लॉर्ड नार्थब्रुक का इतिहास
*लॉर्ड मेयो के
बाद 'सर जॉन स्ट्रेची' को भारत
का कार्यवाहक वायसराय बनाया गया जिनका कार्यकाल 9 फरवरी 1872 ई. से 23 फरवरी 1872 ई. तक था।
*सर जॉन
स्ट्रेची के बाद 'द लॉर्ड नेपियर'
को कर्यावाहक वायसराय बनाया गया जिनका कार्यकाल 24 फरवरी 1872 से
3 मई 1872 ई. तक था।
*लॉर्ड
नार्थब्रुक का कार्यकाल 3 मई 1872 से 12 अप्रैल 1876 ई.
तक था।
*लॉर्ड
नार्थब्रुक ने कहा था "मेरा प्रमुख उद्देश्य करों में कमी करना और कृषि के
लिए योग्य भूमि का निर्माण करना है"।
*लॉर्ड
नार्थब्रुक के कार्यकाल 1872 ई. में पंजाब में 'कूका आन्दोलन' हुआ था जिसके नेता रामसिंह थे। बाद
में उन्हें रंगून भेज दिया गया था।
कूका आन्दोलन क्या था ...?
कूका दरअसल 'सिक्ख धर्म' में एक "नामधारी संप्रदाय" है
उसी संप्रदाय के लोगों को 'कूका' कहा
जाता है। इसकी शुरुआत 1840 ई. में भगत जवाहरमल या सेन साहब
के द्वारा की गई थी। भगत जवाहरमल के अनुयायी रामसिंह के द्वारा 1872 ई. में एक आन्दोलन किया गया बाद में, इसी आन्दोलन को
"कूका आन्दोलन या कूका विद्रोह" के नाम से भारतीय इतिहास में वर्णित
किया गया।
*1875 ई. में लॉर्ड नार्थब्रुक ने बड़ौदा (आधुनिक नाम वड़ोदरा) के राजा 'मल्हारराव गायकवाड़' को भ्रष्टाचार के आरोप में पद से
हटाकर मद्रास (आधुनिक नाम चैन्नई) भेज दिया था।
*लॉर्ड
नार्थब्रुक के कार्यकाल 1875 ई. में ही वेल्स के
राजकुमार 'एडवर्ड तृतीय' भारत
आए थे। वेल्स, ब्रिटेन का एक प्रान्त है जिसकी राजधानी 'कार्डिफ' में है।
*लॉर्ड
नार्थब्रुक के ही कार्यकाल में 'स्वेज नहर' खुल जाने से भारत और ब्रिटेन के मध्य व्यापार में वृद्धि हुई।
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प्राचीन इतिहास PDF – http://bit.ly/3G9U4ye
मध्यकालीन इतिहास PDF – http://bit.ly/3LGGovu
आधुनिक इतिहास PDF – http://bit.ly/3wDnfX3
सम्पूर्ण इतिहास PDF – https://imojo.in/1f6sRUD