महाराजा रणजीत सिंह का इतिहास | सिख साम्राज्य | Raja Ranjeet Singh History in Hindi |

 

राजा रणजीत सिंह का प्रारम्भिक इतिहास  

*राजा रणजीत को शेर ए पंजाब के नाम से भी जाना जाता है |

*राजा रणजीत सिंह का जन्म 13 नवम्वर 1780 को आधुनिक पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त में स्थित गुजरांवाला में हुआ था |

*राजा रणजीत सिंह के बचपन का बुद्ध सिंह था |

*राजा रणजीत सिंह के पिता का नाम महाराजा महासिंह और माता का नाम महारानी राज कौर था |            

*राजा रणजीत सिंह की रानियाँ - दातर कौर, गुलाब कौर, राज बांसो, गुल बहार बेग़म और जिन्दा कौर |

*राजा रणजीत के पुत्र - खड़क सिंह, शेरसिंह, ईशर सिंह, कश्मीरा सिंह, तारा सिंह, मुल्ताना सिंह, पेशौरा सिंह और दिलीप सिंह |

*राजा रणजीत सिंह के पिता महाराजा महासिंह सुकेर चकिया मिसल के प्रमुख थे |

*राजा रणजीत सिंह को 1792 में सुकेर चकिया मिसल का प्रमुख बनाया गया था |

*1799 में राजा रणजीत सिंह को अफगान शासक ज़मान शाह ने राजा की उपाधि देकर लाहौर का क्षेत्र प्रदान किया था |

महाराजा रणजीत सिंह का इतिहास

*12 अप्रैल 1801 को में राजा रणजीत सिंह ने लाहौर के किले में, महाराजा की उपाधि धारण करके अपना राज्याभिषेक करवाया था |  

*1805 ई. में महाराजा रणजीत सिंह ने भंगी मिसल को पराजित करके अमृतसर पर अधिकार कर लिया था |

*महाराजा रणजीत सिंह की राजनीतिक राजधानी लाहौर को और धार्मिक राजधानी अमृतसर में बनाई थी |

*25 अप्रैल 1809 ई. को चार्ल्स मेटकॉफ़ और महाराजा रणजीत सिंह के मध्य अमृतसर की संधि हुई जिसके अनुसार |

1.सतलज नदी दोनों राज्यों की सीमा होगी |

2.लुधियाना में एक अंग्रजी सेना रखी गई |

3.सतलज नदी के पूर्व के सभी राज्य अंग्रजों के पास चले गए |

*महाराजा रणजीत सिंह ने 1813 ई. में अफगान शासक शाहशुजा से कश्मीर को छीन लिया था और इसी समय महाराजा रणजीत सिंह को शाहशुजा से कोहिनूर हीरा प्राप्त हुआ हुआ था |

*1821 ई. तक महाराजा रणजीत सिंह ने सम्पूर्ण कश्मीर को अपने अधिकार में ले लिया था |

*महाराजा रणजीत सिंह ने 1834 ई. में पेशावर को सिक्ख राज्य में शामिल किया था |

*महाराजा रणजीत सिंह ने अमृतसर के हरमिन्दर साहिब गुरूद्वारे का पुनर्निर्माण करवा के सोना लगवाया था तभी से उसको को स्वर्ण मंदिर कहा जाने लगा था |

*1835 में महाराजा रणजीत सिंह ने काशी के विश्वनाथ मंदिर के लिए 1 टन सोना तथा 47 लाख रूपए दान में दिए थे जिससे मंदिर के ऊपरी भाग में सोने की परत चढाई जा सके |

*महाराजा रणजीत सिंह, पुरी के जगन्नाथ मन्दिर के लिए कोहिनूर हीरा दान करने वाले थे परन्तु उससे पहले ही उनकी मृत्यु हो गई थी |

*महाराजा रणजीत सिंह की मृत्यु 27 जून 1839 को लाहौर में हुई थी |

*महाराजा रणजीत सिंह का समाधि स्थल लाहौर में है |

*महाराजा का शासनकाल 1801 – 1839 के मध्य में था |

महाराजा रणजीत सिंह का प्रशासन

*महाराजा रणजीत सिंह के प्रशासन को खालसा सरकार कहा जाता था |

*उनके प्रशासन में पांच मन्त्री सहयोग किया करते थे - 1.ध्यान सिंह 2.फ़कीर अजीजुद्दीन 3.मोहकम चन्द्र 4.दीवान चन्द्र 5.हरिसिंह |

*महाराजा रणजीत सिंह के शासनकाल में मुख्यमंत्री तथा विदेश मन्त्री का पद सबसे महत्वपूर्ण होता था |

*महाराजा रणजीत सिंह के शासनकाल में मुख्यमंत्री ध्यान सिंह और विदेशमन्त्री फकीर अजीजुद्दीन थे |

*महाराजा रणजीत सिंह ने अपने सम्पूर्ण शासनकाल में किसी को भी मृत्यु दण्ड की सजा नहीं दी थी |

*महाराजा रणजीत सिंह ने अपने साम्राज्य को चार सूबों में बटा था - 1.लाहौर  2.मुल्तान  3.कश्मीर  4.पेशावर |

*प्रत्येक सूबे का प्रमुख अधिकारी नाज़िम कहलाता था और प्रत्येक सूबा, परगने में बटा हुआ था जिसका प्रमुख अधिकारी कारदार कहलाता था |

*प्रत्येक परगना, तालुका में बटा हुआ था जिसका प्रमुख अधिकारी तालुकादार होता था | प्रशासन की सबसे छोटी इकाई मौजा या गाँव होती थी जहाँ पर पंचायत सभी प्रशासनिक कार्यों की देख - रेख करती थी |

*राज्य की आय का प्रमुख स्त्रोत भू राजस्व था जो उपज का 33% से 40% तक लिया जाता था |

*महाराजा रणजीत सिंह ने अपनी सेना को दो भागों में बाँटा था |

1.फौज़ ए ख़ास (नियमित सेना) यह सेना घुड़सवार, पैदल एवं तोपखाने में विभक्त थी जिसे 1838 में लार्ड आकलैंड ने संसार की सबसे सुन्दर सेना कहा था |

2.फ़ौज ए बेक वायद (अनियमित सेना) इस सेना में घुड़सवार होते थे |

*पहली आधुनिक भारतीय सेना का गठन महाराजा रणजीत सिंह ने ही किया था जिसे सिख खालसा सेना कहा जाता था |

*फ्रांसीसी पर्यटक विक्टर जाक्मा ने महाराजा रणजीत सिंह की तुलना नेपोलियन बोनापार्ट से की थी |

*महाराजा रणजीत सिंह के बाद खड़क सिंह, शेर सिंह और अंत में दिलीप सिंह महाराजा बने |

*1843 में रानी जिन्दा की संरक्षणता में दिलीप सिंह को महाराजा बनाया गया था |

*प्रथम आँग्ल सिक्ख युद्ध 1845 – 1846 के मध्य में, जिसमें अंग्रेजों की जीत हुई |

*फरवरी 1846 में अंग्रेजों ने सिक्खों की राजधानी लाहौर पर अधिकार कर लिया |

*9 मार्च 1846 को लाहौर की संधि हुई और इस संधि की प्रमुख शर्तें |

1.सतलज नदी के पार सभी क्षेत्र अंग्रेजों के पास चले गए जिसमें कश्मीर का क्षेत्र भी शामिल था परन्तु बाद में अंग्रेजों ने 1 करोड़ रुपये में कश्मीर को गुलाब सिंह को बेच दिया था |

 2.अंग्रेजों ने दिलीप सिंह को महाराजा, रानी जिन्दा को संरक्षिका और लाल सिंह को वजीर स्वीकार किया गया था |

*द्वितीय आँग्ल सिक्ख युद्ध 1848 से 1849 ई. तक चला | संभवता सभी युद्धों में सिक्खों की पराजय हुई और अंत में 29 मार्च 1849 को लार्ड डलहौजी ने सिक्ख राज्य को अपने अधीन कर लिया |

*महाराजा दिलीप सिंह को 5 लाख रुपये वार्षिक पेंशन देकर, शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड भेज दिया गया था |

*महाराजा दिलीप सिंह से कोहिनूर हीरा लेकर ब्रिटिश रानी के राजमुकुट में लगा दिया गया था |

*महाराजा रणजीत सिंह को धर्मनिरपेक्षता की मिशाल माना जाता है क्योंकि उनके राज्य में सिख, हिन्दू, मुस्लिम सभी रहते थे और अनेकता में एकता स्थापित करना बहुत मुश्किल का काम होता है परन्तु महाराजा रणजीत सिंह ने ये करके दिखाया था |

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