शुंग वंश का परिचय
शुंग वंश का
इतिहास मालविकाग्निमित्र ग्रन्थ, विदिशा के गरुड़ स्तम्भ, दिव्यावदान, अयोध्या लेख,
हर्षचरित्र आदि ग्रंथों में मिलता है | शुंग वंश के राजा कौन थे..? देखिए इस
प्रश्न का जवाब देना बहुत मुश्किल कार्य है क्योंकि शुंग वंश का इतिहास किसी भी
ग्रन्थ में सही से नहीं मिलता है हालाँकि कुछ इतिहासकारों ने पुष्यमित्र शुंग को
बौद्ध विरोधी तथा अश्वमेघ यज्ञ करवाने के कारण हिन्दू धर्म से जोड़ने का प्रयास
करते हैं परन्तु यह पूरा सच नहीं है | बौद्ध ग्रन्थ, जैन ग्रन्थ तथा हर्षचरित्र
आदि ग्रंथों में पुष्यमित्र शुंग को गैर ब्राह्मण बताया गया और हर्षचरित्र ग्रन्थ
के रचयिता बाणभट्ट जो स्वयं ब्राह्मण थे उन्होंने पुष्यमित्र शुंग को शुद्र बताया
है इसीलिए यह कहपाना बहुत मुश्किल है कि शुंग वंश के राजा किस धर्म तथा किस जाति से
सम्बंधित थे |
1.पुष्यमित्र शुंग
*पुष्यमित्र
शुंग का शासनकाल संभवता 185 से 149 ई. पू. के मध्य में था |
*पुष्यमित्र
शुंग ने 185 ई. पू. में सेना का निरीक्षण करते समय मौर्य वंश के अंतिम राजा
वृहद्रथ की हत्या कर मगध का सिंहासन हासिल किया था |
*पुष्यमित्र शुंग
ने अपनी राजधानी अयोध्या में बनाई थी क्योंकि पाटिलपुत्र पुष्यमित्र शुंग के लिए
सुरक्षित राजधानी नहीं थी |
*पुष्यमित्र
शुंग ने जिस समय अयोध्या को अपनी राजधानी बनाया था उस समय अयोध्या का नाम साकेत था
परन्तु पुष्यमित्र शुंग ने ही साकेत का नाम परिवर्तित करके अयोध्या रखा था |
*बौद्ध ग्रन्थ
दिव्यावदान में पुष्यमित्र शुंग को बौद्ध साधुओं का हत्यारा तथा बौद्ध विहारों को
तोड़ने वाला बताया गया है | पुष्यमित्र शुंग ने उन बौद्ध साधुओं की हत्या की थी जो
सम्राट अशोक के समय में धम्म महामात्र नामक अधिकारी के अधीन कार्य करते थे और उनका
सीधा सम्बन्ध राजनीति से था |
*बौद्ध ग्रन्थ
दिव्यावदान के अनुसार पुष्यमित्र शुंग बौद्ध विरोध थे परन्तु यह पूरी तरह सत्य
नहीं है क्योंकि पुष्यमित्र शुंग ने अपने शासनकाल में कई बौद्ध स्तूपों का निर्माण
तथा पुनर्निर्माण करवाया जिसमें सबसे प्रमुख भरहुत का स्तूप तथा साँची का स्तूप
माना जाता है और यह दोनों स्तूप आधुनिक मध्य प्रदेश में हैं |
*पुष्यमित्र
शुंग के शासनकाल में ही सर्वप्रथम यूनानी यवन राजाओं ने डेमेट्रियस प्रथम के
नेतृत्व में जम्बूद्वीप (आधुनिक भारत) पर आक्रमण किया और अफ़गानिस्तान, पाकिस्तान
तथा पंजाब पर अधिकार कर लिया था परन्तु पुष्यमित्र शुंग ने अपने पुत्र अग्निमित्र
के साथ मिलकर पंजाब से कुछ यवन राजाओं को खदेड़ दिया था |
*पुष्यमित्र
शुंग ने यवनों पर विजय के उपलक्ष्य में अयोध्या में अश्वमेघ यज्ञ का आयोजन करवाया
था जिसका उल्लेख राजा धनदेव के अयोध्या लेख में किया गया है |
*पुष्यमित्र
शुंग ने यवन राजाओं के आक्रमणों को रोकने के लिए अपनी दूसरी राजधानी विदिशा
(आधुनिक म.प्र. में) में बनाई थी और वहां का राज्यपाल अपने पुत्र अग्निमित्र को
बनाया था |
*पतंजलि,
पुष्यमित्र शुंग के पुरोहित थे जिन्होंने महाभाष्य नामक टीका की रचना की थी |
*पुष्यमित्र
शुंग किस जाति या धर्म से सम्बंधित थे ये कहपाना बहुत मुश्किल है क्योंकि
पुष्यमित्र शुंग ने सभी धर्मों का समान रूप से स्वागत किया अगर आप पुष्यमित्र शुंग
को अश्वमेघ यज्ञ करवाने के कारण सनातन धर्म (आधुनिक हिन्दू धर्म) से सम्बंधित
मानते हैं तो ये उचित नहीं है क्योंकि पुष्यमित्र शुंग ने अपने शासनकाल में किसी
भी मंदिर का निर्माण नहीं करवाया और न ही अपने किसी भी लेख में उन्होंने स्वयं को
ब्राह्मण या सनातन धर्म से सम्बंधित बताया है |
2.अग्निमित्र
*अग्निमित्र,
पुष्यमित्र शुंग के पुत्र थे जिनका शासनकाल 149 – 141 ई. पू. के मध्य में था |
*अग्निमित्र ने
अपनी राजधानी विदिशा को बनाया था |
*कालिदास के
मालविकाग्निमित्र ग्रन्थ में अग्निमित्र और मालवा की राजकुमारी मालविका की प्रेम
कहानी वर्णित है |
*अग्निमित्र की
पहली रानी धारिणी, दूसरी रानी इरावती और तीसरी रानी मालविका थीं |
3.सुज्येष्ठ
*सुज्येष्ठ का
शासनकाल 141 – 133 ई. पू. के मध्य में था |
*सुज्येष्ठ शुंग
वंश के तीसरे राजा थे परन्तु इनका ज्यादा इतिहास उपलब्ध नहीं है |
4.वसुमित्र
*वसुमित्र का
शासनकाल 133 – 123 ई. पू. के मध्य में था |
*वसुमित्र बौद्ध
धम्म के अनुयायी थे |
*वसुमित्र ने
यवन आक्रमण के समय अपने पिता अग्निमित्र की सहायता की थी |
5.अन्ध्रक
*अन्ध्रक का
शासनकाल 123 – 121 ई. पू. के मध्य में था |
6.पुलिन्दक
*पुलिन्दक का
शासनकाल 121 – 118 ई. पू. के मध्य में था |
7.घोष
*घोष का शासनकाल
118 – 116 ई. पू. के मध्य में था |
8.वज्रमित्र
*वज्रमित्र का
शासनकाल 116 – 114 ई. पू. के मध्य में था |
9.भागभद्र
*भागभद्र का
शासनकाल 114 – 82 ई. पू. के मध्य में था |
*भागभद्र का
वास्तविक नाम भागवत था |
*भागभद्र भागवत
धर्म के अनुयायी थे |
*भागभद्र के
दरवार में यवन राजा एंटियालकीड्स ने अपने एक राजदूत हेलियोडोरस को विदिशा भेजा था
और हेलियोडोरस ने विदिशा में एक गरुड़ स्तम्भ का निर्माण करवाया था |
10.भवभूति
*भवभूति का
शासनकाल 82 – 73 ई. पू. के मध्य में था |
*भवभूति का
वास्तविक नाम देवभूति था |
*भवभूति शुंग
वंश के अंतिम राजा माना जाता है |
*73 ई. पू. में
भवभूति की हत्या उनके ही मंत्री वासुदेव के द्वारा कर दी गई थी और एक नए राजवंश कण्ड
वंश का उदय हुआ |
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प्राचीन इतिहास PDF – http://bit.ly/3G9U4ye
मध्यकालीन इतिहास PDF – http://bit.ly/3LGGovu
आधुनिक इतिहास PDF – http://bit.ly/3wDnfX3
सम्पूर्ण इतिहास PDF – https://imojo.in/1f6sRUD