#186 - मुहम्मद बिन तुगलक और उसका सम्पूर्ण इतिहास | Muhammad Bin Tughlaq History |

 


ऐतिहासिक स्त्रोत

तारीख ए फ़िरोजशाही ग्रन्थ

जियाउद्दीन बरनी के द्वारा फ़ारसी भाषा में लिखे गए तारीख ए फ़िरोजशाही ग्रन्थ में मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल की विस्तृत रूप से चर्चा की गई है, जिसमें मुहम्मद बिन तुगलक को सृष्टि का आश्चर्य बताया गया है |

रेहला ग्रन्थ

अफ़्रीकी देश, मोरक्को के प्रसिद्ध यात्री इब्नबतूता के द्वारा अरबी भाषा में लिखे गए रेहला ग्रन्थ में मुहम्मद बिन तुगलक के दरबार, व्यक्तिगत जीवन एवं प्रमुख योजनाओं की विस्तृत रूप से चर्चा की गई है | रेहला ग्रन्थ इब्नबतूता की यात्राओं का वर्णन किया गया है और इस ग्रन्थ को किताब ए रेहला तथा किताब उल रेहला के नाम से भी जाना जाता है |

प्रारम्भिक जीवन

*मोहम्मद बिन तुगलक का वास्तविक नाम मलिक फखरुद्दीन जूना खां था |

*1320 में जब, गयासुद्दीन तुगलक को दिल्ली का सुल्तान बनाया गया तो उस समय जूना खां उर्फ़ मुहम्मद बिन तुग़लक को उलूग खां की उपाधि से सम्मानित किया गया था |

*मार्च 1325 में जब गयासुद्दीन तुगलक की मृत्यु हुई इसके बाद जूना खां ने मोहम्मद बिन तुगलक के नाम से दिल्ली का सिंहासन प्राप्त किया |

*मोहम्मद बिन तुगलक ने स्वयं खलीफा की उपाधि अमीर उल मोमनीन (यानि विश्वसियों का कमांडर) की उपाधि धारण की और अपने सिक्कों पर जिल्लिलाह (यानि ईश्वर की परछाई) शब्द शब्द अंकित करवाया |

*1344 में मुहम्मद बिन तुग़लक ने खलीफ़ा अलहकीम द्वितीय से सुल्तान पद की वैधानिक स्वीकृति प्राप्त की थी |

प्रशासनिक कार्य 

*सुल्तान बनने के बाद मोहम्मद बिन तुगलक ने अपने चचेरे भाई मलिक फिरोज को नायब बारबक (यानि दरबार की शान और शौकत बढ़ाने वाला) के पद पर नियुक्त किया |

*मलिक बयाज़ खिलजी को कादर खां की उपाधि तथा लखनौती (आधुनिक नाम गौड़ पश्चिम बंगाल में) का राज्यपाल नियुक्त किया |

*कमालुद्दीन को सद्र ए जहाँ (यानि धार्मिक न्याय करने वाला काजी) के पद पर तथा शेख शिहाबुद्दीन को दीवान ए मुस्तखराज (यानि बकाया लगान वसूलने वाला अधिकारी) के पद पर नियुक्त किया |

*दिल्ली सल्तनत के सभी सुल्तानों में, मोहम्मद बिन तुगलक का साम्राज्य सबसे बड़ा माना जाता है क्योंकि उस समय साम्राज्य 23 प्रांतों में बटा हुआ था |  

*मोहम्मद बिन तुगलक को दिल्ली सल्तनत प्रथम सुल्तान माना जाता है जिसने अपने राज्य के अधिकारियों की नियुक्ति योग्यता के आधार पर की |

*मोहम्मद बिन तुगलक को भारतीय इतिहास में प्रथम शासक माना जाता है जिसने सती प्रथा को रोकने का प्रयास किया |

*मोरक्को के यात्री इब्नबतूता, मोहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल, 1333 ई. में ही भारत आए थे |

*मोहम्मद बिन तुगलक ने इब्न बतूता को दिल्ली का काजी नियुक्त किया था |

*1342 में मोहम्मद बिन तुगलक ने इब्नबतूता को अपना राजदूत बनाकर चीन भेजा था |

धार्मिक नीति

*मोहम्मद बिन तुगलक को दिल्ली सल्तनत का पहला शासक माना जाता है जिसने सभी धर्मों के प्रति अपनी आस्था रखी और सभी को बराबरी का सम्मान प्रदान किया |

*मोहम्मद बिन तुगलक ने रतन सिंह को सिन्ध का सूबेदार बनाया और अजीम उस सिन्ध (यानि सिंध का सर्वोच्च अधिकारी) की उपाधि प्रदान की थी |

*हिन्दुओं के त्यौहार होली में शामिल होने वाला, पहला शासक मोहम्मद बिन तुगलक को ही माना जाता है | 

*मोहम्मद बिन तुगलक ने जैन विद्वान जिनप्रभा सूरी से आधी रात तक वार्ता की और 1 हज़ार गाय जिनप्रभा सूरी को दान में दी थीं |

*मोहम्मद बिन तुगलक ने जैन विद्वान राजशेखर को अपने दरबार में संरक्षण प्रदान किया था |  

*मोहम्मद बिन तुगलक को दिल्ली सल्तनत के प्रथम शासक माना जाता है जिसने सभी धर्म के साधुओं के लिए धर्मशालाओं का निर्माण करवाया था |

*गायों के लिए गौशाला का निर्माण करवाने वाला दिल्ली सल्तनत का पहला शासक मुहम्मद बिन तुगलक को ही माना जाता है | 

*मोहम्मद बिन तुगलक का सूफीबाद में विश्वास नहीं था लेकिन सूफी संतों को बहुत सम्मान प्रदान किया |

मोहम्मद बिन तुगलक को शेख अलाउद्दीन का शिष्य माना जाता है |  

*अजमेर में स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह तथा बहराइच में स्थित सालार मसूद गाजी के मकबरे का दर्शन करने वाला दिल्ली सल्तनत का पहला शासक मुहम्मद बिन तुगलक को ही माना जाता है |

*मोहम्मद बिन तुगलक ने बदायूं में मीरन मुलहीम, दिल्ली में शेख निजामुद्दीन औलिया, मुल्तान में शेख रुकनुद्दीन, अजोधन (आधुनिक पाकिस्तान में) में शेख अलाउद्दीन आदि संतों की कब्रों पर मकबरों का निर्माण करवाया था |

*मोहम्मद बिन तुगलक की इसी धार्मिक सहिष्णुता के कारण नासिरुद्दीन चिराग ए दिल्ली, इसामी तथा जियाउद्दीन बरनी ने अपने ग्रंथों में अधर्मी तथा इस्लाम का विरोधी बताया है |

प्रशासनिक सुधार

*मोहम्मद बिन तुगलक को दिल्ली सल्तनत के प्रथम शासक माना जाता है जिसने सूबों  की आय-व्यय का हिसाब रखने के लिए, एक रजिस्टर तैयार करवाया और शताधिकारी  नामक एक नए अधिकारी की नियुक्ति की |

*शताधिकारी 100 गांवों के लगान वसूलने वाले अधिकारियों का प्रमुख होता था |

*मोहम्मद बिन तुगलक को दिल्ली सल्तनत का प्रथम शासक माना जाता है जिसने अकाल पीड़ितों के लिए सहायता प्रदान की और किसानों को कृषि ऋण भी प्रदान किया |

*मोहम्मद बिन तुगलक ने किसानों की भरपाई के लिए दीवान ए अमीर कोही (कृषि विभाग) की स्थापना की | *दीवान ए अमीर कोही विभाग का प्रमुख अधिकारी अमीर ए कोही होता था |

*मोहम्मद बिन तुगलक ने पूरे भारत पर राज करने के उद्देश्य से 1326 – 27  में  राजधानी दिल्ली से देवगिरि (आधुनिक दौलताबाद महाराष्ट्र में) स्थानांतरित करने का निर्णय किया |

*इसी समय देवगिरि का नया नाम कुतुबुल इस्लाम रखा गया था |

*दिल्ली में ढाले गए सिक्कों पर तख़्तगाहे दिल्ली और दौलताबाद में ढाले गए सिक्कों पर तख्तगाहे दौलताबाद लिखा था |

*1335 में मोहम्मद बिन तुगलक ने दिल्ली को पुनः राजधानी बनाया था |

*इसी समय दक्षिण भारत में चिश्ती सिलसिले की नीव शेख निजामुद्दीन औलिया के शिष्य शेख बुरहानुद्दीन गरीब ने रखी थी और देवगिरि (दौलताबाद) को इस्लामी शिक्षा का केंद्र बनाया गया था |

*1329 - 30  में मोहम्मद बिन तुगलक ने सांकेतिक मुद्रा को वैधानिक आधार देकर लागू किया था |

*दोआनी नामक एक नया सिक्का तथा दीनार नामक एक स्वर्ण मुद्राएं जारी की थी |

*मोहम्मद बिन तुगलक ने सिक्कों पर कलमा खुदवाना बंद करवा दिया |

*चांदी के सिक्कों को टंका और सोने के सिक्कों को ज़ीतल कहा जाता था |

*मोहम्मद बिन तुगलक ने प्रतीक मुद्रा के रूप में कांसे के सिक्के का प्रचलन किया |

*इसी समय जियाउद्दीन बरनी ने कहा था - प्रत्येक हिंदू का घर टकसाल बन गया था |

*एडवर्ड् टॉमस ने मोहम्मद बिन तुगलक को - धनवानों का राजकुमार कहा है |

*मोहम्मद बिन तुगलक के शासन काल, 1341 ई. में चीन के मंगोल सम्राट तोमर तिगून ने बौद्ध मंदिरों को देखने के लिए भारत की यात्रा की थी |

*मोहम्मद बिन तुगलक ने चीन के सम्राट सहित सभी को अजीज (प्रिय) की उपाधियां प्रदान की थी |

प्रमुख विद्रोह

*दिल्ली सल्तनत के सभी सुल्तानों में सर्वाधिक 22 विद्रोही मोहम्मद बिन तुगलक के शासन काल में हुए थे और इसी संदर्भ में मोहम्मद बिन तुगलक ने जियाउद्दीन बरनी से कहा मेरा राज्य रोग ग्रस्त है उस रोग की कोई दवा नहीं है यदि वैध कमर दर्द तथा सिर दर्द का उपचार करता है तो ज्वर बढ़ जाता है यदि वह ज्वर का उपचार करता है तो धमनियों में रुकावट आ जाती है | मेरे राज्य को एक ही समय में पृथक-पृथक बीमारियों ने जकड़ लिया है |

*प्रथम विद्रोह मोहम्मद बिन तुगलक के चचेरे भाई बहाउद्दीन गुरशास्प ने किया था |

*बंगाल विद्रोह - 1340 में शम्सुद्दीन जो लखनौती (आधुनिक गौड़, पश्चिम बंगाल) एवं सुनार गांव (आधुनिक बांग्लादेश) का शासक था उसने अपनी स्वतंत्रता की घोषणा कर दी थी |

*मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में दिल्ली सल्तनत से स्वतंत्र होने वाला बंगाल पहला प्रांत था |

*मावर या मदुरा विद्रोह - दक्षिण भारत का यह पहला विद्रोह था इस विद्रोह को दबाने के लिए मोहम्मद बिन तुगलक को स्वयं दक्षिण भारत जाना पड़ा लेकिन प्लेग की महामारी से अधिकांश सैनिकों की मृत्यु होने पर वापस आना पड़ा और मदुरा (आधुनिक मदुरई, तमिल नाडु) स्वतंत्र हो गया था |

*एहसान शाह ने मदुरई में स्वतंत्र राज्य की स्थापना की और उसी समय से मोहम्मद बिन तुगलक के साम्राज्य का विघटन शुरू हो गया था |

*विजयनगर साम्राज्य की स्थापना - प्लेग की महामारी फैलने से मोहम्मद बिन तुगलक दोवारा दक्षिण भारत नहीं पहुंच पाया और उसी समय 1336 में  हरिहर एवं उनके भाई बुक्का ने कृष्णा नदी के दक्षिण में एक स्वतंत्र राज्य की स्थापना की जिसका धीरे-धीरे विस्तार विजयनगर साम्राज्य के रूप में विस्तार हुआ |

*बहमनी राज्य की स्थापना - 1346 में हसन गंगू ने इमादउलमुल्क की हत्या कर देवगिरि (आधुनिक दौलताबाद, महाराष्ट्र) पर अधिकार कर लिया था |

*हसन गंगू ने अलाउद्दीन बहमन शाह की उपाधि धारण कर 1347 में बहमनी राज्य की स्थापना की |

*तगी का विद्रोह- तगी एक दरबार के अधीक्षक पद पर था जिसने गुजरात में विद्रोह किया था, इसी विद्रोह को दबाने के लिए मोहम्मद बिन तुगलक को गुजरात जाना पड़ा |

*अहिलवाडा के निकट दोनों सेनाओं के मध्य युद्ध हुआ लेकिन तगी भागकर थट्टा (आधुनिक सिन्ध का निचला हिस्सा) चला गया |

*उसी का पीछा करते हुए मोहम्मद बिन तुगलक ने सिंध की ओर प्रस्थान किया लेकिन रास्ते में ही 20 मार्च 1351 को ज्वर से उसकी मृत्यु हो गई |

*मोहम्मद बिन तुगलक की मृत्यु पर टिप्पणी करते हुए बदायूँनी ने लिखा राजा को अपनी जनता से तथा जनता को अपने राजा से मुक्ति मिल गई |

*इसी संदर्भ में जियाउद्दीन बरनी ने लिखा अंततः लोगों को उससे मुक्ति मिली, उसे लोगों से |

*मोहम्मद बिन तुगलक का शासनकाल 1325 - 1351 ई. के मध्य में था |

शिक्षा और साहित्य

*दिल्ली सल्तनत के सभी सुल्तानों में मोहम्मद बिन तुगलक को सबसे ज्यादा शिक्षित सुल्तान माना जाता है |

*मोहम्मद बिन तुगलक ने अरबी, फारसी, गणित, नक्षत्र विज्ञान, भौतिक शास्त्र, तर्कशास्त्र तथा चिकित्सा शास्त्र की शिक्षा प्राप्त की थी |

*मुहम्मद बिन तुगलक के ही शासनकाल में जियाउद्दीन बरनी ने तारीख ए फिरोजशाही ग्रन्थ (फारसी में) और फतवा ए जहांदारी (अरबी में) की रचना की थी |

*मोहम्मद बिन तुगलक के दरबार में बदरुद्दीन नामक एक प्रमुख कवि थे जिन्होंने मोहम्मद बिन तुगलक की प्रशंसा में कसीदों (शायरी के समान) की रचना की |

*बदरुद्दीन की प्रमुख रचनाएं दीवान ए चाच एवं शाहनामा थीं |

*शाहनामा, मोहम्मद बिन तुगलक को समर्पित है |

स्थापत्य संगीत एवं चित्रकला

*मोहम्मद बिन तुगलक ने अदलाबाद (उ.प्र) एवं जहांपनाह (दिल्ली के निकट) नामक नगरों को बसाया था |  

*मोहम्मद बिन तुगलक को संगीत के प्रेमी माना जाता है |

*मुहम्मद बिन तुगलक के दरबार में 1200 गायक रहते थे जो गाने के साथ-साथ संगीत शिक्षा भी प्रदान करते थे |

*मोहम्मद बिन तुगलक के दरबार में प्रसिद्ध चित्रकार शाहपुर रहते थे जिन्होंने एक संगीत सभा का चित्रण किया था |

*मोहम्मद बिन तुगलक ने एक वस्त्र निर्माणशाला की स्थापना करवाई थी जहां पर रेशमी कपड़े का काम होता था |

मोहम्मद बिन तुगलक का व्यक्तित्व

मोहम्मद बिन तुगलक को दिल्ली सल्तनत के सभी सुल्तानों में सर्वाधिक शिक्षित शासक माना जाता है परंतु इसामी ने सुल्तान को द्वितीय जयीद (इस्लाम का दुश्मन), खूनी, रक्त पिपासु, निरंकुश और विधर्मी बताया है |  जियाउद्दीन बरनी ने विपरीत तत्वों का मिश्रण तथा सृष्टि का आश्चर्य बताया | एलफिंस्टन के अनुसार मोहम्मद बिन तुगलक में पागलपन का कुछ अंश था | इब्नबतूता के अनुसार सुल्तान सबसे  ज्यादा व ऐसा मनुष्य, जो सदा ठीक व सच्चा करने के लिए तत्पर व उत्सुक रहने वाला था” |

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