कौन था सिकंदर | Sikandar kaun tha |

 

सिकन्दर कौन था ?

*आइए बात करते हैं सिकंदर के बारे में, दरअसल जिसे हम सिकंदर के नाम से जानते हैं उसका नाम सिकंदर नहीं था । उसका वास्तविक नाम अलेक्जेंडर तृतीय था ।

*वैसे अलेक्जेंडर के अलावा उसे कई और नामों से भी जाना जाता है जैसे अलेक्जेंडर मेसिडोनियन, अलेक्जेंडर द ग्रेट, बैसिलेयस ऑफ मेसिडोन, हेगेमॉन ऑफ द हेलेनिक लीग, मिश्र का फेरो, फारस का शहंशाह, एस्कंदर ए मक्दुनी आदि ।

*अलेक्जेंडर को फारसी में एस्कंदर ए मक्दुनी कहा जाता है और एस्कंदर शब्द का ही बिगड़ा हुआ रूप है सिकंदर । मतलब साफ है कि जिसे हम आज सिकंदर के नाम से जानते हैं उसका वास्तविक नाम अलेक्जेंडर था, अलेक्जेंडर से एस्कंदर हुआ और एस्कंदर से सिकंदर ।

*सिकंदर का जन्म 20 या 21 जुलाई 356 ईसा पूर्व में पेला मेसिडोनया में हुआ था ।

*सिकंदर की मां का नाम ओलंपियस था और ओलंपियस के संबंध में, ऐसा माना जाता है कि वो एक तांत्रिक महिला थी ।

*सिकंदर के पिता का नाम फिलिप द्वितीय था जो मेसिडोनिया के शासक थे और ऐसा माना जाता है कि फिलिप द्वितीय की कई रानियां थी लेकिन उनमें से अधिकतर रानियों की हत्या सिकंदर की माँ के द्वारा कर दी गई थी ।

*सिकंदर की मां और पिता के मध्य आपसी रिश्ते अच्छे नहीं थे क्योंकि सिकंदर की मां हमेशा सिकंदर से कहती थी कि तुम देवता ज्यूस की संतान हो, फिलिप से तुम्हारा कोई संबंध नहीं है ।

*सिकंदर के गुरु का नाम अरस्तु था जो यूनान के प्रसिद्ध दार्शनिक थे । अरस्तु का जन्म 384 ई. पू. में स्टेगेरिया नाम के शहर में हुआ था | अरस्तु के पिता मकदूनिया के राजा के शाही वैध था और अरस्तु ने भौतिकी, अध्यात्म, राजनीति शास्त्र, नीति शास्त्र, कविता, नाटक, संगीत, तर्कशास्त्र, जीव विज्ञान आदि विषयों पर रचनाएं की थीं परंतु उनकी अधिकतर रचनाएं नष्ट हो चुकी हैं ।

*336 ईसा पूर्व में सिकंदर के पिता फिलिप द्वितीय की हत्या उसके ही अंग रक्षकों के कप्तान पॉसनीस के द्वारा कर दी गई थी । इसी समय सिकंदर को मेसिडोनिया का राजसिंहासन सौंपा गया था ।

*सिकंदर के राजा बनने के बाद उसने विश्व विजय की योजना बनाई और सबसे पहले एक मजबूत सेना का निर्माण किया ।

*सिकंदर ने सबसे पहले एशिया माइनर (जो आधुनिक तुर्की में) पर आक्रमण किया और उस पर विजय हासिल की ।

*एशिया माइनर पर विजय हासिल करने के बाद सिकंदर ने 332 ईसा पूर्व में मिश्र को अपने अधीन कर लिया था ।

*इसी समय सिकंदर ने नील नदी के मुहाने पर अलेक्जेंड्रिया नामक नगर को बसाया था ।

*331 ईसा पूर्व में सिकंदर ने बेबीलोन और उसके आसपास के क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया था ।

*इसके बाद सिकंदर ने फारस के शहंशाह डेरियस तृतीय के विरुद्ध आक्रमण किया । सिकंदर ने फारस की राजधानी पार्सिपोलिस को जलाकर खाक कर दिया था ।

*329 ईसा पूर्व में सिकंदर ने अफगानिस्तान वाले क्षेत्र पर अधिकार कर लिया था और इसके बाद बैक्ट्रिया (हिंदूकुश और आमू दरिया के बीच का क्षेत्र) की तरफ अपना ध्यान आकर्षित किया था ।

*इसी समय 328 ईसा पूर्व में सिकंदर ने बैक्ट्रिया की राजकुमारी रुक्साना के साथ विवाह किया था ।

*रुक्साना के साथ विवाह के बाद सिकंदर ने तक्षशिला की ओर अपना ध्यान आकर्षित किया परंतु उससे पहले उसे कई जनजातीय समूहों से युद्ध करना पड़ा ।

*सिकंदर से पहला मुकाबला भारत की अस्प सिओई जनजाति ने किया जिसमें उनकी हार हुई और उनके 40,000 से ज्यादा पुरुषों को सिकंदर के द्वारा मौत के घाट उतार दिया गया था ।

*सिकंदर का दूसरा मुकाबला नाईसा जनजाति से हुआ लेकिन उसने सिकंदर की अधीनता स्वीकार कर ली थी ।

*सिकंदर का अंतिम मुकाबला अस्सकेन जनजाति से हुआ जिसमें भयंकर युद्ध हुआ और अंततः सिकंदर की सेना ने अस्सकेन जनजाति के राज्य में खूब मारकाट मचाई थी ।

*अस्सकेन जनजाति पर विजय प्राप्त करने के बाद सिकंदर ने तक्षशिला की ओर प्रस्थान किया था ।

*उस समय तक्षशिला के राजा आम्भी थे जिनका राज्य सिंधु नदी और झेलम नदियों के बीच में फैला था ।

*तक्षशिला आधुनिक पाकिस्तान के रावलपिंडी जिले में है । आप जो सामने तस्वीर देख रहे हो, ये तक्षशिला विश्वविद्यालय की हैं और इसमें जो स्तूप आपको दिखाई दे रहा है उसे धम्मराजिका स्तूप कहते हैं । उस समय तक्षशिला को तक्कसिला के नाम से जाना जाता था ।

*तक्षशिला के राजा आम्भी ने सिकंदर की अधीनता स्वीकार कर ली थी और सिकंदर ने उसका राज्य वापस दे दिया था ।

*सिकंदर का अंतिम मुकाबला पंजाब के राजा पोरस से हुआ जो तक्षशिला के राजा आम्भी के परम शत्रु थे इसीलिए आम्भी ने पोरस को हराने के लिए सिकन्दर का साथ दिया था |

*पोरस ने सिकंदर के साथ युद्ध करने का निश्चय किया और विशाल सेना लेकर सिकंदर के सामने पहुँच गया | सिकन्दर ने पोरस की विशाल सेना को देखकर कहा - आज मेरा मुकाबला जंगली जानवरों जैसे असाधारण व्यक्तियों से हुआ है |

*सिकंदर और पोरस की सेनाओं के मध्य युद्ध हुआ, शुरुआत में पोरस ने सिकंदर को तगड़ी मात दी परन्तु अंत में वर्षा होने लगी जिसके कारण पोरस के हथियारों ने काम करना बंद कर दिया और सिकंदर की जीत का रास्ता साफ हो गया | कुछ समय में ही सिकन्दर ने पोरस की सेना को हरा दिया, और इस युद्ध को हाईडेस्पेश युद्ध के नाम से जाना जाता है | युद्ध हारने के बाद पोरस को सिकंदर के सामने उपस्थित किया गया, सिकन्दर ने पोरस से पूछा, तुम्हारे साथ कैसा व्यवहार किया जाए, तो पोरस ने उत्तर दिया - जैसा राजाओं के साथ किया जाता है |

*पोरस की ये बात सुनकर सिकंदर ने पोरस का सारा राज्य वापिस कर दिया था | सिकंदर 19 महीनों तक जम्बूदीप (आधुनिक भारत) में रहा और उस दौरान सिकन्दर ने सिन्ध (आधुनिक पाकिस्तान में) के सभी राजाओं को अपने अधीन कर लिया था | इसके बाद सिकंदर ने आगे बढ़ने का निश्चय किया परन्तु वहां के स्थानीय राजाओं ने सिकंदर की सेना को पहले ही बता दिया था कि अभी तो शुरुआत है, मगध बहुत दूर है उससे पहले कई राजाओं से तुम्हारा युद्ध होगा तथा मगध के पास हमसे भी बड़ी विशाल सेना है जिसे तुम हरा नहीं सकते |

*सिकंदर ने अपनी सेना को आगे बड़ने के लिए बहुत प्रोत्साहित किया परन्तु सिकन्दर की सेना ने मगध की सीमा में प्रवेश करने से इंकार कर दिया था और अंत में सिकन्दर को मजबूर होकर वापस मकदूनिया लौटना पड़ा परन्तु 10 या 11 जून 323 ई. पू. को बेबीलोन (आधुनिक ईराक में) में सिकन्दर की बुखार के कारण मृत्यु हो गई  |

*सिकंदर की मृत्यु के बाद मेसिडोनिया का राज्य उसके पुत्र को प्रदान किया गया तथा परसिया (ईरान) का साम्राज्य सिकंदर के सेनापति सेल्यूकस निकेटर को प्रदान किया गया था |

*सिकंदर का शासनकाल 336 – 323 ई. पू. के मध्य में था |

*सिकंदर का साम्राज्य पृथ्वी के 15% भाग पर फैला हुआ था |

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