ह्वेनसांग का सम्पूर्ण इतिहास | History Of Xungzang |

व्हेनसांग का इतिहास

*व्हेनसांग का जन्म 602 या 605 ई. में चीन के होनान – फू प्रदेश के लुओयंग नामक स्थान पर हुआ था |

*व्हेनसांग के अन्य नाम ह्वेन सांग, युवान च्वांग, श्वान चांग, शाक्य मुनि और यात्रियों का राजकुमार थे |

*व्हेनसांग ने 622 ई. में बौद्ध धम्म की दीक्षा ली और एक पूर्ण बौद्ध साधु बन गए थे |

*629 ई. में व्हेनसांग ने बौद्ध धम्म की शिक्षा प्राप्ति के लिए भारत की यात्रा करने का निश्चय किया था |

*व्हेनसांग के लेखों को सी-यू-की के नाम से जाना जाता है जिसमें भारत को इन टू के नाम से सम्बोधित किया गया है |

*व्हेनसांग पाकिस्तान के पेशावर में स्थित कुषाण कालीन महाविहार को देखते हुए कश्मीर पहुंचे जहाँ पर 2 वर्षों तक शिक्षा प्राप्त की |

*व्हेनसांग कश्मीर से पुष्यभूति वंश की प्रारम्भिक राजधानी थानेश्वर पहुंचे और फिर वहां से मथुरा होते हुए सम्राट हर्षवर्धन की राजधानी कन्नौज पहुंचे, जहाँ पर सम्राट हर्ष ने व्हेनसांग का जमकर स्वागत किया |

*व्हेनसांग ने भारत के प्रमुख बौद्ध स्थलों कश्मीर, थानेश्वर, मथुरा, कन्नौज, अयोध्या, प्रयाग, कौशाम्बी, श्रावस्ती, कपिलवस्तु, कुशीनगर, वाराणसी, पाटिलपुत्र, बोधगया, राजगृह, नालंदा, असम, उड़ीसा, अमरावती और कांचीपुरम आदि की यात्रा की |

*व्हेनसांग ने 2 वर्ष तक नालंदा विश्वविद्यालय में बौद्ध धम्म, गणित, ज्योतिष और चिकित्साशास्त्र की शिक्षा प्राप्त की थी |  

*व्हेनसांग के अनुसार नालंदा विश्वविद्यालय में उस समय 10 हज़ार छात्र पढ़ते थे और उन्हें पढ़ाने के लिए 1 हज़ार शिक्षक मौजूद थे |

*नालंदा विश्वविद्यालय के खर्च को उठाने के लिए सम्राट हर्षवर्धन ने 200 गांव दान में दिए थे और सभी छात्रों को नि:शुल्क शिक्षा प्रदान की जाती थी |

*व्हेनसांग के समय नालंदा विश्वविद्यालय के प्राचार्य शीलभद्र थे |

*643 ई. में सम्राट हर्षवर्धन के द्वारा कन्नौज में आयोजित की गई धार्मिक सभा की अध्यक्षता व्हेनसांग ने ही की थी |

*644 ई. में व्हेनसांग ने चीन के लिए प्रस्थान किया और अपने साथ कई बौद्ध ग्रंथों को ले गए |

*व्हेनसांग के चीन पहुँचने पर वहां के राजा ने उनका खूब स्वागत किया |

*5 फरवरी 664 को व्हेनसांग की मृत्यु हो गई थी |  

*व्हेनसांग की खोपड़ी का एक हिस्सा 1956 में दलाई लामा ने भारत सरकार को सौंपा था जो आज भी पटना के संग्राहलय में सुरक्षित है |

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