मुग़लों को बुरी तरह पराजित करने वाले शेरशाह सूरी का इतिहास | सूर वंश | सूर वंश का सम्पूर्ण इतिहास | Sher shah ka itihas |

 

शेरशाह सूरी का इतिहास

*शेरशाह सूरी का जन्म 1486 ई. में नरनौल, हरियाणा (डॉ. के.आर. कानूनगो के अनुसार) और 1472 ई. में सासाराम, बिहार (परमात्मा शरण के अनुसार) में हुआ था |

*शेरशाह सूरी का मूल नाम फरीद खां था |

*शेरशाह सूरी के पिता का नाम हसन खान सूर था |

*शेरशाह सूरी ने एक शेर को तलवार के एक ही बार से मार दिया था, उसकी इस बहादुरी से प्रसन्न होकर बिहार के अफगान शासक सुल्तान मोहम्मद बहार खां लोहानी ने उसे शेर खां की उपाधि प्रदान की थी |

*फरीद खां ने शेरशाह, हजरत ए आला और सुल्तान उल अदल के जैसी उपाधियां धारण की थी |

*शेरशाह सूरी 1528 ई. में चंदेरी युद्ध के समय, मुगल शासक बाबर की ओर से लड़ा था और उसी समय शेरशाह सूरी ने कहा था - अगर भाग्य ने मेरी सहायता की तो मैं सरलता से मुगलों को एक दिन भारत से निकाल दूंगा |

*मई 1529 ई. में बाबर ने घागरा युद्ध में अफगानों को बुरी तरह पराजित किया | बाबर ने जलाल खां को दक्षिणी बिहार का शासक और शेर शाह सूरी को उसका सहायक नियुक्त किया था |

*1530 ई. में शेरशाह सूरी ने चुनार दुर्ग पर अधिकार कर लाड मल्लिका से निकाह किया और अपार संपत्ति अर्जित की |

*जून 1539 ई. में चौसा का युद्ध और मई 1540 में कन्नौज अथवा बिलग्राम युद्ध में विजय प्राप्त करने के बाद शेर खां ने शेरशाह सूरी की उपाधि धारण कर स्वयं को सुल्तान घोषित किया था ।

*10 जून 1540 ईसवी को शेरशाह सूरी ने आगरा में अपना राज्याभिषेक करवाया और द्वितीय अफगान साम्राज्य की स्थापना की थी |

शेरशाह सूरी के महत्वपूर्ण कार्य              

*राज्य की आय का मुख्य स्रोत भूमि कर अथवा लगान था ।

*शेरशाह सूरी के शासनकाल में भूमि मापने के लिए गज ए सिकंदरी का प्रयोग किया जाता था |

*शेरशाह सूरी के शासनकाल में पैदावार का 1/3 भाग लगान के रूप में वसूल किया जाता था लेकिन मुल्तान से 1/4 भाग लगान वसूला जाता था |

*शेरशाह सूरी के शासनकाल में भू राजस्व के अतिरिक्त किसानों से जरीबाना कर (सर्वेक्षण शुल्क) भू राजस्व का 2.5% वसूल किया जाता था । महासिलाना कर (कर संग्रह) भू राजस्व का 5% वसूल किया जाता था ।

*शेरशाह सूरी ने सर्वप्रथम चांदी का रुपया जारी किया था ।

*शेरशाह सूरी के शासनकाल में आम नागरिकों के लिए चांदी का दाम नामक सिक्का जारी किया गया |

*शेरशाह सूरी के शासनकाल में सिक्के ढालने की 23 टकसालें थी ।

*शेरशाह सूरी ने सर्वप्रथम सड़कों एवं सरायों का निर्माण करवाया जिसमें पहली सड़क बंगाल से आगरा, दिल्ली और लाहौर तक जाती थी और इसी सड़क को सड़क ए आजम या शेरशाह सूरी मार्ग के नाम से जाना जाता था |

*ब्रिटिश गवर्नर जनरल लॉर्ड ऑकलैंड ने इसी सड़क को Grand Trunk Road (G.T. ROAD) कहकर पुकारा था ।

*शेरशाह सूरी ने सड़कों के किनारे प्रत्येक 4 मील की दूरी पर, यात्रियों के ठहरने के लिए लगभग 1700 सरायों का निर्माण करवाया था |

*डाक व्यवस्था का प्रचलन भी शेरशाह सूरी के द्वारा ही किया गया था ।

*मलिक मोहम्मद जायसी शेरशाह सूरी के समकालीन प्रसिद्ध कवि थे जिन्होंने पद्मावत नामक काव्य ग्रंथ की रचना की थी |

*सर्वप्रथम शेरशाह सूरी ने पाटलिपुत्र को पटना के नाम से संबोधित किया और कन्नौज में शेर सूर नामक नगर भी बसाया था |

*शेरशाह सूरी का शासनकाल 1540 – 1545 ई. के मध्य में था |

शेरशाह सूरी का प्रशासन

*दीवान ए विजारत - इसका कार्य आय - व्यय की देखभाल करना होता था और इसका प्रधान वजीर होता था ।

*दीवान ए आरिज - यह सैन्य विभाग होता था और इसके प्रमुख को आरिज़ ए मुमालिक कहा जाता था |

*दीवान ए रसालत - इस विभाग का कार्य विदेश नीति से संबंधित होता था और इसी विभाग को दीवान ए मोहतसिब के नाम से भी जाना जाता था ।

*दीवान ए इंशा - यह शाही सचिवालय होता था जिसका प्रधान दबीर ए मुमालिक कहलाता था |

*दीवान ए कजा - यह न्याय विभाग होता था जिसका प्रधान मुख्य काजी होता था |        

*दीवान ए बरीद - यह गुप्तचर विभाग होता था और इसके प्रधान को बरीद ए मुमालिक कहा जाता था |

*शेरशाह सूरी ने अपने संपूर्ण साम्राज्य को 66 सरकारों (इकाइयों) में विभाजित किया था ।

*शेरशाह सूरी के शासनकाल में प्रशासन की सबसे छोटी इकाई ग्राम थी । ग्राम का प्रमुख अधिकारी मुकद्दम या मुखिया कहलाता था और ग्राम का दूसरा अधिकारी पटवारी होता था ।

*शेरशाह सूरी ने अलाउद्दीन खिलजी की भांति घोड़ों को दागने की प्रथा और सैनिकों के हुलिया लिखने की प्रथा का अनुसरण किया ।

*शेरशाह सूरी प्रत्येक बुधवार को स्वयं न्याय के लिए बैठता था और इसके अतिरिक्त मुख्य काजी और मीर अदल नामक अधिकारी भी न्याय किया करते थे |

शेरशाह सूरी के प्रमुख अभियान

*सुल्तान बनने के बाद शेरशाह सूरी ने सर्वप्रथम पंजाब को विजित किया ।

*शेरशाह सूरी का दूसरा अभियान बंगाल के विरुद्ध था और बंगाल में नई प्रकार की शासन व्यवस्था स्थापित की । बंगाल को 19 सरकारों (इकाईयों) में विभाजित कर उनकी देखभाल के लिए अमीरान ए बंगला अथवा अमीर ए बंगाल नामक अधिकारी को नियुक्त किया ।

*1542 ई. में शेरशाह सूरी ने मालवा को विजित किया था ।

*1543 ई. में शेरशाह सूरी ने रायसीन को विजित किया जहां पर पूरनमल का शासन था ।

*1543 - 44 . में शेरशाह सूरी ने मारवाड़ के शासक मालदेव के विरुद्ध अभियान किया और इस युद्ध में शेरशाह की विजय हुई तथा इसी युद्ध के दौरान शेरशाह सूरी ने कहा थामैंने मुट्ठी भर बाजरे के लिए दिल्ली का साम्राज्य अपने हाथों से खो दिया। शेरशाह सूरी ने मारवाड़ की शासन व्यवस्था ख्वास खां और ईसा खां को सौंपकर चित्तौड़ की ओर प्रस्थान किया ।

*1544 ई. में शेरशाह सूरी ने चित्तौड़ के शासक राणा उदय सिंह के विरुद्ध अभियान किया किंतु राणा उदय सिंह ने बिना युद्ध किए ही आत्मसमर्पण कर दिया | शेरशाह सूरी ने चित्तौड़ का शासन शमशेर खां, मिंया अहमद और हुसैन खां को सौंपकर कालिंजर की ओर प्रस्थान किया |

*मई 1545 ई. में शेरशाह सूरी ने कालिंजर के शासक कीरत सिंह चंदेल के विरुद्ध अभियान किया था । इसी अभियान के दौरान शेरशाह सूरी की मृत्यु एक आग्नेय शास्त्र के द्वारा हो गई थी । शेरशाह सूरी का यह अंतिम अभियान था |

*शेरशाह सूरी का मकबरा सासाराम में झील के बीच में, ऊंचे टीले पर निर्मित किया गया है । शेरशाह सूरी का मकबरा हिंदू व मुस्लिम संस्कृति का समन्वय माना जाता है |

शेरशाह सूरी के उत्तराधिकारी

इस्लाम शाह सूर का इतिहास

*शेरशाह सूरी के 2 पुत्र आदिल खान और जलाल खान थे | शेरशाह सूरी ने अपने बड़े पुत्र आदिल खान को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया था किंतु भोग विलासी होने के कारण अमीरों ने आदिल खान की जगह जलाल खान को सुल्तान बनाया |

*25 मई 1545 ई. को जलाल खान ने इस्लाम शाह की उपाधि धारण कर गद्दी पर बैठा । इसके बाद इस्लाम शाह ने कालिंजर के राजा कीरत सिंह चंदेल की हत्या करवा दी |

*नवंबर 1553 ई. में इस्लाम शाह की मृत्यु हो गई और उसे सासाराम में पिता शेरशाह सूरी के मकबरे के निकट ही दफनाया गया था |

*इस्लाम शाह को सूर वंश का अंतिम महान शासक माना जाता है किंतु सूर वंश का वास्तविक अंतिम शासक फिरोज खान था |

*इस्लाम शाह के बाद फिरोज खान शासक बना किंतु 3 माह बाद उसकी हत्या उसके मामा मुबारक खान ने कर, गद्दी पर स्वयं अधिकार कर लिया |

*मुबारक खान ने फिरोज खान की हत्या के बाद सुल्तान मोहम्मद आदिल शाह की उपाधि धारण कर राज्याभिषेक करवाया |

*मोहम्मद आदिल शाह सूर को अयोग्य और दुराचारी होने के कारण अदाली के नाम से भी जाना जाता था |

*मोहम्मद आदिल शाह सूर संगीत का बड़ा प्रेमी था |

*मोहम्मद आदिल शाह के शासनकाल में राज्य की संपूर्ण शक्ति हेमू नामक एक बनिया के हाथों में थी |

*पंजाब के शासक अहमद खां ने सिकंदर शाह सूर की उपाधि धारण कर आगरा और दिल्ली पर अधिकार कर लिया |

*22 जून 1555 ई. में सरहिंद का युद्ध, हुमायूं और सिकंदर शाह सूर के मध्य हुआ था परंतु इस युद्ध में हुमायूं की विजय हुई और हुमायूं ने 23 जुलाई 1555 ई. को दिल्ली में प्रवेश किया और दोबारा से मुगल वंश की स्थापना की |

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