भारतीय संविधान और उसके द्वारा प्रदान किए गए मूल अधिकार | Fundamental Right in Hindi |


मूल अधिकार - Fundamental Rights

भारतीय संविधान में मूल अधिकार, संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान से लिए गए हैं |

मूल अधिकार, ऐसे अधिकार होते हैं जो किसी व्यक्ति के जीवन, स्वतंत्रता एवं अभिव्यक्ति के लिए बहुत आवश्यक होते हैं और इन्हें न्यायिक - संरक्षण भी प्राप्त है |

संविधान सभा ने सरदार वल्लभभाई पटेल की अध्यक्षता में मौलिक अधिकारों एवं अल्पसंख्यकों से सम्बंधित एक परामर्श समिति का गठन किया गया था |

इसके बाद जे. बी. कृपलानी की अध्यक्षता में मौलिक अधिकार उप-समिति और एच.सी. मुखर्जी की अध्यक्षता में अल्पसंख्यक उप-समिति का गठन किया गया |

इन दोनों समितियों की सिफ़ारिश के आधार पर ही संविधान सभा ने मूल अधिकारों को भारतीय संविधान में शामिल किया  था |

संविधान के भाग 3 में अनुच्छेद 12 से 35 तक, मूल अधिकारों की विस्तार से चर्चा की गई है |

संविधान के भाग 3 को अधिकार पत्र या भारत का मैग्नाकार्टा कहा गया है और इसे मूल अधिकारों का जन्मदाता भी कहा जाता है |

राष्ट्रीय आपात के दौरान सभी मूल अधिकारों को स्थगित किया जा सकता है परन्तु जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार को स्थगित नहीं किया जा सकता |

मूल संविधान में सात मूल अधिकार थे किन्तु 1978 में हुए 44वे संविधान संशोधन के द्वारा संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों की सूची से हटाकर इसे कानूनी अधिकार बना दिया गया था |

मौलिक अधिकार

1.समता या समानता का अधिकार

     अनुच्छेद 14 से 18 तक 

2.स्वतंत्रता का अधिकार

    अनुच्छेद 19 से 22 

3.शोषण के विरुद्ध अधिकार

    अनुच्छेद 23 से 24 तक

4.धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार

    अनुच्छेद 25 से 28 तक

5.संस्कृति एवं शिक्षा संबंधी अधिकार

    अनुच्छेद 29 से 30 तक

6.संवैधानिक उपचारों का अधिकार

    अनुच्छेद 32 

 

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