ऐतिहासिक तथ्य
तबक़ात ए नासिरी
तबक़ात ए नासिरी की रचना 13वी शताब्दी में मिन्हाज़ उस सिराज़ के द्वारा फ़ारसी भाषा में की गई थी और तबक़ात ए नासिरी में रज़िया सुल्तान के बारे में लिखा है - “सुल्तान रजिया बुद्धिमान, उदारवादी, न्यायप्रिय, और जनता का दुःख/दर्द समझने वाली महान शासिका थी परन्तु महिला होने के कारण पुरुषों की नज़र में, ये सभी गुण बेकार थे” |
तारीख ए फ़रिश्ता
तारीख ए फ़रिश्ता ग्रन्थ की रचना मुहम्मद कासिम फ़रिश्ता के द्वारा फ़ारसी भाषा में की गई थी और इसमें रजिया के बारे में लिखा है - “जब भी रानी घोड़े पर सवार होती थी तो अमीर ए अखूर (अस्तबल का प्रमुख अधिकारी) मलिक जमालुद्दीन याकूत हमेशा अपने हाथों से सहारा देता था | रानी और मलिक याकूत की घनिष्ठता से उनके प्रेम सम्बंधों का पता चलता है” |
रज़िया का प्रारम्भिक इतिहास
*रज़िया का जन्म 1205 में बदायूं (आधुनिक उ.प्र. में) हुआ था |
*रज़िया का वास्तविक नाम ज़लॉलात उद दीन रज़िया था परन्तु कुछ इतिहासकारों ने रज़िया उद दीन, रज़िया सुल्तान, रज़िया सुल्ताना भी लिखा है |
*रज़िया के पिता का नाम शम्स उद दीन इल्तुतमिश था |
*रज़िया की माता का नाम तुरकान ख़ातून था जिन्हें क़ुतुब बेगम के नाम से भी जाना जाता है |
रज़िया सुल्तान का इतिहास
*1236 में शाह तुरकान के अत्याचारों से परेशान होकर रज़िया ने लाल वस्त्र (न्याय का प्रतीक) पहनकर दिल्ली की जनता से अपील की |
*दिल्ली की जनता ने शाह तुरकान और रुकनुद्दीन फिरोजशाह को बंदी बनाकर और रज़िया को दिल्ली की गद्दी पर बैठा दिया था |
*10 नवम्बर 1236 को रज़िया का राज्याभिषेक हुआ |
*रज़िया को भारत की पहली मुस्लिम महिला शासिका भी माना जाता है |
*दिल्ली की शासिका बनने के बाद रज़िया ने उमदत उल निस्वां की उपाधि धारण कर सिक्के जारी किए थे |
*रज़िया ने महिलाओं के वस्त्रों का त्याग कर पुरुषों की तरह कुर्ता और पगड़ी पहनना शुरू कर दिया था जो दिल्ली के तुर्क अमीरों को पसन्द नहीं था |
*रज़िया का दिल्ली की शासिका बनना तुर्क अमीरों और प्रधानमंत्री निज़ामुल ज़ुनैद को पसन्द नहीं था इसीलिए उन्होंने एक संघ बनाया जिसमें बदायूं का इक्तादार मलिक इज़ाउद्दीन मुहम्मद सालारी, मुल्तान का इक्तादार कबीर खां अयाज़ और लाहौर का इक्तादार मलिक अलाउद्दीन जानी शामिल था |
*इन सभी ने रज़िया के खिलाफ़ विद्रोह करना शुरू कर दिया था, रज़िया ने विद्रोहियों का दमन किया जिसमें लाहौर के इक्तादार मलिक अलाउद्दीन जानी की मृत्यु हो गई थी |
*रज़िया ने सभी विद्रोहियों को पद से हटाकर अपने विश्वासपात्र व्यक्तियों को पद पर नियुक्त किया था जिसमें लाहौर का इक्तादार कबीर खां अयाज़, बदायूं का इक्तादार मलिक इख्तियारुद्दीन एतगीन और भटिंडा का इक्तादार मलिक अल्तुनिया को बनाया था |
*रज़िया ने अपने सबसे विश्वासपात्र व्यक्ति मलिक जमालुद्दीन याकूत को अमीर ए अखूर (यानि अस्तबल का प्रमुख) के पद पर नियुक्त किया परन्तु तुर्क सरदारों ने मलिक याकूत को रज़िया का प्रेमी बताकर बदनाम करना शुरू कर दिया था |
*दिल्ली के तुर्क अमीरों ने लाहौर के इक्तादार कबीर खां अयाज़ और भटिंडा के इक्तादार मलिक अल्तूनिया के साथ मिलकर रज़िया के खिलाफ़ विद्रोह करना शुरू कर दिया |
*इसी विद्रोह को दबाने के लिए रज़िया ने भटिंडा की तरफ़ कूच किया और उसी दौरान तुर्क सरदारों ने रज़िया के सबसे विश्वासपात्र व्यक्ति मलिक जमालुद्दीन याकूत की हत्या कर दी |
*रज़िया ने सबसे पहले भटिंडा के इक्तादार मलिक अल्तूनिया पर आक्रमण किया परन्तु मलिक अल्तूनिया ने रज़िया को बंदी बनाकर भटिंडा की जेल में कैद कर दिया था |
*जब ये समाचार दिल्ली के तुर्क सरदारों को मिला तो उन्होंने इल्तुतमिश के तीसरे पुत्र मईजुद्दीन बहरामशाह को दिल्ली का सुल्तान घोषित कर दिया था |
*दिल्ली का सुल्तान बनने के बाद मुईजुद्दीन बहराम शाह ने अपने सभी विश्वासपात्र व्यक्तियों को उच्च पदों पर नियुक्त किया लेकिन रज़िया को बंदी बनाने वाले मलिक अल्तूनिया को कोई पद प्रदान नहीं किया गया जिससे मलिक अल्तूनिया और बहराम शाह के मध्य रिश्ते बिगड़ गए और इसी का फ़ायदा रज़िया ने उठाया |
*रज़िया ने मलिक अल्तूनिया से निकाह कर लिया और एक सेना बनाई जिसमें राजपूत, जाट और खोक्खर शामिल थे |
*मलिक अल्तूनिया के नेतृत्व में रज़िया ने दिल्ली पर आक्रमण किया परन्तु मुईजुद्दीन बहराम शाह ने रज़िया को बुरी तरह पराजित किया |
रज़िया की मृत्यु
*पराजित होने के बाद रज़िया और मलिक अल्तूनिया वापस भटिंडा आ रहे थे परन्तु कैथल (हरियाणा में) के पास डाकुओं ने 14 अक्टूबर 1240 को रज़िया और मलिक अल्तूनिया दोनों की हत्या कर दी थी |
*रज़िया की कब्र तुर्कमान गेट चाँदनी चौक दिल्ली और कैथल दोनों जगह मौजूद है परन्तु वास्तविक कब्र कौन सी है इसपर इतिहासकार एक मत नहीं हैं |
*रज़िया का शासनकाल 1236 – 1240 के मध्य में था |
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