नासिरुद्दीन महमूद और उनका इतिहास | Nasiruddin Mahmood Ka Itihas | शम्सी वंश |


ऐतिहासिक तथ्य

तबकात ए नासिरी

मिन्हाज उस सिराज के द्वारा फारसी भाषा में लिखा गया तबकात ए नासिरी ग्रंथ, नासिरुद्दीन महमूद को ही समर्पित है । तबकात ए नासिरी ग्रंथ की रचना मिन्हाज उस सिराज ने नासिरुद्दीन महमूद के दरबार में ही की थी जिसमें मोहम्मद गौरी से लेकर नासिरुद्दीन महमूद के शासनकाल तक की घटनाओं का उल्लेख किया गया है ।

तारीख ए मुबारकशाही

तारीख ए मुबारकशाही की रचना सैय्यद वंश के शासक मुबारक शाह के शासनकाल में याहिया बिन अहमद सरहिन्दी के द्वारा की गई थी | वैसे तो तारीख ए मुबारकशाही में सैय्यद वंश का इतिहास मिलता है परन्तु इसमें नासिरुद्दीन महमूद के बारे में लिखा है कि सुल्तान की मौत बीमारी से हुई थी  |

किताब ए रेहला               

किताब ए रेहला की रचना अरबी भाषा में इब्नबतूता के द्वारा 14वी शताब्दी में की गई थी जिसमें नासिरुद्दीन महमूद के बारे में लिखा है कि बलबन ने सुल्तान नासिरुद्दीन महमूद की हत्या की और सिंहासन प्राप्त किया | 

नासिरुद्दीन महमूद का इतिहास

*नासिरुद्दीन महमूद को 1246 में दिल्ली का सुल्तान बनाया गया था ।

*नासिरुद्दीन महमूद दिल्ली के सुल्तान बनने से पहले बहराइच के राज्यपाल थे ।

*मिन्हाज उस सिराज के द्वारा लिखे गए तबकात ए नासिरी ग्रंथ में नासिरुद्दीन महमूद को दिल्ली का सबसे आदर्श सुल्तान बताया गया है ।

*मिन्हाज उस सिराज, नासिरुद्दीन महमूद के शासनकाल में उनके दरबारी कवि थे ।

*नासिरुद्दीन महमूद नाममात्र के सुल्तान थे वास्तविक शक्ति तुर्क चालीसा दल के नेता बलबन के हाथों में थी ।

*बलबन ने अपनी पुत्री का विवाह नासिरुद्दीन महमूद के साथ कर दिया था और उसी समय नासिरुद्दीन महमूद ने बलबन को उलुग खां की उपाधि से सम्मानित कर नाइब ए ममलिकात का पद प्रदान किया था ।

*नाइब ए ममलिकात बनने के बाद बलबन ने उच्च पदों पर अपने विश्वास पात्र व्यक्तियों को बिठाना शुरू कर दिया जिसमें किशलू खां को अमीर ए हाजिब (मुख्य दरबारी अधिकारी) शेर खान को लाहौर/भटिंडा का इक्तादार और वजीर का पद अबू बक्र को प्रदान किया था ।

*1265 में अचानक सुल्तान नासिरुद्दीन महमूद की मृत्यु हो गई और बलबन को उसका उत्तराधिकारी माना गया क्योंकि नासिरुद्दीन महमूद को कोई पुत्र नहीं था ।

*नासिरुद्दीन महमूद को शम्सी वंश का अंतिम शासक माना जाता है ।

*नासिरुद्दीन महमूद का शासनकाल 1246 - 1265 के मध्य में था ।

*नासिरुद्दीन महमूद की मृत्यु के संबंध में इतिहासकार एकमत नहीं है । कुछ इतिहासकार मानते हैं कि सुल्तान की मौत जहर देने से हुई थी तथा कुछ इतिहासकार मानते हैं कि सुल्तान की मृत्यु बलबन के द्वारा हत्या करने से हुई थी ‌।

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