सुकरात ने मृत्यु को ही क्यों चुना | सुकरात के अनमोल वचन | Socrates history in Hindi |

 

सुकरात का परिचय

नाम – सुकरात

जन्म – 470 ई. पू. एथेंस के अलोपेस में |

पिता का नाम – सोफरोनिसकस या सोफ्रोनिस्कस था जो पत्थर तराशने का काम करते थे |

माता का नाम – फैनॉरिट या फेनरेट था जो एक दाई थी |

पत्नी का नाम – ज़ेन्थिप या जेन्थिपे था |

पुत्रों के नाम – सोफ्रोनिसस, लेम्प्रोकल्स और मेनेक्सेनस |

पेशा – दार्शनिक, विचारक और शिक्षक |

शिष्य – प्लेटो और ज़ेनोफन |

मृत्यु – 399 ई. पू. (71 वर्ष की उम्र में)

जहर का नाम – हेमलॉक |   

सुकरात का इतिहास

सुकरात को एथेंस के सबसे अधिक प्रभावशाली और बुद्धिमान व्यक्तियों में से एक माना जाता था । सुकरात को अपने परिवार से भी ज्यादा दर्शनशास्त्र से बहुत प्रेम था । सुकरात की पत्नी जैन्थिप उनसे उम्र में लगभग 40 वर्ष छोटी थी । वह झगड़ालू और चिड़चिडे स्वभाव की महिला थी । सुकरात अपने शिष्यों को शिक्षा प्रदान करने के बदले कोई शुल्क नहीं लेते थे । सुकरात अपनी बुद्धिमानी के लिए इतने प्रसिद्ध थे कि लोग व्यावहारिक आचरण के मामले में और शिक्षा संबंधी समस्याओं के बारे में उनसे सलाह लेते थे । सुकरात अपने उपदेशों के अनुरूप ही जीवन जीना करना पसन्द करते थे । सुकरात का व्यक्तित्व ज्यादा आकर्षक नहीं था, परंतु वह अपने बौद्धिक ज्ञान से लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर लेते थे ।

399 . पू. में 507 नागरिकों के निर्णायक मंडल ने सुकरात पर अनआस्था और नास्तिकता का आरोप लगाया था । सुकरात पर कुकर्मी, राज्य के देवताओं में अनआस्था, एथेन की मान्यताओं के विपरीत व्यवहार एवं कार्य और बुरी से बुरी बातों को अच्छा दिखाने का प्रयास करने वाला व्यक्ति जैसे गंभीर आरोप लगाए गए । विचित्र सी बात यह थी कि जूरी ने सुकरात को मौका दिया था कि वह चाहे तो जुर्माना देकर इस आरोप से मुक्त हो सकता है, परंतु सुकरात ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था । सुकरात ने प्लेटो तथा अन्य छात्रों के निवेदन को भी ठुकरा दिया था । घातक विष का प्याला पीने से पहले सुकरात ने अंतिम दिन अपने मित्रों के साथ बिताए थे ।

सुकरात के विरुद्ध अभियोग पत्र मिलिटस, ऐनिटस और लाइकन नाम के व्यक्ति लाए थे । सुकरात ना तो कोई विधर्मी थे, न स्वेच्छाचारी या न परंपरा विरोधी, न ही कोई अज्ञेयवादी और न ही विश्वासी थे । जिस समय सुकरात को जहर दिया गया था, उस समय प्लेटो की उम्र 28 वर्ष थी । सुकरात की मृत्यु के बाद प्लेटो ने 40 वर्ष की उम्र में एथेंस के युवाओं को शिक्षा प्रदान करने के लिए एक स्कूल का निर्माण करवाया था, जिसे उस समय अकादमी कहा जाता था । बाद में बाइजेन्टाइन सम्राट जस्टीनियन ने इस अकादमी को बंद करवा दिया था ।

सुकरात के अनमोल विचार              

1.जीना महत्वपूर्ण नहीं है, लेकिन सही तरह जीना महत्वपूर्ण है ।

2.जो दुनिया को हिलाना चाहता है, पहले उसे ही हिल जाने दो ।

3.तुम्हें मेरी सलाह है कि शादी करो, यदि तुम्हें अच्छी पत्नी मिली, तो तुम सुखी रहोगे | यदि तुम्हें अच्छी पत्नी नहीं मिली तो तुम दर्शनिक बन जाओगे ।

4.एक बार औरत को आदमी के बराबर बना दो, औरत उससे बेहतर हो जाती है ।

5.हमारी प्रार्थना सामान्य रूप से आशीर्वाद के लिए होनी चाहिए, क्योंकि भगवान जानता है कि हमारे लिए सबसे अच्छा क्या है ।

6.सभी व्यक्तियों की आत्मा अमर है, लेकिन सच्चे लोगों की आत्माएं अमर और देवीय होती हैं ।

7.व्यक्ति चाहे शादी करे या सन्यासी बने अंत में उसे पछताना ही पड़ता है |

8.किसी से भी दोस्ती जल्दी मत करो, लेकिन जब भी करो तो मजबूती से करो और उस पर डटे रहो ।

9.मौत सभी मानवीय आशीर्वादों में से सबसे बड़ी है ।

10.लोगों के लेखन द्वारा खुद में सुधार करने का प्रयत्न करो, ताकि तुम्हें वह आसानी से हासिल हो जाए, जिसे दूसरों ने कड़ी मेहनत से पाया है ।

11.झूठे शब्द अपने आप में ही बुराई नहीं है. बल्कि वे आत्मा को भी बुराइयों से संक्रमित करते हैं ।

12.गहरी इच्छाओं से ही अक्सर घातक नफरत पैदा होती है ।

13.साहसी आदमी वह है जो भागता नहीं, दुश्मन के सामने डटा रहता है और उससे लड़ता है ।

14.सबसे अधिक अमीर व्यक्ति वो है जो प्रकृति की कम से कम दौलत में संतुष्ट है ।

15.इस समस्त संसार में सबसे बुद्धिमान व्यक्ति वो है, जो ये जानता है कि में कुछ भी नहीं जनता हूँ |

16.जो व्यक्ति अपने अन्दर अवगुण और दूसरे व्यक्तियों के अन्दर गुण देखता है, वही व्यक्ति महान होता है |

17.न्याय से पहले किसी व्यक्ति से अन्दर कुछ भी पसन्द नहीं किया जाना चाहिए |

18.में किसी भी व्यक्ति को कुछ भी नहीं सिखा सकता, में केवल उसकी सोच बदल सकता हूँ |

19. कोई व्यक्ति प्रत्येक वर्ष एक गलत आदत को छोड़ दे, तो वह कुछ ही वर्षों में भला व्यक्ति बन सकता है |

20.मूल्यहीन व्यक्ति केवल खाने पीने के लिए जीते हैं, परन्तु मूल्यवान व्यक्ति जीने के लिए खाते पीतें हैं |

21.जो व्यक्ति इस पार या उस पार का संकल्प लेता है, वही विजेता बन पाता है |

22.प्रश्न को अच्छे से समझ लेना ही आधा उत्तर है |

23.किसी व्यक्ति के लिए सिर्फ जीना मायने नहीं रखता, बल्कि सच्चाई के साथ जीना मायने रखता है |

24.इस दुनिया में सम्मान के साथ जीने का सबसे अच्छा तरीका है कि हम वो बने जो हम होने का दिखावा करते हैं |   

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