वारेन हेस्टिंग्स का इतिहास | Warren Hastings history in Hindi |

 

वारेन हेस्टिंग्स का इतिहास       

*वारेन हेस्टिंग्स को 1772 में बंगाल का गवर्नर बनाया गया |

*उस समय वारेन हेस्टिंग्स के सामने कई समस्याएँ थीं - जैसे ईस्ट इंडिया कम्पनी में फैले भ्रष्टाचार को समाप्त करना और बंगाल में फैली अव्यवस्था को सही रास्ता दिखाना आदि |

वारेन हेस्टिंग्स के सुधार

*वारेन हेस्टिंग्स ने सबसे पहला कार्य द्वैध शासन को समाप्त किया |

*बंगाल के अल्पवयस्क नवाब नज़्म उद दौला की संरक्षिका मुन्नी बेगम को नियुक्त किया गया था जो मीरजाफर की बेग़म थी और नन्दकुमार के पुत्र गुरुदास को उसका प्रबन्धक बनाया गया था ।

*नवाब को शासन भार से मुक्त कर दिया था और उसकी पेंशन भी 32 लाख से घटाकर 26 लाख कर दी गई थी ।

*नाईव दीवान मुहम्मद रज़ा खान और शिताब राय को उनके पदों से हटा दिया गया था और उन पर भ्रष्टाचार करने का मुक़द्दमा भी चलाया गया था |

*इसके बाद दीवानी का काम ईस्ट इंडिया कम्पनी को सौंप दिया गया था |                     

*प्रत्येक जिले में मालगुजारी कर वसूल करने के लिए अंग्रेज कलेक्टर नियुक्त किए । 

*मुर्शिदाबाद से राजकोष को हटाकर कलकत्ता में स्थापित किया गया |

*वारेन हेस्टिंग्स के द्वारा नमक, पान, तम्बाकू और सुपारी के अलावा अन्य वस्तुओं पर, सभी भारतीयों और अंग्रेज व्यापारियों के लिए 2.5% चुंगीकर निश्चित की गई थी क्योंकि उससे पहले चुंगीकर निश्चित नहीं थी |

*वारेन हेस्टिंग्स के द्वारा ही चौकियों का अन्त किया गया था क्योंकि जमींदारों ने अनेक स्थानों पर चौकियों की स्थापना कर रखी थी जो व्यापारिक माल के आने जाने में अनेक रुकावटें डालती थीं ।

*वारेन हेस्टिंग्स ने उन्हें तोड़कर केवल पाँच स्थानों - कलकत्ता, हुगली, मुर्शिदाबाद, ढाका तथा पटना में नए चुंगी घर खोले थे जिससे व्यापार के क्षेत्र में रुकावटें दूर की जा सकें |

*वारेन हेस्टिंग्स ने व्यापारियों को आर्थिक सुविधाएँ देने के लिए कलकत्ता में एक बैंक की स्थापना भी की थी ।

*वारेन हेस्टिंग्स ने दस्तक प्रथा का अन्त किया था इससे चुंगीकर की आय सीधे कम्पनी को प्राप्त होने लगी था ।           

*इस प्रथा को समाप्त करने के बाद सभी लोगों को व्यापार करने का अधिकार मिल गया ।

*वारेन हेस्टिंग्स ने नमक और अफीम के व्यापार पर सरकारी नियन्त्रण लगा दिया था और इनका व्यापार ठेके पर उठा दिया गया था ।

*कम्पनी के कर्मचारी अपना व्यक्तिगत व्यापार भी करते थे परन्तु वारेन हेस्टिंग्स ने उस पर कठोर प्रतिबन्ध लगा दिए थे ।

*दादनी या ददनी प्रथा का अन्त भी वारेन हेस्टिंग्स के कार्यकाल में ही किया गया था |         

*इस प्रथा के अनुसार पहले कम्पनी के कर्मचारी भारतीय कारीगरों को दादनी/ददनी देकर उनका माल सस्ते दामों में खरीद लेते थे ।

*इसका प्रभाव भारतीय उद्योग धन्धों पर बहुत बुरा पड़ रहा था और वे पतनावस्था की ओर जा रहे थे ।

*वारेन हेस्टिंग्स ने कलकत्ता में एक सरकारी टकसाल की स्थापना की जिसमें एक निश्चित मूल्य और आकार की मुद्राएँ ढालने की व्यवस्था की गई ।

*एक कमेटी द्वारा पिछले वर्षों में प्राप्त लगान के आधार पर खेतों के लगान को निश्चित करवा कर पंचवर्षीय ठेकेदारी की प्रथा प्रचलित की गई ।

*इस पंचवर्षीय व्यवस्था के बड़े भयानक दुष्परिणाम निकले । जमींदारों ने निश्चित काल में अत्यधिक धन किसानों से वसूल किया और उनका खूब शोषण किया ।

*1773 में कलेक्टर का पद समाप्त करके लगान वसूली के लिए एक राजस्व समिति की स्थापना की गई  जिसमें कम्पनी के 3 सदस्य और कौंसिल के 2 सदस्य शामिल थे ।

*राजस्व समिति की सहायता के लिये रायरायन के पद पर एक भारतीय अधिकारी नियुक्त किया गया और तीनों प्रान्तों को राजस्व की दृष्टि से छ: भागों में विभक्त कर दिया गया |

*प्रत्येक के लिये एक प्रांतीय समिति बनाई गई तथा जिलों का कार्य भारतीय दीवान को सौंप दिया गया किन्तु यह व्यवस्था भी ठीक सिद्ध नहीं हुई |

*1781 में इस व्यवस्था में पुनः परिवर्तन किया गया जिसके अनुसार कलकत्ता को राजधानी बना दिया गया और एक नयी राजस्व समिति बनाई गई ।

*प्रान्तीय समितियाँ समाप्त कर दी गई तथा जिले में एक अंग्रेज कलेक्टर की नियुक्ति की गई जो जिले में राजस्व विभाग के अध्यक्ष के रूप में काम करता था ।

*उसकी सहायता के लिये एक भारतीय दीवान होता था तथा कई जिलों के लिये के एक कमिश्नर की नियुक्ति की गई ।

*प्रत्येक जिले में एक दीवानी अदालत और एक फौजदारी अदालत की स्थापना वारेन हेस्टिंग्स के कार्यकाल में ही की गई थी ।

*दीवानी अदालत का अध्यक्ष कलेक्टर और फौजदारी अदालत का अध्यक्ष काजी या पण्डित होता था ।

*स्थानीय अदालतों के ऊपर कलकत्ता में एक सदर दीवानी अदालत की स्थापना की गई और इन्हीं अदालतों में स्थानीय अदालतों की अपीलें सुनी जाती थीं ।

*वारेन हेस्टिंग्स ने हिन्दू और मुसलमानों के कानून का संकलन करवाया जिससे पक्षपात के बिना निर्णय हो सके ।

*अपराधियों को पकड़ने के लिये वारेन हेस्टिंग्स ने प्रत्येक जिले में फौजदारों की नियुक्ति की थी ।

*वारेन हेस्टिंग्स ने दीवानी और फौजदारी अदालतों के कार्य क्षेत्र अलग - अलग कर दिए थे ।

*दीवानी अदालत के अन्तर्गत सम्पत्ति, उत्तराधिकार, विवाह, जाति, ऋण एवं ब्याज आदि थे और फौजदारी अदालत के अन्तर्गत हत्या, डकैती, जालसाजी, झगड़े आदि शामिल थे ।

*वारेन हेस्टिंग्स के कार्यकाल में ही पुलिस विभाग का संगठन किया और प्रत्येक जिले की पुलिस के लिए एक स्वतंत्र पदाधिकारी की नियुक्ति की गई ।

*वारेन हेस्टिंग्स ने गीता के अंग्रेजी अनुवादकार विलियम विलकिन्स को अपना संरक्षण प्रदान किया था |          

वारेन हेस्टिंग्ज के प्रमुख कार्य

*मुगल शासक शाहआलम द्वितीय मराठा सरदार महादेव जी सिन्धिया की शरण में चले गए और इसी कारण वारेन हेस्टिंग्स ने उसकी 26 लाख रुपया वार्षिक पेंशन बन्द कर दी तथा उससे कड़ा मानिकपुर और इलाहाबाद के क्षेत्र भी छीन लिए गए थे ।

*1773 में वारेन हेस्टिंग्स ने अवध के नवाब शुजाउद्दौला से बनारस की सन्धि की और इस सन्धि के अनुसार वारेन हेस्टिंग्स कड़ा मानिकपुर और इलाहाबाद क्षेत्र शुजा उद दौला को 50 लाख रुपये में बेच दिए थे ।

*अवध के नवाब ने अपने खर्च पर ही अपनी सुरक्षा के लिए अंग्रेजी सेना अवध में रखना स्वीकार कर लिया और युद्ध के समय दोनों ने एक दूसरे की सहायता का वचन भी दिया ।

*वारेन हेस्टिंग्स के कार्यकाल 1775 में ही कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश एलिजा इम्पे के द्वारा राजा नन्द कुमार को फांसी सुनाई गई थी |

*भारत का पहला समाचार पत्र द बंगाल गजट का प्रकाशन जेम्स ए. हिक्की के द्वारा, वारेन हेस्टिंग्स के कार्यकाल 1780 में किया गया था |

*1781 में वारेन हेस्टिंग्स ने मुस्लिम शिक्षा के लिए कलकत्ता में एक मदरसे की स्थापना करवाई थी |

*1782 में जोनाथन डंकन के द्वारा बनारस में एक संस्कृत विधालय की स्थापना वारेन हेस्टिंग्स के ही कार्यकाल में की गई थी |

*1784 में विलियम जोन्स के द्वरा द एशियाटिक सोसायटी ऑफ बंगाल की स्थापना की गई थी |

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