सातवाहन वंश का परिचय
सातवाहन वंश के
प्रारम्भिक इतिहास पर भारतीय इतिहाकारों में मतभेद हैं इसीलिए प्रत्येक इतिहासकार
ने सातवाहन वंश का इतिहास अपने अनुसार लिखा है | सातवाहन वंश का इतिहास पुराणों
तथा अभिलेखों में मिलता है परन्तु पुराणों में अगल और अभिलेखों में अलग इतिहास
मिलता है क्योंकि पुराणों में सातवाहन वंश को आन्ध्र वंश कहा गया है इसीलिए कुछ
इतिहाकारों ने इस वंश को आन्ध्र - सातवाहन वंश कहा है | पुराणों के अनुसार सातवाहन
वंश की शुरुआत 700 ई. पू. में हुई थी परन्तु सातवाहन वंश के अभिलेखों के अनुसार
सातवाहन वंश की शुरुआत कण्व वंश के बाद हुई थी |
सातवाहन वंश के अभिलेखों के अनुसार
30 ई. पू. में आंध्र
के राजा सिमुक ने पाटिलपुत्र पर आक्रमण किया और कण्व वंश के अंतिम राजा सुशर्मन की
हत्या करके पाटिलपुत्र पर अधिकार कर लिया परन्तु पाटिलपुत्र पर सातवाहन राजाओं का
अधिकार ज्यादा समय तक नहीं रहा क्योंकि बाद में कुषाणों ने पाटिलपुत्र पर अधिकार
कर लिया था | सातवाहन राजा मूल रूप से आन्ध्र प्रदेश के रहने वाले थे इसीलिए
पुराणों में इन्हें आन्ध्र राजा कहा गया है और उनकी प्राचीन राजधानी आन्ध्र प्रदेश
के अमरावती में थी फिर बाद में कुछ सातवाहन राजाओं ने अपनी राजधानी महाराष्ट्र के
प्रतिष्ठान में बनाई तथा सातवाहन राजाओं की राजकीय भाषाएँ प्राकृत, संस्कृत, तेलगु
और तमिल थीं और उनका साम्राज्य महाराष्ट्र, कर्नाटक तथा आंध्र प्रदेश में फैला हुआ
था |
सातवाहन
वंश के ऐतिहासिक स्त्रोत
1.ऐतरेय
ब्राह्मण
2.मत्स्य
पुराण
3.ब्राह्मण
पुराण
4.वायु
पुराण
5.विष्णु पुराण
6.महाराष्ट्र के
पुणे जिले में नानाघाट लेख
7.गौतमी पुत्र
शातकर्णी का नासिक गुहालेख
सिमुक
*सिमुक को
सातवाहन वंश का पहला स्वतंत्र राजा माना जाता है क्योंकि सिमुक ने ही कण्व वंश के
अंतिम राजा सुशर्मन की हत्या करके पाटिलपुत्र पर अधिकार किया था |
*सिमुक को
सिन्धुक के नाम से भी जाना जाता है |
*सिमुक मूल रूप
से आन्ध्र के राजा थे जिनकी राजधानी अमरावती में थी |
*अमरावती आधुनिक
आन्ध्र प्रदेश के गुन्टूर जिले में स्थित है जो प्राचीन सातवाहन राजाओं की राजधानी
थी |
कृष्ण
*कृष्ण, सिमुक
के भाई थे जिन्हें कान्ह के नाम से भी जाना जाता है |
*कृष्ण के
शासनकाल में महाराष्ट्र के नासिक में एक गुफ़ा का निर्माण करवाया गया था |
*कृष्ण का
उल्लेख नासिक लेख में भी किया गया है |
शातकर्णी
प्रथम
*शातकर्णी प्रथम
का उल्लेख नासिक के लेखों में किया गया है |
*शातकर्णी प्रथम
के शासनकाल में उन्हें दक्षिणापथ का सबसे शक्तिशाली राजा माना जाता था |
*शातकर्णी प्रथम
का विवाह अंगीय वंश की राजकुमारी नागनिका या नयनिका से हुआ था |
*रानी नागनिका
के द्वारा ही महाराष्ट्र के पुणे जिले में स्थित नानाघाट लेखों को उत्कीर्ण करवाया
गया था जिसमें शातकर्णी प्रथम के कार्यों की चर्चा की गई है |
*शातकर्णी प्रथम
के द्वारा अश्वमेघ यज्ञ करवाने का उल्लेख भी मिलता है |
*शातकर्णी प्रथम
ने अपनी राजधानी महाराष्ट्र के प्रतिष्ठान में बनाई थी |
*शातकर्णी प्रथम
की मृत्यु के बाद रानी नागनिका ने राज्य के शासन की बागडोर सम्भाली और संरक्षिका
के रूप में शासन किया क्योंकि उस समय शातकर्णी प्रथम के पुत्र देवश्री और सतश्री
अल्पवयस्क थे |
हाल
*राजा हाल के
द्वारा ही प्राकृत भाषा में गाथासप्तशती नामक ग्रन्थ की रचना की गई थी जिसमें उनकी
प्रेम कहानी वर्णित है |
*राजा हाल के
दरवार में वृहत्कथा कोश नामक ग्रन्थ के रचयिता गुणाढ्य और मातंत्र नामक ग्रन्थ के
रचयिता सर्व वर्मन रहते थे |
*राजा हाल के
सेनापति विजयानन्द थे जिन्होंने श्रीलंका पर विजय हासिल की थी |
*राजा हाल का
विवाह श्रीलंका की राजकुमारी लीलावती से हुआ था |
गौतमीपुत्र
शातकर्णी
*गौतमीपुत्र
शातकर्णी का शासनकाल 106 – 130 ई. के मध्य में था |
*गौतमीपुत्र
शातकर्णी ने शक राजा नह्पान को पराजित करके मार डाला था |
*गौतमीपुत्र शातकर्णी
ने महाराज, राजराज और स्वामी जैसी उपाधियाँ धारण की थीं |
*गौतमीपुत्र
शातकर्णी के द्वारा ही वेणकटक नामक नगर बसाया गया था |
*गौतमीपुत्र
शातकर्णी ने बौद्ध संघ को अजकालकिए नामक कर मुक्त क्षेत्र दान में दिया था |
*गौतमीपुत्र
शातकर्णी ने ही कार्ले के बौद्ध भिक्षु संघ को करजक नामक कर मुक्त ग्राम दान में
दिया था |
*शून्यवाद के
संस्थापक नागार्जुन संभवता गौतमीपुत्र शातकर्णी के समकालीन थे |
*गौतमीपुत्र
शातकर्णी के बारे में नासिक लेख में कहा गया है कि त्रि-समुद्र-तोय-पिता-वाहन
[तीनों समुद्रों का पानी पी लिया था] |
*गौतमीपुत्र
शातकर्णी ने ही बौद्ध साधुओं तथा सनातन साधुओं को भूमि दान में दिए जाने की प्रथा
को प्रारम्भ करवाया था |
*गौतमीपुत्र
शातकर्णी को नासिक लेख में ब्राह्मण कहा गया है |
*संभवता 130 ई.
में गौतमीपुत्र शातकर्णी की मृत्यु हो गई थी |
वशिष्ठीपुत्र
पुलुमावी
*वशिष्ठीपुत्र
पुलुमावी का शासनकाल 130 – 154 ई. के मध्य में था |
*वशिष्ठीपुत्र
पुलुमावी, गौतमीपुत्र शातकर्णी के पुत्र थे |
*वशिष्ठीपुत्र
पुलुमावी का विवाह उज्जैन के शक राजा रुद्रदामन की पुत्री से हुआ था परन्तु
रुद्रदामन के जूनागढ़ अभिलेख में वशिष्ठीपुत्र पुलुमावी को पराजित करने का उल्लेख
किया गया है |
*वशिष्ठीपुत्र
पुलुमावी को दक्षिणापथेश्वर भी कहा जाता है |
*वशिष्ठीपुत्र
पुलुमावी ने अमरावती के बौद्ध स्तूप का पुनर्निर्माण करवाया था |
*वशिष्ठीपुत्र
पुलुमावी के द्वारा ही नवलगढ़ नामक नगर को बसाया गया था |
*वशिष्ठीपुत्र
पुलुमावी ने नगरस्वामी की उपाधि धारण की थी |
*पुराणों में
वशिष्ठीपुत्र पुलुमावी को पुलोमा शातकर्णी के नाम से उल्लेखित किया गया है |
*वशिष्ठीपुत्र
पुलुमावी ने सम्पूर्ण आन्ध्र प्रदेश को अपने अधीन कर लिया था लेकिन उससे पहले
सातवाहन वंश में जितने भी राजा हुए उन्होंने सम्पूर्ण आन्ध्र प्रदेश को अपने अधीन
नहीं कर पाया था |
*वशिष्ठीपुत्र
पुलुमावी को सम्पूर्ण आन्ध्र पर विजय प्राप्त करने के कारण प्रथम आन्ध्र सम्राट भी
कहा जाता है |
*वशिष्ठीपुत्र
पुलुमावी के बाद सातवाहन वंश में कई राजा हुए परन्तु उनका इतिहास उपलब्ध नहीं है |
यज्ञश्री
शातकर्णी
*यज्ञश्री
शातकर्णी का शासनकाल 165 – 195 ई. या 174 – 203 ई. के मध्य में था |
*यज्ञश्री
शातकर्णी को जल यात्रा का प्रेमी कहा जाता है क्योंकि उनके सिक्कों पर जहाज का
चित्र बना हुआ है |
*यज्ञश्री
शातकर्णी के सिक्के महाराष्ट्र, कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश, गुजरात और मध्य प्रदेश
में पाए गए हैं |
*यज्ञश्री
शातकर्णी के शासनकाल से ही सातवाहन वंश का पतन होना प्रारम्भ हो गया था |
*यज्ञश्री शातकर्णी
के बाद सातवाहन राजाओं का इतिहास उपलब्ध नहीं है इसीलिए कुछ इतिहासकारों ने
यज्ञश्री शातकर्णी को ही सातवाहन वंश का अंतिम राजा माना है परन्तु यह पूर्णतः
सत्य नहीं है |
*सातवाहन वंश के
बाद वाकाटक वंश का उदय हुआ था |
सातवाहन वंश की संस्कृति
*सातवाहन वंश के
राजा बौद्ध और सनातन, दोनों धर्मों के अनुयायी हुए और उन्होंने दोनों धर्मों को
अपना संरक्षण प्रदान किया |
*कार्ले का
चैत्य, अजंता की गुफाएँ, अमरावती कला का निर्माण और एलोरा की गुफ़ाओं का निर्माण
सातवाहन राजाओं के शासनकाल में ही हुआ |
*सातवाहन राजाओं
की राजकीय भाषाएँ प्राकृत, संस्कृत, तमिल और तेलगु थीं |
*सातवाहन वंश के
समय में समाज 4 वर्णों में विभाजित था – 1 [महाभोज, महारथी, सेनापति] 2 [अमात्य,
सौदागर, श्रेष्ठिन] 3 [वैद्य, लेखक, स्वर्णकार] 4 [कृषक, माली, बढई, लुहार] |
*सातवाहन काल
में स्त्रियों को सम्मान और आदर प्रदान किया जाता था |
*सातवाहन काल
में प्रमुख व्यवसाय कृषि तथा पशुपालन था |
*सातवाहन काल के
ताँबे/चाँदी के सिक्कों को काषार्पण तथा सोने के सिक्कों को सुवर्ण कहा जाता था |
*सातवाहन राजा
ब्राह्मण थे क्योंकि गौतमीपुत्र शातकर्णी के नासिक लेख में उन्हें ब्राह्मण कहा
गया है |
*सातवाहन काल
में बौद्ध कला का खूब विकास हुआ था |
*सातवाहन काल
में बौद्ध धम्म का मुख्य केंद्र आन्ध्र प्रदेश के गुन्टूर जिले में स्थित अमरावती
था जो सातवाहन राजाओं की प्राचीन राजधानी थी |
*सातवाहन काल
में आन्ध्र प्रदेश कपास के लिए प्रसिद्ध था |
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यह Post केवल प्रतियोगी परीक्षाओं के दृष्टी से लिखा गया है ....इस Post में दी गई जानकारी, भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त [CLASS 6 से M.A. तक की] पुस्तकों से ली गई है ..| कृपया Comment box में कोई भी Link न डालें.
प्राचीन इतिहास PDF – http://bit.ly/3G9U4ye
मध्यकालीन इतिहास PDF – http://bit.ly/3LGGovu
आधुनिक इतिहास PDF – http://bit.ly/3wDnfX3
सम्पूर्ण इतिहास PDF – https://imojo.in/1f6sRUD