लॉर्ड कॉर्नवालिस का इतिहास | स्थायी बंदोबस्त | कार्नवालिस कोड | Lord Cornwallis history in Hindi |

 

लार्ड कार्नवालिस का इतिहास                    

*1785 में वारेन हेस्टिंग्स के इंग्लैण्ड चले जाने के बाद मेक्फर्सन को अस्थाई गवर्नर बनाया गया था |

*मेक्फर्सन के बाद 1786 में लार्ड कार्नवालिस को गवर्नर जनरल नियुक्त किया गया था |

*1786 में ही ब्रिटिश पार्लियामेंट ने एक ऐक्ट पारित करके गवर्नर जनरल और सेनापति के पद एक कर दिए थे |

*इसी एक्ट के तहत गवर्नर जनरल को विशेष अधिकार दे दिया कि विशेष परिस्थितियों में वह कौंसिल के बहुमत की उपेक्षा भी कर सकता है |

लार्ड कार्नवालिस के व्यापार सम्बन्धी सुधार

*भारतीय जुलाहों तथा अन्य कारीगरों की सहायता के लिए यह नियम बना दिया गया कि वे उतना ही माल कम्पनी को देने के लिए बाध्य होंगे जितने माल की उनको पेशगी/ददनी दी गई है और शेष माल वे दूसरे को बेच सकते हैं |

*बोर्ड ऑफ ट्रेड के सदस्यों की संख्या 10 से घटाकर 5 कर दी गई थी और उसको कलकत्ता कौंसिल के नियन्त्रण में कर दिया गया |

लार्ड कार्नवालिस के न्याय सम्बन्धी सुधार

*निजामत अदालत को मुर्शिदाबाद से हटाकर कलकत्ता में स्थापित किया गया था और इसमें गवर्नर जनरल की कौंसिल के सदस्य, प्रान्त का मुख्य काजी और दो मुफ्ती होते थे ।

*जिले की फौजदारी अदालतों को तोड़कर उनके स्थान पर चार प्रान्तीय अदालतों की स्थापना की गई जिनमें तीन बंगाल में तथा एक बिहार में थी | 

*जिलों में दीवानी अदालतों की स्थापना की गई और अदालतों की अपीलें सुनने के लिये मुर्शिदाबाद, कलकत्ता, पटना तथा ढाका में प्रान्तीय अदालतों की स्थापना भी करवाई गई थी ।

*1793 में सब कानूनों का संग्रह करके एक कोड का निर्माण किया गया जिसे इतिहास में कार्नवालिस कोड के नाम से जाना जाता है |

*इस कोड में पुलिस, न्याय, राजस्व तथा व्यापार सम्बन्धी विषयों के कानून थे | 

लार्ड कार्नवालिस के शासन सम्बन्धी सुधार

*लार्ड कार्नवालिस ने  योग्यता के आधार पर व्यक्तियों की नियुक्ति के नियम बनाए थे |

*लार्ड कार्नवालिस ने कम्पनी के नौकरों का वेतन बढ़ा दिया लेकिन उनको यह आदेश भी दिया गया था कि वह अपना निजी व्यापार न करें और न रिश्वत ग्रहण करें ।

*लार्ड कार्नवालिस ने कर्मचारियों के सेवानिवृत होने पर उनके पेंशन व्यवस्था करने का प्रावधान भी किया था |

*लार्ड कार्नवालिस ने पुलिस विभाग की ओर भी ध्यान दिया और जमींदारों के हाथ से पुलिस का कार्य छीन लिया ।

*बंगाल प्रान्त के जिलाधीशों को यह आदेश दिया कि वे अपने अपने जिले में प्रत्येक 32 किमी की दूरी पर एक थाना स्थापित करें जहाँ एक दरोगा और 15/20 पुलिसमैन रखे जाएँ ।

*भारत में नागरिक सेवा का जनक लार्ड कार्नवालिस को ही माना जाता है |

*लार्ड कार्नवालिस ने भारतीयों को उच्च पदों पर नियुक्त करना बंद कर दिया क्योंकि वह उन्हें बेईमान समझता था और सरकारी नौकरियों में दायित्वपूर्ण पदों पर अंग्रेजों तथा अन्य यूरोपियनों को ही नियुक्त करना शुरू कर दिया था |

लार्ड कार्नवालिस के भूमि सम्बन्धी सुधार

*कार्नवालिस चाहते थे कि भूमि का स्वामित्व जमीदारों के हाथ में होना चाहिए और साथ ही यह स्थायी भी हो |

*1793 में भूमि स्थायी रूप से जमींदारों को दे दी गई और लगान की दर निश्चित करने की जिम्मेदारी भी जमीदारों को ही दी गई थी |

*इसी व्यवस्था को इस्तमरारी बन्दोबस्त अथवा स्थायी बंदोबस्त भी कहा जाता है और  इस व्यवस्था से कार्नवालिस को कई लाभ हुए |

*इस व्यवस्था से कृषि में बड़ी उन्नति हुई और भूमि पर जमींदारों का स्थायी रूप से अधिकार हो जाने के कारण बंजर भूमि को भी कृषि के योग्य बनाने का प्रयास किया गया | 

*इस व्यवस्था से बंगाल प्रान्त भारत का सबसे धनी प्रान्त हो गया था |

*इसी व्यवस्था ने बंगाल में एक ऐसा स्थायी जमींदार वर्ग पैदा कर दिया जो सरकार का स्वामिभक्त सिद्ध हुआ और  उनसे अंग्रेजों को भारत में अपना साम्राज्य मजबूत करने में बड़ा सहयोग मिला | 

स्थायी बंदोबस्त के दोष

*कृषक वर्ग का शोषण - भूमि का स्वामित्व जमींदारों के हाथ आ जाने से वे उत्तरोतर धनी होते चले गये किन्तु किसानों की स्थिति पहले से भी अधिक खराब हो गई क्योंकि इस सम्बन्ध में कोई नियम नहीं थे |

*जमींदारों का विलासी हो जाना - इस बंदोबस्त का एक दोष यह भी था कि जिन जमींदारों की आय अधिक हो गई वे विलासी जीवन व्यतीत करने लगे और बड़े - बड़े नगरों में रहने लगे । उन्होंने भूमि ठेकों पर उठाना शुरू कर दिया था । 

*अकाल के समय भी लगान में छूट न मिलना - यदि कभी अकाल पड़ा या अन्य किसी कारण से पैदावार में कमी हुई तो भी लगान में किसी प्रकार की छूट नहीं दी जाती थी | 

1793 का चार्टर ऐक्ट 

*इंग्लैण्ड की सरकार ने 1793 में एक चार्टर ऐक्ट पारित किया जिसके द्वारा कम्पनी को भारत से व्यापार के लिए 20 वर्षों का चार्टर दे दिया गया ।

*बोर्ड ऑफ कण्ट्रोल के दो सदस्यों की नियुक्ति प्रिवी कौंसिल के बाहर से की गई ।

*भारतीय कोष से वेतन देने की व्यवस्था भी इसी एक्ट के तहत की गई ।

*इस ऐक्ट के द्वारा मद्रास तथा बम्बई की सरकारों पर गवर्नर जनरल का नियंत्रण और अधिक बड़ गया था ।

*5 अक्टूबर 1805 को गाजीपुर में लार्ड कार्नवालिस की मृत्यु हो गई थी |

*लार्ड कार्नवालिस का मकबरा गाजीपुर, उत्तर प्रदेश में ही है |

*लार्ड कार्नवालिस का पहला कार्यकाल 1786 – 1793 के मध्य में था |

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