लॉर्ड कैनिंग का इतिहास
*लॉर्ड कैनिंग का वास्तविक नाम चार्ल्स
जॉन कैनिंग था |
*लॉर्ड कैनिंग का जन्म 14 दिसम्बर 1812
को लन्दन में हुआ था |
*लॉर्ड कैनिंग के पिता का नाम जॉर्ज
कैनिंग था |
*लॉर्ड कैनिंग की माता का नाम विकांटेस
कैनिंग था |
*लॉर्ड कैनिंग की पत्नी का नाम कार्लोट
कैनिंग था |
*लॉर्ड कैनिंग का पहला कार्यकाल फरवरी
1856 से नवम्बर 1858 के मध्य में था |
*लॉर्ड कैनिंग ने अपने पहले कार्यकाल के
दौरान भारत के गवर्नर जनरल के रूप में अपना कार्य किया था |
*लॉर्ड कैनिंग के पहले कार्यकाल के दौरान
ही 1856 में विधवा पुनर्विवाह अधिनियम को लागू किया गया था |
*विधवा, उस महिला को कहा जाता है जिसके
पति की मृत्यु हो गई हो परन्तु पुराने ज़माने में विधवा महिलाओं को सफ़ेद कपड़े, दिन
में एक बार भोजन तथा सिर के बाल मुड़वाकर रहना पड़ता था और उन्हें दोवारा से विवाह
करने का अधिकार भी नहीं था |
विधवा पुनर्विवाह अधिनियम की विशेषताएं
1.विधवा पुनर्विवाह अधिनियम के द्वारा,
विधवा महिला को, दोवारा से विवाह करने का अधिकार दिया गया था |
2.अगर विधवा महिला अल्पव्यस्क होती थी तो
उसके माता - पिता से अनुमति लेकर विवाह किया जाता था |
3.विधवा पुनर्विवाह अधिनियम विशेषकर
ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और कायस्थ जाति की महिलाओं के लिए था क्योंकि इन
जातियों में, ये प्रथा बहुत प्रचलित थी |
*7 दिसम्बर 1856 को कोलकाता में, भारत का
पहला कानूनी विधवा पुनर्विवाह विवाह, ईश्वरचन्द्र विधासागर की देख रेख में संपन्न किया
गया था |
*लॉर्ड कैनिंग के कार्यकाल 1857 में महालेखा
परीक्षक के पद का सृजन किया गया जिसे आजादी के बाद नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के
नाम से जाना गया |
*लॉर्ड कैनिंग के पहले कार्यकाल के दौरान
ही 1857 का विद्रोह हुआ जिसकी गूंज पूरे देश में सुनाई दी और इस विद्रोह के बाद
अगस्त 1858 में ब्रिटिश संसद के द्वारा भारत शासन अधिनियम 1858 पारित किया गया था |
भारत शासन अधिनियम 1858 की विशेषताएं
1.इस अधिनियम के द्वारा भारत से ईस्ट
इंडिया कम्पनी के शासन को समाप्त कर दिया गया था और भारत के शासन की जिम्मेदारी
ब्रिटिश क्राऊन के पास चली गई थी |
2.इसी अधिनियम के तहत मुग़ल बादशाह के पद
को समाप्त कर दिया गया था |
3.भारत शासन अधिनियम 1858 के द्वारा ही,
ब्रिटिश मंत्रीमंडल में भारत मन्त्री के नाम से, एक मन्त्री की नियुक्ति का भी,
प्रावधान किया गया था | भारत मन्त्री, जिसे भारत सचिव के नाम से भी जाना जाता था,
वह केवल ब्रिटिश संसद के प्रति उत्तरदायी होता था |
4.भारत के शासन को चलाने के लिए, एक भारत
परिषद् का गठन किया गया था जिसमें 15 सदस्य की व्यवस्था की गई थी |
5.इसी अधिनियम के तहत भारत के गवर्नर
जनरल का नाम बदलकर वायसराय (ब्रिटिश क्राऊन का प्रतिनिधि) कर दिया गया था और इस
तरह से लॉर्ड कैनिंग भारत के अंतिम गवर्नर जनरल हुए |
6.भारत शासन अधिनियम 1858 के द्वारा ही
लॉर्ड कैनिंग को भारत का प्रथम वायसराय बनाया गया था |
*1 नवम्बर 1858 को महारानी विक्टोरिया के
द्वारा एक विशेष घोषणा की गई |
1.सभी भारतीय लोगों को ब्रिटिश लोगों के
समान माना जाएगा |
2.लोक सेवाओं में भारतीयों के साथ कोई
भेद - भाव नहीं किया जाएगा |
3.भारतीय लोगों के भौतिक और नैतिक उन्नति
के प्रयास किए जायेंगे |
4.उन सभी अपराधियों को भी छोड़ने की घोषणा
की गई थी जिन्हें 1857 के विद्रोह में जेल भेज दिया गया था |
लॉर्ड कैनिंग का दूसरा
कार्यकाल
*लॉर्ड कैनिंग का दूसरा कार्यकाल नवम्बर
1858 से मार्च 1862 के मध्य में था |
*इस कार्यकाल के दौरान लॉर्ड कैनिंग ने
भारत के वायसराय के रूप में अपना कार्य किया |
*लॉर्ड कैनिंग के ही कार्यकाल में मैकाले
के द्वारा निर्माण की गई दण्ड संहिता (I.P.C.) को कानून बनाया गया |
*लॉर्ड कैनिंग के कार्यकाल के दौरान ही
राज्य - विलय की नीति (लार्ड डलहौजी की हड़प नीति) को समाप्त कर दिया गया था |
*लॉर्ड कैनिंग के कार्यकाल 1861 में
ब्रिटिश संसद के द्वारा भारतीय उच्च न्यायालय अधिनियम पारित किया गया |
भारतीय उच्च न्यायालय अधिनियम
की विशेषताएं
1.पुरानी अदालतों को समाप्त कर दिया गया
था |
2.कोलकाता, चैन्नई और मुंबई में एक - एक
उच्च न्यायालय की स्थापना की गई |
3.इस अधिनियम में उच्च न्यायालय के
न्यायाधीशों की योग्ताओं को भी निर्धारित किया गया था |
4.इस अधिनियम के द्वारा कोई भी भारतीय
नागरिक उच्च न्यायाधीश बन सकता था |
*1861 में ही भारत परिषद् अधिनियम को भी द्वारा
पारित किया गया था |
भारत परिषद् अधिनियम की
विशेषताएं
1.इस अधिनियम के द्वारा वायसराय की
कार्यकारिणी परिषद् का विस्तार किया गया |
2.इसी समय भारत में विभागीय - प्रणाली की
शुरुआत की गई |
3.वायसराय को अध्यादेश जारी करने की
शक्ति प्रदान की गई जिसकी अवधि 6 महीने तक होती थी |
4.इसी अधिनियम के द्वारा वायसराय को
विधान परिषद् स्थापित करने की शक्ति प्रदान की गई थी |
5.इसी अधिनियम के अन्तर्गत, भारतीयों के
लिए कानून बनाने की प्रक्रिया में, भारतीय सदस्यों की नियुक्ति का भी प्रावधान
किया गया था |
*लॉर्ड कैनिंग के द्वारा बनारस के राजा,
पटियाला के राजा और दिनकर राव को परिषद् में मनोनीत किया गया था |
*मार्च 1862 में लॉर्ड कैनिंग वापस
इंग्लैंड चले गए थे |
*लॉर्ड कैनिंग की मृत्यु 17 जून 1862 को लन्दन में हुई थी |
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प्राचीन इतिहास PDF – http://bit.ly/3G9U4ye
मध्यकालीन इतिहास PDF – http://bit.ly/3LGGovu
आधुनिक इतिहास PDF – http://bit.ly/3wDnfX3
सम्पूर्ण इतिहास PDF – https://imojo.in/1f6sRUD