लॉर्ड इरविन का इतिहास | साइमन कमीशन | गाँधी इरविन समझौता | lord irwin history in hindi |

 

लॉर्ड इरविन का परिचय

लॉर्ड इरविन, भारत के पहले ऐसे वायसराय थे जिनके कार्यकाल में साइमन कमीशन, बारदौली सत्याग्रह, नेहरू रिपोर्ट, साण्डर्स की हत्या, केन्द्रीय विधानसभा बम कांड, महात्मा गाँधी की दांडी यात्रा, सविनय अवज्ञा आन्दोलन, प्रथम गोलमेज सम्मलेन, गाँधी - इरविन समझौता, भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी की सजा जैसी घटनाएँ हुई थीं |

लॉर्ड इरविन का इतिहास

*लॉर्ड इरविन का जन्म 16 अप्रैल 1881 को इंग्लैंड में हुआ |

*लॉर्ड इरविन के कार्यकाल में ही 3 फरवरी 1928 को 7 सदस्यी साइमन कमीशन बम्बई पहुँचा था |

साइमन कमीशन

दरअसल, साइमन कमीशन ब्रिटिश संसद के द्वारा बनाया एक ऐसा कमीशन था जो भारत की राजनीतिक और आर्थिक स्थिति को जानने के लिए 8 नवम्बर 1927 को बनाया था जिसमें ब्रिटिश संसद के 7 सदस्य थे |

*सर जॉन साइमन, इस कमीशन के अध्यक्ष थे इसीलिए इस कमीशन को साइमन कमीशन के नाम से जाना जाता है |

*साइमन कमीशन 3 फरवरी 1928 को बम्बई पहुँचा लेकिन वहाँ भारतीय क्रांतिकारी नेताओं ने इसका विरोध किया तथा साइमन वापस जाओ के नारे लगाए | इसी दौरान 30 अक्टूबर 1928 को लाहौर में लाला लाजपत राय को पुलिस को लाठियों का शिकार होना पड़ा |

*साइमन कमीशन ने अपनी रिपोर्ट 27 मई 1930 को जारी की थी |

साइमन कमीशन की रिपोर्ट के प्रमुख तथ्य

1.प्रान्तों में द्वैध शासन को समाप्त किया जाए |

2.प्रान्तों में शासन के लिए चुनाव सम्प्रदाय के आधार पर होना चाहिए |

3.प्रान्तों के शासन में मुस्लिमों प्रतिनिधियों की संख्या में वृद्धि की जाए |

4.भारत के लिए एक संविधान का निर्माण किया जाए |

5.गरीब और अल्पसंख्यकों को विशेष अधिकार प्रदान किए जाएँ |

*अंग्रेजों के द्वारा दी गई संविधान निर्माण की चुनौती कांग्रेस के नेताओं ने स्वीकार की और 28 फरवरी 1928 को दिल्ली में तथा 19 मई 1928 को बम्बई में सर्वदलीय सम्मलेन हुआ जिसमें संविधान का मसौदा (प्रारंभिक रूप) तैयार करने के लिए एक 8 सदस्यों वाली समिति का गठन किया गया और इस समिति का अध्यक्ष पण्डित मोतीलाल नेहरु को बनाया गया तथा इसी समिति के द्वारा बनाए गए संविधान के मसौदे को भारतीय इतिहास में नेहरू रिपोर्ट के नाम से जाना जाता है |

*लाहौर के पुलिस अधीक्षक जेस्म ए स्कॉट ने साइमन कमीशन का विरोध करने पर लाला लाजपत राय पर लाठियां बरसाईं थी जिससे उनकी मृत्यु हो गई | इसी का बदला लेने के लिए चन्द्रशेखर आजाद, भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव ने जेस्म ए स्कॉट की हत्या करने का फ़ैसला किया और 17 दिसम्बर 1928 को लाहौर रेलवे स्टेशन पर जेस्म ए स्कॉट समझकर साण्डर्स की हत्या कर दी थी |

*लॉर्ड इरविन के कार्यकाल 1928 में ही बारदौली सत्याग्रह की घटना हुई थी |

बारदौली सत्याग्रह

दरअसल, बारदौली एक शहर का नाम है जो गुजरात के सूरत जिले के अन्तर्गत आता है जिसका वास्तविक नाम बारडौली है | 1928 में प्रान्तीय सरकार के द्वारा किसानों के लगान में 25% या 30% की वृद्धि कर दी गई जिससे बारदौली के किसानों ने प्रान्तीय सरकार के विरुद्ध आन्दोलन कर किया था |

*इस आन्दोलन का नेतृत्व वल्लभ भाई पटेल कर रहे थे | बाद में प्रान्तीय सरकार ने लगान को कम करके, इस आन्दोलन को समाप्त कराया गया | इस आन्दोलन की सफलता से खुश होकर बारदौली की महिलाओं ने वल्लभ भाई पटेल को सरदार की उपाधि प्रदान की और यहीं से उनका नाम सरदार वल्लभ भाई पटेल हो गया था |

*पण्डित जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस का 45वाँ अधिवेशन 29 से 31 दिसम्बर 1929 को लाहौर में रावी नदी के किनारे हुआ था |

*31 दिसम्बर 1929 की रात में रावी नदी के किनारे पण्डित जवाहरलाल लाल नेहरू ने पूर्ण स्वतंत्रता का झन्डा फहराया और कहा कि स्वराज शब्द का मतलब होता है पूरी स्वतंत्रता |

*कांग्रेस के इसी अधिवेशन में 26 जनवरी 1930 को स्वतंत्रता दिवस मनाए जाने का फ़ैसला भी लिया गया था |  

*8 अप्रैल 1929 को भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने केन्द्रीय विधानसभा (वर्तमान में संसद भवन) में बम फेंका था और उस समय केन्द्रीय विधानसभा में व्यापार विवाद विधेयक और सार्वजानिक सुरक्षा विधेयक पर बहस चल रही थी, इसके बाद भगत सिंह, बटुकेश्वर दत्त तथा अन्य क्रांतिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया था | 

*जनवरी 1930 में महात्मा गाँधी ने लॉर्ड इरविन को पत्र लिखा जिसमें तमाम करों को समाप्त करने का आग्रह किया गया था लेकिन लॉर्ड इरविन ने महात्मा गाँधी के पत्र पर कोई विचार नहीं किया |

*14 फरवरी 1930 को महात्मा गाँधी के द्वारा अहमदाबाद के साबरमती आश्रम में एक बैठक बुलाई और सविनय अवज्ञा आन्दोलन को शुरू करने का निश्चय किया |

*12 मार्च 1930 को महात्मा गाँधी ने 78 या 79 समर्थकों के साथ अपने साबरमती आश्रम से दांडी (नवसारी शहर के पास अरब सागर के किनारे) के लिए पैदल यात्रा शुरू की |

*6 अप्रैल 1930 को महात्मा गाँधी ने दांडी पहुँचकर नमक कानून का बहिष्कार किया और महात्मा गाँधी की इसी यात्रा को, भारतीय इतिहास में दांडी - मार्च का नाम दिया गया है और वास्तविक तौर से, सविनय अवज्ञा आन्दोलन की शुरुआत यहीं से हुई थी |

*7 अक्टूबर 1930 को अदालत के द्वारा भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को फांसी की सुनाई गई थी |

*12 नवम्बर 1930 को प्रथम गोलमेज सम्मेलन का आयोजन लन्दन में हुआ जिसकी अध्यक्षता ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रैम्जे मैक्डोनाल्ड के द्वारा की गई |

*प्रथम गोलमेज सम्मलेन में कांग्रेस को छोड़कर सभी (मुस्लिम लीग, हिन्दू महासभा, सिख, इसाई और डॉ.आंबेडकर) ने भाग लिया था |

*4/5 मार्च 1931 को गाँधी - इरविन समझौता हुआ था |

गाँधी - इरविन समझौते के प्रमुख प्रावधान

1.निर्दोष क्रांतिकारियों को रिहा किया जाएगा |

2.समुद्र के किनारे नमक बनाने का अधिकार प्रदान किया जाए |

3.आन्दोलन के दौरान त्याग - पत्र देने वाले कर्मचारियों को फिर से बहाल किया जाए |

4.अफीम, शराब और विदेशी दुकानों के सामने धरना करने का अधिकार प्रदान किया जाए |

*लॉर्ड इरविन के कार्यकाल में 23 मार्च 1931 को लाहौर में भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को, लाहौर के सहायक पुलिस अधीक्षक साण्डर्स की हत्या के दोष में फांसी की सजा दी गई थी |

*भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का 46वाँ अधिवेशन 29 मार्च 1931 को कराची में आयोजित किया गया था और इस अधिवेशन की अध्यक्षता सरदार वल्लभभाई पटेल के द्वारा की गई थी तथा इसी अधिवेशन में मौलिक अधिकारों की मांग भी की गई थी |

*अप्रैल 1931 में लॉर्ड इरविन का कार्यकाल समाप्त हो गया था |

*लॉर्ड इरविन का कार्यकाल अप्रैल 1926 से अप्रैल 1931 के मध्य में था |                                     

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