्तान के शिया शासक फ़तेह दाउद के विरुद्ध किया था |

पांचवां आक्रमण

महमूद गज़नवी ने पांचवां आक्रमण 1005 - 6 ई. में आनंदपाल के पुत्र सुखपाल या सेवकपाल के विरुद्ध किया था |

छठा आक्रमण

महमूद गज़नवी ने छठा आक्रमण 1008 ई. में हिन्दूशाही राजा आनंदपाल के विरुद्ध किया था जिसमें आनंदपाल के द्वारा दिल्ली, अजमेर, उज्जैन, ग्वालियर, कन्नौज, कालिंजर की संयुक्त सेनाओं का संघ बनाया था परन्तु महमूद गज़नवी ने सभी को पराजित कर दिया था |

सातवाँ आक्रमण

महमूद गज़नवी ने सातवाँ आक्रमण 1009 - 10 ई. में नगरकोट के ज्वाला देवी मंदिर के विरुद्ध किया था जिसमें ज्वाला देवी के मंदिर को महमूद गज़नवी  के द्वारा बुरी तरह लूटा गया था |

आठवां आक्रमण

महमूद गज़नवी ने आठवां आक्रमण 1011 ई. में दोबारा से मुल्तान के विरुद्ध किया था |

नौवां आक्रमण

महमूद गज़नवी ने नौवां आक्रमण 1012 ई. में हरियाणा के थानेश्वर में स्थित चक्रास्वामी मंदिर के विरुद्ध किया था जिसमें महमूद गज़नवी ने मंदिर में लूट पाट मचाई थी |

दसवां आक्रमण

महमूद गज़नवी ने दसवां आक्रमण लाहौर के हिन्दूशाही राजा त्रिलोचनपाल के विरुद्ध किया था और उस समय हिन्दूशाही राजवंश की राजधानी नंदनपुर में थी |

ग्यारहवां आक्रमण

महमूद गज़नवी ने ग्यारहवां आक्रमण 1015 ई. में कश्मीर के विरुद्ध किया था जो एक असफ़ल आक्रमण था |

बारहवां आक्रमण

महमूद गज़नवी ने बारहवां आक्रमण 1018 ई. में कन्नौज के प्रतिहार राजा त्रिलोचनपाल के विरुद्ध किया था परन्तु उससे पहले महमूद ने बुलंदशहर, मथुरा और वृंदावन में लूट पाट मचाई थी |

तेरहवां आक्रमण

महमूद गज़नवी ने तेरहवां आक्रमण 1019 ई. में कालिंजर के राजा विद्याधर राव के विरुद्ध किया था |

चौदहवां आक्रमण

महमूद गज़नवी ने चौदहवां आक्रमण 1020 ई. में पंजाब के विरुद्ध किया था क्योंकि उस समय पंजाब में कोई राजा नहीं था और वहां पर अव्यवस्था फैली हुई थी | महमूद गज़नवी ने पंजाब में सिक्के जारी किए जिन पर घुड़सवार और नंदी का चित्र बना हुआ था | सर्वप्रथम महमूद गज़नवी ने ही भारतीय ढंग के सिक्के जारी किए थे जिन्हें दिल्लीवाला के नाम से भी जाना जाता है |

पन्द्रहवां आक्रमण

महमूद गज़नवी ने पन्द्रहवां आक्रमण 1022 ई. में ग्वालियर और फिर कालिंजर के विरुद्ध किया था |

सोलहवां आक्रमण

महमूद गज़नवी ने सोलहवां आक्रमण 1025 ई. में गुजरात में स्थित सोमनाथ मंदिर के विरुद्ध किया था जिसमें महमूद के द्वारा सोमनाथ के मंदिर को बुरी तरह लूटा गया था और अंत में मूर्ति को तोड़ दिया गया था | सोमनाथ मंदिर में लगे चन्दन के दरबाजे को भी महमूद उखाड़ ले गया था परन्तु अंग्रेजों के शासनकाल में अफ़गानिस्तान से वापस लाया गया था जो आज आगरा के लाल किले में रखा हुआ है |

सत्तरहवां आक्रमण

महमूद गज़नवी ने सत्तरहवां आक्रमण 1027 ई. में सिन्ध के जाट राजाओं के विरुद्ध किया था जिसमें महमूद गज़नवी ने जाट राजाओं को बुरी तरह सिन्ध से खदेड़ कर भगाया था |

महमूद गज़नवी के दरबारी कवि

महमूद गज़नवी के दरबार में अलबरूनी, फ़िरदौस, उन्सुरी, अल उत्बी, बैहाकी और फारुखी रहते थे परन्तु शाही दर्ज़ा केवल अल उत्बी ही प्रदान किया गया था |

महमूद गज़नवी की मृत्यु

महमूद गज़नवी की मृत्यु 30 अप्रैल 1030 ई. को अफ़गानिस्तान के गज़नी में हुई थी और वहीं पर उसे दफ़नाया भी गया था | महमूद गज़नवी का मकबरा गज़नी में ही है |    

 

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