विधेयक ..| what is bill..?



विधेयक की परिभाषा  

*किसी कानून के प्रारूप को जब संसद में पेश किया जाता है तो उस समय उसे विधेयक कहते हैं जब वह विधेयक संसद के दोनों सदनों (राज्यसभा और लोकसभा) के द्वारा पारित कर दिया जाए और राष्ट्रपति के द्वारा उस पर हस्ताक्षर कर दिए जाएँ तो वह विधेयक अधिनियम या कानून का रूप धारण कर लेता है |

*सामान्यता विधेयक तो कई प्रकार के होते हैं यहाँ पर हम कुछ प्रमुख विधेयकों की चर्चा कर रहे हैं जैसे- साधारण विधेयक, धन विधेयक, वित्त विधेयक और संविधान संशोधन विधेयक |

1.साधारण विधेयक 

*इस विधेयक को किसी मंत्री या संसद के किसी सदस्य द्वारा (राज्यसभा या लोकसभा) किसी भी सदन में पेश किया जा सकता है |
*अगर साधारण विधेयक संसद के किसी सदन द्वारा पारित नहीं किया जाता है तो राष्ट्रपति अनुच्छेद 108 के तहत दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन को बुलाता है और उस विधेयक पर बहुमत के आधार से निर्णय किया जाता है इस अधिवेशन की अध्यक्षता लोकसभा के अध्यक्ष द्वारा की जाती है अगर वह अनुपस्थित हो तो लोकसभा के उपाध्यक्ष के द्वारा संयुक्त अधिवेशन की अध्यक्षता की जायेगी मान लो अगर दोनों अनुपस्थित हो तो राज्यसभा के सभापति के द्वारा संयुक्त अधिवेशन की अध्यक्षता की जायेगी |
*संयुक्त अधिवेशन धन विधेयक और संविधान संशोधन विधेयक के संबंध में नहीं बुलाया जाता है |

2.वित्त विधेयक 

*वित्त विधेयक की चर्चा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 में की गई है |
*वित्त विधेयक वह विधेयक होता है जिसमें धन संबंधी विषयों की चर्चा की गई हो |
*वित्त विधेयक को सबसे पहले लोकसभा में ही पेश किया जाता है और वित्त विधेयक को दोनों सदनों के द्वारा पारित किया जाना आवश्यक है अगर राज्यसभा के द्वारा उसे पारित नहीं किया जाता है तो राष्ट्रपति अनुच्छेद 108 के तहत संयुक्त अधिवेशन बुलाता है और उस विधेयक का फ़ैसला बहुमत के आधार पर किया जाता है जो सामान्यता लोकसभा के पक्ष में ही जाता है क्योंकि लोकसभा के सदस्यों की संख्या अधिक होती है |

वित्त विधेयक के प्रमुख तथ्य 

1.अनुच्छेद 112 में वित्त विधेयक के संबंध में चर्चा की गई है |
2.अनुच्छेद 117 में वित्त विधेयक को पारित करने की प्रक्रिया बताई गई है |
3.प्रत्येक वित्त विधेयक धन विधेयक नहीं होता है |
4.वित्त विधेयक के संबंध में संयुक्त अधिवेशन बुलाने का प्रावधान किया गया है |
5.राष्ट्रपति वित्त विधेयक को पुनर्विचार के लिए लौटा सकता है |

3.धन विधेयक 

*यह वह विधेयक होता है जिसमें किसी कर (tax) लगाने या हटाने, संचित निधि में धन जमा करने या निकालने आदि विषयों की चर्चा की गई हो |
*धन विधेयक की चर्चा अनुच्छेद 110 में की गई है |
*प्रत्येक धन विधेयक वित्त विधेयक होता है परन्तु इसका अंतिम निर्णय लोकसभा अध्यक्ष के द्वारा किया जाता है
*अनुच्छेद 109 में धन विधेयक को पारित करने की प्रक्रिया का प्रावधान किया गया है जिसमें कहा गया है कि धन विधेयक को केवल लोकसभा में ही पेश किया जा सकता है लेकिन उससे पहले राष्ट्रपति की अनुमति लेना जरुरी है अगर धन विधेयक को लोकसभा द्वारा पारित करके राज्यसभा में भेजा जाए तो राज्यसभा केवल 14 दिनों तक उस विधेयक को अपने पास रख सकती है अगर 14 दिनों के अन्दर राज्यसभा द्वारा उस विधेयक को पारित नहीं किया गया तो भी वह पारित माना जाता है क्योंकि धन विधेयक के संबंध में राष्ट्रपति के द्वारा संयुक्त अधिवेशन नहीं बुलाया जाता है |

धन विधेयक के प्रमुख तथ्य  

1.धन विधेयक की चर्चा अनुच्छेद 110 में की गई है |
2.धन विधेयक को पारित करने की प्रक्रिया का प्रावधान अनुच्छेद 109 में किया गया है |
3.धन विधेयक केवल लोकसभा में ही पेश किया जा सकता है परन्तु राज्यसभा में धन विधेयक को औपचारिकता प्रदान करने के लिए भेजा जाता है |
4.धन विधेयक को लोकसभा में प्रस्तुत करने से पहले राष्ट्रपति की मंजूरी लेना आवश्यक है |
5.धन विधेयक के संबंध में संयुक्त अधिवेशन नहीं बुलाया जाता है |
6.धन विधेयक को राष्ट्रपति पुनर्विचार के लिए वापस नहीं कर सकता |

4.संविधान संशोधन विधेयक 

*संविधान संशोधन विधेयक वह विधेयक होते हैं जिसमें संविधान के किसी  भाग में संशोधन करने की बात कही गई हो |
*संविधान संशोधन की चर्चा अनुच्छेद 368 में की गई है |
*संविधान संशोधन विधेयक संसद के किसी भी सदन (राज्यसभा और लोकसभा) में पेश किया जा सकता है |
*संविधान संशोधन विधेयक के संबंध में राज्यसभा और लोकसभा को समान शक्तियाँ प्रदान की गई है मान लो अगर लोकसभा द्वारा किसी संविधान संशोधन विधेयक को पारित करके राज्यसभा में भेजा जाए और राज्यसभा उस विधेयक को पारित न करे तो उस विधेयक को समाप्त समझ लिया जाता है क्योंकि संविधान संशोधन विधेयक के संबंध में भी संयुक्त अधिवेशन नहीं बुलाया जा सकता |
*संविधान संशोधन विधेयक को संसद द्वारा 3 तरह से पारित किया जा सकता है 

1. साधारण विधि द्वारा   
                                  
नए राज्यों का निर्माण, राज्यों के क्षेत्रों में परिवर्तन, राज्यों के नाम में परिवर्तन, नागरिकता सम्बन्धी परिवर्तन आदि के संबंध में कोई संशोधन विधेयक हो तो उसे संसद के दोनों सदनों के द्वारा साधारण बहुमत से पारित किया जाए और राष्ट्रपति उस हस्ताक्षर कर दे वह कानून बन जाता है |

2.विशेष बहुमत द्वारा 

न्यायपालिका और राज्यों के अधिकार तथा शक्तियों को छोड़कर कुछ अन्य विषयों में अगर संविधान संशोधन करना हो तो दोनों सदनों के द्वारा अपने उपस्थित सदस्यों के दो तिहाई बहुमत से उस विधेयक को पारित कर दिया जाए और राष्ट्रपति उस पर अपनी स्वीकृति प्रदान कर दे तो वह कानून बन जाता है भारत में ज्यादातर संविधान संशोधन इसी प्रक्रिया के द्वारा किए गए हैं |

3.अति विशेष बहुमत द्वारा 

राष्ट्रपति का निर्वाचन, राष्ट्रपति के निर्वाचन की कार्यपद्धति, कार्यपालिका शक्ति का विस्तार, केंद्रशासित प्रदेशों के लिए उच्च न्यायालय, सातवी अनुसूची का कोई विषय आदि पर अगर संशोधन करना हो तो सदन के दोनों सदनों द्वारा उस विधेयक को विशेष बहुमत से पारित करना होगा और राज्यों के कुल आधे विधानमंडलों के द्वारा उस संविधान संशोधन विधेयक को पारित कर दिया जाए तो वह कानून बन जाता है |
                                                                                                                                                                                   

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