शाहजहां का इतिहास (#मुग़ल_वंश) स्थापत्यकला का स्वर्णयुग | Shahjahan history in Hindi

शाहजहाँ का इतिहास

*शाहजहाँ के शासनकाल के बारे में जानकारी पादशाहनामा ग्रन्थ में मिलती है जिसे मुहम्मद अमीर काजविनी, अब्दुल हमीद लाहौरी और मुहम्मद वारिस के द्वारा लिखा गया था |

*शाहजहाँ का जन्म 5 जनवरी 1592 ई. को लाहौर में हुआ था और लाहौर आधुनिक पाकिस्तान में है |

*शाहजहाँ का मूल नाम खुर्रम था |

*शाहजहाँ की माता का नाम जगतगोसाई था जो जोधपुर के राजा उदयसिंह की पुत्री थी और पिता का नाम जहाँगीर था |

*शाहजहाँ की बेगम – कन्दाहरी बेग़म, अकबराबादी महल, मुमताज महल, हसीना बेग़म, मुति बेग़म, कुदसियाँ बेग़म, फतेहपुरी महल, सरहिन्दी महल आदि |

*शाहजहाँ के पुत्र – दाराशिकोह, शाह शुज़ा, औरंगजेब और मुराद बख्स |

*इतिहासकार लेनपूल ने दाराशिकोह को लघु अकबर कहा है |

*शाहजहाँ की पुत्रियाँ – पुरहुनार बेग़म, जहांआरा बेग़म, रोशनआरा बेग़म और गौहर बेग़म |

*शाहजहाँ के शिक्षक – मुल्ला कासिम बेग तबरीज़ी, हकीम अली गिलानी, शेख़ सूफी, शेख़ अबुल खैर आदि |

*4 फरवरी 1628 ई. को शाहजहाँ ने आगरा में अल आज़ाद अब्दुल मुजफ्फर शहाब उद दीन मुहम्मद साहिब किरण ए सानी की उपाधि धारण कर सिंहासन प्राप्त किया था |

*शाहजहाँ ने बादशाह बनने के बाद आसफ़ खां को अपना प्रधानमंत्री बनाया और महावत खां को खान ए खाना की उपाधि प्रदान की |

*शाहजहाँ का विवाह 1612 ई. में आसफ खां की पुत्री अर्जुमंद बानो बेगम से हुआ था और अर्जुमंद बानो बेगम को ही मुमताज महल के नाम से जाना जाता है |

*बादशाह बनने के बाद शाहजहाँ ने अर्जुमंद बानो बेग़म को मल्लिका ए ज़मानी की उपाधि से सम्मानित किया था |

*शाहजहाँ के शासनकाल में सबसे पहला विद्रोह एक अफगान सरदार खान ए जहाँ लोदी के द्वारा किया गया था |

*1630 ई. के आस – पास खानदेश, गुजरात और दक्षिण में भयंकर अकाल पड़ा जिससे असंख्य लोगों की मृत्यु हो गई थी |

*अर्जुमंद बानो बेगम की मृत्यू 7 जून 1631 ई. को बुरहानपुर में प्रसव पीड़ा के दौरान हो गई थी और अर्जुबमंद बानो बेगम की मृत्यू के बाद शाहजहाँ ने उसकी कब्र के ऊपर ताजमहल का निर्माण करवाया था |

*ताजमहल की रूप रेखा उस्ताद ईशा खां ने तैयार की थी और ताजमहल का निर्माण करने वाला मुख्य स्थापत्यकार उस्ताद अहमद लाहौरी को माना जाता है |

*मयूर सिंहासन का निर्माण शाहजहाँ ने बे - बादल खां द्वारा कराया था जिसके ऊपर यूनानी देवता आर्फियस को वीणा बजाते हुए चित्रित किया गया था |

*1638 ई. में शाहजहाँ ने दिल्ली के निकट शाहजहाँनाबाद की स्थापना कर उसे अपनी राजधानी बनाया था |

शाहजहाँ के अभियान

*शाहजहाँ ने  दक्षिण में अपना पहला आक्रमण अहमदनगर के विरुद्ध किया था |

*1636 ई. में शाहजहाँ ने खान ए जहाँ, खान ए जामा और खान ए दौरां के नेतृत्व में बीजापुर के शासक मुहम्मद आदिल शाह के विरुद्ध सेना भेजी परन्तु मुहम्मद आदिल शाह मुग़ल सेना का सामना नही कर पाया और उसने मुगलों की आधीनता स्वीकार कर ली थी |

*1636 ई. में ही शाहजहाँ ने गोलकुंडा के शासक सुल्तान अब्दुल शाह के विरुद्ध अभियान किया परन्तु अब्दुल शाह ने मुगलों की आधीनता स्वीकार की |

*शाहजहाँ ने 1636 ई .में पहली बार औरंगजेब को दक्कन का सूबेदार नियुक्त किया था |

*1644 ई. में शाहजहाँ ने औरंगजेब को गुजरात का सूबेदार नियुक्त किया |

*जनवरी 1656 ई . में औरंगजेब ने गोलकुंडा पर आक्रमण किया और उस समय गोलकुंडा में कुतुबशाह का शासन था परन्तु कुतुबशाह, औरंगजेब का सामना नहीं कर पाया और मार्च 1656 ई. में दोनों संधि हो गई |

*शाहजहाँ ने अपने पूरे शासनकाल में कंधार पर विजय प्राप्त करने का कई बार प्रयास किया गया परन्तु सफलता नहीं मिली थी |

*उत्तराधिकार के युद्ध की शुरुआत सर्वप्रथम शाहशुजा के द्वारा की गई थी |

*फरवरी 1658 ई. में वाराणसी के निकट बहादुरपुर का युद्ध शाहशुजा और शाही सेना के मध्य हुआ जिसमें शाहशुजा की सेना पराजित हुई | शाही सेना का नेतृत्व दाराशिकोह का पुत्र सुलेमान शिकोह कर रहा था |

*अप्रैल 1658 ई. को उज्जैन के निकट धरमत का युद्ध शाही सेना और औरंगजेब के मध्य में हुआ था | शाही सेना का नेतृत्व कासिम अली और जोधपुर के राजा जसवंतसिंह कर रहे थे और दूसरी सेना का नेतृत्व औरंगजेब व मुराद कर रहे थे जिसमें शाही सेना की पराजित हुई थी |

*मई 1658 ई. में आगरा के निकट सामूगढ़ का युद्ध दाराशिकोह और औरंगजेब के मध्य हुआ था जिसमें औरंगजेब की विजय हुई | युद्ध जीतने के बाद औरंगजेब ने आगरा में शाहजहाँ को बंदी बना लिया और अपने छोटे भाई मुराद को बंदी बनाकर ग्वालियर के किले में कैद कर दिया और अंत में औरंगजेब ने आगरा में अपना राज्याभिषेक करवाया |

*जनवरी 1659 ई. में इलाहाबाद के निकट खजुआ का युद्ध औरंगजेब और शाहशुजा के मध्य हुआ था जिसमें औरंगजेब की विजय हुई और शाहशुजा को जंगलो में खदेड़ दिया गया |

*मार्च 1659 ई. में अजमेर के निकट देवराई का युद्ध औरंगजेब और दारा शिकोह के मध्य लड़ा गया था जिसमें दारा शिकोह की पराजय हुई और पराजय के बाद दारा शिकोह को औरंगजेब ने मृत्यू दंड दे दिया तथा उसके शव को हुमायूँ के मकबरे के तहखाने में दफना दिया गया | इसी युद्ध के बाद औरंगजेब उत्ताधिकार के युद्ध से मुक्त हो गया और स्वयं शासक बन गया |

*1633 ई. में शाहजहाँ ने जहाँगीर के शासनकाल में बने सभी मन्दिरों को तोड़ने का आदेश दिया था जिसमें वाराणसी के 76 मंदिरों को नष्ट किया गया |

शाहजहाँ के प्रमुख कार्य

*1629 ई. में शाहजहाँ ने अहमदाबाद के प्रमुख जैन जौहरी और साहूकार शांतिदास को जैन यात्रिओं के लिए विश्राम गृह बनबाने के लिए भूमि दान में दी थी | शाहजहाँ के आदेश पर ही शान्तिदास ने अहमदाबाद के निकट विशाल जैन मंदिर का निर्माण भी करवाया था |

*1636/37 ई. में शाहजहाँ ने सिजदा प्रथा को समाप्त कर उसके स्थान पर चहार तस्लीम की प्रथा प्रारंभ की और पगड़ी में सम्राट के चित्र को न लगाने का आदेश दिया |

*1637 ई. में शाहजहाँ ने इलाही संवत के स्थान पर हिजरी संवत को लागू करने का आदेश दिया |

*शाहजहाँ ने हिन्दू - मुस्लिमों के विवाह पर प्रतिबन्ध लगाने का आदेश जारी किया था |

*शाहजहाँ ने हिन्दुओं पर तीर्थ यात्रा कर पुनः आगू किया परंतु काशी के कवीन्द्राचार्य की प्रार्थना पर काशी में हटा दिया गया था किन्तु बाद में शाहजहाँ ने तीर्थ यात्रा कर को न लेने का आदेश भी दिया था |

*शाहजहाँ ने खम्भात के नागरिको की प्रार्थना पर गौ हत्या पर प्रतिबन्ध लगाने का आदेश भी जारी किया था और अहमदाबाद के चिंतामणि मंदिर का जीर्णोद्धार करने का आदेश भी इसी समय जारी किया था |

*शाहजहाँ के शासनकाल की प्रशासनिक व्यवस्था के बारे में यूरोपीय यात्री ट्रेवरनियर ने लिखा है - शाहजहाँ अपनी प्रजा पर राजा की तरह शासन नही करता था बल्कि जैसे अपने परिवार और पुत्रों  की सुरक्षा करता है ठीक उसी प्रकार शासन करता था |

*शाहजहाँ के शासनकाल की न्याय व्यवस्था के बारे में वर्नियर ने निष्पक्ष न्याय की प्रशंसा की | शाहजहाँ ने न्याय के लिए बुधबार का दिन निश्चित किया था |

*शाहजहाँ के शासनकाल की आर्थिक व्यवस्था के बारे में इतिहासकार मोरलैण्ड ने कृषक प्रशांति का युग कहा है |

*शाहजहाँ ने महान कवि जगन्नाथ को महाकविराय की उपाधि प्रदान की थी |

*शाहजहाँ के शासनकाल में ही इब्न हरण ने रामायण का तथा मुंशी बनबारी दास ने प्रबोध चंद्रोदय का फारसी में अनुवाद गुलजोर हाल नाम से किया |

*शाहजहाँ का प्रिय राग धुर्पद था |

*मुहम्मद फ़क़ीर और मीर हासिम शाहजहाँ के समकालीन प्रमुख चित्रकार थे |

*शाहजहाँ के शासनकाल को स्थापत्य कला का स्वर्णयुग कहा जाता है क्योंकि शाहजहाँ के शासनकाल में दिल्ली का लालकिला, आगरा का ताजमहल, लाहौर का किला, शीशमहल, दिल्ली की जामा मस्जिद, आदि का निर्माण कराया गया था |

*शाहजहाँ के शासनकाल को अनेक इतिहासकार मुगलकालीन इतिहास का स्वर्ण युग मानते हैं |

*शाहजहाँ का शासनकाल 1627 - 1658 ई. के मध्य में था |

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