मेगास्थनीज की इंडिका और उसका विवरण | Megasthenes indica |

 


मेगास्थनीज की इंडिका और उसका विवरण

*आज मैं बात करने वाला हूं मेगास्थनीज के द्वारा लिखे गए इंडिका ग्रन्थ के बारे में, जिसकी रचना मौर्य वंश के राजा चंद्रगुप्त मौर्य के शासनकाल में, मेगास्थनीज के द्वारा की गई थी |

*मौर्य वंश के राजा चंद्रगुप्त मौर्य के शासनकाल को जानने के लिए या फिर यूं कहें कि उस समय के जम्बूदीप तथा आज के भारत को जानने के लिए इंडिका एक महत्वपूर्ण स्रोत मानी जाती है, जिसमें उस समय की सामाजिक स्थितियों से लेकर प्रशासन तक की चर्चा की गई है ।

*इंडिका आज मूल रूप में उपलब्ध नहीं है लेकिन उस समय के अनेक लेखकों ने इंडिका से इतने उदाहरण दिए हैं कि उन्हीं उदाहरणों को इकट्ठा करके जर्मन लेखक डॉ. शानबैक ने इंडिका की रचना जर्मन भाषा में की, इसके बाद मैक करिंडल ने उसका अंग्रेजी में अनुवाद किया और हिंदी में उसका अनुवाद कुलदीप कुमार के द्वारा किया गया है ।

*इस पुस्तक में कुछ व्यक्तिगत विचार कुलदीप कुमार के हैं, अगर उन विचारों पर भी ध्यान न दिया जाए तो ये पुस्तक भारतीय इतिहास के सम्बन्ध में अच्छी जानकारी प्रदान करती है | आइए शुरुआत करते हैं और जानते हैं कि इंडिका में क्या लिखा हुआ है भारत के बारे में । इस पोस्ट में कुछ ऐसे तथ्यों की चर्चा की जाएगी जो आप के दिमाग पर खरे नहीं उतरेंगे क्योंकि आपने आज तक जो मौर्य काल के बारे में सुना है वो आपको इस किताब में देखने को नहीं मिलेगा ।

मेगास्थनीज कौन था ?

*मेगास्थनीज का जन्म 350 ईसा पूर्व में एशिया माइनर (आधुनिक तुर्की) में हुआ था और ये फारस तथा बेबीलोन के शासक सेल्यूकस निकेटर के राजदूत थे जो मौर्य वंश के राजा चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में आए थे | उसी दौरान इन्होंने जो अपनी आंखों से देखा उसका विस्तार पूर्वक वर्णन अपने इंडिका नामक ग्रन्थ में किया था |

*आईए आगे बात करते हैं कि इंडिका में भारत के बारे में क्या लिखा हुआ है । सबसे पहले तो मैं आपको बता दूं कि उस समय हमारे देश का नाम भारत नहीं था, उस समय हमारे देश का नाम जम्बूदीप था और जम्बूदीप को ही मेगास्थनीज ने इंडिका के नाम से संबोधित किया है ।

1.भारत की सीमाएं

*मेगास्थनीज, उस समय के जम्बूदीप अर्थात आज के भारत की सीमाओं के बारे में बताते हैं कि इस देश का आकार चौकोर है, पूर्वी एवं दक्षिणी सीमाएं समुद्र से लगती हैं । उत्तर में हिमोदोस यानि बर्फ का देश है, पश्चिम में सिंध दरिया बहता है । सिंध दरिया के दूसरी ओर आर्य देश अर्थात आर्यवर्त है, जहां से पानी बहकर भारत के मैदानों में आता है ।

*इस देश में बड़े-बड़े पर्वत हैं और विशाल मैदान भी हैं, जहां पर मिट्टी बहुत उपजाऊ है । यहां के हाथी बहुत ताकतवर हैं, जिन्हें पकड़कर सेना के लिए प्रशिक्षित किया जाता है और इन्हीं हाथियों के कारण यहां के राजा युद्ध को आसानी से जीत लेते हैं । यहां के लोग मजबूत कद काठी के हैं, इसी कारण वह अन्य लोगों से अलग ही पहचान में आ जाते हैं । सोना, चांदी, तांबा, लोहा आदि भरपूर मात्रा में पाया जाता है ।

*मेगस्थनीज आगे लिखते हैं, यहां पर अकाल नहीं पड़ता है और हल जोतने वालों को पवित्र मनुष्य माना जाता है । दुश्मन देश का राजा भी हमला करते समय ना तो फसल को बर्बाद करता है और ना ही किसी किसान को चोट पहुंचाता है । यहां के लोग बहुत सौभाग्यशाली हैं, सांस लेने के लिए शुद्ध वायु मिलती है और दुनिया का सबसे उत्तम पानी पीने को मिलता है ।

भारत की सामाजिक स्थिति

*मेगास्थनीज आगे लिखते हैं कि राजा सेंड्रोकोट्स (चंद्रगुप्त मौर्य) ने आदेश जारी किया है कि किसी भी व्यक्ति को दास नहीं बनाया जाएगा, चाहे वह है किसी भी स्थिति में हो ।

*उस समय भारतीय समाज सात भागों - दार्शनिक, किसान, चरवाहे, कारीगर, सैनिक, निरीक्षक और पंच में विभाजित था ।

(A) दार्शनिक - यह समाज के सबसे ज्ञानी व्यक्ति होते थे और समाज में सबसे अधिक मान सम्मान इनका ही होता था । दार्शनिक बोत्ता (बुद्ध) को अपना आदर्श मानते थे तथा उसी का गुणगान किया करते थे |

(B) किसान – ये खेती का काम करने वाले होते थे, जिन्हें दार्शनिकों के बाद समाज में सबसे पवित्र व्यक्ति माना जाता था ।

(C) चरवाहे - पशुओं को चराना इनका काम होता था और ये गांव के बाहर तंबू लगाकर रहते थे ।

(D) कारीगर - इनसे राजा कर नहीं लेता था बल्कि इन्हें जीवन यापन के लिए भत्ता भी दिया जाता था क्योंकि युद्ध के समय ये हथियार बनाने का काम करते थे ।

(E) सैनिक - समाज में किसानों के बाद सबसे अधिक संख्या सैनिकों की थी ।

(F) निरीक्षक - इनका काम किसी भी महत्वपूर्ण घटना की जानकारी राजा को देना होता था ।

(G) पंच - यह समाज का सबसे छोटा समूह था लेकिन सबसे ज्यादा महत्व इसी समूह को दिया जाता था क्योंकि राजा के सलाहकार इसी समूह से चुने जाते थे ।

*मेगास्थनीज ने अपनी इंडिका में किसी भी वर्ण व्यवस्था और समाज में छुआछूत का वर्णन नहीं किया है ।

पाटलिपुत्र अर्थात आधुनिक पटना

*मेगास्थनीज ने पाटलिपुत्र को अपने इंडिका ग्रंथ में पोलीबोत्ता के नाम से संबोधित किया है । पोलीबोत्ता विशालतम नगर है, इस नगर की लंबाई 80 स्टेडिया अर्थात 15 किलोमीटर तथा चौड़ाई 15 स्टेडिया अर्थात 3 किलोमीटर तक है । इसके चारों ओर लकड़ी की सुरक्षा दीवार है और उस दीवार पर 570 मीनार तथा 64 द्वार हैं । प्रत्येक मीनार पर सुरक्षाकर्मी पहरा देते हैं । दीवार के पास ही गहरी खाई बनाई गई है, जिसमें शहर का गंदा पानी आ कर गिरता है ।

*इस नगर को राजा सेंड्रोकोट्स (चंद्रगुप्त मौर्य) पालिबुत के नाम से संबोधित करते थे । यहां के लोग चोरी नहीं करते हैं और बिना चौकसी के घर को खुला छोड़ जाते हैं ।

*राजा सेंड्रोकोट्स (चंद्रगुप्त मौर्य) के राज्य में अगर कोई व्यक्ति झूठी गवाही देता है तो उसका अंग काट दिया जाता है और जो व्यक्ति किसी का अंग भंग करता था, उसका वही अंग काट दिया जाता था ।

*अगर कोई व्यक्ति किसी कारीगर का हाथ काट दे, तोड़ दे या फिर आंख फोड़ दे तो ऐसे व्यक्ति को मृत्यु दंड दिया जाता था । राजा दिन में नहीं सोता था और रात में वह अलग-अलग स्थानों पर सोता था ताकि कोई उसे मार ना दे ।

*मेगास्थनीज के इंडिका में चाणक्य, कौटिल्य या विष्णुगुप्त के नाम का कोई उल्लेख नहीं हैं जो बहुत आश्चर्य की बात है क्योंकि आज हम चाणक्य को मौर्य वंश का संस्थापक मानते हैं | अगर चाणक्य न होते तो मौर्य वंश की स्थापना ही न होती | आज तक हम ऐसा ही पढ़ते आए हैं परन्तु मेगास्थनीज की इंडिका पढने के बाद अपना पूरा नजरिया बदल जाएगा |

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