गुर्जर प्रतिहार वंश का इतिहास | Gurjara Pratihara Dynasty |

 प्रतिहार वंश का परिचय

*राजस्थान के अलवर अभिलेख के अनुसार प्रतिहार, गुर्जरों की एक शाखा थी इसीलिए कुछ इतिहासकारों ने इस वंश को गुर्जर-प्रतिहार वंश भी कहा है | प्रतिहार राजाओं को उनके अभिलेखों में सूर्यवंशी क्षत्रिय बताया गया है और उनका मूल निवास स्थान राजस्थान तथा गुजरात के मध्य भाग में था और इस वंश की स्थापना हरिचन्द्र के द्वारा छठी शताब्दी में की गई थी | प्रतिहार राजाओं की प्रारम्भिक राजधानी उज्जैन या अवनी में थी |

नागभट्ट प्रथम

*नागभट्ट प्रथम का शासनकाल 730 से 756 ई. के मध्य माना जाता है |

*नागभट्ट प्रथम को प्रतिहार वंश का मुख्य संस्थापक भी माना जाता है |

*नागभट्ट प्रथम को ग्वालियर लेख में म्लेच्छों का विनाशक कहा गया है |

*नागभट्ट प्रथम को राष्ट्रकूट वंश के राजा दन्ति दुर्ग ने पराजित किया था |

*नागभट्ट प्रथम को मुख्यता मालवा का प्रतिहार राजा माना जाता है |

*725 ई. में सोमनाथ मंदिर को तोड़ने वाले अरब सेनापति जुनैद को राजस्थान के युद्ध में नागभट्ट प्रथम ने पराजित किया था |

*नागभट्ट प्रथम के बाद कुक्कुक और देवराज ने 756 से 770 ई. के मध्य शासन किया था परन्तु इनके शासनकाल में कोई विशेष घटना नहीं हुई |

वत्सराज

*वत्सराज, देवराज के पुत्र तथा उत्तराधिकारी थे |

*वत्सराज का शासनकाल 770 से 805 ई. के मध्य माना जाता है |

*वत्सराज के शासनकाल की जानकारी ग्वालियर लेख और जैन ग्रन्थ कुवल्यमाला से प्राप्त होती है |

*वत्सराज को कुछ इतिहासकारों ने प्रतिहार वंश का वास्तविक संस्थापक भी माना है |

*वत्सराज को राष्ट्रकूट राजा ध्रुव ने पराजित किया था |

नागभट्ट द्वितीय

*नागभट्ट द्वितीय, वत्सराज के पुत्र तथा उत्तराधिकारी थे |

*नागभट्ट द्वितीय का शासनकाल 805 से 833 ई. के मध्य माना जाता है |

*नागभट्ट द्वितीय ने कन्नौज के राजा चक्रायुद्ध को पराजित करके कन्नौज पर अधिकार कर लिया था |

*810 ई. में राष्ट्रकूट राजा गोविन्द तृतीय ने बुन्देलखण्ड के युद्ध में नागभट्ट द्वितीय को पराजित किया था |

*नागभट्ट द्वितीय ने 815 ई. में सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया था |

रामभद्र

*रामभद्र, नागभट्ट द्वितीय के पुत्र तथा उत्तराधिकारी थे |

*रामभद्र का शासनकाल 833 से 836 ई. के मध्य माना जाता है |

*रामभद्र को बंगाल के पाल वंशीय राजा देवपाल ने बुरी तरह पराजित किया था |

मिहिरभोज

*मिहिरभोज, रामभद्र के पुत्र तथा उत्तराधिकारी थे |

*मिहिरभोज का शासनकाल 836 से 885 ई. के मध्य माना जाता है |

*मिहिरभोज ने उत्तर प्रदेश के कन्नौज में अपनी राजधानी बनाई थी |

*मिहिरभोज ने ग्वालियर के तेली मंदिर का निर्माण भी करवाया था |

*मिहिरभोज भगवान विष्णु के भक्त थे |

*मिहिरभोज के सिक्कों पर आदिवराह अंकित है जिससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि मिहिरभोज ने आदिवराह की उपाधि धारण की थी |

*पाल वंश के राजा देवपाल और कलचूरि वंश के राजा कोक्कल ने मिहिरभोज को पराजित किया था |

*मिहिरभोज को प्रारम्भ में कई पराजयों का सामना करना पड़ा परन्तु अंत में मिहिरभोज ने अपने साम्राज्य को फिर से खड़ा कर लिया था |

महेन्द्रपाल प्रथम

*महेंद्रपाल प्रथम, मिहिरभोज के पुत्र तथा उत्तराधिकारी थे |

*महेन्द्रपाल प्रथम का शासनकाल 885 से 910 ई. के मध्य माना जाता है |

*महेन्द्रपाल प्रथम के शासनकाल में कोई महत्वपूर्ण घटना तो नहीं हुई परन्तु उसने अपने साम्राज्य को सुरक्षित रखा था |

*महेन्द्रपाल प्रथम के बाद भोज द्वितीय राजा बने जिसने 910 से 912 ई. मध्य में शासन किया था |

महीपाल

*महीपाल का शासनकाल 912 से 944 ई. के मध्य माना जाता है |

*महीपाल के दरवार में संस्कृत के महान कवि तथा नाटककार राजशेखर रहते थे जिन्होंने कर्पूरमंजरी, बाल रामायण, बाल भारत और काव्य मीमांसा नामक ग्रंथों की रचना की थी |

*महीपाल के बाद महेंद्रपाल द्वितीय, देवपाल, विनयपाल, महीपाल द्वितीय और विजयपाल राजा हुए परन्तु इनमें से कोई योग्य राजा नहीं हुआ |

राज्यपाल

*राज्यपाल के शासनकाल 1018 ई. में महमूद गजनवी ने कन्नौज पर आक्रमण किया और खूब लूट-पाट मचाई  परन्तु राज्यपाल ने उसका मुकाबला नहीं किया और कन्नौज छोड़कर भाग गया था जिससे नाराज होकर बुन्देलखण्ड के चन्देल वंशीय राजा गण्डदेव ने अपने पुत्र विद्याधर देव को भेजकर राज्यपाल की हत्या करवा दी थी |  

त्रिलोचनपाल

*त्रिलोचनपाल, राज्यपाल के पुत्र तथा उत्तराधिकारी थे |

*त्रिलोचनपाल का शासनकाल सम्भवता 1019 से 1027 ई. के मध्य माना जाता है |

*त्रिलोचनपाल के शासनकाल में फिर से महमूद ग़जनवी ने आक्रमण कर लूट-पाट मचाई लेकिन त्रिलोचनपाल ने महमूद गजनवी का सामना नहीं किया |

यशपाल

*यशपाल, त्रिलोचनपाल के पुत्र तथा उत्तराधिकारी थे |

*यशपाल का शासनकाल 1027 से 1036 ई. के मध्य माना जाता है |

*यशपाल को गुर्जर प्रतिहार वंश का अंतिम राजा भी माना जाता है |

*1036 ई. में यशपाल की हत्या गहड़वाल वंश के राजा चन्द्रदेव के द्वारा कर दी गई थी और कन्नौज पर एक नए राजवंश गहड़वाल वंश का उदय हुआ था |

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2 टिप्पणियाँ

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प्राचीन इतिहास PDF – http://bit.ly/3G9U4ye

मध्यकालीन इतिहास PDF – http://bit.ly/3LGGovu

आधुनिक इतिहास PDF – http://bit.ly/3wDnfX3

सम्पूर्ण इतिहास PDF – https://imojo.in/1f6sRUD