प्लेटो का जीवन और उनके विचार | Plato ka itihas in Hindi |

 


प्लेटो का परिचय 

*प्लेटो का वास्तविक नाम अरिस्तोक्लीज था |

*प्लेटो का जन्म 427 ई.पू. में यूनान के एथेंस शहर में हुआ था

*प्लेटो के पिता का नाम अरिस्टोन या अरिस्टन था |

*प्लेटो की माता का नाम पेरिक्टोन या पेरिक्शने था |

*प्लेटो के गुरु दार्शनिक सुकरात थे |

*प्लेटो का शिष्य अरस्तू को माना जाता है |

*प्लेटो की मृत्यु 347 ई. पू. में यूनान के एथेंस शहर में हुई थी |

प्लेटो का इतिहास

महान दार्शनिक सुकरात के विचारों से सबसे ज्यादा प्लेटो प्रभावित हुए थे | दार्शनिक सुकरात के सभी शिष्यों में सबसे ज्यादा प्रतिभावान प्लेटो ही थे और जिस समय सुकरात को मृत्युदंड दिया गया था, उस समय प्लेटो मात्र 28 वर्ष के थे | उस समय तक प्लेटों के अंदर राजनीतिक जीवन बिताने का विचार था, परंतु सुकरात को अन्यायपूर्ण मृत्यु दंड दिए जाने के बाद प्लेटो ने अपना विचार बदल दिया था | अब प्लेटो का सिर्फ एक ही उद्देश्य था कि ऐसे युवाओं को तैयार किया जाए जो एक नैतिक राज्य की स्थापना कर सकें प्लेटो अपना उद्देश्य पूरा करने के लिए 10 वर्ष तक मिस्त्र, इटली आदि स्थानों पर घूमते रहे |  

इसी बीच प्लेटो ने सेराक्यूज (आधुनिक इटली में) के शासक डायोनिसियस प्रथम के संपर्क में रहकर तानाशाही की सभी गतिविधियों का अच्छे से अध्ययन किया | 389 ई. पू. में प्लेटो सेराक्यूज से एथेंस वापस आए और उन्होंने वहां पर अकादमी नाम की एक शिक्षण संस्था खोली | इस शिक्षण संस्था के प्रधान स्वयं प्लेटो बने | प्लेटो ने अकादमी नाम की संस्था में दार्शनिक सुकरात के विचारों को पढ़ाना शुरू किया | प्लेटो सोच रहे थे कि अकादमी की शिक्षा के द्वारा एथेंस की शासन व्यवस्था में बदलाव किया जा सकता है | प्लेटो ने अपने शिक्षण संस्था में छात्रों को सबसे पहले गणित, ज्योतिष, संगीत, अर्थशास्त्र, राजनीति, नीतिशास्त्र आदि की शिक्षा देनी प्रारंभ की |

इन सभी शिक्षाओं में पारंगत होने के बाद छात्रों को अध्यात्म की शिक्षा दी जाती थी  | प्लेटो 367 ई. पू. में फिर से सेराक्यूज गए, परंतु तब तक डायोनिसियस प्रथम की मृत्यु हो चुकी थी | उसका उत्तराधिकारी डायोनिसियस द्वितीय के नाम से वहां पर शासन चला रहा था | प्लेटो को ऐसा लगा कि यह अच्छा मौका है काम करने का, क्योंकि शासक युवा है | उसे अपने विचारों से जल्द प्रभावित किया जा सकता है और एक नैतिक राज्य की स्थापना की जा सकती है | प्लेटो ने डायोनिसियस द्वितीय को अपने विचारों से प्रभावित करने का भरपूर प्रयास किया, परंतु सफलता नहीं मिली | उन्हें वापस एथेंस आना पड़ा |

प्लेटो 362 ई. पू. में अपना अंतिम प्रयास करने के लिए फिर से सेराक्यूज पहुंचे | डायोनिसियस द्वितीय को अपने विचारों से प्रभावित करने का बहुत प्रयत्न किया, परंतु इस बार भी उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा | इस बार प्लेटो बहुत निराश हो गए थे | उन्होंने अपना पूरा ध्यान अपनी शिक्षण संस्था अकादमी और अपने संवादों को लिखने में लगाया |

प्लेटो के महत्वपूर्ण संवाद 

ऐसा माना जाता है कि प्लेटो ने अपने जीवन के 42 वर्ष, युवाओं को शिक्षा देने और अपने संवाद लिखने में व्यतीत किए थे | प्लेटो के द्वारा लिखे गए सभी संवादों में केवल 36 संवाद ही प्राप्त हुए हैं | इन 36 संवादों में से आधुनिक विद्वान कुछ संवादों को प्लेटो के द्वारा लिखा हुआ नहीं मानते हैं | विद्वान ए. ई. टेलर ने 28 संवाद और विद्वान फ्रेडरिक कोपुल्स्टन ने केवल 24 संवादों को ही प्लेटो के द्वारा लिखा हुआ बताया है | विद्वान ऐसा मानते हैं कि प्लेटो के प्रारंभिक संवादों में दार्शनिक सुकरात के विचार हैं और बाद के संवादों में स्वयं प्लेटो के विचार हैं |

एपोलॉजी, क्रीटो, युथ्रीफेन, लैचेज, अयॉन, प्रोटेगोरस, कारमिडीज, लाइसिस, रिपब्लिक, सिम्पोजियम, फीडो, फिलैक्स, टाइमियस, लाज, फीड्स, थीटीटस, पारमेनाइटीज, सोफिस्ट, स्टेट्समेन, क्रीटियस, एपिनोमिस आदि प्लेटों के प्रमुख संवाद माने जाते हैं । प्लेटो के अधिकतर संवादों में दार्शनिक सुकरात की चर्चा की गई है, इसीलिए प्लेटो के संवाद सुकरातीय संवाद भी कहे जाते हैं । प्लेटो के संवादों से यह तय कर पाना बहुत मुश्किल का काम है कि किस संवाद में प्लेटो के स्वयं के विचार हैं | संवाद लाज को छोड़कर सभी संवादों में सुकरात के विचारों की चर्चा की गई है | फ़ीडो नाम के संवाद को विद्वान दार्शनिक सुकरात का नहीं मानते हैं, परंतु फ़ीडो में ही दार्शनिक सुकरात की अंतिम शिक्षाओं का वर्णन किया गया है | इन सभी संवादों में प्लेटो के ज्ञान सिद्धांत, आत्मा के विज्ञान, भौतिक दर्शन, प्रत्ययवाद, नैतिक दर्शन, राजनीति, कला और सौंदर्य संबंधी विचारों की चर्चा की गई है |

प्लेटो का भौतिक दर्शन

दार्शनिक सुकरात की भांति प्लेटो भी भौतिक विषयों में ज्यादा रुचि नहीं रखते थे | प्लेटो के टाइमियस नाम के संवाद में सृष्टि की रचना का वर्णन किया गया है, जिसमें कहा गया है कि ईश्वर ने सबसे पहले अग्नि, पृथ्वी, जल और वायु को तीन भागों में बांटा | ईश्वर ने अग्नि तथा पृथ्वी को अलग करके जल और वायु को उसके मध्य में रख दिया, इस प्रकार आकाश की उत्पत्ति हुई | ईश्वर ने आत्मा को आकाश के मध्य में रखकर इस पूरे जगत की रचना की  |

प्लेटो का ज्ञान सिद्धांत 

प्लेटो के थीटीटस नाम से संवाद से उनके ज्ञान संबंधी मत का पता चलता है | थीटीटस में कहा गया है कि प्रत्यक्ष ही ज्ञान है | दार्शनिक सुकरात इस विचार की आलोचना करते हैं | सुकरात कहते हैं कि प्रत्यक्ष को ही ज्ञान मान लेने से अप्रत्यक्ष ज्ञान की संभावना पूरी तरह से नष्ट हो जाती है |

प्लेटो का आत्मा विज्ञान

प्लेटो के सभी संवादों में आत्मा के संबंध में कुछ ना कुछ कहा गया है, परंतु प्लेटो के फ़ीडो, टाइमियस, फीड्स, लाज आदि संवादों में आत्मा के विषय में विस्तृत चर्चा की गई है | प्लेटो के इन संवादों में आत्मा के बारे में कहा गया है कि आदिदेव ने अमर आत्मा को उत्पन्न किया | आदिदेव के पुत्रों और देवताओं ने सबसे पहले आत्मा को चार भागों में बांटा | एक आत्मा को मनुष्य के सिर में, दूसरी आत्मा को ह्रदय में, तीसरी आत्मा को रीढ़ की हड्डी में और चौथी आत्मा को नाभि में स्थापित किया | नाभि में रहने वाली आत्मा सिर में रहने वाली आत्मा के अधीन होती है | इन चारों आत्माओं में केवल सिर में रहने वाली आत्मा ही अमर होती है

प्लेटो के नैतिक विचार

प्लेटो के नैतिक विचारों की चर्चा उनके लाज और फ्लेक्स नाम के संवादों में की गई है | प्लेटो ने अपने फ्लेक्स नाम के संवाद में मानव जीवन की सभी अच्छाइयों को 5 भागों में बांटा है | पहले भाग में संतुलन, मध्यम और उपयुक्त को रखा है | दूसरे भाग में कुशलता, सुंदरता और पूर्ण को रखा है | तीसरे भाग में बुद्धि और बुद्धिमत्ता को रखा है | चौथे भाग में कला, विज्ञान और उचित सहमति को रखा है | पांचवे भाग में सुख को रखा है |

प्लेटो बौद्धिक संतुलन को मानव जीवन का मुख्य लक्ष्य मानते थे, क्योंकि मन को संतुलित करने से योग्य विचार उत्पन्न होते हैं और ऐसा करने वाला व्यक्ति धीरे-धीरे अपनी बुद्धि का विकास करके बुद्धिमान बन सकता है | प्लेटो ने आगे की सभी अच्छाइयों की चर्चा अपने फ्लेक्स नाम के संवाद में विस्तार से की है | प्लेटो की नैतिक शिक्षा का वास्तविक अर्थ यही है | प्लेटो ने अपने लाज नाम के संवाद में बुद्धिमत्ता, न्याय और साहस को नैतिक गुण बताया है | प्लेटो इन गुणों को देवीय गुण भी मानते हैं | प्लेटो इन मानवीय अच्छाइयों को व्यवस्थित जीवन का उपकारक भी मानते हैं |

प्लेटो के राजनीति संबंधी विचार 

प्लेटो के राजनीति संबंधी विचारों का वर्णन उनके लाज और स्टेट्समेन नाम के संवादों में किया गया है  | प्लेटो मानते थे कि शहरों की व्यवस्था करना, नागरिकों को नैतिक रास्ते पर चलने की प्रेरणा देना ही राज्य का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए और प्लेटो शिक्षा के माध्यम से ऐसी व्यवस्था की उम्मीद करते थे | प्लेटो अपने स्टेट्समेन नाम के संवाद में कहते हैं कि राज्य के शासक को ऐसे अधिकारी नियुक्त करने चाहिए जो विवाह के पहले वर और वधु के गुणों की जांच करें | साथ ही प्लेटो यह भी मानते थे कि गैर कानूनी तरीके से होने वाले विवाहों को अवैध घोषित कर देना चाहिए |

प्लेटो के अनुसार बच्चों को पढ़ने के लिए ऐसी पुस्तकें दी जानी चाहिए जिनमें लड़ाई झगड़े का वर्णन ना किया गया हो, क्योंकि उन्हें पढ़कर बच्चों के अंदर लड़ाई झगड़े की प्रवृत्ति पैदा होती है | बच्चों को ऐसी पुस्तकें प्रदान की जानी चाहिए जिनमें महान व्यक्तियों के जीवन परिचय, देवताओं की प्रेरणादायक कहानियां, तर्क, विज्ञान आदि का वर्णन हो | प्लेटो के अनुसार शासक को बचपन से ही ऐसी शिक्षा दी जानी चाहिए कि वह अपने राज्य को अपना घर तथा जनता को अपने परिवार की भांति समझे, तथा उसे गणित, राजनीति, तर्क, विज्ञान, अध्यात्म आदि का भी ज्ञान होना चाहिए |

प्लेटो के कला और सौंदर्य संबंधी विचार 

प्लेटो ने अपने सोफिस्ट नाम के संवाद में कलाओं की विस्तृत रूप से चर्चा की है | प्लेटो कहते हैं कि संसार में पशुओं और वनस्पतियों को देखकर, हमें क्या विचार करना चाहिए? क्या हमें यह विचार करना चाहिए कि इन्हें ईश्वर ने बनाया है या इन्हें प्रकृति ने जन्म दिया है? प्लेटो विश्व को ईश्वर की कलाकृति मानते हैं | प्लेटो का पहला कलाकार ईश्वर है, जिसने स्वर्ग की रचना की | अमर आत्मा को बनाया | सृष्टि की शुरुआत की | इसी के तहत देवताओं ने संसार की उत्पत्ति की, जिसके द्वारा माननीय दुनिया का विकास हुआ

प्लेटो अपने फीड्स नामक संवाद में कहते हैं कि पृथ्वी पर आने से पहले आत्मा स्वर्ग में निवास करती है | स्वर्ग में आत्मा जब कोई गलत कार्य करती है तो वहां से उसे पृथ्वी पर भेज दिया जाता है | स्वर्ग से उतरी हुई आत्मा में देवीय संस्कार रहते हैं, उन्हीं संस्कारों के आधार पर उसे पृथ्वी पर सौंदर्य की झलक देखने को मिलती है |

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