मुहम्मद बिन कासिम का इतिहास | राजा दाहिर सेन का इतिहास | Muhammad Bin Qasim Ka Itihas |

 

ऐतिहासिक तथ्य

'मुहम्मद बिन कासिम का इतिहास' चचनामा ग्रन्थ में मिलता है जिसे 'फ़तेहनामा हिन्द' के नाम से भी जाना जाता है | 'चचनामा ग्रन्थ की रचना' अली अहमद के द्वारा की गई थी परन्तु कुछ इतिहासकार मानते हैं कि 'चचनामा ग्रन्थ' की सर्वप्रथम रचना किसी अज्ञात व्यक्ति के द्वारा अरबी भाषा में की गई थी | 'चचनामा ग्रन्थ का फ़ारसी में अनुवाद' अबू बकर अली कूफ़ी के द्वारा किया गया था, सर्वप्रथम मुहम्मद बिन कासिम के द्वारा सिन्ध विजय का उल्लेख चचनामा ग्रन्थ में ही मिलता है |

'मुहम्मद बिन कासिम का परिचय'

*मुहम्मद बिन कासिम को 'मीर कासिम' के नाम से भी जाना जाता है |

*मुहम्मद बिन कासिम का जन्म 31 दिसम्बर 695 ई. को सऊदी अरब के ताईफ़ शहर में हुआ था |

*मुहम्मद बिन कासिम के पिता का नाम कासिम बिन यूसुफ़ था |

*मुहम्मद बिन कासिम का बचपन उसके ताऊ हज्जाज़ बिन यूसुफ़ के यहाँ गुजरा जो इराक़ के गवर्नर थे |

*हज्जाज़ बिन यूसुफ़ ने मुहम्मद बिन कासिम को प्रशासन की सभी गतिविधियों सिखाईं और अपना सेनापति भी बनाया था |

*मुहम्मद बिन कासिम का निकाह हज्जाज़ बिन यूसुफ़ की पुत्री जुबेदाह के साथ हुआ था |

*708 ई. में देवल बंदरगाह पर एक इराक़ी जहाज को कुछ लुटेरों के द्वारा लूट लिया गया जब इसका समाचार इराक़ के गवर्नर हज्जाज़ बिन यूसुफ़ को मिला तो उसने सिन्ध के राजा, दाहिर को सन्देश भेजकर छतिपूर्ति की मांग की परन्तु राजा दाहिर ने कहा "लुटेरे मेरी प्रजा नहीं हैं और न ही में उन्हें दण्डित कर सकता हूँ" |

*हज्जाज बिन यूसुफ को राजा दाहिर का ये जवाब पसन्द नहीं आया और उसने राजा दाहिर को दण्डित करने के लिए 710 ई. में उबेदुल्लाह के नेतृत्व में सेना भेजी लेकिन राजा दाहिर ने उसे पराजित कर मार डाला |

*हज्जाज बिन यूसुफ ने 711 ई. में फिर से बुदैल के नेतृत्व में समुद्र के रास्ते सेना भेजी लेकिन उस सेना को भी राजा दाहिर ने पराजित कर वापस खदेड़ दिया |

*हज्जाज बिन यूसुफ का गुस्सा सातवे आसमान पर था और उसने 712 ई. में अपने भतीजे मुहम्मद बिन कासिम के नेतृत्व में 15000 कुशल सीरियाई तथा इराकी सैनिकों की सेना भेजी |

*मुहम्मद बिन कासिम मकरान होते हुए सबसे पहले देवल पहुंचा, देवल में राजा दाहिर के विरोधी मुहम्मद बिन कासिम से जा मिले और राजा दाहिर सारी गुप्त सूचनाएं बता दी |

*देवल में भगवान भोलेनाथ का एक प्रसिद्ध मंदिर था सबसे पहले कासिम के द्वारा उसको तोड़ा गया | मुहम्मद बिन कासिम ने 3 दिनों तक देवल में जनसंहार किया गया जिसमें 17 वर्ष से अधिक उम्र के अधिकत्तर पुरुषों को मार दिया गया और शेष बचे हुए लोगों पर जज़िया कर लगाया गया |

*देवल को जीतने के बाद मुहम्मद बिन कासिम सिन्ध की राजधानी अरोर की तरफ़ बढ़ा परन्तु राजा दाहिर की सेना से उसका मुकाबला रावर नामक स्थान पर ही हो गया और 20 जून 712 ई. को दोनों सेनाओं के मध्य भीषण युद्ध हुआ जिसमें राजा दाहिर की मृत्यु हो गई |

*राजा दाहिर की मृत्यु का समाचार जब किले में मौजूद महिलाओं को मिला तो राजा दाहिर की पत्नी रानीबाई ने कुछ महिलाओं का संघ बनाकर कासिम की सेना को रोकने का प्रयास किया लेकिन सीरियाई लड़ाकों के सामने महिलाएँ टिक नहीं पाई और उन्हें मार दिया गया |

*राजा दाहिर की दोनों पुत्रियों सूर्या देवी और परिमल देवी को बंदी बनाकर खलीफ़ा के पास भेज दिया गया |

*चचनामा ग्रन्थ के अनुसार जब राजा दाहिर की बेटियों को खलीफ़ा के सामने उपस्थित किया गया तो उन्होंने खलीफ़ा को बताया कि उनके कुमारित्व (यानि वर्जिनिटी) को ख़त्म कर दिया गया है | खलीफ़ा ने क्रोधित होकर सैनिकों को आदेश मुहम्मद बिन कासिम को बैल की खाल में बंध कर मेरे सामने लाया जाए, खलीफ़ा के सैनिकों ने वैसा ही किया लेकिन जब उसे खलीफ़ा के सामने लाया गया तब तक दम घुटने से उसकी मृत्यु हो चुकी थी |

 *मुहम्मद बिन कासिम की मृत्यु का ये नज़ारा राजा दाहिर की दोनों बेटियों ने देखा, नज़ारा देखकर उनका ह्रदय परिवर्तित हो गया और उन्होंने खलीफ़ा को सच्चाई बताई "मैंने अपने पिता का बदला लेने के लिए ऐसा झूठ कहा था" |

*खलीफ़ा का गुस्सा फिर सातवे आसमान पर पहुँच गया उसने सैनिकों को आदेश दिया कि "इन लड़कियों को घोड़े की पूंछ से बांधकर तब तक घसीटा जाए जब तक इनकी मृत्यु न हो जाए" |

'मुहम्मद बिन कासिम की मृत्यु'

*मुहम्मद बिन कासिम की मृत्यु के सम्बन्ध में कई कहानियाँ प्रचलित हैं - इराकी मान्यताओं के अनुसार 715 ई. में नया खलीफ़ा सुलेमान को बनाया गया उसने पुराने खलीफ़ा के सभी करीबियों को जेल में बंद करवा कर बुरी यातनाएं दी उन्हीं यातनाओं के कारण मुहम्मद बिन कासिम की मृत्यु हो गई थी..!

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