मुईजुद्दीन बहराम शाह का इतिहास | Muiz ud din Bahram Shah Ka Itihas |

 

ऐतिहासिक तथ्य

तबकात ए नासिरी

तबकात ए नासिरी की रचना 13वी शताब्दी में मिन्हाज़ उस सिराज़ के द्वारा फ़ारसी भाषा में की गई थी | तबकात ए नासिरी में मुहम्मद गोरी से लेकर नासिरुद्दीन महमूद के शासनकाल तक की जानकारी प्रदान की गई है जिसमें बहराम शाह के शासनकाल की कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं पर भी चर्चा की गई है |

बहराम शाह का प्रारम्भिक इतिहास

*बहराम शाह का जन्म 9 जुलाई 1212 को हुआ था |

*बहराम शाह का वास्तविक नाम मुईज़ उद दीन बहराम शाह था |

*बहराम शाह के पिता का नाम इल्तुतमिश और माता का नाम तुरकान ख़ातून था |

*रज़िया सुल्तान, बहराम शाह की बहिन थी |

बहराम शाह का इतिहास

*मार्च – अप्रैल 1240 में भटिंडा के इक्तादार मलिक अल्तूनिया के द्वारा रजिया सुल्तान को बंदी बनाकर भटिंडा की जेल में कैद कर दिया गया था |

*जब ये समाचार दिल्ली के तुर्क सरदारों को मिला तो उन्होंने उसी समय इल्तुतमिश के तीसरे पुत्र बहराम शाह को दिल्ली का सुल्तान घोषित कर दिया था | 

*बहराम शाह का राज्याभिषेक 20/21 अप्रैल 1240 को दिल्ली के लाल महल में हुआ था |

*दिल्ली का सुल्तान बनने के बाद बहराम शाह ने नाईब ए ममलिकात नामक एक नए पद का निर्माण किया था जिस पर सबसे पहले मलिक एतगीन को नियुक्त किया गया था |

*मलिक एतगीन दिल्ली के तुर्क सरदारों का नेता था इसीलिए उसे नाईब ए ममलिकात के पद पर बहराम शाह  के द्वारा नियुक्त किया गया था |

*नाईब ए ममलिकात का पद सुल्तान के बाद सबसे शक्तिशाली पद होता था लेकिन मलिक एतगीन तुर्क सरदारों का नेता था इसीलिए वह स्वयं को बहराम शाह से भी ज्यादा शक्तिशाली मानता था |

*बहराम शाह, मलिक एतगीन से अत्यधिक परेशान हो गया था और अंत में उसने मलिक एतगीन की हत्या करवा दी थी  |

*मलिक एतगीन की हत्या के बाद दिल्ली के तुर्क सरदार बहराम शाह के खिलाफ़ हो गए और उन्होंने बहराम शाह के वजीर मुहाजबुद्दीन के साथ मिलकर षड्यंत्र रचने शुरू कर दिए |

*1241 में तायर के नेतृत्व में मंगोलों ने आक्रमण किया और लाहौर पर अधिकार कर लिया था जब ये समाचार बहराम शाह को मिला तो उसने अपने वजीर मुहाजबुद्दीन को भेजा और उसके साथ कुछ तुर्क सरदारों को भी भेजा लेकिन मुहाजबुद्दीन ने तुर्क सरदारों की हत्या कर दी थी |

*तुर्क सरदारों की हत्या के बाद दिल्ली के तुर्क सरदारों ने बहराम शाह को बंदी लिया और 15 मई 1242 को उसकी हत्या कर दी |

*बहराम शाह की हत्या के बाद तुर्क सरदारों ने रुकनुद्दीन फिरोजशाह के पुत्र अलाउद्दीन मसूद शाह को दिल्ली दिल्ली का सुल्तान बना दिया था |

*बहराम शाह का शासनकाल 1240 – 1242 के मध्य में था |

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