सूफीवाद का इतिहास
*सूफी
शब्द की उत्पत्ति के सम्बन्ध में इतिहासकार एक मत नहीं हैं क्योंकि कुछ
इतिहासकारों का मानना है कि सूफी शब्द की उत्पत्ति अरबी भाषा के सफा शब्द से हुई
है |
*सफा
का अर्थ पवित्र होता है परन्तु कुछ अन्य इतिहासकारों का मानना है कि सूफी शब्द की
उत्पत्ति यूनानी भाषा के सोफिया शब्द से हुई है |
*सोफिया
शब्द का अर्थ ज्ञान होता है परन्तु इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार सूफी शब्द की
उत्पत्ति मुहम्मद साहब के समय में प्रचलित शब्द सूक्फ़ से मानी जाती है |
*सूक्फ़
का अर्थ राग और द्वेष का त्याग करने वाला पवित्र व्यक्ति होता है या वो व्यक्ति
जिसने अपना पूरा जीवन खुदा के लिए समर्पित कर दिया हो |
सूफीवाद का उद्देश्य
*सूफीवाद
का मुख्य उद्देश्य प्रेम और भक्ति के माध्यम से मानवता की सेवा करना माना जाता है
परन्तु सूफी संत आन्तरिक क्रियाओं के बल पर खुदा और व्यक्तियों के बीच सम्बन्ध
स्थापित करने पर ज्यादा बल देते हैं |
*सूफी
संत कुरान तथा शरीयत दोनों में विश्वास करते हैं परन्तु खलीफाई मान्यताओं को
मान्यता नहीं देते हैं इसीलिए मध्यकाल के दौरान कई शासकों ने सूफी संतों के खिलाफ़
आदेश भी दिए |
सूफीवाद के सिद्धांत
*सामान्य
रूप से सूफीवाद के दो प्रमुख सिद्धांत माने जाते हैं - एक मराफत का सिद्धांत और
दूसरा फ़ना का सिद्धांत |
*मराफत
का अर्थ अध्यात्म होता है जिसमें रहस्यमय ज्ञान को प्राप्त करने के लिए तर्क को
त्याग देना ही उचित समझा जाता है |
*फ़ना
का अर्थ स्वयं को पूरी तरह खुदा के अधीन कर देना होता है और फ़ना के सिद्धांत का
प्रतिपादन सबसे पहले अबू ज़यीद ने किया था |
सूफी
सम्प्रदाय
*सूफीवाद
के अन्तर्गत बहुत सी शाखाएं हैं जिन्हें सिलसिला के नाम से जाना जाता है |
*भारत
में सबसे पुराना सिलसिला, चिश्ती सिलसिला को माना जाता है तथा इसे अत्यंत उदारवादी
सिलसिला भी कहा जाता है |
*सभी
सूफी सिलसिलों में नक्शबंदी सिलसिला को सबसे कट्टरपंथी सिलसिला माना जाता है
क्योंकि नक्शबंदी सिलसिला के अनुयायी संगीत तथा गाने - बजाने के विरोधी माने जाते
हैं |
भारत
में सूफीवाद
*भारत
में सूफियों का आगमन महमूद गजनवी के आगमन के साथ माना जाता है क्योंकि भारत में
सबसे पहले आने वाले सूफी संत शेख़ इस्माइल थे जिन्होंने लाहौर को अपना स्थान बनाया
था |
*सूफीवाद
को मूल भारत में लाने का श्रेय 12वी शताब्दी में मुहम्मद गौरी के साथ आने वाले,
ख्वाज़ा मुईनुद्दीन चिश्ती को दिया जाता है |
भारत
में चिश्तिया सम्प्रदाय
*चिश्तिया
सम्प्रदाय का मूल संस्थापक कौन था इसके सम्बन्ध में इतिहासकार एक मत नहीं हैं
क्योंकि कुछ इतिहासकार ख्वाज़ा अबू इस्हाक़ को चिश्तिया सम्प्रदाय का मूल संस्थापक
मानते हैं परन्तु वहीं इस्लामिक विद्वान चिश्तिया सम्प्रदाय का मूल संस्थापक
ख्वाज़ा अबू अब्दाल चिश्ती को मानते हैं |
*भारत
में चिश्ती सम्प्रदाय का संस्थापक ख्वाज़ा मुईनुद्दीन चिश्ती को माना जाता है |
चिश्ती
सम्प्रदाय के प्रमुख संत
ख्वाज़ा
मुईनुद्दीन चिश्ती का इतिहास
*ख्वाज़ा
मुईनुद्दीन चिश्ती का जन्म 1143 में ईरान के सीस्तान में हुआ था |
*ख्वाज़ा
मुईनुद्दीन चिश्ती को ख्वाज़ा हारून उस्मान का शिष्य माना जाता है और उन्हीं के
आदेश पर ख्वाज़ा मुईनुद्दीन चिश्ती, मुहम्मद गौरी के साथ 1192 में भारत आए थे |
*भारत
आकार ख्वाज़ा मुईनुद्दीन चिश्ती ने अपना निवास स्थान राजस्थान के अजमेर में बनाया
और वहीं से भारत में चिश्तिया सम्प्रदाय की नीव डाली थी |
*ख्वाज़ा
मुईनुद्दीन चिश्ती के दो परम शिष्य, शेख़ हमीद उद दीन नागौरी और क़ुतुब उद दीन
बख्तियार काकी थे |
*1236
में ख्वाज़ा मुईनुद्दीन चिश्ती की मृत्यु राजस्थान के अजमेर में हुई थी |
ख्वाज़ा
कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी का इतिहास
*ख्वाज़ा
कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी का जन्म 1186 में आधुनिक उज्बेकिस्तान के फ़रगना में हुआ
था |
*ख्वाज़ा
कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी, सुल्तान इल्तुतमिश के शासनकाल में भारत आए थे |
*सुल्तान
इल्तुतमिश के विशेष प्रार्थना करने पर ख्वाज़ा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी ने दिल्ली
को अपना निवास स्थान बनाया था |
*सुल्तान
इल्तुतमिश के शासनकाल में जब, कुतुबमीनार का निर्माण कार्य पूरा हुआ तो सुल्तान
इल्तुतमिश ने ख्वाज़ा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी ने नाम पर ही इसका नाम कुतुबमीनार
रखा था |
*ख्वाज़ा
कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी के प्रमुख शिष्य शेख़ फरीद और शेख़ बदरुद्दीन गजनवी थे |
*1236
में ख्वाज़ा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की मृत्यु दिल्ली में हुई थी |
शेख़
हमीद उद दीन नागौरी का इतिहास
*शेख़
हमीद उद दीन नागौरी, ख्वाज़ा मुईनुद्दीन चिश्ती के परम शिष्यों में से एक थे |
*शेख़
हमीद उद दीन नागौरी ने अपना निवास स्थान राजस्थान के नागौर में बनाया था |
*शेख़
हमीद उद दीन नागौरी को सुल्तान तारीकीन अर्थात सन्यासियों का सुल्तान भी कहा जाता
है |
शेख़
फ़रीद उद दीन गंज ए शकर का इतिहास
*शेख़
फ़रीद उद दीन गंज ए शकर का जन्म 1175 में आधुनिक पाकिस्तान के मुल्तान में हुआ था |
*शेख़
फ़रीद उद दीन गंज ए शकर को बाबा फरीद के नाम से भी जाना जाता था |
*सिख
धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव भी बाबा फरीद से बहुत प्रभावित थे इसी कारण गुरु
अर्जुन देव ने गुरु ग्रन्थ साहिब में बाबा फरीद के कथनों को शामिल किया था |
*बाबा
फरीद के प्रमुख शिष्य शेख़ निजामुद्दीन औलिया थे जिन्हें बाबा फरीद ने अपना
उत्तराधिकारी बनाया था |
*बाबा
फरीद ने अपने अंतिम समय में दिल्ली के शासक बलबन की पुत्री हुसेरा से निकाह कर
लिया था |
*1265
में बाबा फरीद की मृत्यु पंजाब के पाकपाटन में हुई थी |
शेख़ निजामुद्दीन औलिया का इतिहास
*शेख़
निजामुद्दीन औलिया का जन्म 1236 में उत्तर प्रदेश के बदायूं में हुआ था |
*शेख़
निजामुद्दीन औलिया को महबूब ए इलाही अर्थात खुदा का प्रेमी, सुल्तान उल औलिया
अर्थात संतों का राजा आदि के नामों से भी जाना जाता था |
*चिश्तिया
सम्प्रदाय में सबसे लोकप्रिय संत, शेख़ निजामुद्दीन औलिया को ही माना जाता है |
*चिश्तिया
सम्प्रदाय का भारत में सबसे ज्यादा प्रचार - प्रसार शेख़ निजामुद्दीन औलिया के समय
में ही हुआ था |
*शेख़
निजामुद्दीन औलिया के प्रमुख शिष्य अमीर खुशरो, शेख़ बुरहान उद दीन गरीब, नासिर उद
दीन चिराग ए देहलवी आदि प्रमुख थे |
शेख़
बुरहानुद्दीन गरीब का इतिहास
*शेख़
बुरहानुद्दीन गरीब को दक्षिण भारत में चिश्तिया सम्प्रदाय का संस्थापक माना जाता
है |
*शेख़
बुरहानुद्दीन गरीब ने अपना निवास स्थान दौलताबाद को बनाया था |
*1326/27
में जब मुहम्मद बिन तुगलक के द्वारा राजधानी को दिल्ली से दौलताबाद में
स्थानान्तरित किया गया था तो उसी समय शेख़ बुरहानुद्दीन गरीब भी दिल्ली से दौलताबाद
चले गए थे |
*शेख़
बुरहानुद्दीन गरीब के समय में दौलताबाद शिक्षा का प्रमुख केन्द्र था |
शेख़
नासिरुद्दीन चिराग ए देहलवी का इतिहास
*शेख़
नासिरुद्दीन चिराग ए देहलवी को उत्तर भारत का अंतिम महान चिश्तिया संत माना जाता
है |
*शेख़
नासिरुद्दीन चिराग ए देहलवी को चिश्तिया सम्प्रदाय का चमत्कारी संत माना जाता है |
ख्वाज़ा
सैय्यद मुहम्मद गेसुदराज का इतिहास
*ख्वाज़ा
सैय्यद मुहम्मद गेसुदराज को बड़े बालों के कारण गेसूदराज के नाम से जाना जाता था |
*गेसूदराज
ने अपना निवास स्थान कर्नाटक के गुलबर्गा में बनाया था |
*बहमनी
शासक फिरोजशाह बहमन के विशेष अनुरोध पर गेसूदराज दक्षिण भारत में चिश्तिया
सम्प्रदाय का प्रचार - प्रसार करने गए थे |
*गेसूदराज
के द्वारा ही फारसी लिपि में उर्दू की पहली पुस्तक मिरात उल आशिक़ी की रचना की गई
थी |
शेख़
सलीम चिश्ती का इतिहास
*शेख़
सलीम चिश्ती को शेख़ उल हिन्द के नाम से भी जाना जाता है |
*शेख़
सलीम चिश्ती, मुग़ल बादशाह अकबर के गुरु थे और ऐसा माना जाता है कि उन्हीं के
आशीर्बाद से सलीम अर्थात जहाँगीर का जन्म हुआ था |
*शेख़
सलीम चिश्ती ने अपना निवास स्थान आगरा के पास फतेहपुर - सीकरी में बनाया था |
*शेख़
सलीम चिश्ती ने 24 बार मक्का की यात्रा की थी |
*शेख़ सलीम चिश्ती को चिश्तिया सम्प्रदाय का अंतिम उल्लेखनीय संत माना जाता है क्योंकि इनके बाद चिश्तिया सम्प्रदाय भी कई भागों में विभाजित हो गया था |
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यह Post केवल प्रतियोगी परीक्षाओं के दृष्टी से लिखा गया है ....इस Post में दी गई जानकारी, भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त [CLASS 6 से M.A. तक की] पुस्तकों से ली गई है ..| कृपया Comment box में कोई भी Link न डालें.
प्राचीन इतिहास PDF – http://bit.ly/3G9U4ye
मध्यकालीन इतिहास PDF – http://bit.ly/3LGGovu
आधुनिक इतिहास PDF – http://bit.ly/3wDnfX3
सम्पूर्ण इतिहास PDF – https://imojo.in/1f6sRUD