लॉर्ड कर्जन का इतिहास | Lord Curzon history in Hindi |

 

लॉर्ड कर्जन का इतिहास            

*लॉर्ड कर्जन का वास्तविक नाम जॉर्ज नथानिएल कर्जन था |

*लॉर्ड कर्जन का जन्म 11 जनवरी 1859 को केडलेस्टन, ब्रिटेन में हुआ था |

*लॉर्ड कर्जन के कार्यकाल 1899 में कलकत्ता कॉरपोरेशन अधिनियम लागू किया गया था |

कलकत्ता कॉरपोरेशन अधिनियम 1899 की प्रमुख विशेषताएं

1.कलकत्ता कॉरपोरेशन के सदस्यों की संख्या कम कर दी गई |

2.कलकत्ता कॉरपोरेशन की सभी समितियों में अंग्रेजों की प्रधानता स्थापित करने की पूर्ण कोशिश की गई |

3.कलकत्ता कॉरपोरेशन के 28 भारतीय सदस्यों ने अपने पद से त्याग पत्र दे दिया था |

*लॉर्ड कर्जन के कार्यकाल 1899 में भारतीय टंकण और पत्र - मुद्रा अधिनियम भी पारित हुआ था |

भारतीय टंकण और पत्र - मुद्रा अधिनियम 1899 की विशेषताएं

1.इस अधिनियम के तहत लॉर्ड कर्जन ने अंग्रेजी स्वर्ण - मुद्रा को कानूनी मुद्रा बनाया था |

2.विनिमय की दर 15 रू. प्रति पौण्ड करने का प्रावधान किया गया था |

3.500 रू. वार्षिक आय वाले व्यक्तियों को कर देना निश्चित किया गया था |

4.जो लोग नमक का व्यापार करते थे उनके कर में कमी की गई |

*लॉर्ड कर्जन के कार्यकाल 1899 -1900 के मध्य भारत में भीषण सूखा और अकाल पड़ा जिसके कारण बहुत सारे किसानों मौत हुई | इसी का विश्लेषण करने के लिए 1901 में लॉर्ड कर्जन ने सर एंटनी मैकडानल की अध्यक्षता में अकाल आयोग का गठन किया | इस आयोग के द्वारा प्रस्तुत की गई रिपोर्टों में किसानों की उन्नति के लिए विशेष सुझाव प्रदान किए गए, बाद में जिस पर 7 करोड़ रू. का बजट तैयार किया गया था |

*रेल व्यवस्था में सुधार करने के लिए लॉर्ड कर्जन ने 1901 में ही टॉमस रॉबर्टसन के नेतृत्व में एक रेलवे आयोग का गठन किया था |

रेलवे आयोग 1901 के प्रमुख प्रावधान

1.रेलवे आयोग के द्वारा 1903 में रिपोर्ट सौंपी गई |

2.रेलवे का उपयोग व्यापार के लिए भी किया जाएगा |

3.रेलों की संख्या में वृद्धि की गई |

4.तीन सदस्यों वाले रेलवे बोर्ड की स्थापना की गई |

5.लॉर्ड कर्जन के कार्यकाल में ही सबसे अधिक रेलवे लाइनें बिछाने का काम किया गया था |  

*1901 में ही लॉर्ड कर्जन ने सर कॉलिन स्कॉट मानक्रीफ की अध्यक्षता में एक सिंचाई आयोग का गठन किया गया था और 1903 में सिंचाई आयोग के द्वारा प्रस्तुत की गई तथा उसी रिपोर्टों के आधार पर लॉर्ड कर्जन ने 44 करोड़ रू. खेती की सिंचाई पर खर्च करने का प्रावधान किया था | 

*कृषि को वैज्ञानिक तरीके से करने के लिए लॉर्ड कर्जन ने 1901 में ही कृषि इंस्पेक्टर जनरल की नियुक्ति और 1905 में एक कृषि अनुसंधान संस्था बंगाल में खोली गई थी |

*लॉर्ड कर्जन के कार्यकाल 1901 में दि इम्पीरियल केडेट कोर की स्थापना की गई थी |

दि इम्पीरियल केडेट कोर के प्रमुख प्रावधान

1.दि इम्पीरियल केडेट कोर के द्वारा राजाओं, नवाबों और बड़े व्यापारियों के बच्चों को, सैंनिक प्रशिक्षण प्रदान करवाना प्रमुख उद्देश्य था |

2.सैंनिक अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिए क्वेटा में एक सैंनिक स्कूल खोला गया था |

3.दि इम्पीरियल केडेट कोर में शामिल होने के लिए एक परीक्षा देनी होती थी जिसे किचनर टेस्ट कहा जाता था |

*सेना में सुधार करने के लिए लॉर्ड कर्जन ने 1902 में भारतीय ब्रिटिश सेना का मुख्य सेनापति लॉर्ड किचनर को बनाया था

*1902 में ही लॉर्ड कर्जन ने सर एंड्रयू फ्रेजर की अध्यक्षता में पुलिस आयोग का गठन भी किया था |

पुलिस आयोग 1902 के प्रमुख प्रावधान

1.पुलिस आयोग के द्वारा 1903 में रिपोर्ट प्रस्तुत की गई |

2.प्रांतीय पुलिस बल में वृद्धि करने का निश्चय किया गया |

3.सिपाहियों को छानबीन के लिए गांव में जाने का अधिकार प्रदान किया गया |

4.किसी भी व्यक्ति को संदेह के आधार पर गिरफ्तार न करने का प्रावधान किया गया |

5.गुप्तचर विभाग को स्थापित करने का प्रावधान भी किया गया |

6.पुलिस बल के लिए प्रशिक्षण स्कूल खोलने का निश्चय किया गया |

*कृषि बैंकों की शुरुआत भी लॉर्ड कर्जन के कार्यकाल से ही मानी जाती है |

*1902 में लॉर्ड कर्जन ने सर टॉमस रेले की अध्यक्षता में एक विश्वविद्यालय आयोग का गठन किया जिसमें सैय्यद हुसैन और गुरुदास बनर्जी इसके सदस्य थे | इसी आयोग की सिफ़ारिश पर 1904 में भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम पारित किया गया था |

भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम 1904 के प्रमुख प्रावधान

1.इस अधिनियम के द्वारा विश्वविद्यालयों की संस्थाओं पर नियंत्रण स्थापित करने की कोशिश की गई |

2.इसी अधिनियम के द्वारा विश्वविद्यालयों की सीमा को निर्धारित करने का अधिकार सिर्फ वायसराय को प्रदान कर दिया गया था |

3.सीनेट के सदस्यों की संख्या 50 से बढाकर 100 कर दी गई |

4.कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायाधीश गुरुदास बनर्जी ने इसका विरोध किया था |

*लॉर्ड कर्जन के कार्यकाल 1904 में प्राचीन स्मारक परिक्षण अधिनियम भी पारित किया गया था |

प्राचीन स्मारक परीक्षण अधिनियम 1904 के प्रावधान

1.भारत में पहली बार प्राचीन इमारतों पर ध्यान देने की कोशिश की गई |

2.डायरेक्टर जनरल ऑफ अर्कोलॉजी के नेतृत्व में एक पुरातत्व विभाग की स्थापना की गई |

3.50 हजार पौण्ड का बजट इस कार्य के लिए बनाया गया था |

4.दुर्लभ वस्तुओं के लिए संग्रहालय बनाने की शुरुआत की गई |

*लॉर्ड कर्जन के कार्यकाल का सबसे विवादित कार्य 1905 में बंगाल का विभाजन माना जाता है |

बंगाल विभाजन 1905 के प्रमुख तथ्य

1.फरवरी 1904 में लॉर्ड कर्जन ने पूर्बी बंगाल (आधुनिक बंगलादेश) का दौरा किया था |

2.19 जुलाई 1905 को शिमला (हिमाचल प्रदेश) में बंगाल विभाजन की घोषणा की गई |

3.बंगाल विभाजन की योजना 16 अक्टूबर 1905 को लागू की गई थी |

4.सितम्बर 1905 में ब्रिटिश सम्राट के द्वारा इसकी स्वीकृति प्रदान की गई |

5.इन सभी कार्यों के बाद बंगाल को दो भागों पश्चिम बंगाल और पूर्बी बंगाल में विभाजित कर दिया गया था |

6.पश्चिम बंगाल की उस समय 5 करोड़ 40 लाख जनसंख्या थी क्योंकि उसमें बिहार और उड़ीसा भी शामिल थे |

7.पूर्बी बंगाल (आधुनिक बंगलादेश) में 3 करोड़ 10 लाख जनसंख्या थी और इसका मुख्यालय ढाका में था |

*ब्रिटिश भारत के मुख्य सेनापति लॉर्ड किचनर से मतभेद के चलते 1905 में लॉर्ड कर्जन ने वायसराय के पद से त्याग पत्र दे दिया था और वह वापस इंग्लैंड चले गए थे |

*20 मार्च 1925 को लन्दन में लॉर्ड कर्जन की मृत्यु हो गई |

*लॉर्ड कर्जन का कार्यकाल जनवरी 1899 से नवम्बर 1905 के मध्य में था |

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