फिरोजशाह तुगलक का इतिहास (1351 - 1388) | Firoz Shah Tughlaq History in Hindi |

 

ऐतिहासिक स्त्रोत

तारीख ए फिरोजशाही

तारीख ए फिरोजशाही ग्रन्थ की रचना जियाउद्दीन बरनी ने फ़ारसी भाषा में की थी और यह ग्रन्थ तुगलक वंश के शासक फिरोजशाह तुगलक को समर्पित है परन्तु इस ग्रन्थ में फिरोजशाह तुगलक के अलावा दिल्ली सल्तनत के अन्य सुल्तानों के शासनकाल में हुई विशेष घटनाओं की भी चर्चा की गई है | जियाउद्दीन बरनी के तारीख ए फिरोजशाही ग्रन्थ में फिरोजशाह तुगलक को दिल्ली का सबसे आदर्श सुल्तान तथा एक सच्चा मुसलमान बताया गया है |

तारीख ए फिरोजशाही

इस तारीख ए फिरोजशाही ग्रन्थ की रचना शम्स ए सिराज अफीफ ने की थी और इस ग्रन्थ को फिरोजशाह तुगलक की जीवनी माना जाता है क्योंकि इस ग्रन्थ में फिरोजशाह तुगलक के जीवन की समस्त घटनाओं का उल्लेख किया गया है | शम्स ए सिराज के द्वारा लिखे गए इस ग्रन्थ में फिरोजशाह तुगलक के शासनकाल को आर्थिक दृष्टि से सबसे अच्छा शासनकाल बताया गया है |

फतुहात ए फिरोजशाही

फतुहात ए फिरोजशाही ग्रन्थ की रचना स्वयं फिरोजशाह तुगलक ने की थी | फिरोजशाह तुगलक ने संभवता इस ग्रन्थ की रचना फ़ारसी भाषा में की थी क्योंकि इस ग्रन्थ को फिरोजशाह तुगलक की आत्मकथा माना जाता है और इसमें फिरोजशाह तुगलक ने स्वयं को एक आदर्श सुल्तान और एक सच्चा मुसलमान साबित करने की कोशिश की है |

फिरोजशाह तुगलक का प्रारम्भिक इतिहास

*फिरोजशाह तुगलक का जन्म 1309 ई. में आधुनिक पाकिस्तान के सिन्ध में हुआ था |

*फिरोजशाह तुगलक का वास्तविक नाम कमालुद्दीन फिरोज था |

*फिरोजशाह तुगलक के पिता का नाम मलिक रज्जब था |

*मलिक रज्जब को गयासुद्दीन तुगलक का छोटा भाई माना जाता है |

*फिरोजशाह तुगलक की माता का नाम बीबी जैला या बीबी नाला था |

*बीबी जैला अबूहर (आधुनिक पाकिस्तान के पंजाब में) के राजा रणमल की पुत्री थी |

*मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में फिरोजशाह तुगलक को अमीर ए हाजिब (दरबारी अधिकारी तथा सुल्तान से मिलने वाले लोगों की जाँच करने वाला) का पद प्रदान किया गया था |

*मार्च 1351 ई. में आधुनिक पाकिस्तान के सिन्ध में ज्वर (बुखार) के कारण मुहम्मद बिन तुगलक की मृत्यु हो गई थी इसके बाद वहीँ पर फिरोजशाह तुगलक को दिल्ली का सुल्तान घोषित कर दिया गया था |

*मार्च 1351 में फिरोजशाह तुगलक  का पहला राज्याभिषेक सिन्ध में ही हुआ था |

फिरोजशाह तुगलक का इतिहास

*फिरोजशाह तुगलक का दूसरा राज्याभिषेक अगस्त 1351 में दिल्ली के महल में हुआ था |

*फिरोजशाह तुगलक के राज्याभिषेक के बाद दिल्ली के मौलवियों ने 21 दिनों तक उत्सव मनाया था क्योंकि फिरोजशाह तुगलक उनका समर्थक था |

*दिल्ली का सुल्तान बनने के बाद फिरोजशाह तुगलक ने वजीर का पद मलिक मकबूल को प्रदान किया |

*मलिक मकबूल को खान ए जहाँ के नाम से भी जाना जाता है और खान ए जहाँ का मतलब होता है विश्व का स्वामी |

*मलिक मकबूल मूल रूप से तेलंगाना का ब्राह्मण था परन्तु बाद में उसने इस्लाम धर्म को क़ुबूल कर लिया था |

*फिरोजशाह तुगलक के शासनकाल में आर्थिक प्रगति का श्रेय मलिक मकबूल को ही प्रदान किया जाता है क्योंकि मलिक मकबूल के कहने पर ही फिरोजशाह तुगलक ने ब्राह्मणों पर जजिया कर (धार्मिक कर) लगाया था |

*तुगलक काल को वजारत का काल भी माना जाता है क्योंकि तुगलक काल में वजीर का पद सुल्तान के बाद सबसे सर्वश्रेष्ठ होता था |

*फिरोजशाह तुगलक के शासनकाल की मुख्य विशेषता उसकी राजस्व व्यवस्था को माना जाता है |

*फिरोजशाह तुगलक की राजस्व व्यवस्था के बारे में शम्स ए सिराज ने अपने तारीख ए फिरोजशाही ग्रन्थ में लिखा है - देश के प्रत्येक घर में आवश्यकतानुसार अन्न, फर्नीचर, सोना, चाँदी उपलब्ध है और ऐसी कोई महिला नहीं है जिसके पास गहने न हों |

*फिरोजशाह तुगलक के शासनकाल में राजस्व 6 करोड़ 25 लाख तक पहुँच गया था जो पिछले सुल्तानों की तुलना में बहुत अधिक था |

*मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में जनता पर 24 कर लगाए गए थे परन्तु फिरोजशाह तुगलक ने सभी करों को समाप्त कर केवल जजिया, जकात, खिराज और ख़ुम्स कर लगाए |

*खिराज – यह भूमिकर होता था जो उपज का 1/3 भाग लिया जाता था |

*जकात – यह संपत्ति कर होता था जो मुसलमानों से 2.5% लिया जाता था |

*जजिया – यह गैर मुस्लिमों से लिया जाने वाला धार्मिक कर था परन्तु ब्राह्मण और विकलांग व्यक्ति इस कर से मुक्त थे |

*फिरोजशाह तुगलक को दिल्ली सल्तनत का पहला सुल्तान माना जाता है जिसने अपने वजीर मलिक मकबूल की सलाह से ब्राह्मणों पर भी जजिया कर लिया था |

*ख़ुम्स – यह कर उस धन पर लिया जाता था जो युद्ध से प्राप्त हुआ हो, जमीन के अन्दर मिला हो या किसी से लूटा गया हो |

*फिरोजशाह तुगलक के शासनकाल में ख़ुम्स कर 1/5 भाग लिया जाता था परन्तु मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में 4/5 भाग लिया जाता था |

*फिरोजशाह तुगलक को दिल्ली सल्तनत का पहला सुल्तान माना जाता है जिसने एक नए कर हब ए शर्ब (सिंचाई कर) को लागू किया था |

*हब ए शर्ब कर उन किसानों से लिया जाता था जिनके खेतों की सिंचाई सरकारी नहरों से होती थी |

*फिरोजशाह तुगलक को दिल्ली सल्तनत का पहला सुल्तान माना जाता है जिसने राज्य की सम्पूर्ण आमदनी का ब्यौरा ख्वाज़ा हिसामुद्दीन से तैयार करबाया था |

*दोवारा से जागीरदारी प्रथा को शुरू करने का श्रेय भी, फिरोजशाह तुगलक को ही प्रदान किया जाता है |

*जागीरदारी प्रथा के अंतर्गत राज्य के समस्त अधिकारियों को वेतन के तौर पर जागीर दी जाती थी और उसी को जागीरदारी प्रथा कहा जाता था |

*इतलाक प्रथा की शुरुआत करने का श्रेय भी फिरोजशाह तुगलक को ही प्रदान किया जाता है |

*इतलाक प्रथा के अंतर्गत एक पत्र सैनिक या अधिकारी को प्रदान किया जाता था जिसे वह लगान वसूलने वाले अधिकारी को दिखाता था और उसे 50% लगान प्रदान किया जाता था |

*इतलाक प्रथा के अंतर्गत अधिकारी बहुत भ्रष्टाचार करने लगे थे परन्तु फिरोजशाह तुगलक ने स्वयं ही उन्हें प्रात्साहित किया था |

*फिरोजशाह तुगलक के शासनकाल को दिल्ली सल्तनत का सबसे भ्रष्ट शासनकाल भी माना जाता है |

*फिरोजशाह तुगलक का एक प्रसिद्ध कथन है – ख़जाना बड़ा होने से अच्छा है लोगों का कल्याण हो और दुखी मन से अच्छा है ख़जाना खाली हो |

*दीवान ए बंदगान नामक एक नए विभाग की स्थापना का श्रेय भी फिरोजशाह तुगलक को ही प्रदान किया जाता है जिसमें गुलाम भर्ती किए जाते थे |

*गुलामों की भर्ती और उनका निरीक्षण करने वाले अधिकारी को अर्ज ए बन्दगान कहा जाता था |

*फिरोजशाह तुगलक के शासनकाल में गुलामों की संख्या 180000 थी |

*गुलामों के निर्यात पर फिरोजशाह तुगलक ने प्रतिबन्ध लगा दिया था |

*फिरोजशाह तुगलक के द्वारा ही दीवान ए खैरात विभाग की स्थापना की गई थी |

*दीवान ए खैरात एक दान विभाग होता था |

*दीवान ए खैरात का मुख्य काम गरीब, अनाथ तथा विकलांग बच्चों की देखभाल करना होता था |

*दीवान ए खैरात विभाग के ही अंतर्गत विवाह विभाग भी होता था जो गरीब मुस्लिम लड़कियों की शादी के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करता था |

*दीवान ए एइस्तिहाक - यह पेंशन विभाग होता था जिसके अंतर्गत गरीब और वृद्ध मुस्लिमों को सुरक्षा प्रदान की जाती थी |

*दार उल शिफा – यह एक दवाखाना होता था जिसमें रोगियों की निशुल्क दवा के साथ - साथ उन्हें खाना भी दिया जाता था |

*सभी तुगलक शासकों में, स्थापत्य कला का सबसे अधिक विकास फिरोजशाह तुगलक के ही शासनकाल में हुआ था |

*फिरोजशाह तुगलक ने लोक निर्माण विभाग की स्थापना कर, मलिक गाजी और अब्दुल हक़ को उसका प्रमुख अधिकारी बनाया था |

*फिरोजशाह तुगलक के शासनकाल में राज्य का मुख्य वास्तुकार मलिक गाजी था और अब्दुल हक़ उसका सहायक वास्तुकार था |

*फिरोजशाह तुगलक के द्वारा 300 से भी अधिक नगरों को बसाया गया था जिसमें फ़तेहाबाद और हिसार (हरियाणा में), फ़िरोजपुर (पंजाब में), जौनपुर (उ.प्र. में), फिरोजाबाद और फ़िरोजपुर (दिल्ली में) के नगरों को प्रमुख माना जाता है |

*फिरोजशाह तुगलक के द्वारा बसाए गए नगरों में दिल्ली का फिरोजाबाद/फ़िरोजपुर नगर सबसे सुन्दर और प्रिय नगर था तथा इसे ही फिरोजशाह तुगलक के द्वारा बसाया जाने वाला अंतिम नगर भी माना जाता है |

*फिरोजशाह तुगलक ने 1352 में मदरसा ए फिरोजशाही का निर्माण करवाया था जो दिल्ली के हौज ए अलाई के पास स्थित था |

*फ़रिश्ता के अनुसार फिरोजशाह तुगलक ने 300 नगर, 20 महल, 40 मस्जिदें, 5 मकबरे और अनेक बाग बनबाए थे |

*इतिहासकार वूल्जले हेग ने फिरोजशाह तुगलक के शासनकाल को रोमन सम्राट आगस्टस के समान बताया है |

*फिरोजशाह तुगलक के द्वारा लिखे गए फतुहात ए फिरोजशाही ग्रन्थ के अनुसार कुतुबमीनार, जामा मस्जिद, शम्सी तालाब, अलाई दरवाज़ा और इल्तुतमिश के मकबरे का मरम्मत कार्य फिरोजशाह तुगलक शासनकाल में ही किया गया था |

*याहिया बिन अहमद सरहिन्दी के द्वारा लिखे गए तारीख ए मुबारकशाही ग्रन्थ के अनुसार फिरोजशाह तुगलक के शासनकाल में 5 बड़ी नहरों का निर्माण करबाया गया था |

*फिरोजशाह तुगलक ने दिल्ली में एक विशाल जल घड़ी का निर्माण भी करवाया था |

*कुछ इतिहासकारों ने फिरोजशाह तुगलक को जल घड़ी का आविष्कारक भी माना है परन्तु इसके बारे में स्पष्ट जानकारी प्रदान नहीं की गई है |

*फिरोजशाह तुगलक ने सम्राट अशोक के टोपरा और मेरठ स्तम्भ लेख को दिल्ली में स्थापित करवाया था |

*सम्राट अशोक के टोपरा स्तम्भ लेख को फिरोजशाह तुगलक ने सोने का स्तम्भ लेख कहा था और उसे अपने शाही महल में स्थित मस्जिद के पास स्थापित करवाया था |

*1837 में जेम्स प्रिन्सेप ने इसी स्तम्भ लेख को पढ़ने में सफलता प्राप्त की थी |

*टोपरा स्तम्भ लेख को सम्राट अशोक का अंतिम स्तम्भ लेख भी माना जाता है |

*टोपरा आधुनिक हरियाणा के अम्बाला जिले में स्थित है |

*सम्राट अशोक के मेरठ स्तम्भ लेख को दिल्ली लाया गया परन्तु वह टूट गया था, बाद में उसकी मरम्मत करके, दिल्ली में ही उसे भी स्थापित करवाया गया था |

*फिरोजशाह तुगलक ने प्रसिद्ध दो इतिहासकारों, जियाउद्दीन बरनी और शम्स ए सिराज को अपना संरक्षण प्रदान किया था |

*जियाउद्दीन बरनी के द्वारा लिखा गया तारीख ए फिरोजशाही ग्रन्थ फिरोजशाह तुगलक को ही समर्पित है परन्तु इसमें दिल्ली सल्तनत के अन्य शासकों जलालुद्दीन खिलज़ी, अलाउद्दीन खिलजी, मुबारक शाह खिलजी, नासिरुद्दीन खुसरो, गयासुद्दीन तुगलक और मुहम्मद बिन तुगलक का इतिहास भी मिलता है |

*शम्स ए सिराज ने भी अपने ग्रन्थ की रचना तारीख ए फिरोजशाही के नाम से की थी और इस ग्रन्थ को फिरोजशाह तुगलक की जीवनी माना जाता है क्योंकि इसमें फिरोजशाह तुगलक के शासनकाल की समस्त घटनाओं का उल्लेख विस्तार से किया गया है |

*फिरोजशाह तुगलक ने अपनी आत्मकथा फतुहात ए फिरोजशाही की रचना स्वयं की थी |

*फिरोजशाह तुगलक के शासनकाल में सबसे अधिक भारतीय ग्रंथों का अनुवाद फ़ारसी में किया गया था |

*संगीत पर आधारित ग्रन्थ राग दर्पण का फ़ारसी में अनुवाद फिरोजशाह तुगलक के ही शासनकाल में ही किया गया था |

*फ़ारसी भाषा का सर्वाधिक विकास फिरोजशाह तुगलक के ही शासनकाल में हुआ था |

*फिरोजशाह तुगलक ने अपने सिक्कों पर स्वयं के अलावा अपने बड़े पुत्र फ़तेह खां का नाम भी अंकित करवाया था |

*फिरोजशाह तुगलक को दिल्ली सल्तनत का पहला शासक माना जाता है जिसने इस्लामी कानून शरीयत को पूरी तरह से लागू किया था |

*फिरोजशाह तुगलक को सूफ़ी संत फरीरुद्दीन गंज शकर का शिष्य माना जाता है |

*फिरोजशाह तुगलक ने उ. प्र. के बहराईच में स्थित संत सलार मसूद गाजी के मकबरे का दो बार दर्शन किया था |

*फिरोजशाह तुगलक को दिल्ली सल्तनत के सभी शासकों में पहला शासक माना जाता है जिसने महिलाओं को, संतों की मज़ार पर जाने का प्रतिबन्ध लगा दिया था |
*फिरोजशाह तुगलक हिन्दुओं को जिम्मी कहता था |

*फिरोजशाह तुगलक ने भी मुहम्मद बिन तुगलक की तरह अमीर उल मोमनीन (खलीफ़ा का उत्तराधिकारी) की उपाधि धारण की थी |

*फिरोजशाह तुगलक ने अपने कुछ सिक्कों पर खलीफ़ा ए हाज़िम नाम अंकित करवाया था |

फिरोजशाह तुगलक के आक्रमण

*फिरोजशाह तुगलक ने बंगाल पर 1354 और 1359 में दो बार आक्रमण किया परन्तु सफलता नहीं मिली |

*1360 में फिरोजशाह तुगलक ने अपने चचेरे भाई जूना खां (मुहम्मद बिन तुगलक) की याद में जौनपुर नगर को बसाया था जो आज उत्तर प्रदेश का एक प्रसिद्ध शहर है |

*1360 में ही फिरोजशाह तुगलक ने जाजनगर (ओडिशा) पर आक्रमण किया और उस समय जाज नगर के राजा वीर भानुदेव तृतीय थे |

*वीर भानुदेव ने फिरोजशाह तुगलक के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था |

*इस समय फिरोजशाह तुगलक ने पुरी के जगन्नाथ मंदिर की मूर्ति को तोडा था क्योंकि उसे महमूद गजनवी की तरह स्वयं को बुतशिकन कहलबाना पसन्द था |

*1365 में फिरोजशाह तुगलक ने नगरकोट (कांगड़ा हि. प्र.) की ज्वालादेवी मंदिर की मूर्ति को तोडा था और वहां से प्राप्त लगभग 300 से भी अधिक ग्रंथों का फ़ारसी में अनुवाद करवाया था |

*ज्वालादेवी मंदिर से प्राप्त ग्रंथों का फ़ारसी में अनुवाद दैलायल ए फिरोजशाही के नाम से अजीजुद्दीन खालिद ने किया था |

*1367 में फिरोजशाह तुगलक ने थट्टा (आधुनिक पाकिस्तान के सिन्ध में) के शासक अलाउद्दीन जूना और सद्रुद्दीन बाह्बीना के विरुद्ध आक्रमण किया था |

*अलाउद्दीन जूना और सद्रुद्दीन बाह्बीना ने फिरोजशाह तुगलक की सेना को पराजित कर दिया था परन्तु भुखमरी व महामारी के कारण दोनों के मध्य समझौता हो गया था और यह समझौता सूफी संत सैय्यद हुसैन बुखारी ने करवाया था |

*फिरोजशाह तुगलक का थट्टा आक्रमण, आखिरी आक्रमण माना जाता है |

*फिरोजशाह तुगलक के सम्पूर्ण शासनकाल में एक मात्र राजपाल शम्सुद्दीन दमगानी जो गुजरात का राजपाल था उसने 1377 में विद्रोह किया था |
*1369 में फिरोजशाह तुगलक के वजीर मलिक मकबूल की मृत्यु के बाद उसके पुत्र जूना खां को नया वजीर बनाया था |

*फिरोजशाह तुगलक ने आइन ए महरू को मुशरिफ ए मुमालिक के पद पर नियुक्त किया था |

*मुशरिफ ए मुमालिक सम्पूर्ण साम्राज्य का कर बसूलने वाला अधिकारी होता था |

*फिरोजशाह तुगलक ने अपने बड़े पुत्र फ़तेह खां को अपना उत्तराधिकारी चुना था परन्तु जुलाई 1374 में उसकी मृत्यु हो गई थी |

*इसके बाद फिरोजशाह तुगलक ने अपने तीसरे पुत्र मुहम्मद खां को अपना उत्तराधिकारी चुना और 1387 में नासिरुद्दीन मुहम्मद शाह की उपाधि देकर उसे गद्दी पर बैठाया |

*दिल्ली शासक बनने के बाद मुहम्मद खां ने भोग - विलासी जीवन जीना शुरू कर दिया था |

*इसी का लाभ उठाकर दिल्ली के कुछ दासों ने विद्रोह कर दिया था | इसी विद्रोह को मुहम्मद खां ने  दबाने का प्रयास किया परन्तु हार के भय से वह सिरमौर की पहाड़ियों में भाग गया था |

*अंत में फिरोजशाह तुगलक ने फ़तेह खां के पुत्र तुगलक शाह को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था |

*20 या 21 सितम्बर 1388 को दिल्ली में फिरोजशाह तुगलक की मृत्यु हो गई थी |

*फिरोजशाह तुगलक का शासनकाल 1351 – 1388 के मध्य में था |

फिरोजशाह तुगलक के उत्तराधिकारी

तुगलक शाह का इतिहास

*तुगलक शाह का पूरा नाम गयासुद्दीन तुगलक शाह द्वितीय था |

*दिल्ली का शासक बनने के बाद तुगलक शाह ने भोग विलासी जीवन जीना प्रारम्भ कर दिया था |

*इसी कारण अंत में उसका वध कर दिया गया था |

*तुगलक शाह का शासनकाल 1388 – 1389 के मध्य में था |

अबू बक्र शाह का इतिहास

*तुगलक शाह के बाद दिल्ली का शासक अबू बक्र शाह को बनाया गया परन्तु उसका सम्पूर्ण शासनकाल सिर्फ षड्यंत्रों में बीता |

*1390 में अबू बक्र शाह को हटाकर मुहम्मद शाह को दिल्ली का शासक बनाया गया था |

*अबू बक्र शाह का शासनकाल 1389 – 1390 के मध्य में था |

नासिरुद्दीन मुहम्मद शाह का इतिहास

*नासिरुद्दीन मुहम्मद शाह के शासनकाल में अधिकतर राज्यों ने स्वयं को स्वतंत्र घोषित कर दिया था |

*नासिरुद्दीन मुहम्मद शाह का सम्पूर्ण जीवन विद्रोहों को दबाने में बीता और जनवरी 1394 में उसकी मृत्यु हो गई थी |

*नासिरुद्दीन मुहम्मद शाह का शासनकाल 1390 – 1394 के मध्य में था |

अलाउद्दीन सिकंदर शाह का इतिहास

*अलाउद्दीन सिकंदर शाह ने जनवरी 1394 में दिल्ली का सिंहासन प्राप्त किया था |

*अलाउद्दीन सिकंदर शाह का वास्तविक नाम हुमायूँ था |

*अलाउद्दीन सिकंदर शाह की मृत्यु मार्च 1394 में ही हो गई थी |

*अलाउद्दीन सिकंदर शाह का शासनकाल 1 माह 15 दिन का था |

*अलाउद्दीन सिकंदर शाह के बाद उसके छोटे भाई नासिरुद्दीन महमूद को दिल्ली का शासक बनाया गया था |         

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