मिलिंद पन्हो या मिलिंद प्रश्न
*मिनांडर – भंते, ये संसार क्या है ?
*नागसेन – महाराज, जो पृथ्वी पर जन्म
लेता है | वो पृथ्वी पर ही मरता है, परन्तु मरने से पहले अपना अंश (बच्चे) छोड़
जाता है | ये प्रक्रिया सदियों से निरंतर चली आ रही है, और सदियों तक निरंतर चलेगी
| यही संसार है जो निरंतर असंख्य वर्षों तक चलेगा |
*मिनांडर – भंते, पाप और पुन्य क्या है
?
*नागसेन – महाराज, पाप वो कर्म है जिसे
करने से हमें बहुत ग्लानी (खेद) होती है और पुन्य वो कर्म है जिसे करने से हमें
बहुत प्रसन्नता मिलती है | यही पाप है, और यही पुन्य है |
*मिनांडर – भंते, कोई व्यक्ति अनजाने
में पाप करे और कोई व्यक्ति जानबूझकर पाप करे तो किसका पाप सबसे प्रबल होगा ?
*नागसेन – महाराज, यदि किसी लोहे के
टुकड़े को अत्याधिक गर्म किया जाए और फिर उसे कोई व्यक्ति जानबूझकर छूना चाहे तो वह
धीरे – धीरे उसकी तरफ हाथ बढ़ाएगा, क्योंकि उसे पता है लोहा बहुत गर्म है | हाथ जल
जाएगा | वहीँ अगर कोई अंजान व्यक्ति उस गर्म लोहे को छुएगा तो वह पूरी तरह अच्छे
से पकड़ने का प्रयास करेगा क्योंकि उसे पता ही नहीं है | लोहा अत्याधिक गर्म है,
इसीलिए सबसे ज्यादा उसी का हाथ जलेगा | महाराज इसी तरह कोई व्यक्ति जानबूझकर पाप
करता है, तो वह ये भी जनता है कि ये पाप का कर्म है, परन्तु वह कुछ समय के बाद उस
काम को बंद कर देगा, क्योंकि उसका मन विचलित होना शुरू हो जाएगा | वहीँ अगर कोई
व्यक्ति अन्जाने में पाप कर रहा है, तो वह तब तक पाप करता रहेगा | जब तक कि कोई
अन्य व्यक्ति उसे रोक न दे | इसीलिए सबसे ज्यादा पाप का भोगी वहीँ होगा |
मिनांडर - भंते देवदत्त को प्रव्रज्या किसने दी थी?
नागसेन - महाराज, आनंद, अनिरुद्ध, भद्दीय, भृगु,
किम्बित और उपालि को प्रव्रज्या भगवान बुद्ध ने ही दी थी ।
मिनांडर - भंते क्या भगवान बुद्ध को कभी कोई शारीरिक
कष्ट हुआ था?
नागसेन - हां महाराज, एक बार जब
वह राजगृह जा रहे थे, तब उन्हें वायु दोष हो गया था ।
मिनांडर - भन्ते, आपने कहा था सभी
लोगों को अपने बुरे कर्म का फल जरूर मिलता है, तो भगवान बुद्ध ने ऐसा कौन सा बुरा
कर्म किया था जो उन्हें वायु दोष मिला?
नागसेन - महाराज जब मौसम में परिवर्तन होता है तो
अधिकतर व्यक्तियों को जुकाम हो जाता है तो क्या यह उस व्यक्ति के बुरे कर्म का
नतीजा है ?
मिनांडर - नहीं भंते यह तो सामान्य बात है ।
नागसेन - महाराज इसी तरह जब कोई समण ध्यान करता है तो
वह सामान्यतः कम भोजन करता है, ताकि उसका ध्यान भंग ना हो ।
इस दौरान कभी-कभी उसे मौसम में परिवर्तन के कारण वायु दोष का
शिकार होना पड़ता है, परंतु यह किसी बुरे कर्म का फल नहीं है ।
मिनांडर - भगवान बुद्ध समाधि क्यों लगाते थे, जब उन्हें सब कुछ प्राप्त हो गया था तो समाधि लगाने की क्या आवश्यकता थी?
नागसेन - महाराज अभी आप किसी रोग से ग्रस्त हैं?
मिनांडर - नहीं भंते |
नाग
सेन - महाराज तो फिर आप
प्रतिदिन योग्य क्यों करते हैं?
मिनांडर - भंते मैं प्रतिदिन योग इसलिए करता हूं ताकि
मेरा शरीर स्वस्थ रहे ।
नागसेन - महाराज भगवान भी इसीलिए समाधि लगाते थे ताकि
वह अपने परम ज्ञान को सभी मनुष्यों को सिखा सकें । ताकि प्रत्येक मनुष्य ध्यान
साधना के बल से स्वयं को जान सके, अच्छाई और बुराई में फर्क
कर सके ।
मिनांडर - भंते क्या कोई व्यक्ति मृत्यु से बच सकता है?
नागसेन - महाराज भगवान बुद्ध ने कहा है | समस्त संसार
में कहीं भी कोई ऐसा स्थान नहीं है, जहां छिपकर मृत्यु के
हाथों से बचा जा सके । जिस व्यक्ति ने धरती पर जन्म लिया है, उसकी एक न एक दिन मृत्यु होनी निश्चित है । समस्त संसार में व्यक्ति चाहे
कितना भी शक्तिशाली क्यों ना हो, वो अपनी मृत्यु को पराजित
नहीं कर सकता, हां कुछ समय के लिए उसे स्थगित अवश्य कर सकता
है ।
मिनांडर - भंते क्या उपासक को हमेशा किसी भी भिक्खू का
आदर करना चाहिए?
नागसेन - महाराज उपासक को केवल उसी भिक्खू का आदर करना
चाहिए जो सदाचारी हो और आर्य सत्य का पालन करता हो ।
मिनांडर - भंते भगवान बुद्ध अहिंसा की बात क्यों करते थे?
नागसेन
- महाराज अगर आप हिंसा
में विश्वास रखते हैं, तो यह कुछ समय तक के लिए एक सही विकल्प साबित हो सकता है,
परंतु हिंसा बदले की भावना को जन्म देती है । आपने जो किया है,
जैसे किया है, उसको वैसे ही नष्ट किया जाएगा । भगवान ने स्वयं कहा
है राजाओं को पूरी तरह से अहिंसक नहीं होना चाहिए, क्योंकि
अगर कोई सर्प काटना बंद कर दे तो लोग उसे सताना शुरू कर देंगे ।
मिनांडर - भंते भगवान बुद्ध आत्महत्या को अपराध क्यों
मानते थे?
नागसेन - महाराज अगर कोई मनुष्य स्वहत्या करता है तो
उसे बार-बार जन्म लेने वाली पीड़ा से गुजरना पड़ता है । उसे
निर्वाण प्राप्त नहीं होता है, क्योंकि स्वहत्या करने वाले
व्यक्ति की कोई ना कोई इच्छा अधूरी अवश्य रह जाती है, और वही
इच्छा उसे दोबारा जन्म लेने पर विवश करती है ।
मिनांडर - भंते भगवान बुद्ध ब्राह्मण हैं या राजा हैं?
नागसेन - महाराज ब्राह्मण उसी को कहा जाता है जो स्वयं
अध्ययनशील रहकर दूसरे व्यक्तियों को अपने ज्ञान का दान करे । ब्राह्मण वो है जो
बुरे विचार और राग को नष्ट कर बिल्कुल शुद्ध हो गया हो । भगवान बुद्ध में यह सभी
गुण मौजूद हैं, इसीलिए भगवान ब्राह्मण हैं । महाराज, राजा वही होता है जो राज्य पाठ चलाता हो, और सभी जगह
अपनी सल्तनत बनाए रखता हो । भगवान बुद्ध भी देवताओं, श्रमण
और ब्राह्मणों के साथ सारे संसार में सल्तनत बनाए हुए हैं, इसीलिए
वो राजा हैं ।
मिनांडर - भंते क्या संसार में एक साथ दो बुद्ध हो सकते
हैं?
नागसेन - महाराज आपके दाएं हाथ में कितनी उंगलियां है?
मिनांडर - भंते 4 उंगलियां और एक
अंगूठा है ?
नागसेन - महाराज चार उंगलियों में से कोई एक उंगली,
दूसरी उंगली के समान है?
मिनांडर - नहीं भंते
नागसेन - महाराज इसी तरह प्रकृति का नियम है, एक बार में एक ही बुद्ध का जन्म होता है । अगर एक साथ दो बुद्ध जन्म लेंगे
तो प्रकृति का नियम ही बिगड़ जाएगा ।
मिनांडर - भंते गृहस्थ रहना अच्छा है या भिक्खू बन जाना
अच्छा है?
नागसेन - महाराज कोई गृहस्थ व्यक्ति अगर शिष्टाचार के
नियमों का पालन करे तो वह धर्म को जान सकता है, परंतु गृहस्थ
रहते हुए शिष्टाचार के नियमों का पालन करना अत्यंत कठिन काम है । गृहस्थ व्यक्ति
के अंदर मोह, लालच, माया, स्वार्थ, डर, भोग इत्यादि का
भंडार होता है । मोह, लालच, माया, स्वार्थ, डर, भोग में माहिर
रहने वाला व्यक्ति कभी भी धर्म को नहीं जान सकता, लेकिन जब
कोई व्यक्ति सन्यास की राह पर चलता है, तब उसे मोह, लालच, माया, स्वार्थ, डर, भोग इन सभी चीजों का त्याग करना पड़ता है और
त्याग करने वाला व्यक्ति ही धर्म को जान सकता है, फिर चाहे
वो गृहस्थ व्यक्ति हो या भिक्खू हो ।
मिनांडर - भंते क्या किसी अर्हत को शारीरिक और मानसिक
कष्ट होता है?
नागसेन - महाराज सर्दी, गर्मी,
भूख, प्यास, पखाना,
पेशाब, थकावट, बुढ़ापा
और मृत्यु को छोड़कर शारीरिक व मानसिक कष्ट पर उसे विजय प्राप्त होती है ।
मिनांडर - भंते जल को आग के ऊपर रखने से उसमें बुलबुल
खलखल - खलखल आदि की आवाज आती है, तो
क्या जल में प्राण होते हैं?
नागसेन - महाराज जल में कोई जीव या प्राण नहीं होता है
। आग की अधिक गर्मी के कारण जल में एक हरकत पैदा हो जाती है, जिससे उसमें बुलबुल खलखल जैसी आवाजें आने लगती है ।
मिनांडर - भंते क्या नगाड़े में जान होती है?
नागसेन - महाराज नगाड़े पर मरे हुए किसी जानवर की सूखी
खाल को चढाते हैं?
मिनांडर - हां भंते ।
नागसेन - महाराज तो क्या नगाड़े में जान है या सूखी खाल
में जान है?
मिनांडर - नहीं भंते ।
नागसेन - महाराज तो फिर नगाड़ा इतना गढ़ गढ़ाता क्यों
है ?
मिनांडर - भंते जब नगाड़े पर कोई पुरुष या महिला चोट
मारती है तब वह गढ़ गढ़ाता है ।
नागसेन - महाराज इसी तरह आग की अधिक गर्मी के कारण जल
खोलने लगता है, और उसमें से बुलबुल तथा खल खल जैसी आवाजें
आने लगती है, परंतु वास्तव में जल में कोई प्राण नहीं होता
है ।
मिनांडर - भंते क्या कोई गृहस्थ व्यक्ति अर्हत को
प्राप्त हो सकता है?
नागसेन - महाराज, मैं आपको पहले
ही बता चुका हूं कि गृहस्थ व्यक्ति के अंदर मोह, लालच, माया, स्वार्थ, डर, भोग का भंडार होता है, परंतु अगर कोई गृहस्थ
व्यक्ति इन सभी का त्याग कर दे, तो वह अवश्य ही अर्हत को
प्राप्त हो सकता है |
मिनांडर - भंते नास्ति भाव क्या है?
नागसेन - महाराज जो व्यक्ति किसी बात को स्वीकार करने
से पहले उस पर तर्क करे, सोचे, समझे
यही उसका नास्ति भाव है ।
मिनांडर - भंते क्या किसी व्यक्ति को नास्ति भाव का
प्रयोग करना चाहिए?
नागसेन - महाराज भगवान बुद्ध ने भी कहा है - मेरे
द्वारा कही हुई किसी बात को तुम मत मानो, जो बात तुम्हारे
तर्क पर खरी उतर जाए, बस उसे मानो । महाराज नास्ति भाव का
प्रयोग अवश्य करना चाहिए ताकि हम गलत तथ्यों को स्वीकार करने से बच सकें ।
मिनांडर - भंते आप निर्वाण प्राप्ति की बात करते हैं,
आखिर ये निर्वाण क्या है?
नागसेन - महाराज कोई व्यक्ति जन्म मरण के चक्र से बाहर
निकल जाए वही निर्वाण है ।
मिनांडर - भंते आप मानते हैं निर्वाण होता है, परंतु मैं कैसे मानूं?
नागसेन - महाराज हवा नाम की कोई चीज है?
मिनांडर - हां भंते |
नागसेन - महाराज हवा कैसी होती है और उसका रंग, आकार कैसा होता है, यह आप मुझे दिखा सकते हैं
?
मिनांडर - नहीं भंते, परंतु हवा
अवश्य होती है |
नागसेन - महाराज इसी तरह जो भिक्खू अर्हत को प्राप्त हो
जाता है, वो ये जान सकता है कि निर्वाण क्या होता है ।
मिनांडर - भंते क्या विनय के सभी नियम भगवान बुद्ध ने
बनाए थे?
नागसेन - महाराज विनय के सभी नियम भगवान ने नहीं बनाए
थे । भगवान ने केवल मूल विनय के नियम ही बनाए थे । बाद में समय-समय पर अर्हत प्राप्त भिक्खुओं ने विनय के नियमों को बनाया है |
मिनांडर - भंते भगवान ने विनय के सभी नियमों को एक साथ
क्यों नहीं बनाया?
नागसेन - महाराज क्या कोई बच्चा पंचविद्या की पूरी
शिक्षा को एक साथ ग्रहण कर सकता है?
मिनांडर - नहीं भंते ।
नागसेन - महाराज जब कोई सामान्य व्यक्ति धर्म की शरण
में आता है, तो उसे केवल विनय के सामान्य नियम ही बताए जाते
हैं । अगर एक साथ विनय के सभी नियमों को उसे बता दिया जाए तो वह व्यक्ति कभी भी
धर्म की शरण में नहीं आएगा । उसके मन में बार-बार विचार आएगा
कि इतने सारे नियमों को में कैसे स्वीकार करूंगा ।
मिनांडर - भंते सर्दियों की अपेक्षा गर्मियों में सूरज
की चमक अधिक क्यों रहती है?
नागसेन - महाराज सर्दियों के मौसम में आकाश धूल,
कोहरा और बादलों से भरा रहता है । इसी कारण सूरज की चमक कम होती है
। गर्मियों के मौसम में पृथ्वी शांत रहती है । आकाश में भूल और बादल कम होते हैं,
इसीलिए गर्मियों में सूरज की चमक अधिक होती है ।
मिनांडर - भंते ऐसी कौन सी चीजें हैं जिनका कभी दान नहीं
करना चाहिए?
नागसेन - महाराज 1.नशीली वस्तुओं
का कभी दान नहीं करना चाहिए ।
2.नाच गाना में कभी धन का दान नहीं करना चाहिए ।
3.स्त्री का दान नहीं करना चाहिए ।
4.हथियार का दान नहीं करना चाहिए ।
5.विष का दान नहीं करना चाहिए ।
मिनांडर - भंते सभी मनुष्य सोते समय जो सपने देखते हैं
क्या यह सपने सच होते हैं?
नागसेन - महाराज सपने अलग-अलग
प्रकार के होते हैं जैसे 1.देवताओं के प्रभाव में आकर सपने
आते हैं 2.बार बार
किसी कार्य के बारे में सोचने से उसके सपने आने लगते हैं 3.कभी-कभी जिसके बारे में सोचते भी नहीं है उसके भी सपने आते हैं 4.कुछ सपने पिछले जन्मों के कर्मों को दिखाते हैं 5.कुछ
सपने कामवासना से लिप्त होते हैं 6.कभी-कभी भविष्य में होने वाले कुछ कार्यों के सपने आते हैं । महाराज जो सपने
भविष्य में होने वाले कुछ कार्यों को दर्शाते हैं । वही सपने सच होते हैं और बाकी
सब में चित्त का निमित्त मात्र होता हैं |
मिनांडर - भंते काल मृत्यु और अकाल मृत्यु क्या है?
नागसेन - महाराज आपने आम का ऐसा पेड़ देखा है जिस पर फल
लगे हों?
मिनांडर - हां भंते।
नागसेन - महाराज तो आपने उस पेड़ के नीचे यह भी देखा
होगा कि कुछ हम पके हुए गिरते हैं और कुछ आम कच्चे गिरते हैं ।
मिनांडर - हां भंते जरूर देखा है ।
नागसेन - महाराज जो फल पके हुए गिरते हैं वह काल के
अनुसार गिरते हैं, और जो फल कच्चे गिरते हैं । उन्हें या तो
कोई पक्षी मुंह से काटकर गिरा देता है, या कोई व्यक्ति पत्थर
मार कर उसे गिरा देता है या फिर तेज आंधी तूफान के कारण गिर जाते हैं । महाराज इसी
तरह जो व्यक्ति अपनी उम्र पूरी होने के बाद मृत्यु को प्राप्त करता है । वह काल के
अनुसार मरता है, और जो व्यक्ति आत्महत्या या किसी दूसरे के
द्वारा हत्या के कारण मरता है, वह अकाल मृत्यु मरता है |
मिनांडर - भंते चक्रवर्ती राजा के 4 गुण क्या हैं ?
नागसेन - महाराज भगवान बुद्ध के चक्र के नियमों को धारण
करने वाला राजा ही चक्रवर्ती कहलाता है । चक्रवर्ती राजा के प्रमुख चार गुण
1.अपनी प्रजा का बिना भेदभाव किए ख्याल रखना 2.चक्रवर्ती राजा सभी धर्मों का सम्मान करता है फिर वह चाहे उसका विरोधी मत
ही क्यों ना हो 3.चक्रवर्ती राजा का साम्राज्य बहुत विशाल
होता है 4.चक्रवर्ती राजा अपने अंतिम समय में प्रव्रज्या
ग्रहण कर लेता है |
मिनांडर
की प्रव्रज्या
मिनांडर और नागसेन के प्रश्नोत्तर समाप्त हो जाने के बाद, राजा मिनांडर की सारी शंकाएं दूर हो गई थी । राजा मिनांडर ने अपने परिवार सहित नागसेन के चरणों पर अपना शीश रखकर प्रणाम किया और कहा - साधु साधु भंते नागसेन । मेरे अपराधों को क्षमा करें । भंते आज से लेकर जन्म भर के लिए मुझे अपना उपासक स्वीकार करें । इसके बाद मिनांडर ने अपनी राजधानी सागल/सियालकोट में भंते नागसेन के लिए एक विहार का निर्माण करवाया था | राजा मिनांडर ने अपने अंतिम समय में, अपना राजपाट अपने पुत्र को सौंप दिया था और संघ की शरण में चले गए थे |
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यह Post केवल प्रतियोगी परीक्षाओं के दृष्टी से लिखा गया है ....इस Post में दी गई जानकारी, भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त [CLASS 6 से M.A. तक की] पुस्तकों से ली गई है ..| कृपया Comment box में कोई भी Link न डालें.
प्राचीन इतिहास PDF – http://bit.ly/3G9U4ye
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