ऐहोल प्रशस्ति
ऐहोल शिलालेख,
जिसे ऐहोल प्रशस्ति के नाम से भी जाना जाता है | प्रशस्ति का अर्थ – किसी की
प्रशंसा में लिखा हुआ लेख | यह प्रशस्ति कर्नाटक राज्य के ऐहोल शहर में स्थित
दुर्गा मंदिर और पुरातात्विक संग्राहालय से लगभग 600 मीटर दूर दक्षिण – पूर्व में
स्थित पहाड़ी की चोटी पर मेगुती जैन मंदिर की पूर्वी दीवार पर उत्कीर्ण की गई है |
प्राचीन कन्नड़ भाषा तथा चालुक्य लिपि में लिखी गई | इस प्रशस्ति को 634/35 ई. में कवि
रविकीर्ति ने बादामी के चालुक्य वंशीय राजा पुलकेशिन द्वितीय की प्रशंसा में लिखा
था | इस प्रशस्ति में 19 पंक्तियाँ हैं जिसमें अंतिम दो पंक्तियाँ बाद में किसी ने
जोड़ी हैं | 1870 के बाद से कवि रवि कीर्ति के द्वारा लिखी
गई इस प्रशस्ति को कई बार संशोधित, पुनः प्रकाशित और अनुवादित किया गया ।
यह शिलालेख अपने
ऐतिहासिक विवरणों के लिए मिथक के साथ मिश्रित है और विद्वानों की असहमति के कारण यह उल्लेखनीय भी है । 1876 में ऐहोल प्रशस्ति के लेख को संपादित और प्रकाशित करने वाला पहला व्यक्ति फ्लीट
को माना जाता है | हालांकि, त्रुटियों के होने कारण फ्लीट ने ऐहोल
की एक और यात्रा की | 1879 में अपने बेहतर अनुवाद के साथ एक
फोटो-लिथोग्राफ, पाठ का एक संशोधित संस्करण प्रकाशित किया ।
1901 में,
संस्कृत विद्वान कीलहॉर्न ने फ्लीट के सुझाव पर शिलालेख को
फिर से संपादित किया । उन्होंने फोटो-लिथोग्राफ का एक और उन्नत संस्करण प्रकाशित
किया ।
एहोल प्रशस्ति प्राचीन कथाओं को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करती है । लेखक रवि कीर्ति अपने संरक्षक
राजा पुलकेशिन द्वितीय की तुलना किंवदंतियों से
करता है, और खुद की तुलना कुछ महानतम कवियों
से करता है । एहोल प्रशस्ति के अनुवादकर किलहॉर्न के अनुसार, यह अतिशयोक्ति है, लेकिन भाषा की शुद्धता के अनुसार रवि
कीर्ति की काव्य रचना से पता चलता है कि वह अपने समय के दरबारी कवियों और
प्रशस्तियों के लेखकों के सबसे उच्च पद पर था । यह मेगुती जैन मंदिर का एक अभिन्न
अंग है,
और यह मेगुती जैन मंदिर के पूरा होने की घोषणा करती है । यह
प्रशस्ति जैन अभिवादन के साथ शुरू होती है ।
पुलकेशिन द्वितीय
का परिचय
*पिता का नाम – कीर्तिवर्मन
प्रथम
*राजसिंहासन –
609 ई.
*राजवंश –
बादामी/वातापी का चालुक्य वंश |
*शासनकाल – 609
से 642 ई.
*उपाधियाँ – सत्याश्रय,
परमभट्टारक, महाराजाधिराज, श्री पृथ्वी वल्लभ, परमेश्वर, दक्षिणापथेश्वर आदि |
*राजभाषा –
प्राचीन कन्नड़
*धर्म – जैन,
बौद्ध और हिन्दू
*उत्तराधिकारी –
आदित्यवर्मन (पल्लव राजाओं के अधीन)
*मृत्यु – 642 ई.
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