विजयनगर साम्राज्य का प्रारम्भिक इतिहास | संगम वंश का इतिहास |सालुव का इतिहास वंश | Vijayanagar Empire history in Hindi,

 

विजयनगर साम्राज्य के ऐतिहासिक स्त्रोत

ग्रन्थ                लेखक

नानार्थ रत्नमाला – ईरूगापा

हरविलास – श्रीनाथ

बाबरनामा – बाबर 

स्वरोचित सम्भव – पेड्डाना

मनुचरित – पेड्डाना

अमुक्तामाल्यद – कृष्णदेव राय

जाम्बवती कल्याणम् – कृष्णदेव राय

उषापरिणय – कृष्णदेव राय

 क्रॉनिकल ऑफ फर्नास नूनिज – नूनिज

अच्युत रायम्युदय – राजनाथ डिंडिम

ए फॉरगटन अंपायर – सेवेल

वसुचरितम – भट्टामूर्ति

विजयनगर साम्राज्य का परिचय

*1336 ई. में हरिहर प्रथम एवं बुक्का प्रथम ने संत विद्यारण्य एवं श्रृंगेरी के मठाधीश विद्यातीर्थ के आशीर्वाद से विजयनगर की स्थापना की थी।

*विजयनगर का आधुनिक नाम हंपी है जो आधुनिक कर्नाटक राज्य में स्थित है। हरिहर प्रथम एवं बुक्का प्रथम ने संगम वंश की स्थापना अपने पिता संगम के नाम पर की थी।

*विजयनगर साम्राज्य के अंतर्गत संगम वंश, सालुव वंश, तुलुव वंश और अराविडू वंश ने शासन किया था।

संगम वंश का इतिहास

हरिहर प्रथम का इतिहास

*हरिहर प्रथम संगम वंश के पहले शासक थे।

*विजयनगर राज्य की पहली राजधानी अनेगोण्डी में थी परंतु बाद में विजयनगर को दूसरी राजधानी बनाया गया।

*विजयनगर राज्य की राजभाषा तेलुगू थी ।

*हरिहर प्रथम का शासनकाल 1336 – 1356 ई. के मध्य में था |

बुक्का प्रथम का इतिहास

*बुक्का प्रथम ने वेदमार्ग प्रतिष्ठापक की उपाधि धारण की थी |

*बुक्का प्रथम को अभिलेखों में पूर्वी, पश्चिमी और दक्षिणी सागरों का स्वामी कहा गया है |

*बुक्का प्रथम ने विजयनगर का निर्माण कार्य पूर्ण करवाया था |

*बुक्का प्रथम की महान विजय मदुरा विजय मानी जाती है |

*बुक्का प्रथम ने वेदों के भाष्यकार सायणाचार्य को संरक्षण प्रदान किया था |

*बुक्का प्रथम का शासनकाल 1356 – 1377 ई. के मध्य में था |

हरिहर द्वितीय का इतिहास

*हरिहर द्वितीय ने राजाधिराज और राज्यपरमेश्वर जैसी उपाधियां धारण की थी |

*हरिहर द्वितीय विरुपाक्ष के उपासक थे |

*विद्वानों को संरक्षण देने के कारण हरिहर द्वितीय को राज व्यास और राज बाल्मीकि भी कहा जाता था |

*हरिहर द्वितीय के मुख्यमंत्री वेदों के भाष्यकार सायणाचार्य थे |

*हरिहर द्वितीय के एक अभिलेख में माधव विद्यारण्य को सर्वोच्च प्रकाश का अवतार कहा गया है |

*हरिहर द्वितीय के सेनापति ईरूगापा थे जिन्होंने नानार्थ रत्नमाला नामक पुस्तक की रचना की थी |

*हरिहर द्वितीय का शासनकाल 1377 – 1404 ई. के मध्य में था |

देवराय प्रथम का इतिहास

*देवराय प्रथम के शासनकाल में विजयनगर की विशेष उन्नति हुई उसने तुंगभद्रा नदी पर बांध बनवाया और नहरों का निर्माण भी करवाया था |

*देवराय प्रथम के शासनकाल में इटली के यात्री निकोलो कॉन्टी ने 1420 ई. में विजयनगर की यात्रा की थी |

*निकोलो कॉन्टी ने लिखा विजयनगर में बहुविवाह प्रथा, सती प्रथा और दास प्रथा का खूब प्रचलन था |

*देवराय प्रथम के दरबार में प्रसिद्ध तेलुगू कवि और हरविलास ग्रंथ के रचयिता श्रीनाथ रहते थे |

*देवराय प्रथम के बाद रामचंद्र और विजय शासक हुए |

*देवराय प्रथम का शासनकाल 1406 – 1422 ई. के मध्य में था |

देवराय द्वितीय का इतिहास

*देवराय द्वितीय को गजबेटकर और प्रौढ़ देवराय भी कहा जाता था |

*देवराय द्वितीय स्वयं को इंद्र का अवतार कहलवाना पसंद करते थे |

*देवराय द्वितीय के शासनकाल में ईरान के शासक शाहरुख का राजदूत अब्दुर्रज्जाक ने विजयनगर की यात्रा की थी |

*देवराय द्वितीय ने नाटक सुधानीति और ब्रह्मासूत्र पर एक टीका की रचना की थी |

*देवराय द्वितीय ने प्रसिद्ध कवि श्रीनाथ को कवि सार्वभौम की उपाधि प्रदान की थी |

*देवराय द्वितीय के बाद विजय द्वितीय शासक हुए |

*देवराय द्वितीय का शासनकाल 1422 – 1446 ई. के मध्य में था |

मल्लिकार्जुन का इतिहास

*मल्लिकार्जुन ने भी गजबेटकर और प्रौढ़ देवराय की उपाधि धारण की थी |

*मल्लिकार्जुन के शासनकाल में चीनी यात्री माहुयान ने विजयनगर की यात्रा की थी |

*मल्लिकार्जुन का शासनकाल 1446 – 1465 ई. के मध्य में था |

विरुपाक्ष द्वितीय का इतिहास

*विरुपाक्ष द्वितीय को संगम वंश का अंतिम शासक माना जाता है |

*1485 ई. में विरुपाक्ष के पुत्र ने उसकी हत्या कर दी और इसके बाद प्रौढ़ देवराय शासक हुए परंतु वह अयोग्य शासक थे |

*जिसका लाभ चंद्रगिरी के गवर्नर सालुव नरसिंह ने उठाया और राजसत्ता पर अधिकार कर विजयनगर में सालुव वंश की नींव डाली |

*विरूपाक्ष द्वितीय का शासनकाल 1465 – 1485 ई. के मध्य में था |

*संगम वंश का शासनकाल 1336 – 1485 ई. के मध्य में था |

सालुव वंश का इतिहास

सालुव नरसिंह का इतिहास

*सालुव वंश की स्थापना सालुव नरसिंह ने 1485 ई. में की थी |

*सालुव वंश विजयनगर साम्राज्य का दूसरा राजवंश था |

*सालुव नरसिंह के बाद इम्माड़ि नरसिंह शासक हुआ जिसकी हत्या वीर नरसिंह ने 1505 ई. में कर विजयनगर साम्राज्य में तीसरे राजवंश तुलुव वंश की स्थापना की |

*सालुव नरसिंह का शासनकाल 1485 – 1490 ई. के मध्य में था |

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ