भारत में विदेशी आक्रमणकारी
1.यवन
2.शक
3.पहलव
4.कुषाण
185 ई. पू. में
मौर्य वंश के अंतिम राजा वृहद्रथ की हत्या करके पुष्यमित्र शुंग ने मगध के सिंहासन
पर अधिकार किया परन्तु इतने बड़े विशाल साम्राज्य को वह सम्भाल न सका और कुछ समय
बाद सम्पूर्ण साम्राज्य छिन्न – भिन्न हो गया क्योंकि जम्बूद्वीप (आधुनिक नाम
भारत) के कई राजाओं ने अपने आपको उसी समय स्वतंत्र घोषित कर दिया था | इसी कमजोरी
का फ़ायदा यवनों ने उठाया और 183 ई. पू. में यवनों ने भारत आक्रमण किया और
अफ़गानिस्तान, पाकिस्तान तथा पंजाब के बड़े भू-भाग कर अधिकार कर लिया | पुष्यमित्र
शुंग और उसके पुत्र अग्निमित्र ने पंजाब में कुछ यवन राजाओं को पराजित किया लेकिन
अफ़गानिस्तान और पाकिस्तान के भू-भाग पर यवनों का अधिकार रहा | यवनों पर विजय पाने
के बाद पुष्यमित्र शुंग ने अयोध्या (आधुनिक उ.प्र. में) में दो अश्वमेघ यज्ञों का
आयोजन करवाया जिसका उल्लेख राजा धनदेव के अयोध्या लेख में किया गया है |
1.यवन
भारत में सबसे
पहला यवन आक्रमणकारी डेमेट्रियस प्रथम को माना जाता है जिसने 183 ई. पू. में भारत
पर आक्रमण किया था उस समय मगध के राजा पुष्यमित्र शुंग थे | डेमेट्रियस प्रथम ने
अफ़गानिस्तान, पाकिस्तान और पंजाब को अपने अधीन करके अपनी राजधानी साकल (आधुनिक
स्यालकोट, पाकिस्तान में) को बनाया था | डेमेट्रियस प्रथम के बाद मिनांडर इस वंश
के सबसे शक्तिशाली राजा हुए जिनका शासनकाल 165 – 145 ई. के मध्य में माना जाता है
| मिनांडर को बौद्ध ग्रंथो में मिलिन्द नाम से उल्लेखित किया गया है क्योंकि मिनांडर
बौद्ध धम्म के अनुयायी थे उन्होंने अपने शासनकाल में अनेक बौद्ध विहारों का
निर्माण करवाया तथा बौद्ध धम्म का प्रचार – प्रसार भी करवाया | एक अज्ञात यूनानी
के द्वारा लिखे गए ग्रन्थ पेरिप्लस ऑफ़ दि एरिथ्रिन सी में मिनांडर के सिक्कों की
जानकारी प्रदान की गई है |
2.द्वितीय
यवन आक्रामण
दूसरा यवन
आक्रमणकारी यूक्रेटाइड्स वंश का एंटियालकीड्स था जिसने अपनी राजधानी तक्षशिला को
बनाया और एंटियालकीड्स ने ही अपने एक राजदूत हेलियोडोरस को विदिशा (आधुनिक नाम
भिलसा, म.प्र. में) के शुंग वंशीय राजा भागभद्र के दरवार में भेजा था | होलियोडोरस
ने विदिशा में एक गरुड़ स्तम्भ को स्थापित करवाया और उस पर वासुदेव का नाम अंकित
करवा के स्वयं भागवत धर्म को स्वीकार कर लिया था |
*भारत में
ज्योतिष को लाने का श्रेय यूनानी-यवनों को ही दिया जाता है जिसका उल्लेख कात्यायन
की गार्गी संहिता में किया गया है जो एक प्रसिद्ध ज्योतिष ग्रन्थ है |
*भारत में यवन
राजाओं के संपर्क से ही एक नवीन शैली होलेनिस्टिक कला का जन्म हुआ जो कुषाण वंश के
प्रसिद्ध राजा कनिष्क के समय की गांधार कला में देखने को मिलता है |
3.शक
यूनानियों के
बाद भारत पर मध्य एशिया के शकों ने आक्रमण किया दरअसल शक मध्य एशिया की एक बर्बर
जाति थी जिसकी कुल 5 शाखाएँ थीं और उन्होंने सबसे पहले अफ़गानिस्तान तथा पाकिस्तान
के बड़े भू-भाग पर अपना अधिकार किया | भारत में शकों की दो शाखाएँ महत्वपूर्ण मानी
जाती हैं पहली शाखा उत्तरी क्षत्रप और दूसरी शाखा के पश्चिमी क्षत्रप थी | उत्तरी
क्षत्रप तक्षशिला और मथुरा में तथा पश्चिमी क्षत्रप नासिक और उज्जैन में थी और शक
राजाओं ने स्वयं को क्षत्रप कहा है |
तक्षशिला
के शक
तक्षशिला में
शकों के प्रसिद्ध राजा माउस, एजेज और एजेलिस थे |
मथुरा
के शक
मथुरा का पहला
शक राजा राजउल था और उसके बाद उसका पुत्र शोडास राजा बना था |
नासिक
के शक
नासिक के शक
राजाओं में नह्पान का नाम सबसे प्रसिद्ध था जिसने 119 – 124 ई. में मध्य शासन किया
था और इसकी हत्या सातवाहन वंश के राजा गौतमीपुत्र शातकार्णी के द्वारा की गई थी |
उज्जैन
के शक
उज्जैन के शक
राजाओं में सबसे प्रसिद्ध राजा रूद्रदामन थे जिनका शासनकाल 130 – 150 ई. के मध्य
माना जाता है | रुद्रदामन के द्वारा ही सुदर्शन झील का पुनर्निर्माण करवाया गया था
जिसका उल्लेख रुद्रदामन ने अपने जूनागढ़ अभिलेख में किया है |
3.पहलव
पहलव जिन्हें
पार्थियाई भी कहा जाता है जो मूलतः ईरान के रहने वाले थे | भारत में पहलव
आक्रमणकारियों का राजा मिथ्रेडेट्स था जिसकी राजधानी तक्षशिला में थी |
मिथ्रेडेट्स के बाद गोंडोफर्नीज राजा बना जिसने 20 – 41 ई. के मध्य शासन किया था |
गोंडोफर्नीज के ही शासनकाल में प्रथम ईसाई धर्म प्रचारक सेंट थामस भारत आए थे
परन्तु तमिलनाडु में उनकी हत्या कर दी गई थी |
4.कुषाण
कुषाण मूलतः
कहाँ के रहने वाले थे इस पर इतिहासकार एक मत नहीं हैं परन्तु चीनी ग्रंथों के
अनुसार कुषाण यू-ची जाति की एक शाखा थी जो उत्तरी-पश्चिमी चीन के कानस नामक प्रदेश
में निवास करती थी | भारत में कुषाण वंश की स्थापना कुजुल कडफिसेस द्वारा की गई थी
और उसने अपनी राजधानी पेशावर (आधुनिक पाकिस्तान में) को बनाया था | कुषाण वंश के
प्रसिद्ध राजा कुजुल कडफिसेस, विम कडफिसेस और कनिष्क को माना जाता है तथा कुषाणों
की दूसरी राजधानी मथुरा में थी |
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प्राचीन इतिहास PDF – http://bit.ly/3G9U4ye
मध्यकालीन इतिहास PDF – http://bit.ly/3LGGovu
आधुनिक इतिहास PDF – http://bit.ly/3wDnfX3
सम्पूर्ण इतिहास PDF – https://imojo.in/1f6sRUD